अनाज आढ़तियों ने रखी मांगें और आंदोलन की दी चेतावनी
हरियाणा की मंडियों में धान की आवक शुरू होने वाली है और गठबंधन सरकार की एक नई पॉलिसी से मंडियों के आढ़ती नाराज हैं। नाराज आढ़तियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और लंबी लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। अगर यह लड़ाई या आंदोलन लंबा चलता है तो इसका सीधा नुकसान किसानों को होगा, क्योंकि किसानों की फसले मंडी में आने ही वाली हैं और अगर मंडी बंद रही तो किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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हरियाणा सरकार के फैसले से नाराज हुए आढ़ती
हरियाणा सरकार ने सभी अनाज मंडियों में ई-पास और फसल खरीदने के 24 घंटे के अंदर किसानों के खातों में फसल भुगतान पॉलिसी को लागू (Crop payment policy implemented in Haryana) किया है। सरकार का यह प्रयास है कि नाराज किसानों को कैसे खुश किया जाए। इसके लिए हरियाणा की गठबंधन सरकार ने यह फैसला लिया है। हरियाणा सरकार के फैसले के बाद आढ़ती और अनाज मंडी के व्यापारी काफी खफा हैं और सरकार के खिलाफ मुहिम तेज की हुई है। सोनीपत आढ़ती एसोसिएशन (Sonipat Arhtiya Association) के बैनर तले 10 सितंबर को गोहाना (सोनीपत) में एक बड़ी महारैली की योजना बनाई जा रही है।
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आज रहेंगी मंडी बंद
हरियाणा में भाजपा और जेजेपी के गठबंधन की सरकार है और आढ़तियों का कहना है कि आढ़त कारोबार को बचाने की लड़ाई में आज हरियाणा के आढ़ती गोहाना में रैली करेंगे। पूरे प्रदेश में मंडियां बंद रखने का फैसला लिया गया है।
आढ़तियों की मांग
हरियाणा की आढ़तियों की मांग है कि सरकार अपनी नई पॉलिसी को तुरंत वापिस ले, नहीं तो हरियाणा की सभी मंडियों के व्यापारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हो जाएंगे। चले जाएंगे। ऐसे में यह साफ लग रहा है कि सरकार और मंडी के आढ़तियों के बीच जल्द कोई समझौता नहीं हुआ तो धान के किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
हरियाणा की अनाज मंडी के नियम
हरियाणा सरकार और आढ़तियों के बीच चल रहे विवाद से पहले यह जान लेना जरूरी है कि हरियाणा की अनाज मंडियों के क्या नियम हैं। दरअसल, हरियाणा में अगर कोई किसान अनाज मंडी (Haryana farmers) में अपनी फसल लेकर आता है तो अनाज मंडी में प्रवेश के दौरान उसकी फसल का ई-पास जारी होता है। जिसके बाद ही आढ़ती और सरकार उसकी फसल को खरीदते हैं। अभी तक यह नियम चला आ रहा था, परंतु अब सरकार ने एक नया नियम लागू किया है। नए नियम के अनुसार-अगर कोई आढ़ती या व्यापारी किसान की फसल खरीदता है तो उसे किसान को पेमेंट 24 घंटे के अंदर किसान के खाते में करनी होगी।
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ई-पास की व्यवस्था में हैं काफी खामियां
हरियाणा सरकार जिस गेट पास या ई-पास के गुणगान करने से नहीं थकती। दरअसल किसानों और आढ़तियों को हर साल ई-पास या गेट-पास की खामियों के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकारी कर्मचारी इन कमियों को दूर करने में कभी तत्परता नहीं दिखाती है। सरकार ने फरमान तो जारी कर दिया है लेकिन पोर्टल में भारी खामी है जो कभी ठीक नहीं हो सकती।
नई पॉलिसी पर आढ़तियों का पक्ष
सोनीपत अनाज मंडी (Sonipat Grain Market) के प्रधान पवन गोयल ने बताया कि जब कोई किसान अपनी फसल मंडी में लेकर आता है तो गेट पास जारी होता है, जिसमें एक गेट पास सरकार के पास रहता है तो एक गेट पास आढ़ती के पास रहता है। सरकार ने जो यह आदेश जारी किया है कि 24 घंटे में किसान की पेमेंट की जाएगी, यह कैसे संभव है, क्योंकि हमें भी आगे फसल बेचनी होती है और वहां से हमारी पेमेंट भी लेट आती है। ऐसे में आढ़ती किसानों को कैसे 24 घंटे के भीतर पेमेंट कर सकता है। आढ़तियों की मांग है कि सरकार पॉलिसी को तुरंत प्रभाव से वापिस ले। नहीं तो आढ़ती सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे।
धान के सीजन से पहले सरकार और आढ़ती आमने-सामने
हरियाणा धान का सीजन सिर पर है और ऐसे समय में सरकार एवं आढ़ती दोनों नई पॉलिसी को लेकर आमने-सामने खड़े हो गए हैं। विभिन्न मुद्दों को लेकर आढ़ती वर्ग 10 सितंबर को गोहाना में प्रदेश स्तरीय रैली करके सरकार को अपनी एकजुटता व दम दिखाने को फैसला कर चुका है। ऐसे में सरकार आढ़तियों के साथ बैठकर कोई बीच का फैसला निकालती है या नहीं। यह तो आने वाले वक्त में पता चलेगा।
सरकार नहीं देना चाहती आढ़त
हरियाणा के आढ़तियों द्वारा सरकार पर यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि सरकार आढ़त देने से बचना चाह रही है। सरकार उन्हें अन्य बंदिशों के साथ-साथ अब 2.5% आढ़त भी नहीं देना चाहती। पिछले दो सीजन से गेहूं पर 46रु और धान पर 45.80रु कर दी गई है। आढ़तियों ने बताया कि पिछले वर्ष से ही MSP का भुगतान सीधे किसानों को दिया जाने लगा है। इससे आढ़तियों में नाराजगी है।
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किसानों के सीधे खाते में पेमेंट जाने से क्यों हैं आढ़ती खफा
खेती-किसानी पर अध्ययन करने वालों का कहना है कि किसान की फसलों की पेमेंट सीधे उनके खातों में जाने से आढ़तियों को आखिर क्या परेशानी है। जब सरकार ने किसानों के खातों में सीधे पैसे भेजने की शुरूआत की थी, तब सरकार पर यह आरोप लगाए गए थे कि सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का प्रीमियम काटने के लिए किसानों के खातों में पैसे डलवा रही है, जबकि अब तो पीएम फसल बीमा योजना में प्रीमियम भरना स्वैच्छिक हो गया है। ऐसी स्थिति में आढ़तियों की नाराजगी जायज नहीं लगती है। वहीं आढ़तियों का कहना है कि सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली सभी फसलों का भुगतान किसान की इच्छा अनुसार आढ़ती या किसान के स्वयं के खाते में अदा किया जाना चाहिए।
ई-ट्रेडिंग का कर रहे हैं आढ़ती विरोध
ई-मंडी को लेकर हाल ही में मार्केटिंग बोर्ड द्वारा जारी आदेशों का अनाज आढ़ती विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्राइवेट बिकने वाली फसलों पर यह प्रक्रिया लागू नहीं हो सकती। ई ट्रेडिंग फिनिश्ड गुड्स की हो सकती है, जबकि मंडियों में आने वाली फसलें कच्चा माल होती हैं। ऐसे में यह व्यवस्था आढ़तियों को परेशान करने के लिए बनाई गई है।
परमल धान की खरीद 15 सितंबर से शुरू हो
अनाज आढ़तियों की अन्य मांगों के साथ बड़ी मांग यह भी है कि परमल (पीआर) धान की सरकारी खरीद 15 सितंबर से शुरू होनी चाहिए।
आढ़तियों की पेमेंट अभी तक वापिस नहीं की
आढ़तियों द्वारा सरकार पर यह भी आरोप लगाया गया है कि 2020 में गेहूं सीजन के दौरान ब्याज के रूप में आढ़तियों से पेमेंट काट ली गई थी, जोकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आदेशों के बावजूद अभी तक आढ़तियों को वापस नहीं मिली है। गौरतलब है कि पिछले कई सीजन से आढ़तियों और सरकार के बीच विवाद कई बार सिर उठा चुके हैं। सरकार द्वारा मंडी और आढ़तियों से जुड़े फैसले लागू करने से पहले संवाद करने की पहल करनी चाहिए, अन्यथा हर बार विवाद होने के बाद निपटारा करने की रिवायत शुरू हो जाएगी।
लाइसेंस फीस हो एकमुश्त दूनी चंद
प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन के संरक्षक दूनी चंद दानीपुर तथा अम्बाला शहर अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान मक्खनलाल गोयल का कहना है कि मार्केटिंग बोर्ड के नियम बहुत पुराने व अव्यवहारिक हो चुके हैं। अब सभी मंडियों के लिए एक ही लाइसेंस लागू होना चाहिए। आजकल सभी लाइसेंस ऑनलाइन पोर्टल (Online Portal) पर हैं। आढत लाइसेंस की अवधि जीएसटी (GST) की भांति असीमित होनी चाहिए। लाइसेंस फीस एकमुश्त और अधिकतम 3 हजार रुपए होनी चाहिए।
पंजाब पैटर्न पर अनाज मंडी के बनाए जाए नए नियम
आढ़तियों ने नई पॉलिसी से लेकर पुरानी बकाया राशि की वापिसी से लेकर अपनी कई मांगे सरकार के समक्ष रखी हैं। यह तो वक्त ही बताएगा कि सरकार आढ़तियों की किन मांगों को पूरा करती है और किन मांगों पर आढ़तियों को राजी करती है। आढ़तियों का कहना है कि पंजाब पैट्रन पर दुकानों के निर्माण के नियम बनाए जाने चाहिए। सभी दुकानों व बूथों पर 4 लाइसेंस तक जारी किए जाएं।