बासमती धान की नर्सरी

किसान भाईयों नमस्कार , आज हम आपको बासमती धान की नर्सरी कैसे लगाई जाए इसके बारे में आपको जानकारी देने जा रहे हैं | किसी भी अच्छी फसल की नीवं उसकी नर्सरी होती है | इसको लगाने के लिए किन किन मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए | इसका ब्यौरा नीचे दिया जा रहा है |

बासमती धान की नर्सरी बुवाई से पहले, खेत को लेजर लेवलर द्वारा समतल अवश्य करायें और सम्भव हो तो छोटी-छोटी क्यारी बना लें।

बासमती धान का बीज सदैव भरोसे वाले स्रोत जैसे – प्रमाणित संस्था या अनुसंधान केन्द्र से ही खरीदें।

बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान, मोदीपुरम,मेरठ भी उच्च गुणवत्ता युक्त बासमती बीज उपलब्ध कराता है।

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बासमती धान की नर्सरी के बीज की बुवाई से पहले

बासमती धान के बीज की बुवाई से पहले बीज का शुद्धीकरण अवश्य करें। इसके लिए एक टब या बाल्टी में एक किलो सादा नमक व 10 लीटर पानी का घोल बनाकर उसमें बीज को धीरे-धीरे छोडें ।

ऐसा करने से हल्के बीज पानी की ऊपरी सतह पर तैरने लगते हैं इन बीजों को निकाल कर अलग कर देना चाहिए | अच्छे बीजो को साफ पानी में दो बार अवश्य धोयें।

बीज उपचार हेतु 20 ग्राम कार्बेन्डाजिम और 1 ग्राम स्ट्रप्टोसाइक्लीन और पानी की उचित मात्रा के घोल में 10 किलोग्राम अच्छे बीजों को भीगो कर 10 से 24 घन्टे के लिए छाया में रखें।

बीज उपचार के बाद इन बीजों को जूट के बैग में अथवा ढेर बनाकर छायादार स्थान पर अंकुरित होने के लिए लगभग 24 घन्टे के लिए रख दे। बीजों को सड़ने से बचाने के लिए नमी अवश्य बनाये रखें, ऐसा करने से एक समान अंकुरण होता हैं। एक किलोग्राम बीज को बोने के लिए कम से कम 25 वर्ग मीटर क्षेत्र अवश्य लेना चाहिए |

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  • नर्सरी की क्यारी अच्छी तरह से समतल होनी चाहिए।
  • नर्सरी क्षेत्र की अन्तिम पडलिंग से ठीक पहले नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटाश, जिंक एवं आयरन की सन्तुलित मात्रा प्रयोग करना चाहिए।
  • अंकुरित बीजों को शाम के समय एक सामान रूप से छिटक कर बोना चाहिए।
  • बीज छिटकते समय नर्सरी में 2 से 3 सेन्टीमीटर पानी भरा होना चाहिए।
  • नर्सरी क्षेत्र में खरपतवार नही होने चाहिए एवं पानी का स्तर धीरे-धीरे बढाना चाहिए।
  • पौध को पानी भर कर ही उखाड़ना चाहिए क्योंकि सूखे में पौध उखाड़ने पर पादपगलन (झन्डा रोग) हो सकता है।

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