मौसम विभाग कब जारी करता है रेड, येलो और ऑरेंज अलर्ट ? इनमें क्या अंतर होता है ?

राजेन्द्रपुरी गोस्वामी , एडमिन उत्तर प्रदेश मौसम समाचार

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मौसम के सन्दर्भ में आपने कई बार येलो और रेड अलर्ट के बारे में पढ़ा होगा। आपके दिमाग में सवाल आता होगा कि रंगों का अलर्ट होता क्या है। इसे कब लागू किया जाता है। चलिए! जानते है क्या है इन रंगों का मतलब।

दुनिया भर में प्रचलन में यह प्रणाली

रंगों के आधार पर अलर्ट जारी करने की शुरुआत तकरीबन 13 साल पहले हुई थी। बहुत जल्द ही इस प्रणाली को दुनिया के मौसम विभागों ने अपना लिया। इस प्रणाली से चेतावनी के संकेत आसानी से समझे जा सकते हैं। रंगों पर आधारित होने के कारण दुनिया भर में इसका समान अर्थ निकाले जाने की संभावना बढ़ जाती है। चलिए समझते हैं कि किस अलर्ट का क्या मतलब होता है।

रेड अलर्टरेड अलर्ट का मतलब होता है जब भी कोई चक्रवात अधिक तीव्रता के साथ आता है। जैसे तेज बारिश के साथ हवा की रफ़्तार 130 किमी. प्रति घंटा से अधिक रहे तो तूफ़ान की रेंज में पड़ने वाले इलाकों में रेड अलर्ट जारी कर दिया जाता है। रेड अलर्ट का मतलब ही होता है खतरनाक स्थिति। जब मौसम खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और भारी नुकसान होने का खतरा रहता है तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है।
येलो अलर्टयेलो अलर्ट का प्रयोग लोगों को सचेत करने के लिए करता है। इसका मतलब होता है खतरे के प्रति सचेत रहें। बता दें ये अलर्ट जस्ट वॉच का सिग्नल होता है। इस प्रकार की चेतवानी में 7.5 से 15 मिमी. की भारी बारिश होती है जो कि अगले 1 या 2 घंटे तक जारी रहने की संभावना होती है। जिसके कारण बाढ़ आने की संभावना रहती है। इस अलर्ट में मौसम पर लगातार कड़ी नजर रखी जाती है.
ऑरेंज अलर्टजैसे-जैसे मौसम खराब होता है, वैसे ही येलो अलर्ट को अपडेट करके ऑरेंज अलर्ट जारी किया जाता है। इस अलर्ट को तभी जारी किया जाता है जब चक्रवात के कारण मौसम के बहुत अधिक ख़राब हो जाता है। सड़क और वायु परिवहन को नुकसान हो सकता है। लोगों को घरों में रहने की सलाह दी जाती है। चक्रवात में हवा की स्पीड लगभग 65 से 75 किमी. प्रति घंटा होती है।15 से 33 मिमी. बारिश होने की संभावना रहती है। प्रभावित क्षेत्र में बाढ़ आने की संभावना होती है। इस अलर्ट की सूचना में लोगों को प्रभावित एरिया से बाहर निकालने का प्लान तैयार रखना पड़ता है।

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