MP के लहसुन किसान ने कीमत नहीं मिलने पर 20रु लागत वाली लहसुन फसल नाले में फेंकी
लहसुन उत्पादक किसानों को उपज का वाजिब दाम नहीं मिल रहा। मध्य प्रदेश के मंदसौर की कृषि उपज मंडियों में इन दिनों लहसुन के दाम (Garlic Price) काफी कम। बंपर आवक के बावजूद किसानों को मिल रही कौड़ियां।
लहसुन के किसानों को हुआ भारी नुकसान
किसानों की आय दोगुनी होने के शोर-शराबे के बीच किसानों की फसलों की कीमत नहीं मिलने की खबरें उतनी प्रमुखता से जगह नहीं बना पाती, जितनी उन्हें मिलनी चाहिए। आखिर क्या कारण है कि किसानों को अपनी फसल के उत्पादन की लागत, तुड़वाई (कटाई) भंडारण और मंडी का किराया तक नहीं निकलता। आखिर कब तक किसान मंडी के कुचक्र में पीसता रहेगा। आखिर किसान को उसकी लागत और मेहनत का मेहनताना कब मिलना शुरू होगा।
कीमत नहीं मिलने पर फसल नाले में फेंकी
MP से लहसून के किसानों की फसलों की कीमत न मिलने की खबरें आ रही हैं। मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के एक किसान ने शुक्रवार को अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि “स्थानीय मंडी में अपनी उपज के औने-पौने दाम मिलने के कारण उसने लहसुन को नाले में फेंक दिया है, क्योंकि इसकी खेती उसके लिए घाटे का सौदा साबित हुई।”
पश्चिमी मध्यप्रदेश है लहसुन का गढ़
यह बात तो आप सभी जानते ही हैं कि पश्चिमी मध्यप्रदेश लहसुन की खेती का गढ़ माना जाता है। ऐसे में जब उस गढ़ कहे जाने वाले एरिया में किसानों का यह हाल है तो दूसरी जगह के किसानों का आप अंदाजा लगा सकते हैं।
लहसुन (Garlic) की कीमत गिरने का कारण
लहसुन के किसानों को उनकी फसलों की सही दाम नहीं मिल रहा है। जिसका मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि मांग से कहीं ज्यादा आपूर्ति होने के कारण स्थानीय मंडियों में लहसुन की कीमत गिर गई है। जबकि हकीकत यह है कि देश के प्रत्येक एरिया में कोई न कोई एक खास फसल ज्यादा मात्रा में होती है तो अधिक आवक का गणित किसी भी तरह से हलक से नीचे नहीं उतरता है। लहसून की कीमत नहीं मिलने पर नाराज किसानों द्वारा अपनी फसल को यहां-वहां फेंककर नष्ट करने के वीडियो इस इलाके से लगातार सामने आ रहे हैं।
एक रुपए किलो बिक रहा है लहसुन (Garlic)
इंदौर से 15 किलोमीटर दूर माता बरोड़ी गांव के किसान विकास सिसोदिया ने बताया कि- इंदौर मंडी में लहसुन का एक रु प्रति किलोग्राम (kg) का दाम मिल रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा की इंदौर इकाई के संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि स्थानीय मंडियों में लहसुन के दाम 50 पैसे प्रति किलोग्राम तक गिर चुके हैं, जबकि एक किलोग्राम लहसुन पैदा करने में किसान को औसतन 20 रु की लागत आती है।
तीन लाख का घाटा
लहसुन के किसानों का कहना है कि लहसुन के उत्पादन की लागत, तुड़वाने, भंडारित करने और मंडी तक पहुंचाने का खर्च तक नहीं निकल रहा है। जिसके कारण किसान अपनी फसल को बर्बाद कर रहे हैं या फिर सड़कों पर फेंकने के लिए मजबूर हैं। किसान ने बताया चार बीघा में लहसुन की खेती से उन्हें कुल मिलाकर तीन लाख रुपये का घाटा झेलना पड़ा है।
लहसुन के दाम 50 पैसे प्रति किलोग्राम तक गिरे
मध्यप्रदेश की स्थानीय मंडियों में लहसुन के दाम 50 पैसे प्रति किलोग्राम तक गिर चुके हैं, जबकि एक किलोग्राम लहसुन पैदा करने में किसान को औसतन 20 रुपये की लागत आती है। लहसुन की फसल को लगाने में प्रति बीघा फसल के बीज दवाई, निंदाई, खुदाई समेत मिलाकर 25 हजार रुपये का खर्चा होता है, लेकिन बड़ी मुश्किल से अब फसल बेचकर महज 5 से 6 हजार रुपये ही मिल रहे है. लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसान रमेश ने बताया की 50,000 रुपये की लागत से लहसुन की फसल लगाई, लेकिन अब 5-6 हजार रुपये ही मिल पा रहे है। मंडी में अच्छी से अच्छी लहसुन के भी 800 से 1000 रुपये तक ही दाम मिल रहे हैं।
क्या हो सकता है किसानों की समस्या का स्थाई समाधान
किसानों की फसल आते ही फसल के भाव कम होना हर बार की बात है। ऐसे में आपकी राय में क्या कोई ऐसा तरीका जिससे किसानों को उनकी फसल का वाजिब भाव मिलता रहे और किसानों को अपनी फसल बर्बाद नहीं करनी पड़े। अगर आपके पास कोई सुझाव है तो हमें जरूर बताएं, ताकि उसे सभी से सांझा करके एख माहौल बनाया जा सके, जो किसानों के लिए फायदेमंद रहे।