जी.एम. सरसों के लांच पर किसान संगठनों ने रखा अपना पक्ष

जी.एम. सरसों हुई लॉन्च

जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रैज़ल कमेटी GEAC द्वारा जी.एम. सरसों की अनुमति देने  पर भारतीय किसान संघ की प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय किसान संघ के महामंत्री श्री मोहिनी मोहन मिश्रा जी बताया कि अभी हाल ही में 18.10.2022 को GEAC की 147 वी मीटिंग में जी. एम. सरसों को हमारे देश में खेती के लिए अनुमति देने की बात कही गयी है।

दावों पर है कन्फ्यूजन की स्थिति 

पिछले कई वर्षो से जी.एम. सरसों चर्चा में है। कभी यह बताया गया कि यह अधिक  उपज देने वाला है वाला है, हमारे एक्सपर्ट्स के द्वारा प्रश्न पूछते ही तुरंत पलट कर बताया गया कि यह बांझपन के लिए बनाया गया है। थोड़े दिनों के बाद ये उससे भी पलट गए और फिर से बताया  कि यह सरसों खरपतवार रोधी के लिए गुणों  के लिए विकसित किया  गया है ।

अभी यह क्या विकसित हुआ है, कोई नहीं जानता  है  । GEAC के अनुमति पत्र में लिखा गया कि इनके समर्थन में जो जानकारियां मिली वे सभी विदेशों से लाई गयी । हमारे देश में इसके बारे में अध्ययन करना ओर बाकी है ।

अगर ऐसा है तो अनुमति कैसे ? 

GEAC जैसा जिम्मेदार संगठन गैर जिम्मेदाराना, अवैधानिक, अवैज्ञानिक निर्णय कैसे लिया ? 

इसी लिए लोग बोलते है कि कहीं कोई सौदेबाजी तो नही हुई ? 

यह विषय हमारा नही है, यह विषय जरूरी हुआ तो इसे ED और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देखना चाहिए 

इन सभी प्रश्नों के साथ एक बड़ा प्रश्न यह भी है, यह सरसों को पहले से किसानों के बीच में भेजकर हंगामा खड़ा करना किसका कार्य था और इसी अवैधानिक कृत्य को हमारे कानूनी व्यवस्था ने अभी तक क्यो दण्डित नही किया ?

पड़ सकते हैं प्रतिकूल प्रभाव

मोहिनी मोहन मिश्रा जी बताया कि जी. एम. सरसों का तेल नहीं खाना अगर ऐसा माहौल बन गया तो जो देशी सरसों की खेती व व्यापार करते है, वो ज्यादा परेशानी में आयेगें ही ।

इस सरसों का मधुमक्खी और दूसरें परागण के उपर क्या प्रभाव पडेगा, इसके बारे में देश में कोई शोध हुआ नही । यह भी GEAC के अनुमति पत्रों से पता चलता है फिर प्रधानमंत्री जी का शहद के बारे में घोषणा का क्या होगा ?

यद्यपि यह अधिक उपजाऊ वाला नहीं है, फिर भी कई प्रशासक सरसों के तेल “देश को आत्मनिर्भर करने के लिए यह जरूरी है, ऐसा क्यो बताते है ?” किसके दबाव में, किसी के प्रभाव में ?

इतना गंभीर विषय, योग्य पर्यावरण मंत्री जी के मंत्रालय में हो रहा है। ये ओर भी चिंतादायक है, पर्यावरण मंत्री जी तुरंत इसे निर्णय को वापिस लेने का निर्देश GEAC को करें, ऐसी भारतीय किसान संघ की मांग है ।

सुधार के क्या हैं रास्ते ? 

अगर सरकार सरसों जैसा खाद्य तेल में भारत को आत्मनिर्भर करना चाहती है, तो उसका एक सहज उपाय है- उसके लिए अच्छा मुल्य देने की घोषणा करने के साथ उसके खरीददारी की व्यवस्था करें तो दलहन के समान तिलहन में भी एक-दो वर्षो में आत्मनिर्भर बन जायेंगें।

इसके लिए जी.एम. सरसों जैसे वैज्ञानिक धोखाधड़ी की जरूरत नही पडेगी और GEAC जैसी संस्था को अवैज्ञानिक – अवैधानिक और गैर जिम्मेदाराना निर्णय लेने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा, जैसे जी.एम. सरसों की अनुमति देने की प्रक्रिया में हुआ है। सरकार इस निर्णय को तुरंत वापिस ले और सभी हितधारकों के साथ सघन बात करने के बाद ही कोई निर्णय ले ।


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