जानिए सरसों की उन्नत किस्में- आरएच 725 किस्म किसानों की बन रही पहली पसंद

सरसों की मेडबंदी से होती है 60% पानी की बचत

किसानों के लिए फसलों की किस्म को चयन करना सबसे मुश्किल और जोखिम भरा काम होता है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) ने किसानों के लिए उन्नत और अच्छी पैदावर के लिए सरसों की नई किस्म तैयार की है। एचआर 725 के नाम से तैयार की है। इस किस्म में तना गलन का समस्या नहीं आएगी। किसानों को हर बार तना गलन की समस्या से परेशान होना पड़ता है। तना गलन के कारण फसल उखड़ कर गिर जाती है। किसानों ने इसका नाम फसल उखेड़ा रोग कहते हैं। इस बीमारी का रोकथाम इसलिए भी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि इस बीमारी का पता नहीं लगता। जब तक किसानों को पता लगता है तब तक देर हो चुकी होती है।

ये भी पढ़ें : World Ozone Day : ओजोन परत की खोज किसने की और क्यों ओजोन दिवस मनाया जाता है

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के डॉक्टरों का कहना है कि एचआर725 में तना गलन की बीमारी नहीं आएगी। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने सरसों की नई किस्म आरएच 725 को रबी कृषि मेले में स्टाल में प्रदर्शनी के लिए रखा था। किसानों ने भी इस किस्म को लेकर रूचि दिखाई है।

HAU developed sarso high yield variety

आरएच 725 किस्म बिरानी धरती और नहरी धरती में बुआई की जा सकती है। इसे किसान अगेती और पछेती दोनों समय बो सकते हैं।
यह प्रक्रिया अपनाएं-
बिजाई से पहले बीज का उपचार जरूर करें। बाउस्टिंग एवं कार्बनडाजिंग दवा से प्रति किलो बीज में दो ग्राम दवा डालकर उपचार करें। बिजाई के ऊपर 75 किलो एसएसपी, 14 किलो एमओपी एवं 35 किलो यूरिया डालकर छिड़काव करें।

ये भी पढ़ें : जैविक खेती (Organic Farming) में सिक्किम बन गया विश्व के लिए मिसाल 

45-50 दिन बाद वाउस्टिंग फास्ट दवा से प्रति लीटर पानी में एक ग्राम दवा का घोल बनाकर स्प्रे करें, जो तना गलन बीमारी आने से रोकेगा। नहरी जमीन में इस किस्म का प्रति एकड़ करीब 28 क्विंटल निकलेगी और बिरानी धरती में 25 क्विंटल पैदावार होगी।

सरसों की मुख्य वैराएटी

सबसे पंसदीदा- पायनियर 45एस 46-तेल की मात्रा-42% से ज्यादा, 11-13 क्विंटल
कम समय में तैयार-पायनियर45एस42, तेल की मात्रा 39-41% से ज्यादा, उत्पादन-10-12 क्विंटल
अच्छा उत्पादन, अच्छा तेल- गिरिराज, तेल की मात्रा-40%, 10.5-12क्विंटल
कम पानी, बड़ा दाना-आरएच 749, तेल की मात्रा 41%,
अच्छी वैरायटी, कम पानी- Advanta 414- तेल की मात्रा-40%, 11-12.5क्विंटल

ये भी पढ़ें : जानिए फर्जी GST बिल को कैसे पकड़ें !

ज्यादा तेल, ज्यादा उत्पादन- बायर 5222- तेल की मात्रा-42%, 12-13क्विंटल
अगेती, कम पानी में भी बढ़िया- RH725 – तेल की मात्रा-40%, 11-13.5क्विंटल
बढ़िया तेल, बढ़िया उत्पादन- बायर 5121- तेल की मात्रा-42%, 11.5-13.5 क्विंटल
अक्टूबर में बोने के लिए- श्रीराम का 1666- तेल की मात्रा-40%, 11-12.5क्विंटल
अच्छी वैरायटी, हरियाणा के लिए- लक्ष्मी RH8812- तेल की मात्रा-41%, 10-12क्विंटल
नवंबर में बुवाई, बारानी के लिए उपयुक्त-RH 30- तेल की मात्रा-40%, 10-11.5क्विंटल
पछेती, कम पानी में भी- RH0406- तेल की मात्रा-40%, 11-13क्विंटल

प्रगतिशील किसान रणवीर सहारण (46) और जीवन ज्योत सिंह ने पानी की बचत के लिए सरसों की खेती के लिए नई खोज की है। इससे फ्लड इरिगेशन की तुलना में 60% पानी की बचत होगी।

ये भी पढ़ें : पागल कहे जाने वाले किसानों को खस की खेती ने बना दिया खास

साधारण बिजाई के बजाए मेडबंदी विधि का फायदा

पौधों के आसपास नमी कम रहने से जड़ गलन रोग नहीं आता। सूरज की रोशनी जमीन तक पहुंचती है और हवा भी आर-पार आसानी से हो जाती है। पानी का सही इस्तेमाल होगा और खतपतवार कम होगी या उसे निकालने में कम पैसा खर्च होगा। मेड़ पर पौधी को तेज हवाओं से बचने में आसानी होगी, क्योंकि इसकी जड़े सामान्य की तुलना में अधिक गहरी होती हैं। इसलिए पौधा सुरक्षित रहता है।

Leave a Comment