मंडी के भाव और कृषि समाचार बुलेटिन 18 जुलाई 2022

पहले से पैक की हुई और लेबल लगी हुई’ वस्तुओं पर जीएसटी लागू होने के बारे में महत्वपूर्ण सवाल जवाब

जीएसटी परिषद द्वारा अपनी 47वीं बैठक में की गई सिफारिशों के अनुरूप, जीएसटी दर से संबंधित परिवर्तन आज, 18 जुलाई, 2022 से प्रभावी हो गए हैं। ऐसा ही एक परिवर्तन है – एक पंजीकृत ब्रांड या ऐसा ब्रांड, जिसके संबंध में न्यायालय में कार्रवाई योग्य दावा या लागू करने योग्य अधिकार उपलब्ध है, पर निर्दिष्ट वस्तुओं के तहत जीएसटी लगाने के बदले; ‘पहले से पैकेज की हुई और लेबल लगी हुई’ वस्तुओं की श्रेणी के तहत जीएसटी लगाना।  

इस परिवर्तन के दायरे पर स्पष्टीकरण के लिए कुछ अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं, विशेष रूप से दाल, आटा, अनाज, आदि जैसे खाद्य पदार्थों के संबंध में (टैरिफ के अध्याय 1 से 21 के तहत आने वाली निर्दिष्ट वस्तुएं), जैसा अधिसूचना सं. 6/2022-केंद्रीय कर (दर), दिनांक 13 जुलाई, 2022 एवं एसजीएसटी और आईजीएसटी के लिए संबंधित अधिसूचनाओं के द्वारा अधिसूचित किया गया है।

आज, 18 जुलाई, 2022 से प्रभावी ‘पहले से पैकेज की हुई और लेबल लगी हुई’ वस्तुओं पर जीएसटी लेवी के संबंध में कुछ शंकाओं/सवाल को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) तथा उनके स्पष्टीकरण निम्नलिखित हैं:

सवाल नंबर: 1 पहले से पैकेज किये गए और लेबल लगे हुए’ सामानों के संबंध में 18 जुलाई, 2022 से क्या बदलाव किए गए हैं?

जवाब : 18 जुलाई, 2022 से पहले, जीएसटी उन निर्दिष्ट वस्तुओं पर लागू होता था, जब उन्हें एक यूनिट कंटेनर में रखा जाता था और एक पंजीकृत ब्रांड नाम होता था या ऐसे ब्रांड का नाम, जिसके संबंध में कानून की अदालत में एक कार्रवाई योग्य दावा या लागू करने योग्य अधिकार उपलब्ध हैं। 18 जुलाई 2022 से, इस प्रावधान में बदलाव आया है और जीएसटी को कानूनी माप विज्ञान अधिनियम के प्रावधानों को आकर्षित करने वाले ऐसे ‘पहले से पैकेज किये गए और लेबल लगे हुए’ सामानों की आपूर्ति पर लागू किया गया है, जिसके बारे में बाद के प्रश्नों में विस्तार से बताया गया है। उदाहरण के लिए, दालें, अनाज जैसे चावल, गेहूं और आटा, आदि पर पहले 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता था, जब ब्रांड का नाम होता था और इसे यूनिट कंटेनर में पैक किया जाता था (जैसा कि ऊपर बताया गया है)। 18.7.2022 से, इन वस्तुओं पर ‘पहले से पैकेज किये गए और लेबल लगे हुए’ सामानों की श्रेणी के तहत जीएसटी लगेगा। इसके अतिरिक्त, कुछ अन्य वस्तुएं जैसे दही, लस्सी, मुरमुरा (भुने चावल) आदि जब ‘पहले से पैकेज किये गए और लेबल लगे हुए होंगे, तो इनपर 18 जुलाई, 2022 से 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू होगा।

अनिवार्य रूप से, यह ब्रांड वाले निर्दिष्ट सामानों के स्थान पर ‘पहले से पैकेज किये गए और लेबल लगे हुए सामानों पर जीएसटी लगाने के लिए मात्र तौर-तरीकों में बदलाव है।

[कृपया अधिसूचना संख्या 6/2022-केंद्रीय कर (दर) और एसजीएसटी अधिनियम, आईजीएसटी अधिनियम के तहत संबंधित अधिसूचना देखें]

सवाल नंबर : 2 दाल, अनाज और आटे जैसे खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाने के उद्देश्य से ‘पहले से पैकेज किये गए और लेबल लगे हुए’ सामानों का दायरा क्या है?

जवाब : जीएसटी के प्रयोजन के लिए, ‘पहले से पैकेज किये गए और लेबल लगे हुए’ सामानों का अर्थ है – ‘पहले से पैकेज किये गए सामान, जैसा इसे कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 की धारा 2 के खंड (I) में परिभाषित किया गया है, जहां पैकेज जिसमें सामान को पहले से पैक किया गया है, या उस पर एक लेबल सुरक्षित रूप से चिपका हुआ है; जो कानूनी माप विज्ञान अधिनियम और इसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधानों के तहत की जाने वाली घोषणाओं के लिए आवश्यक होते हैं।

कानूनी माप विज्ञान अधिनियम की धारा 2 का खंड (l) के अनुसार:

(l) “पहले से पैकेज किये गए सामान” का अर्थ एक ऐसी वस्तु है, जो बिना क्रेता की मौजूदगी के किसी भी प्रकार के पैकेज में रखी जाती है, चाहे वह सील की गयी हो या नहीं, ताकि उसमें निहित उत्पाद की पूर्व-निर्धारित मात्रा हो।

इस प्रकार, निम्नलिखित दो विशेषताओं वाली ऐसी निर्दिष्ट वस्तु की आपूर्ति जीएसटी को आकर्षित करेगी:

(i) यह पहले से पैक किया हुआ है; तथा

(ii) कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 (2010 का 1) और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधानों के तहत घोषणा किया जाना आवश्यक है।

हालांकि, ऐसी निर्दिष्ट वस्तुओं की आपूर्ति यदि ऐसे पैकेज में की जाती है, जिसके लिए कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 (2010 का 1) और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत घोषणा/अनुपालन की आवश्यकता नहीं है, तो इसे जीएसटी लेवी के प्रयोजनों के लिए ‘पहले से पैकेज किये हुआ और लेबल लगा हुआ’ नहीं माना जाएगा।

खाद्य पदार्थों (जैसे दालें, चावल, गेहूं, आटा आदि) के संदर्भ में, निर्दिष्ट पहले से पैक किये गए खाद्य पदार्थों की आपूर्ति कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 और इसके तहत बनाए गए नियम के अंतर्गत ‘पहले से पैकेज सामान’ की परिभाषा के दायरे में आयेगी, यदि ऐसे ‘पहले से पैकेज किये गए और लेबल लगे हुए’ सामानों में कानूनी माप विज्ञान (पैकेज वस्तु) नियम, 2011 के नियम 3 (ए) के अनुसार 25 किलोग्राम [या 25 लीटर] तक की मात्रा मौजूद है, यह उन शर्तों के अधीन है, जो इन्हें अधिनियम और इसके तहत बनाए गए नियमों के दायरे से बाहर रखते हों।

सवाल नंबर : 3  कानूनी माप विज्ञान अधिनियम और इसके तहत बनाए गए नियमों के अंतर्गत प्रदान की गई विभिन्न छूटों को ध्यान में रखते हुए इस कवरेज का दायरा क्या है?

जवाब : ऐसी वस्तुओं (खाद्य पदार्थ- दालें, अनाज, आटा, आदि) के लिए, कानूनी माप विज्ञान (पैकेज वस्तु) नियम, 2011 के अध्याय- II के नियम 3 (ए) में 25 किलोग्राम या 25 लीटर से अधिक की मात्रा वाली वस्तुओं के पैकेज के लिए नियम 6 के तहत घोषणा करने की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार, जीएसटी ऐसे निर्दिष्ट सामानों पर लागू होगा, जहां 25 किलोग्राम से कम या उसके बराबर मात्रा वाले पैकेज में पहले से पैक की गई वस्तु की आपूर्ति की जाती है।

उदाहरण: अंतिम उपभोक्ता को खुदरा बिक्री के लिए 25 किलोग्राम के पहले से पैक किये गए आटे की आपूर्ति जीएसटी के लिए उत्तरदायी होगी। हालांकि, ऐसे 30 किलो के पैक की आपूर्ति को जीएसटी से छूट दी जाएगी।

इस प्रकार, यह स्पष्ट किया जाता है कि इन वस्तुओं का एक पैकेज; [अनाज, दालें, आटा आदि] जिसमें 25 किलोग्राम/25 लीटर से अधिक की मात्रा हो, जीएसटी के प्रयोजनों के लिए ‘पहले से पैकेज किये गए और लेबल लगे हुए’ सामानों की श्रेणी में नहीं आएगा। इसलिए यह जीएसटी को आकर्षित नहीं करेगा।

सवाल नंबर : 4  क्या जीएसटी ऐसे पैकेज पर लागू होगा जिसमें कई खुदरा पैकेज हों। उदाहरण के लिए, एक पैकेज, जिसमें 10 पैक हों और प्रत्येक पैक में 10 किलो आटा हो?

जवाब : हां, यदि अंतिम उपभोक्ता को खुदरा बिक्री के लिए कई पैकेज हों, जैसे 10 किलो के 10 पैकेज और इन्हें एक बड़े पैक में बेचा जाता हो, तो ऐसी आपूर्ति पर जीएसटी लागू होगा। ऐसा पैकेज निर्माता द्वारा वितरक के माध्यम से बेचा जा सकता है। 10 किलो के ये अलग-अलग पैक खुदरा उपभोक्ता को अंतिम बिक्री के लिए हैं।

हालांकि, 50 किलोग्राम (एक व्यक्तिगत पैकेज में) के चावल के पैकेज को जीएसटी लेवी के उद्देश्यों के लिए ‘पहले से पैकेज किये गए और लेबल लगे हुए’ सामानों की श्रेणी में नहीं माना जाएगा, भले ही कानूनी माप विज्ञान (पैकेज वस्तु) नियम, 2011 के नियम 24 के तहत ऐसे थोक पैकेज पर कुछ घोषणाएं करने के लिए कहा गया हो।

सवाल नंबर : 5 ऐसी आपूर्ति पर जीएसटी किस स्तर पर लागू होगा, यानि, क्या जीएसटी निर्माता/उत्पादक द्वारा थोक डीलर को बेचे जाने वाले निर्दिष्ट सामान पर लागू होगा, जो बाद में इसे खुदरा विक्रेता को बेचता है?

जवाब : जीएसटी तब लागू होगा, जब किसी भी व्यक्ति द्वारा इस तरह के सामान की आपूर्ति की जाती है, अर्थात यदि निर्माता, वितरक को आपूर्ति करता है, या वितरक / डीलर खुदरा विक्रेता को आपूर्ति करता है, या खुदरा विक्रेता व्यक्तिगत उपभोक्ता को आपूर्ति करता है। इसके अलावा, निर्माता/थोक विक्रेता/खुदरा विक्रेता जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट प्रावधानों के अनुसार अपने आपूर्तिकर्ता द्वारा लगाए गए जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के हकदार होंगे।

प्रारंभिक छूट या संयोजन योजना का लाभ उठाने वाले आपूर्तिकर्ता सामान्य तरीके से छूट या संयोजन दर, मामला जैसा भी हो, के हकदार होंगे।

सवाल नंबर : 6 यदि खुदरा विक्रेता द्वारा 25 किग्रा/25 लीटर तक के पैकेज में सामान खरीदा जाता है तो क्या कर देय होगा, यदि खुदरा विक्रेता इसे किसी भी कारण से अपनी दुकान में छोटी-छोटी मात्रा में बेचता है?

जवाब : जीएसटी तब लागू होता है, जब ऐसे सामान पहले से पैक और लेबल वाले पैक में बेचे जाते हैं। इसलिए, जीएसटी तब लागू होगा, जब सामान किसी वितरक/निर्माता द्वारा खुदरा विक्रेता को पहले से पैक और लेबल किये हुए पैकेज में बेचा जाता है। हालांकि, यदि किसी कारण से, खुदरा विक्रेता ऐसे पैकेज से कम मात्रा में वस्तु की आपूर्ति करता है, तो खुदरा विक्रेता द्वारा ऐसी आपूर्ति को, जीएसटी लेवी के उद्देश्य के लिए पहले से पैक किये गए सामान की आपूर्ति की श्रेणी में नहीं माना जायेगा।

सवाल नंबर : 7 यदि औद्योगिक उपभोक्ताओं या संस्थागत उपभोक्ताओं द्वारा उपभोग के लिए ऐसे पैकेज किये हुए सामानों की आपूर्ति की जाती है तो क्या टैक्स देय होगा?

जवाब : औद्योगिक उपभोक्ता या संस्थागत उपभोक्ता द्वारा उपभोग के लिए पैकेज किये हुए सामानों की आपूर्ति को कानूनी माप विज्ञान (पैकेज किये हुए सामान) नियम, 2011 के अध्याय- II के नियम 3 (सी) के आधार पर कानूनी माप विज्ञान अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है। इसलिए, उक्त नियम 3 (सी) के तहत प्रदान छूट को आकर्षित करने के तरीके के रूप में यदि आपूर्ति की जाती है, इसे जीएसटी लेवी के प्रयोजनों के लिए पहले से पैक और लेबल किये हुए पैकेज के रूप में नहीं माना जाएगा।

सवाल नंबर : 8  ‘एक्स’ चावल का मिल चलाता है, जो चावल को 20 किलो वाले पैकेज में बेचता है, लेकिन कानूनी माप विज्ञान अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत आवश्यक घोषणा नहीं करता है (हालांकि उक्त अधिनियम और नियमों के तहत उसे घोषणा करने की आवश्यकता है), क्या यह अभी भी पहले से पैक और लेबल किये हुए पैकेज के रूप में माना जाएगा और इसलिए जीएसटी के लिए उत्तरदायी होगा?

जवाब : हां, ऐसे पैकेजों को जीएसटी के प्रयोजनों के लिए पहले से पैक और लेबल की हुई वस्तु माना जाएगा, क्योंकि इसके लिए कानूनी माप विज्ञान (पैकेज किये हुए सामान) नियम, 2011 (नियम 6) के तहत घोषणा करने की आवश्यकता होती है। इसलिए, चावल मिल चलाने वाले  ‘एक्स’ को ऐसे पैकेज (पैकेजों) की आपूर्ति पर जीएसटी का भुगतान करना होगा।

सवाल नंबर : 9 कोई अन्य प्रासंगिक मुद्दा?

जवाब : कानूनी माप विज्ञान अधिनियम और इसके तहत बनाए गए नियम, प्रावधानों के दायरे से बाहर रहने के लिए कुछ मानदंड निर्धारित करते हैं (जैसा कि ऊपर बताया गया है) और कानूनी माप विज्ञान (पैकेज किये हुए सामान) नियम, 2011 के नियम 26 के तहत कुछ छूट प्रदान करते हैं। इसलिए यह दोहराया जाता है कि, यदि इस तरह से आपूर्ति की जाती है कि ऐसी छूट का लाभ मिले, तो वस्तु को जीएसटी लेवी के प्रयोजनों के लिए पहले से पैकज वस्तुओं की श्रेणी में नहीं माना जाएगा।

एशिया और अफ्रीका में मोटे अनाजों (Millet’s) को मुख्यधारा में लाने के लिये नीति आयोग और विश्व खाद्य कार्यक्रम की पहल

एशिया और अफ्रीका में कदन्न (मोटे अनाज) को मुख्यधारा में लाने के लिये नीति आयोग तथा वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्लूएफपी – विश्व खाद्य कार्यक्रम) ‘मैपिंग एंड एक्सचेंज ऑफ गुड प्रैक्टिसेस’ नामक पहल का शुभारंभ करेंगे। यह आयोजन 19 जुलाई, 2022 को ऑनलाइन और प्रत्यक्ष रूप (हाइब्रिड) से किया जायेगा।

इस कार्यक्रम को लाइव देखने के लिए 19 जुलाई 2022 को नीचे विडियो लिंक के द्वारा देखें

नीति आयोग और डब्लूएफपी भारत और विदेश में मोटे अनाजों की खपत और उत्पादन बढ़ाने के लिये कारगर उपायों का एक सार-संक्षेप तैयार करेंगे।

कार्यक्रम का उद्घाटन नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन बेरी करेंगे। उनके साथ नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद और सलाहकार डॉ. नीलम पटेल, डब्लूएफपी के प्रतिनिधि और निदेशक-भारत श्री बिशॉ पराजुली, राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अशोक दलवई और कृषि मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री शुभा ठाकुर उपस्थित रहेंगी।

आईसीएआर, केंद्रीय और राज्य सरकार के विभागों, कृषि विज्ञान केंद्रों, उद्योग जगत, केंद्रीय और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, एफपीओ, गैर-सरकारी संगठनों, स्टार्ट-अप, अकादमिक और अनुसंधान संस्थानों तथा इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर दी सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी), फूड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ), इंटरनेशनल कमीशन ऑन इरीगेशन एंड ड्रेनेज (आईसीआईडी) आदि जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधिगण भी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।

 कार्यक्रम को लाइव देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक किया जा सकता हैः https://youtu.be/31VHDK2bw6A

चना की रिपोर्ट

  • दिल्ली के लॉरेंस रोड पर स्थित मार्किट में राजस्थानी चना के भाव 4,875 से 4,900 रुपये रहे।
  • मध्य प्रदेश के चना की कीमतें 4,825 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

अरहर की रिपोर्ट

  • अरहर अकोला लाल के भाव में 50 रुपये की तेजी के साथ भाव 7,175 से 7,200 रुपये रहे।
  • अरहर सफेद के भाव में भी 50 रुपये बढ़कर भाव 7,100 से 7,125 रुपये प्रति क्विंटल रहे ।
  • मराठवाडा लाइन में अरहर के भाव 7,175 से 7,200 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

मूंग बिल्टी भाव की रिपोर्ट

इंदौर मंडी में मूंग के बिल्टी भाव 6,100 से 6,400 रुपये और पुरानी मूंग के भाव 5,100 से 5,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मसूर के बिल्टी भाव

  • इंदौर मंडी में मसूर के बिल्टी भाव 6,900 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
  • कोलकाता में उड़द एफएक्यू की कीमतें 100 रुपये घटकर 7,300 रुपये प्रति क्विंटल रही।
  • कोलकाता में वैसल में 25 रुपये घटकर 6,875 से 6,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
  • दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर की दाल के दाम 7,075 से 7,100 रुपये प्रति क्विंटल रहे ।

सोया डी ऑयल्ड केक का भाव(रूपये/टन)

प्रकाश – 49500
️बंसल – 50800
आरएच सिवनी – 53500
️सालासर – 51000
️धानुका – 49300
️बैतूल – 54300
️तान्या – 53000
️गौरी – 54500
️सन स्टार – 50700
️श्याम कला – 52500
️एडीएम लातूर – 54800
️दयाल अकोला – 50000
️कमल एग्रो – 54500
️धनराज – 54800
विजय लातूर – 51500
अरिहंत – 53400
️गोयल कोटा – 51200
महेश कोटा – 51000

मध्य प्रदेश सोयाबीन प्लांटों में सोयाबीन का भाव (रूपये/क्विंटल)

इटारसी – 6100
️राम – 6000
️धानुका – 6150
️एमएस सॉल्व – 6000
️आरएच सॉल्व – 6150
️प्रकाश – 6175
️बैतूल – 6350
️सालासर – 6225
️खंडवा – 6150
️कृति – 6100
महाकाली – 6150

महाराष्ट्र सोयाबीन प्लांटों में सोयाबीन का भाव (रूपये/क्विंटल)

सोलापुर – 6650
लातूर – 6650
️नांदेड़ – 6700
️हिंगोली – 6600
️विजय – 6200
️धनराज – 6550
किसानमित्र – 6550
️सोनाई – 6550
आरके सांगली – 6550
️सन स्टार – 6550
️शालीमार – 6375
कपिल – 6550
️श्रीनिवास – 6475
️गंगाखेड – 6425
️देसन – 6400
ओमश्री – 6450
️संजय – 6250

मध्य प्रदेश में सोया रिफाइंड का भाव (रुपये/15 लीटर)

अमृत – 1220
️धानुका – 1205
️वीआईपीपीवाई – 1225
️महेश – 1220
️प्रकाश – 1220
️एवीआई – 1225
️शान एग्रो – 1230
️एमएस समाधान – 1225
️एमएस पचोर – 1230
️अंबिका – 1220
️एनके – 1215
महेश कांडला – 1200
️महेश हजीरा – 1220
️महेश निंबाहेरा – 1225
शिव कोटा – 1250
️सुगना बरन – 1235

महाराष्ट्र में सोया रिफाइंड का भाव (रुपये/15 लीटर)

बैतूल – 1235
️सोनाई – 1235
️ठाकुर जी – 1240
️वेंकटेश – 1225
️गीता – 1230
️गोविंद – 1245
️संजय – 1230
️दीसान – 1225
️ओमश्री – 1235
️सुगना – 1245
️शालीमार – 1245
️रुचि – 1245
️दयाल अकोला – 1220
️अंबिका – 1225

सरसों का भाव (रुपये/क्विंटल + जीएसटी)

आदमपुर – 6244
️नोहर – 6370
️पदमपुर – 6200
️बीकानेर – 6000
केकरी – 6500
️गंजबासोड़ा – 6000
छतरपुर – 6000
अलवर – 6500
️दिल्ली – 6500
️हाथरस – 5800
️खैरथल – 6500
️कैथल – 6200
हिसार – 6200
️ग्वालियर – 6300
चरखी दादरी – 6300
️बरवाला – 6250
अशोक नगर – 6200
शिवपुरी – 6425
️भरतपुर – 6341 (+25)
️खेरली – 6475
️नदबाई – 6339
अबोहर – 6000
️सुमेरपुर – 6650(-20)
️जयपुर – 6825 (+25)
️दिल्ली – 6500(+50)

सरसों तेल का भाव (रुपये/10 किलो + जीएसटी)

जयपुर – 1363
️कोटा – 1350-55
️सीएच.दादरी – 133.50
️निवाई – 1340

कच्ची घानी तेल का भाव (रुपये/10 किलो + जीएसटी)

जयपुर – 1373
️कोटा – 1370
️निवाई – 1360

मूंगफली का तेल का भाव (रुपये/क्विंटल)

बीकानेर – 1450
अहमदाबाद – 1650(+20)
️राजकोट – 1650 (+25)
️चेन्नई – 1650
️हैदराबाद – 1575
️जामनगर – 1650(+25)

राजकोट में सफ़ेद तिल का भाव (रूपये/20 किलो बैग) कुल आवक 1500 बैग्स

99.5 – 2400-2440
99/1 – 2380-2400
99/2 – 2330-2380
99/5 – 2250-2330

कपास का भाव (रुपये/क्विंटल)(न्यूनतम/अधिकतम)

पंजाब

पक्की – 3300/3450
कच्ची – 3800/4050
भटिंडा (पक्की) – 3700/3800
भटिंडा (कच्ची) – 3800/4050
लुधियाना – 3800/4500
मनसा – 3530/4100
समाना – 3780/4150
खन्ना – 3850/4000

हरियाणा

आदमपुर – 3150/3450
भट्टू – 3500/3750
कैथल – 3650/3850
उचाना – 3680/3880
सिरसा – 3450/3600
हिसार – 3400/3600
इलानाबाद – 3400/3600

राजस्थान

गलुवाला – 3700/3800
रावतसर – 2900/3000
जैतसर – 3500/3550
पिलिवंगा – 3400/3500
गंगानगर – 3400/3600
विजयनगर – 3450/3540
हनुमानगढ़ – 3250/3550
रायजिंगनगर – 3520/3600
पद्मपुर – 3500/3520
संगरिया – 3050/3150

गुजरात

ढासा, दामनगर, बबरा – 1820/1910
कड़ी – 1750/1850
विसनगर – 1700/1820
हारीज – 1780/1870
मोरबी – 1770/1860
राधनपुर – 1800/1870

मध्य प्रदेश

खंडवा – 3300/3350
अंजद – 3300/3300
इंदौर – 3450/3500
खरगोन – 33003350
बड़वाह – 3400/3450
देवास – 3425/3425

महाराष्ट्र

वानी – 3250/3350
मलकापुर – 3350/3350
नागपुर – 3300/3300
भोकर – 33280/280
सेलु – 3200/3200
अकोला – 3300/3400
नांदेड़ – 3450/3500
खामगाँव – 3450/3550

तेलंगाना

जोगीपेट – 3000/3000
वारंगल – 3400/3400
करीमनगर – 3000/3400
सदाशिवपेट – 3100/3100
आदिलाबाद – 3100/3600
हैदराबाद – 3200/3200

कर्नाटक

धारवाड़ – 3100/3700
हुबली – 2700/3160
राणेबन्नूर – 2700/2700
कोप्पल – 3150/3150
कराटागी – 29503100
रायचूर – 2900/3250
बैलहोंगल – 3000/3000

आंध्र प्रदेश

अडोनी – 3480/3500
गुंटूर – 3580/3610

कपास का भाव (धुली हुई)(रुपये/क्विंटल)

अकोला – 1360 (+5)
अमरावती – 1350
सांगली – 1360 (+5)
️धूलिया – 1360
️नांदेड़ – 1355(+5)
️बीड – 1355(+5)
️जालना – 1345
लातूर – 1350
️हैदराबाद – 1350-70 (+20)
️काडी – 1370
️राजकोट – 1365
हरियाणा – 1350-1360

भारतीय वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिंग रोकने वाले हिमालयी ग्लेशियरों के अनूठे मामले को सुलझाया

भारतीय शोधकर्ताओं ने इस रहस्य को सुलझाने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है कि काराकोरम रेंज में ग्लेशियरों के कुछ हिस्से ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमनदों को पिघलने से क्यों रोक रहे हैं और पूरे विश्व में ग्लेशियरों (हिमनदों) को खोने की उस प्रवृत्ति को कैसे झूठला रहे हैं जिसका हिमालय भी कोई अपवाद नहीं है। उन्होंने ‘कराकोरम विसंगति’ नामक इस घटना को पश्चिमी विक्षोभ (डब्‍ल्यूडी) को हिमनदों के पुनरुद्धार के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

हिमालय के ग्लेशियरों का भारतीय संदर्भ में विशेष रूप से उन लाखों निवासियों के लिए जो अपनी दैनिक जल आवश्यकताओं के लिए इन बारहमासी नदियों पर निर्भर करते हैं, बहुत महत्व है। ये ग्‍‍लेशियर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव के कारण तेजी से कम हो रहे हैं। आने वाले दशकों में जल संसाधनों पर दबाव कम करना बहुत जरूरी है। इसके विपरीत, पिछले कुछ दशकों से मध्य कराकोरम के ग्लेशियर आश्चर्यजनक रूप से या तो अपरिवर्तित रहे हैं या उनमें बहुत कम परिवर्तन हुआ है। यह घटना ग्लेशियोलॉजिस्टों को हैरान कर रही है और जलवायु परिवर्तन से इंकार करने वालों को भी इस बारे में कुछ नहीं सूझ रहा है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) भोपाल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार ने इस घटना को बहुत अजीबोगरीब पाया है क्योंकि यह व्यवहार बहुत छोटे क्षेत्र तक ही सीमित पाया गया है, पूरे हिमालय में केवल कुमलुम पर्वतमाला में इसी तरह के रुझान दिखाने का एक और उदाहरण मिलता है।

उनकी देखरेख में अभी हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने क्षेत्र के अन्य ग्लेशियरों के प्रतिकूल कुछ क्षेत्रों में ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के विपरीत एक नए सिद्धांत को प्रस्तुत किया गया है।

अमेरिकन मेटियोरोलॉजिकल सोसाइटी के जर्नल ऑफ क्लाइमेट में प्रकाशित एक पेपर में, उनके समूह ने यह दावा किया कि 21वीं सदी के आगमन के बाद से कराकोरम विसंगति उत्‍प्रेरित करने और बनाए रखने में पश्चिमी विक्षोभ का अभी हाल में हुआ पुनरुद्धार बहुत महत्वपूर्ण रहा है। अध्ययन को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम द्वारा भी समर्थन दिया गया था।

यह पहली बार हुआ है कि एक अध्ययन उस महत्व को सामने लाया है जो संचय अवधि के दौरान उस डब्लूडी-वर्षा इनपुट को बढ़ाता है जो क्षेत्रीय जलवायु विसंगति को संशोधित करने में भूमिका निभाता है।

डॉ. कुमार के पीएच.डी. छात्र आकिब जावेद और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक ने कहा कि  डब्ल्यूडी सर्दियों के दौरान इस क्षेत्र के लिए बर्फबारी के प्राथमिक फीडर हैं। हमारे अध्ययन से यह पता चलता है कि इनका कुल मौसमी हिमपात की मात्रा में लगभग 65 प्रतिशत और कुल मौसमी वर्षा में लगभग 53 प्रतिशत योगदान हैं, जिससे वे आसानी से नमी के सबसे महत्वपूर्ण स्रोत बन जाते हैं। कराकोरम को प्रभावित करने वाले डब्ल्यूडी की वर्षा की तीव्रता में पिछले दो दशकों में लगभग 10 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जो केवल क्षेत्रीय विसंगति को बनाए रखने में अपनी भूमिका में बढ़ोत्तरी करती है।

 समूह ने पिछले चार दशकों में कराकोरम-हिमालयी क्षेत्र को प्रभावित करने वाले डब्लूडी की एक व्यापक सूची को ट्रैक और संकलित करने के लिए तीन अलग-अलग वैश्विक रीएनालिसिस डेटासेट के लिए एक ट्रैकिंग एल्गोरिदम (रीडिंग विश्वविद्यालय में विकसित) लागू किया है। कराकोरम से गुजरने वाली ट्रेक के विश्लेषण से पता चला है कि बड़े पैमाने पर संतुलन के आकलन में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में बर्फबारी की भूमिका रहती है।

पिछले अध्ययनों में हालांकि वर्षों से विसंगति को स्थापित करने और बनाए रखने में तापमान की भूमिका पर प्रकाश डाला है और ऐसा पहली बार हुआ है कि विसंगतियों को पोषित करने में वर्षा के प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है। शोधकर्ताओं ने विसंगति के पोषण में वर्षा के प्रभाव का भी निर्धारण किया है।

वैज्ञानिकों की गणना से यह पता चलता है कि हाल के दशकों में काराकोरम के मुख्य ग्लेशियर क्षेत्रों में हिमपात की मात्रा के डब्ल्यूडी के योगदान में लगभग 27 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि गैर-डब्ल्यूडी स्रोतों से होने वाली बारिश में लगभग 17 प्रतिशत की कमी आई है जो एक बार फिर उनके दावों को मजबूत करती है।  

डॉ. कुमार ने कहा कि यह विसंगति एक हल्की सी लेकिन अ‍परिहार्य देरी की दिशा में एक उम्मीदभरी आशा की किरण प्रदान करती है। विसंगति को नियंत्रित करने में डब्‍ल्‍यूडी की पहचान होने के बाद उनके भविष्य का व्यवहार हिमालय के ग्लेशियरों के भाग्य का अच्छी तरह फैसला कर सकता है।

अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएँ : https://doi.org/10.1175/JCLI-D-21-0129.1

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