मंडी भाव 18 अक्टूबर 2021

नरमा भाव में ज़ोरदार उछाल 18/10/2021

सभी मूल्य ₹ / क्विंटल में

नोहर नरमा ₹8221
गोलुवाला नरमा ₹8671
अनूपगढ़ नरमा ₹8601
पीलीबंगा नरमा ₹8500
पदमपुर नरमा ₹8600
हनुमानगढ़ नरमा ₹8465
अबोहर कपास ₹7130
सिवानी कपास ₹7450

राजस्थान मंडी भाव

सभी मूल्य ₹ / क्विंटल में

नोहर मंडी भाव : सरसों का ताजा भाव आज ₹6700 से ₹7224, मूंग ₹5200 से ₹6600, मोठ ₹5000 से ₹7635, ग्वार ₹4900 से ₹5971, चना ₹4700 से ₹4990, तारामीरा ₹4900 से ₹6200, अरंडी 4200 से 5900 रूपये प्रति क्विंटल की दर से बिका.

देवली (टोंक) कृषि उपज मण्डी में सरसों का भाव ₹6900 से ₹7790, ग्वार का रेट ₹ 5000 से ₹5500, तिल का भाव ₹8000 से ₹9400, सोयाबीन का रेट ₹ 4200 से ₹4851, गेहूं का हाजिर बाजार बोली भाव ₹1950 से ₹2020, जौ का रेट ₹2000 से ₹2130, चना प्राइस ₹4200 से ₹4750, मक्का भाव ₹1300 से ₹2100, बाजरा रेट ₹1400 से ₹1600, ज्वार का भाव ₹1251 से ₹1700, उड़द ₹3500 से ₹6000, मूंग ₹3800 से ₹6300, मसूर ₹6000 से ₹6500 रूपये प्रति क्विंटल तक के रहे.

केकड़ी मंडी में आज मूंग का रेट ₹5500/ ₹6500 आवक-3000 क्विंटल, उड़द का भाव ₹6500/ ₹7500 आवक – 2500 क्विंटल और चना- 4800/4850 रूपये आवक- 500 क्विंटल की रही.

अलवर मंडी रेट: सरसों कंडीशन – ₹8000/ ₹8050, मंडी भाव ₹7000/ ₹7800, कच्ची घानी – ₹17500/ ₹17600, एक्सपिलर- ₹17200/ ₹17300, खल – ₹3000, चना – ₹4900/ ₹4950, गेंहू – ₹1960/ ₹2030 रूपये प्रति क्विंटल तक के रहे.

पल्लू मंडी भाव

सभी मूल्य ₹ / क्विंटल में

गुवार ₹5900- ₹5950
मोठ ₹7000- ₹7300
बाजरा ₹1500
चना ₹4950 – ₹5000
सरसों ₹7250
मुंग ₹6000

हरियाणा अनाज मंडी भाव

सभी मूल्य ₹ / क्विंटल में

कपास

आदमपुर नरमा बोली ₹8100
आदमपुर कपास बोली ₹7270
ऐलनाबाद मंडी ₹7900/8000
सिरसा नरमा ₹7800-8081
सिरसा नरमा ₹8132
श्रीविजयनगर ₹8457 ₹8510
फतेहाबाद ₹6850 ₹7300 ₹8092
रावतसर नरमा बोली ₹8350
सादुल शहर नरमा बोली ₹8425

बाजरा

बरवाला ₹1454

धान-1509

सिरसा ₹2600 ₹2955
फतेहाबाद ₹3050
समालखा ₹2895
खनौरी ₹2825
अमृतसर ₹2800-2900

धान – 1718

अमृतसर ₹2950-3186

धान PB-1

रतिया ₹2886
फतेहाबाद ₹2761

ग्वार
सिरसा ₹5000 – 5750

फल मंडी भाव

सभी मूल्य ₹ / किलोग्राम में

सेब
ढांड ₹43 ₹60 ₹55
नरवाना ₹18 ₹80 ₹47.5
रोहतक ₹25 ₹70 ₹40
शाहाबाद ₹18 ₹42 ₹38
केला
ढांड ₹15 ₹20 ₹19
नरवाना ₹13 ₹13 ₹13
रोहतक ₹13 ₹13 ₹13
पेहोवा ₹14 ₹14 ₹14
शाहाबाद ₹20 ₹27.7 ₹21
अंगूर
शाहाबाद ₹80 ₹100 ₹95
किन्नू
शाहाबाद ₹12.6 ₹15 ₹13
मौसंबी
गोहाना ₹25 ₹30 ₹25
नरवाना ₹30 ₹30 ₹30
संतरा
गोहाना ₹30 ₹35 ₹30
शाहाबाद ₹25 ₹30.8 ₹30
अनार
शाहाबाद ₹60 ₹66.65 ₹65
तरबूज
शाहाबाद ₹20 ₹27.75 ₹25

सब्जी मंडी भाव

सभी मूल्य ₹ / किलोग्राम में

कच्चा केला
गोहाना ₹18 ₹20 ₹18
भिन्डी
गोहाना ₹18 ₹20 ₹18
शाहाबाद ₹10 ₹15 ₹14
करेला
शाहाबाद ₹20 ₹22 ₹21
घीया
रोहतक ₹7 ₹14 ₹9
शाहाबाद ₹7 ₹14 ₹10
बैंगन
गोहाना ₹18 ₹20 ₹18
रोहतक ₹10 ₹20 ₹15
शाहाबाद ₹14 ₹20 ₹15
बंद गोभी
रोहतक ₹7 ₹25 ₹12
शाहाबाद ₹15 ₹17 ₹15
शिमला मिर्च
शाहाबाद ₹50 ₹50 ₹50
गाजर
शाहाबाद ₹16 ₹18 ₹17
फूल गोभी
नरवाना ₹15 ₹25 ₹20
रोहतक ₹15 ₹35 ₹25
शाहाबाद ₹15 ₹30 ₹25
ग्वार फली
शाहाबाद ₹35 ₹40 ₹37
अरबी
शाहाबाद ₹10 ₹11 ₹10
खीरा
गोहाना ₹6 ₹10 ₹6
रोहतक ₹9 ₹15 ₹10
शाहाबाद ₹8 ₹10 ₹9
हरी मिर्च
गोहाना ₹25 ₹30 ₹25
शाहाबाद ₹25 ₹35 ₹28
नींबू
गोहाना ₹25 ₹30 ₹25
पेहोवा ₹14 ₹15 ₹15
शाहाबाद ₹35 ₹35 ₹35
प्याज
ढांड ₹30 ₹40 ₹38
गोहाना ₹25 ₹30 ₹25
नरवाना ₹30 ₹35 ₹32.5
रोह्तक ₹25 ₹40 ₹30
पेहोवा ₹14 ₹15 ₹15
शाहाबाद ₹25 ₹37.75 ₹30
गीले मटर
शाहाबाद ₹65 ₹70 ₹67
आलू
ढांड ₹9 ₹10 ₹10
गोहाना ₹7 ₹10 ₹7
नरवाना ₹10 ₹10 ₹10
रोहतक₹8 ₹10 ₹9
पेहोवा ₹10 ₹12 ₹12
शाहाबाद ₹3 ₹20 ₹9
कद्दू
रोहतक ₹5 ₹6 ₹6
शाहाबाद ₹5 ₹5 ₹5
मूली
गोहाना ₹10 ₹10 ₹10
शाहाबाद ₹8 ₹12 ₹10
पालक
शाहाबाद ₹15 ₹22 ₹18
स्पंज लौकी
शाहाबाद ₹14 ₹16 ₹15
शकरगंदी
शाहाबाद ₹18 ₹18 ₹18
टमाटर
गोहाना ₹30 ₹40 ₹30
नरवाना ₹40 ₹40 ₹40
रोहतक ₹25 ₹45 ₹30
शाहाबाद ₹25 ₹30 ₹27

समूह: मसाले Group : Spices

सभी मूल्य ₹ / किलोग्राम में

लहसून
शाहाबाद ₹37 ₹55 ₹45
सूखा अदरक
शाहाबाद ₹21 ₹27 ₹21

आने वाला है ई ट्रैक्टर किसानों की होगी मौज

हरियाणा कृषि विश्वविधालय हिसार के कृषि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कालेज ने ई-ट्रैक्टर को तैयार किया है। यह ट्रैक्टर डीजल इंजन जितनी ही क्षमता रखता है। यह पूरी तरह से लीथियम बैट्री पर चलता है और डेढ़ टन तक वजन भी खींच सकता है।

रविवार को हरियाणा कृषि विश्वविधालय हिसार के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने ई-ट्रैक्टर ग्रीन ट्रैक विकास को लांच किया।

e tractor HAU
डॉ. बी.आर. कम्बोज जी ई ट्रेक्टर को लांच करते हुए

ट्रैक्टर की खासियतें

ट्रैक्टर की खास बात यह है कि बाजार में उपलब्ध अन्य ई-ट्रैक्टरों की तुलना में यह अधिक क्षमता का और बेहतर है। ट्रैक्टर में 30 ही कलपुर्जे लगे हैं इसलिए इसकी मरम्मत भी कम है। यह ट्रैक्टर स्टार्ट खड़ा है तो बैट्री खर्च नहीं होगी, चलाने पर ही बैट्री की खपत होगी।

चार्जिंग एवं बिजली खपत

चार घंटे में फुल चार्ज किया जा सकता है । ई-ट्रैक्टर ई-ट्रैक्टर की परफार्मेंस की बात की जाए तो इसमें 16.2 किलोवाट आवर की लीथियम आयन बैट्री का इस्तेमाल किया गया। बैट्री को नौ घंटे में फुल चार्ज किया जा सकता है। इस दौरान 19 से 20 यूनिट बिजली की खपत होती है। यह इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर 16.2 किलोवाट की बैट्री से चलता है और डीजल ट्रैक्टर की तुलना में इसकी संचालन लागत कम है।

रफ़्तार एवं ताकत

यह ई-ट्रैक्टर 23.17 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चल सकता है और 1.5 टन वजन के ट्रेलर के साथ 80 किलोमीटर तक का सफर कर सकता है। मौजूदा समय में इसकी छह लाख रुपये कीमत है।

नैनों तरल खाद क्या है और इसका प्रयोग कैसे करें

इफको ने यूरिया खाद के एक (45 किलोग्राम) के बराबर किसानों के लिए मात्र 500 मिलीलीटर में नैनो तरल खाद की बोतल मुहैया करा दी है। इसकी कीमत कट्टे को तुलना में 10 फीसदी कम है और फसल में तीन गुना ज्यादा असरकारक भी है। राजस्थान के दौसा जिले में फिलहाल सहकारी संस्थाओं में 4 हजार यूनिट्स तरल उपलब्ध कराई गई हैं। इससे किसानों को खाद की परेशानी से निजात मिलने की पूरी उम्मीद है। देश में बाकी जगहों पर भी इसकी उपलब्धता कराई जा रही है।

नैनो तरल खाद का प्रयोग कैसे करना है?

एक लीटर पानी में 2-4 मिली नैनो यूरिया (4% N) मिलाएं और सक्रिय वृद्धि के चरणों में फसल के पत्तों पर स्प्रे करें। मैं

सर्वोत्तम परिणामों के लिए 2 बार फोलियर स्प्रे लगाएं

पहला स्प्रे

सक्रिय जुताई/शाखाओं की अवस्था में (अंकुरण के 30-35 दिन बाद या रोपाई के 20-25 दिन बाद)

दूसरा स्प्रे

पहली स्प्रे के 20-25 दिन बाद या फसल में फूल आने से पहले

जब पतियों पर इसका स्प्रे किया जाता है, तो नैनो यूरिया आसानी से पत्तों के छिद्रों जिन्हे स्टोमेटा भी कहते हैं के माध्यम से पौधे में प्रवेश कर जाता है और कोशिकाओं द्वारा अवशोषण के कारण इसकी क्षमता 80% तक बढ़ जाती है। इसका स्प्रे सुबह या शाम के समय पर करना चाहिए।

डी.ए.पी. या अन्य काम्प्लेक्स उर्वरकों के माध्यम से आपूर्ति की जाने वाली बेसल नाइट्रोजन को कम ना करें । केवल टॉप-ड्रेस्ड यूरिया को कम करें जिसे 2-3 भागों में डाला जाता है। नैनो यूरिया के स्प्रे की संख्या फसल, इसकी अवधि और समग्र नाइट्रोजन आवश्यकता के आधार पर बढ़ाई या घटाई जा सकती है।

महत्वपूर्ण सावधानियां

छिड़काव करते समय साथ में दस्ताने और फेस मास्क जरूर पहने।

नैनो यूरिया का उपयोग निर्माण की तारीख में 2 साल के भीतर कर लेना चाहिए। इसे भण्डारण के दौरान ज्यादा तपमान से बचा कर रखना चाहिए और बच्चों व पालतू पशुओं की पहुंच से दूर रखना चाहिए।

फसलवार नैनो यूरिया के प्रयोग की जानकारी के लिए, कृपया टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर: 18001031967 पर संपर्क करें ।

सरसों की बिजाई में डी.ए.पी. की जगह एस.एस.पी. का प्रयोग भी है फायदेमंद

आजकल सरसों की बिजाई शुरू हो गयी है और कई जगहों से डी.ए.पी. की कमी के समाचार मिल रहे हैं जबकि सरसों की बिजाई के लिए एस. एस. पी. भी एक उपयुक्त खाद है । क्योकि इसमें 16 प्रतिशत फास्फोरस के साथ-साथ 12 प्रतिशत सल्फर भी होता है। जो सरसों की फसल में तेल की गुणवत्ता व पैदावार को बढ़ाता है।

कृषि विभाग झज्झर हरियाणा ने किसानों से आह्वान किया है कि वे सरसों की बिजाई के समय डी.ए.पी. की बजाय एस. एस. पी. खाद का ही प्रयोग करें । चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार की सिफारिशों के अनुसार सरसों की फसल को 8 किलोग्राम फास्फोरस प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है जो कि एक बैग में 23 किलोग्राम फास्फोरस होता है जो कि सरसों की लगभग 3 एकड बिजाई के लिए प्रर्याप्त है।

परंतु आमतौर पर सरसों की बिजाई में हमारे किसान 2 एकड़ में ही एक बैग डी.ए.पी. डाल देते है। जिससे किसानों को व्यर्थ में ज्यादा धन खर्च हो जाता है। इससे खाद की मात्रा भी अधिक डाली जाती है जिससे कि भूमि की उर्वरा शक्ति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

अतः सभी किसानों से निवेदन है कि हरियाणा राज्य कृषि विभाग द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार ही एक बैग एस. एस. पी. प्रति एकड़ प्रयोग करें अथवा एक बैग डी.ए.पी. का प्रयोग 3 एकड़ सरसों की बिजाई के लिए करें ।

हरियाणा में मुख्यमंत्री बागवानी योजना के तहत 21 फसलों को मिलेगा बीमा कवर

हरियाणा के किसानों को बागवानी फसलों की खेती में विभिन्न बीमारियों व मौसमी खतरों से वित्तीय नुक्सान न उठाना पड़े, इसके लिए मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना आरम्भ की गई है। इस योजना के तहत टमाटर, प्याज, आलू, फूल गोभी, मटर, गाजर, भिडी, घीया, करेला, बैंगन, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, पत्ता गोभी, व मूली, फलों की फसलों में आम, किन्नू, बेर व अमरूद तथा मसालों में हल्दी व लहसुन की फसलों को सूचीबद्ध किया गया है।

बागवानी किसानों को विभिन्न कारणों से भारी वित्तीय नुक्सान उठाना पड़ता है, जिनमें फसलों में अचानक बीमारी फैलने, कीटों के संक्रमण जैसे जैविक कारक और बेमौसमी बारिश, ओलावृष्टि, सूखा, पाला, अत्यधिक तापमान जैसे प्राकृतिक कारक शामिल हैं।

इसलिए ‘मुख्यमंत्री बागवानी योजना’ के तहत 21 फसलों को कवर किया जा रहा है । इसविषय में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर बताई गयी बागवानी फसलों के किसान भाई सम्बंधित जिले के बागवानी विभाग कार्यालय से सम्पर्क कर सकते हैं।

हरियाणा में सब्जियों में बांस और लोहे की स्टेकिंग पर मिल रही है 50% से 90% तक सब्सिडी

आधुनिक युग में खेती में नई-नई तकनीकों उभरकर सामने आ रही हैं। सब्जियों की खेती में स्टेकिंग ऐसी ही एक विधि का नाम है, जिसे अपनाकर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। इस तकनीक में बहुत ही कम सामान का प्रयोग होता है। स्टेकिंग बांस व लोहे के सहारे तार और रस्सी का जाल बनाया जाता है।

हरियाणा सरकार द्वारा सब्जियों में बांस स्टेकिंग व लोहे स्टेकिंग का प्रयोग करने के लिए किसानों को 50% से 90% तक सब्सिडी प्रदान किया जा रही है। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को बागवानी पोर्टल ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। किसान भाई बागवानी में स्टेकिंग विधि को प्रयोग कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

हरियाणा सरकार द्वारा बांस स्टेकिंग की लागत 62 हजार 500 रुपये प्रति एकड़ पर 31250 रुपये से लेकर 56250 रुपये तथा लोहा स्टेकिंग लागत एक लाख 41 हजार रुपये प्रति एकड़ पर 70500 से लेकर एक लाख 26 हजार रुपये सब्सिडी प्रदान कर रही है।

खेतों में दुर्घटना होने पर किसानों और खेतिहर मजदूरों को वित्तीय सहयता का है प्रावधान

किसान एवं खेतीहर मजदूरों को खेतों में दिन-रात काम करना पड़ता है। खेतों में विभिन्न कार्यकलापों के दौरान अनेक प्रकार की दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है । हरियाणा राज्य में कृषि कार्यो के दौरान खेतों में कार्य करने के दौरान दुर्घटना का शिकार हुए पीड़ितों को मार्किट कमेटी द्वारा मुख्यमंत्री किसान एवं खेतीहर जीवन सुरक्षा योजना के तहत वित्तीय सहायता दिए जाने का प्रावधान है।

इसके लिए सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है, जिसमें दुर्घटना के दौरान मृत्यु होने पर 5 लाख रुपये, रीढ़ की हड्डी टूटने या अन्यथा के कारण से स्थायी अशक्तता होने पर 2 लाख 50 हजार रुपये, दो अंग भंग होने पर या स्थायी गंभीर चोट होने पर 1 लाख 87 हजार 500 रुपये, इसी प्रकार एक अंग-भंग होने या स्थायी चोट होने पर 1 लाख 25 हजार रुपये, पूरी उंगली कटने पर 75 हजार रुपये, आशिंक उंगली भंग होने पर 37 हजार रुपये सरकार अनुदान के रूप में मार्किट कमेटी के माध्यम से देती।

इस विषय में अधिक जानकारी के लिए सम्बंधित मार्किट कमेटी में सम्पर्क करें।

प्याज की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए बफर स्टॉक का सहारा

देश में तीन मुख्य सब्जियों प्याज आलू और टमाटर की बढ़ती कीमतों के बीच बफर स्टॉक जारी होने से प्याज की कीमतों में स्थिरता देखने को मिल रही है जबकि टमाटर और आलू की कीमतों में अभी तेजी देखी जा रही है ।

कीमतों में नरमी और न्यूनतम भंडारण हानि सुनिश्चित करने के लिए प्याज के स्टॉक को अगस्त के अंतिम सप्ताह से फर्सट- इन – फर्सट आउट (एफआईएफओ) के आधार पर उचित तरीके से बाजार में उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी के परिणामस्वरूप 14 अक्टूबर को महानगरों में खुदरा प्याज की कीमत 42 से 57 रुपए प्रति किलोग्राम के दायरे में पहुंच गई है।

वही प्याज की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत 37.06 रुपए प्रति किलो थी, जबकि औसत थोक दर 30 रुपए प्रति किलोग्राम थी । खुदरा बाजारों में 14 अक्टूबर को प्याज की कीमत चेन्नई में प्याज 42 रुपए, दिल्ली में 44 रुपए, मुंबई में 45 रुपए और कोलकाता में 57 रुपए प्रति किलो पर रही ।

स्वतंत्र भारतीय वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने समुद्री सीप की कोशिका से सेल कल्चर के जरिए बनाया मोती

अंडमान के और निकोबार में रहने वाले स्वतंत्र भारतीय वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने मोती उत्पादन में अपने नए शोध से शीशे के फ्लास्क में मोती उत्पादन की तकनीक को सफलतापूर्वक विकसित करके टिश्यू कल्चर के शोध में संभावनाओं के नए द्वार खोल दिए हैं। उनके इस शोध की प्रक्रिया और नतीजे अंतरराष्ट्रीय विज्ञान शोध पत्रिका- एक्वाकल्चर यूरोप के ताजा अंक में प्रकाशित हुए है। इससे पहले सोनकर ने दुनिया का सबसे बड़ा काला मोती (रिपीट मोती) बनाने में सफलता प्राप्त की थी।

खोज के आशय

डॉ. सोनकर ने बताया है कि , इस शोध के परिणाम ने साबित किया है कि किसी भी जीव के रहन- सहन में बदलाव लाकर न सिर्फ दुर्लभ नतीजों को हासिल किया जा सकता है बल्कि आनुवांशिक विकृतियों का शिकार होने से भी बचा जा सकता है। आनुवांशिक विकृतियों का आशय यह है कि यदि किसी को आनुवांशिक कारणों से कोई रोग होने की संभावना है तो रहन सहन में सुधार करके उस संभावित रोग से बचा जा सकता है।

खोज की कहानी

वर्ष- 2020 की शुरुआत में उन्होंने अंडमान स्थित अपनी प्रयोगशाला से काले मोती बनाने वाले पिंकटाडा मार्गेरेटिफेरा सीप में सर्जरी करके मोती बनाने के लिए जिम्मेदार अंग मेंटल को उसके शरीर से अलग कर दिया। इसके बाद वह उस मेंटल टिश्यू को फ्लास्क में विशेष वह उस मेंटल टिश्यू को फ्लास्क में विशेष जैविक वातावरण उत्पन्न करके अंडमान के समुद्र से लगभग 2,000 किलोमीटर दूर प्रयागराज स्थित अपने सेल बायोलॉजी प्रयागराज स्थित अपने सेल बायोलॉजी प्रयोगशाला में ले आए। इसमें विशेष बात यह थी कि इस पूरी प्रक्रिया में करीब 72 घंटे का समय लगा जिस दौरान शरीर से अलग होने के बावजूद मेंटल टिश्यू जीवित एवं स्वस्थ रहे। यह अपने आप में तकनीक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उसके बाद उस मेंटल को प्रयोगशाला के विशेष जैविक संवर्धन वाले वातावरण में स्थानांतरित कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि पहली सफलता तब मिली जब कल्चर फ्लास्क में कोशिकाओं का संवर्धन होने लगा। तत्पश्चात ऐसे विशेष पोषक तत्वों की खोज की गई जिसके द्वारा कोशिकाओं की मोती बनाने के प्राकृतिक गुण को जागृत कराया गया। इस प्रकार समुद्र में रहने वाले सीप के कोख में पलने वाले मोती ने समुद्र से हजारों किमी दूर एक कल्चर फ्लास्क में जन्म ले लिया।

व्यावसायिक संभावनाओं के नए रास्ते

यह तकनीक विश्व में मोती उत्पादन के तौर-तरीके को न सिर्फ पूरी तरह बदलने की क्षमता रखती है बल्कि टिश्यू कल्चर जैसे अति आधुनिक विज्ञान के क्षेत्र में संभावनाओं के नए रास्ते खोल रही है। सोनकर ने न सिर्फ दुनिया का सबसे कीमती मोती बनाया बल्कि मोती उत्पादन के दौरान सीपों की मृत्युदर को पूर्ण रूप से नियंत्रित करने की तकनीक भी विकसित की । वह कहते हैं कि सीप का जीवन व चरित्र उन्हें प्रेरणा और शक्ति देता है। उन्होंने कहा, जब एक सीप समुद्र के जल से अपना भोजन लेता है, तो इस प्रक्रिया में समुद्र के जल को शुद्ध करके समुद्र के तमाम जीवों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर देता है और जब कोई बाह्य कण उसके शरीर में पीड़ा पहुंचाता है तब वह उसको रत्न (मोती) बना देता है।

धान खरीद अपडेट

रविवार को करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर और पानीपत में खरीद न के बराबर हुई। हालांकि, मौसम के चलते उठान भी कम हो पाया। कुछ इसी प्रकार के हालात, हिसार और रोहतक जोन के रहे।

मंडियों में नहीं तिरपाल की व्यवस्था

कमेटी के नियमों के अनुसार, किसानों की फसल को बारिश से बचाने के लिए तिरपाल आदि की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी आढ़ती की होती है। जब आढ़ती को लाइसेंस जारी किया जाता है तो उस समय आढ़ती को सुनिश्चित करना होता है कि उसके पास तिरापल की व्यवस्था है। लेकिन आढ़ती तिरपाल नहीं खरीदते हैं और किसानों को फसल बचाने के लिए खुद ही व्यवस्था करनी होती है।

करनाल से धान खरीद की रिपोर्ट

करनाल जिले की मंडियों में 6 लाख 12 हजार 61 मीट्रिक टन धान की खरीद सरकारी एजेंसी द्वारा की जा चुकी है। एजेंसियों को खरीदी गई धान का उठान में तुरंत करवाने के आदेश खरीद एजेंसी को दिए गए हैं। धान की खरीद का कार्य जिले में 15 मंडी / परचेज सेंटरों पर शुरू कर दिया गया है। अब तक 6 लाख12 हजार 61 मीट्रिक टन धान मंडियों में आई, जिसे सरकारी खरीद एजेंयिों द्वारा खरीदा गया।

इसमें से 367550 मीट्रिक टन धान खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा, 141825 मीट्रिक टन हैफेड द्वारा तथा 91886 मीट्रिक टन हरियाणा वेयर हाऊसिंग द्वारा खरीदा गया।

मार्किट कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार असंध में 77718 मीट्रिक टन, बल्ला में 4710 मीट्रिक टन, ब्याना में 6758 मीट्रिक टन, घरौंडा में 87832 मीट्रिक टन, घीड़ में 9107 109835 मीट्रिक टन, कुंजपुरा में 25765 मीट्रिक टन, निगदू में 25883 मीट्रिक टन, नीलोखेड़ी में 8658 मीट्रिक टन, निसिंग में 67691 मीट्रिक टन तथा तरावड़ी में 50285 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है ।

कैथल में तेज हवाओं के कारण बिछी धान की फसल।

धान की फसल पकने के बाद मंडियों में पहुंच रही हैं। अनाज मंडियों में धान डालने तक की जगह नहीं बची है। लाखों क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे रखा हुआ है। उठान धीमा और मौसम बिगड़ने के कारण खरीदारी, किसान और आढ़ती परेशान हैं। कैथल जिले में रविवार सुबह से देर शाम तक हलकी बूंदाबांदी चलती रही। हालांकि तेज बारिश नहीं हुई। जिससे मंडियों में धान अब भी पूरी तरह से भीगने से बचा हुआ है।

लेकिन मौसम विभाग अगले दो दिन भी बारिश की संभावना जता है। देर शाम ठंडी हवाएं तेज हो गई। जिससे खेतों में धान की फसल गिरने लगी है। धान की फसल को मंडियों को खेतों में दोनों ही जगह खराब होने की संभावना है।

कैथल की नई अनाज मंडी में ही पांच लाख बैग खुले आसमान के नीचे पड़े हुए हैं। इसके अलावा बिक्री के लिए लेकर आए किसानों की ढेरियां जगह-जगह लगी हुई हैं। मंडी प्रधान श्याम लाल गर्ग ने बताया कि रविवार को तो तेज बारिश नहीं हुई। लेकिन मौसम लगातार बदल रहा है। अगर तेज बारिश हुई तो मंडी के साथ-साथ खेतों में भी भारी नुकसान होगा। वहीं कृषि वैज्ञानिक डॉ. रमेश वर्मा ने बताया कि अभी नुकसान नहीं है। अगर बारिश तेज हुई तो समस्या आ सकती है।

कल तक मौसम परिवर्तनशील

मौसम विभाग के अनुसार 19 अक्टूबर तक मौसम परिवर्तनशील रहेगा। बीच-बीच में बादल छाने और कहीं-कहीं बारिश की संभावना है। रविवार को पूरा दिन बूंदाबांदी में निकल गया। सोमवार को भी बारिश की संभावना है। मौसम को देखते हुए किसानों को धान की सुरक्षा का इंतजाम करना चाहिए। रविवार को बारिश के बाद मौसम में ठंडक बढ़ गई। इस दिन अधिकतम तापमान 27 तो न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस रहा। सोमवार को अधिकतम तापमान 24 और न्यूनतम17 डिग्री हो सकता है ।

निवेदन नोट

किसान भाईयों इस लेख में बताई गयी सभी सूचनाएं हमने विभिन्न स्त्रोतों से एकत्रित की हैं और आप इन्हें केवल सांकेतिक ही समझें और अपनी समझ बूझ से ही इनका उपयोग करें । आप सभी व्यावसायिक निर्णय अपनी जांच पड़ताल करके ही लें । हमारा उद्देश्य सिर्फ आपको जागरूक करना है हम आपको हुए किसी प्रकार के लाभ और हानि की कोई गारंटी या जिम्मेदारी नहीं लेते हैं।

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