‘नैनो डीएपी’ करेगा का किसानों की बड़ी समस्या का हल।
इस रबी सीजन में डी ए पी की कमी ने किसानों के पसीने निकाल दिये हैं क्योंकि समय से बुवाई की चिंता आज हरेक किसान परिवार के लिए चैलेंज बनी हुई है।
उर्वरक की कमी (fertilizer shortage haryana) किसानों को ना हो इसके लिए इफको ने नैनो डी ए पी (Nano DAP) की खोज करके एक बड़ी समस्या का हल निकालने का प्रयास किया है।
गौर तलब बात यह भी है कि पिछले साल ही इफको ने नैनो यूरिया को लांच करके किसानों के खर्च और श्रम को भी कम करने का काम किया था।
प्रदेश में डीएपी खाद की किल्लत (DAP crisis haryana) के शोर शराबे के बीच मे रबी सीजन की फसलों की बुवाई का समय शुरू हो चुका है।
फसलों की बुआई करते समय फसलों को डीएपी खाद बेसल डोज के रूप में दिया जाता है और किसानों का ऐसा मानना है कि डी.ए.पी. खाद से पौधे जल्दी जड़ पकड़ते हैं।
फिलहाल जो डी.ए.पी. खाद बाजार में उपलब्ध होता है वो प्लास्टिक के कट्टे में मिलता है। इसकी प्रकृति ऐसी होती है कि सिर्फ 15% से 16% ही यह जमींनमे जा कर पौधे को उपलब्ध हो पाता है।
लेकिन जो नया उत्पाद नैनो ड़ी ए पी बाजार में इफको के द्वारा उतारा गया है वह तरल रूप में है और 90% तक पौधे को उपलब्ध हो जाता है।
इसमें किसान का फायदा ही फायदा है और सरकार के पैसों में भी भारी बचत होगी क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डी ए पी के भाव बढ़ जाने से सरकार ने भारी सब्सिडी की व्यवस्था की हुई है जिसकी वजह से बहुत बड़ी अमाउंट सरकार की DAP की व्यवस्था में खर्च हो जाती है।
अभी जो एक कट्टा 1200 का किसान को मिलता है उसकी कीमत सरकार को 2400 रुपये प्रति कट्टा पड़ती है।।लेकिन यह नैनो डी ए पी मात्र 400 रुपये प्रति बोतल किसान को उपलब्ध हो जाएगा। यह एक बोतल एक कट्टे का काम ही करेगी।
किसानों को कब मिलेगा ‘नैनो डीएपी’
इस तरल नैनो डी ए पी को किसानों को मिलने में अभी थोड़ा समय लगेगा क्योंकि इसकी सभी वैज्ञानिक प्रक्रियाएं आदि चल रही हैं और जल्द ही है किसानों को मिलने लगेगा।
डीएपी का वैकल्पिक समाधान
डीएपी के दो मुख्य विकल्प हैं जिनकी मात्रा और लागत निम्न प्रकार से हैं :
ध्यान रखें :
• एसएसपी में 11 प्रतिशत सल्फर तत्व होता है, जो दलहनी एवं तिलहनी फसलों के लिए अत्यंत लाभदायक है |
• एनपीके में 16 प्रतिशत पोटाश तत्व होता है जो अनाज वाली फसलों एवं सब्जियों में अत्यंत लाभदायक है
हरियाणा पंजाब की सीमा पर बसे बरवाला में किसानों की सब्जी की फसल हो रही है फैक्टरियों से रिसी जहरीली गैस से।
पंजाब सीमा से सटे हरियाणा पंचकूला के बरवाला इलाके के सुंदरपुर, कामी इत्यादि अन्य सीमा गांवों में मूली, शलगम, गाजर, सरर. तोड़िया, बरसीन सहित पत्ता वाली फसलों को जहरीली गैस ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।
जिससे किसानों को बड़ा नुकसान पहुंचा हैं।
किसानों का यह कहना है कि पंजाब की सीमा में अनेकों फैक्टरियां प्रदूषण के मानकों का पालन नही कर रही है और उनके द्वारा छोड़ी गई जहरीली गैस से खेतों में पत्तेदार सब्जी की फसल पर प्रभाव देखा गया है।
यदि समय रहते कुछ सुधार के कार्य नही किये गए तो किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा घटित हो सकता है।
प्याज के बीज पर 500 रुपये प्रति किलोग्राम का अनुदान
हरियाणा सरकार ने रबी प्याज की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्याज के बीज पर अधिकतम 500 रुपये प्रति किलोग्राम अनुदान देने की योजना की शुरूआत की है। योजना का लाभ पहले आओ पहले पाओ आधार पर मिलेगा।
बागवानी विभाग का प्रयास है कि किसानों का रूझान बागवानी फसलों की ओर बढ़े, इसके लिए प्रदेश सरकार व बागवानी विभाग प्रयासरत है। सरकार व विभाग की ओर से बागवानी फसलों पर प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। अब रबी प्याज के बीज पर प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
किसान को एक किलोग्राम प्याज का बीज लेने पर 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। लेकिन शर्त यह है कि किसान के पास कम से कम एरिया ढाई एकड होना चाहिए।
इस विषय में रुचि रखने वाले सभी किसानों को अपने अपने ज़िले के बागवानी कार्यालय में सम्पर्क करके अधिकारियों से मिलने की सलाह दी जाती है।
मेरा पानी मेरी विरासत योजना से प्रेरित किसान प्रवीन नरवाल ने 50 एकड़ में सब्जी की खेती की शुरू
फसल विविधिकरण शब्द सुनने में जितना अच्छा लगता है इसे खेती में लागू करना बेहद दुष्कर कार्य है लेकिन इस कार्य को सफलतापूर्वक कर दिखाया है गांव चिड़ाव के किसान प्रवीन नरवाल जी ने जो न सिर्फ स्वयं खेती करते ही अपितु खेती के गुर सिखाने में भी गुरेज नही करते हैं।
इन्होंने अपने 50 एकड़ खेतों में धान की फसल छोड़ कर सब्जियों की खेती शुरू की है।
किसान प्रवीन नरवाल कहते हैं कि हरियाणा सरकार की मेरा पानी मेरा विरासत योजना के तहत उन्होंने सब्जी की खेती शुरू की है जिसके तहत प्रति एकड़ सात हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
किसान प्रवीन नरवाल कहते हैं कि उन्होंने अपने 50 एकड़ खेत की जो योजना बनाई है वो इस प्रकार है :
फूल गोभी 11 एकड़
घीया लौकी 13 एकड़
करेला 6 एकड़
खीर ढाई एकड़
आलू 18 एकड़
किसान प्रवीण कहते हैं कि अब वे आर्गेनिक फार्मिंग की ओर बढ़ना चाहते हैं क्योंकि उन्हें खेती में अब मज़ा आने लगा है। धान की खेती में किसान की इन्वॉल्वमेंट कम होती है जबकि सब्जियों की खेती में किसान सारा साल बिजी रहता है और अब वे इस बदलाव के द्वारा बेहद खुश है।
गन्ने की पनीरी लगाकर उसे मशीन से खेत में रोपने की नई तकनीक विकसित कर रहे हैं गुरदासपुर के किसान।
पंजाब के गुरदासपुर जिले के इलाके हरिंदर सिंह रियाड़ जी के फार्म में गन्ने की पनीरी लगाने वाली मशीन का एक्सपेरिमेंट चल रहा है जिससे इलाके के किसानों में बड़ा उत्साह है।
गन्ने की काश्त में मजदूरों की बड़ी आवश्यकता पड़ती है और आज कल मजदूर मिलते नही और किसानों के काम बीच मे रह जाते हैं जिससे किसान मायूस हो जाते हैं।
किसानों की इस समस्या का हल निकालने के लिए गन्ने की पनीरी लगाकर उसे मशीन से खेत में रोपने की नई तकनीक विकसित की गई है।
गन्ने की पनीरी रोपने का बढ़ रहा है प्रचलन
गन्ने की काश्त में मजदूरों की कमी व उनके मनमर्जी से काम करने से खेती लागत बढ़ जाती है। 2009-10 में पंजाब में पहली बार जिला गुरदासपुर में गन्ने की पनीरी तैयार कर बीज तैयार करने के लिए प्रयोग शुरू किए गए थे। परिणाम बेहद उत्साहजनक थे।
अब किसानों में पनीरी तैयार कर बीज पैदा करने का रुझान भी बढ़ा है। प्राइवेट व सहकारी चीनी मिलें बड़े स्तर पर पनीरी तैयार कर किसानों को पौधे उपलब्ध करवा रही हैं। एक एकड़ में पनीरी मजदूरों से ट्रांसप्लांट कराने पर करीब 6 हजार खर्च आता है। मजदूरों द्वारा की गई गन्ने की काश्त में पौधे से पौधे की दूरी भी एक जैसी नहीं होती।
मशीन द्वारा रोपी गयी गन्ने की पनीरी में परिणाम बेहतर मिल रहे हैं।
रासायनिक उर्वरक यूरिया और डी ए पी लंबे समय तक उपयोग करने से भूमि की उर्वरता होती है नष्ट
विभिन्न शोधों से पता चलता है कि देश की 54% उपजाऊ जमीन की मिट्टी अपनी उर्वरता खो चुकी है। यूरिया और डीएपी जैसे खादों का असंतुलित इस्तेमाल मिट्टी में मौजूद प्राकृतिक तत्वों को लगातार खत्म कर रहा है।
वैज्ञानिक बताते हैं कि यदि रासायनिक खादों का इस्तेमाल इसी तरह होता रहा तो आने वाले समय में देश की उपजाऊ जमीन का बड़ा हिस्सा बंजर भूमि में तब्दील हो जाएगा।
किसानों द्वारा इस्तेमाल किए गए नाइट्रोजन से पौधे मात्र 30 फीसदी यूरिया का उपयोग करते हैं। फसल की मांग से अधिक उपयोग में लाया गया नाइट्रोजन वाष्पीकरण के जरिये वातावरण में पहुंच जाता है। कुछ यूरिया जमीन में रिस जाता है तथा नाइट्रोजन से मिलकर नाइट्रासोमाइन बनाता है जिससे भूजल दूषित होता है।
ऐसा पानी पीने से कैंसर, रेड ब्लड कणों का कम होना और रसोली बनने की बीमारियां होती हैं। इसके अलावा अधिक मात्रा में यूरिया का उपयोग फसल के रसीलेपन को बढ़ा देता है जिससे पौधे बीमारियों और कीट संक्रमण के शिकार हो सकते हैं।
गेहूं की आई नई चार किस्म जिसे किसान पसंद भी कर रहे हैं और खरीददारी भी
इस रबी सीजन के लिए गेहूं बिजाई के लिए चार नई किस्म आई है जिसे अन्य किसान पसंद भी कर रहे हैं और खरीद भी रहे हैं | अब पहली बार सरकारी खरीद केंद्र पर गेहूं बीज की डीबीडब्ल्यू – 187, एचडी- 3226, पीबीडब्ल्यू- 725 व पीबीडब्ल्यू- 677 नई किस्म आई हैं। इन किस्मों को भी बेहतर माना जा रहा है। इन नई किस्मों से अच्छी पैदावार होने की उम्मीद जताई जा रही है।
लोग भी इन नई किस्मों पर भरोसा जताने लगे हैं। इसके अलावा डब्ल्यूएच-1184, डीबीडब्ल्यू – 222 व एचडीएससीडब्ल्यू-18 भी नई किस्मों में शामिल हैं। अभी से ऐसा देखा जा रहा है कि बीज को खरीदने के लिए खरीद केंद्रों पर गेहूं का काफी संख्या में किसान आ रहे हैं । गेहूं बिजाई को लेकर किसान अभी से बीज खरीदने में जुटे हुए हैं। किसानों की पहली पसंद के रूप में गेहूं बीज की डब्ल्यूएच – 1105, एचडी – 2967 व एचडी – 3086 किस्म बनी हुई हैं।
किसानों के लिए सलाह डब्ल्यूएच 1105, 711, 542 और 1184 किस्म की बिजाई नवंबर के पहले सप्ताह तक कर सकते हैं |
गेहूं हरियाणा की एक महत्वपूर्ण अनाज वाली फसल है। इसकी बिजाई अगर समय पर कर दी जाए तो अच्छी पैदावार ली जा सकती है। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह और नवंबर का पहला सप्ताह गेहूं की बिजाई के लिए बहुत अच्छा होता है। गेहूं की उन्नत किस्म डब्ल्यूएच 1105, 711, 542 और 1184 किस्म की बुवाई कर के अधिक आमदनी कमाई जा सकती है।
हिसार कृषि विश्वविद्यालय लगातार किसानों के लिए अच्छी पैदावार व रोग प्रतिरोधी किस्में विकसित कर रहा है। इसी कड़ी में नई किस्म डब्ल्यू एच 1270 वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई है। बिजाई के लिए औसत तापमान लगभग 22 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। गेहूं की अगेती बिजाई के लिए सी 306, डब्ल्यू एच 1025, डब्ल्यू एच 1080 की बिजाई कम पानी वाली जमीन पर कर सकते हैं |
किसान भाई अगेती बिजाई अक्टूबर का अंतिम सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक पूरी कर लें। अधिक खाद व अगेती बिजाई के लिए डी बी डब्ल्यू 187 व डीबी डब्ल्यू 303 की बिजाई करें। जिन क्षेत्रों में सिंचाई के लिए कम पानी उपलब्ध होता है वहां किसान भाई डब्ल्यू एच 1142 किस्म की बिजाई करें।
छोटे आकार के बीज वाली किस्में होती हैं बेहतर अच्छी पैदावार लेने के लिए
बीज की मात्राः अच्छी पैदावार लेने के लिए छोटे आकार के बीज वाली किस्में जैसे डब्ल्यू एच 542 के लिए 40 किलोग्राम तथा मोटे आकार के बीज वाली किस्में जैसे डब्ल्यू एच-157 के लिए 50 किलोग्राम, डब्ल्यू एच 283, डब्ल्यू एच 711 के लिए 45 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ डालें।
बीज उपचार: दीमक के नियंत्रण के लिए 40 किलोग्राम बीज को 60 मिलीलीटर क्लोरोपायरीफोस 20 ई.सी. से उपचारित करें। खुली कंगियारी व पत्तियों की कंगियारी से बचाव के लिए गेहूं के बीज को कार्बन डेजियम या कार्बोकिन 2.0 ग्राम प्रति किलो बीज या टेबुकोनाजोल 1.0 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से बिजाई से पहले उपचार करें।
बिजाईः एचएयू के कुलपति प्रो. कांबोज के अनुसार गेहूं की बिजाई बीज एवं उर्वरक ड्रिल से करें। अगर यह मशीन उपलब्ध न हो तो सिंचित क्षेत्रों में बिजाई कैरा विधि से करें। समय की बिजाई के लिए दो खुड़ों का फासला 20 सेंटीमीटर रखें। किस्म सी 306 की बिजाई 6 से 7 सेंटीमीटर गहरी जबकि अन्य किस्मों की बिजाई 5 से 6 सेंटीमीटर गहरी करें। धान गेहूं फसल चक्र वाले क्षेत्रों में गेहूं की बिजाई जीरो टिल बीज व उर्वरक ड्रील से करें।
खाद व उर्वरकः गेहूं की बिजाई के समय सिंचित क्षेत्रों में बौनी किस्मों के लिए 65 किलोग्राम यूरिया, 150 किलोग्राम सिंगल सुपरफास्फेट, 20 किलोग्राम म्यूरेट पोटाश व 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग प्रति एकड़ करें। जिन क्षेत्रों में म्यूरेट पोटाश की मात्रा कम हो, वहां 40 किलोग्राम की मात्रा में इसका प्रयोग करें। किसान भाई यह बात ध्यान में रखें कि मिट्टी जांच के आधार पर खाद देने से ही अच्छे फायदे मिलते हैं।
हरियाणा की मंडियां
तरावड़ी मंडी भाव
धान:
डीबी मुच्छल ₹3040/₹3050
बासमती (1401) ₹3100/₹3125
(1509)धान ₹2900/₹3000
(1121)धान ₹3150/₹3350
शरबती ₹2200/₹2250
परमल ₹1800/₹1850
हाँसी 1718 धान – ₹3400
नरेला 1121धान – ₹3675
चावल:
बासमती 1121 सेला ₹6000/₹6100
डीबी सेला ₹5800/₹5900
शरबती स्टीम ₹4700/4800
परमल ₹2500/₹2600
चावल (1509 नं. )सेला ₹5400/₹5500
(1509 नं. ) धान तिबार ₹3800/₹4000
पानीपत मंडी भाव
कॉटनयार्न ( 5 किग्रा)
हैंकयार्न
2/4 नं. ₹420/₹430
2/6.₹480/₹520
2/10.₹590/₹620
2/20 नं. ₹860/₹910
कोन यार्न
2/4 नं. ₹430/₹440
2/6 नं.₹480/₹520
2/10 . ₹600/₹630
2/20. ₹860/₹915
समालखा मंडी भाव
खल सरसों ( हिसार वाली ) ₹3300/₹3400
खल बिनौला (कैथल वाली ) ₹3300/₹3500
गुड़ ₹3800/₹4000
1509 नं धान. ₹2800/₹3000
हापुड़ मंडी भाव
अनाज-दाल भाव
गेहूं ₹2075/₹2080
चावल परमल ₹2300/₹2400
डुप्लीकेट बासमती सेला ₹5500/₹5600
बासमती 1121 स्टीम ₹6400/₹6500
चना ₹5250/₹5300
चनादाल ₹6100/₹6200
काबली चना ₹7500/₹9000
राजमां देशी चित्रा ₹12000/₹13500
मटर ₹6000/₹6200
मटर दाल ₹6600/₹6700
अरहर लेमन ₹6600/₹6700
दाल अरहर ₹8800/₹9700
मसूर ₹7900/₹8200
उड़द देसी ₹7500/₹7600
दाल उड़द ₹8500/₹9600
धोया ₹9000/₹10000
मूंग यूपी ₹6500/₹7000
मूंग दाल ₹9000/₹10000
गुड़-चीनी भाव
चीनी हाजिर ₹4000/₹4100
गुड़ (प्रति 40 किलो) बाल्टी ₹1225/₹1250
तिलहन भाव
बरवाला सरसों ₹7500
भट्टू सरसों ₹7545
सरसों ( 42 प्रतिशत कंडी. ) ₹8200/₹8250
खल का भाव
सरसों ₹3450/₹3550
बिनौला ₹3400/₹3500
चना छिलका ₹2400/₹2450
चोकर मोटा (34 किलो) ₹700/₹710
गोलुवाला खल ₹3320
करनाल मंडी भाव
गेहूं दड़ा ₹2135/₹2145
बासमती चावल ₹6700/₹6800
धान 1121 नं. ₹3300/₹3400
पूसा 1509 धान ₹3050/₹3150
शरबती धान ₹2150/₹2250
सेला (1509 नं.) चावल ₹5600/₹5700
सेला 1121 चावल ₹6100/₹6200
स्टीम ₹6600/₹6700
शरबती चावल सेला ₹4000/₹4100
स्टीम ₹4700/₹4800
चावल परमल कच्चा ₹2375/₹2400
सेला ₹2300/₹2350
आईआर ( 8 ) सेला ₹2325/₹2375
चना ₹6100/₹6200
चना दाल ₹6200/₹6300
पंजाब की मंडियों का भाव
खन्ना मंडी भाव
राइसब्रान (खाद्य ) प्रति प्वाइंट )₹165
राइसब्रान (अखाद्य ) ₹160
खल सरसों ₹3050
अनाज का भाव
गेहूं ₹2050/₹2060
आटा (50 किलो) ₹1100
मैदा 1200
चोकर ( 45 किग्रा)₹900
चोकर (30 किग्रा) ₹600
मक्की बिहार ₹1925 / ₹1930
लुधियाना मंडी भाव
दाल-दलहन भाव
राजमां चित्रा ₹13500/₹15000
अरहर दॉल ₹9500/₹10000
उड़द साबुत ₹8500/₹9500
उड़द धोया ₹9200/₹10500
छिलका ₹8700/₹9800
दाल मसूर ₹9000/₹9900
चनादाल₹ 6200/₹6500
एग्रो प्योर बेसन ( 35 किग्रा. )₹2410
काबली चना ₹8500/₹10500
मूंग साबुत ₹7700/₹9000
मूंग धोया ₹8500/₹9700
दिल्ली की मंडियों का भाव
अनाज-दाल भाव
गेहूं:
एमपी देशी ₹2950/ ₹3100
दड़ा ₹2180/ ₹2185
चक्की ₹2188/₹2190
आटा चक्की (10 किलो) ₹265/₹275
रोलर फ्लोर मिल आटा (50 किलो) ₹1185/₹1195
मैदा (50 किलो) ₹1225/₹1235
सूजी (50 किलो) ₹1275/₹129,
चोकर (48 किलो )₹975/₹985
चावल भाव
बासमती लालकिला ₹ 11600
शरबती सेला ₹4100/₹4200
चावल सेला ₹6400/₹6500
(1509 नं.) चावल सेला ₹5700/₹5800
बासमती सामान्य ₹6800/₹6900
सोर्टेक्स ₹7200/₹7300
परमल कच्चा ₹2400/ ₹2500
ब्रोकन (25 प्रश.) ₹2275/ ₹2350
पीआर (11) सेला ₹3800/₹3850
आईआर ( 8 )₹2250/₹2275
बाजरा का भाव
कैटलफीड ₹1600/₹1620
ज्वार का भाव
पीली ₹2000/₹2200
सफेद ₹3200/₹3300
मक्कीः यूपी ₹1900/₹1910
बिहार ₹1925/₹1930
जौ: ₹2025/₹2100
उड़द कच्चा देशी ₹7300/₹7500
रंगून एफएक्यू ₹7000/₹7025
एसक्यू ₹7950/₹7975
दाल का भाव
उड़द छिलका (लोकल) ₹ 8600/₹9000
धोया लोकल ₹7300/ ₹8800
दाल मूंग छिलका ₹ 8600/ ₹ 9200
मूंग धोया:
लोकल ₹8000/₹1800
मसूर कच्ची:
छोटी ₹7300/₹7600
मोटी विदेशी ₹7300/₹7310
देशी बिल्टी ₹7490/₹7500
दाल मसूर:
लोकल ₹8600/₹8700
मलका:
लोकल ₹8400/₹8600
मोठ ₹6300/₹6800
अरहर:
रंगून ₹6150/₹6250
देशी कर्नाटक ₹6500/₹6600
दाल अरहरः
दड़ा ₹8400/₹8600
पटका ₹8900/₹9300
चना (खड़ी मोटर)
चनादाल:
लोकल ₹5750/₹5800
बेसन ( 35 किलो) (जीएसटी अतिरिक्त):
एग्रोप्योर ₹2420
राजमां चित्रा:
चीन ₹12000/₹14200
ब्राजील ₹14400
पणे ₹9800/₹14000
राजमां शर्मिली ₹9700₹19900
काबली चना:
छोटा ₹6800/₹7500
मीडियम ₹7800/₹8200
मोटा ₹8400/₹8800
तिलहन और तेल का भाव
तिलहन:
सरसों ₹8150/₹8200
सरसों पुराना बारदाना ₹3100/ ₹ 3150
नया ₹3250/₹3300
बिनौला ₹3200/₹3450
डिऑयल्ड एक्सट्रेक्शन (टन):
राइसब्रान कंटीन्यूस ₹12000/₹12100
सरसों ₹23500/₹23600
सोयाबीन पीला ₹42000/₹43000
सूरजमुखी ₹25000/₹25100
मूंगफली (40-45 प्रश.) ₹33000/₹34000
राईसब्रान (प्रति यूनिट ) ₹149/₹150
खाद्य तेल ( जीएसटी अतिरिक्त )
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड (टीन) ₹2800/₹2850
सरसों तेल (टीन) ₹2750/₹2700
सरसों एक्सपेलर ₹17000
कपास का भाव
विजयनगर नरमा ₹8990
हिसार नरमा ₹8300
संगरिया नरमा ₹8821
हनुमानगढ़ कपास ₹8100
गंगानगर नरमा ₹8855
रावतसर नरमा ₹8921
बैतूल मध्यप्रदेश मंडी भाव
सोयाबीन पीला ₹4001 ₹5400 ₹4900
चना ₹3601 ₹4301 ₹4050
गेहूं ₹1800 ₹2001 ₹1850
ज्वार ₹1011 ₹1011 ₹ 1011
निवेदन नोट
किसान भाईयों इस लेख में बताई गयी सभी सूचनाएं हमने विभिन्न स्त्रोतों से एकत्रित की हैं और आप इन्हें केवल सांकेतिक ही समझें और अपनी समझ बूझ से ही इनका उपयोग करें । आप सभी व्यावसायिक निर्णय अपनी जांच पड़ताल करके ही लें । हमारा उद्देश्य सिर्फ आपको जागरूक करना है हम आपको हुए किसी प्रकार के लाभ और हानि की कोई गारंटी या जिम्मेदारी नहीं लेते हैं।