हरियाणा में फसल बीमा योजना

जाने फसल बीमा एक्सपर्ट श्री धर्म शर्मा जी से

dharam sharma

15 जुलाई 2020 को हरियाणा के गवर्नर ने 3 वर्षों के लिए (2022 -23) तक प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना को लागू करने के लिए विस्तृत गाइडलाइन जारी की गयी हैं जिसमें फसलें , क्षति से सुरक्षा (Indemnity) का स्तर, बीमा राशि (Sum Insured), बीमित इकाई (Insured Unit), प्रीमियम की दर कितनी होगी और फसल सीजन के अनुरूप किन किन बातों का अनुशासनात्मक अनुपालन किया जायेगा, इन सभी बातों को विस्तार से बताया गया है जिसे पत्र संख्या नम्बर 1307-Agri-II(2)/2020/3968 के तहत दिनांक 15 जुलाई 2020 को जारी किया गया है |

आइये अब श्री धर्म शर्मा जी से , प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के एक्सपर्ट से सवाल जवाब के माध्यम से इस योजना के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानते हैं |

सवाल – A हरियाणा में खरीफ और रबी की फसलों के तहत कौन कौन सी फसलों को प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत कवर किये जाने का प्रावधान है ?

जवाब

हरियाण में खरीफ और रबी सीजन की मिलाकर कर कुल 9 फसलों को प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत कवर करने का प्रावधान बनाया गया है जो इस प्रकार है :

खरीफ की फसलें : धान , बाजरा , मक्का और कपास

रबी की फसलें : गेहूं, चना , जौ , सरसों और सूरजमुखी

सवाल -B इंश्योरेंस यूनिट क्या होता है ?

जवाब

प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना क्षेत्रीय दृष्टिकोण (Area Approach) के सिद्दांत पर काम करती हैं जिसमें एक गाँव यानि रेवेन्यु एस्टेट को एक इंश्योरेंस यूनिट माना गया है |इसका मतलब यह है जब फसल बीमा किया जाता है तो पूरे गाँव को इकाई माना जाता है |

सवाल –C क्लस्टर क्या होता है और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत हरियाणा को जिन तीन क्लस्टर्स में बांटा गया है उनमें कौन कौन से जिले शामिल किये गये हैं ?

जवाब

हरियाणा राज्य में 22 जिले हैं और सभी जिलों एक साथ एक ही इंश्योरेंस कम्पनी को सेवाएँ देने का कार्य देने की बजाए सरकार ने तीन इंश्योरेंस कम्पनियों को एंगेज किया है | इस कार्य को सरल बनाने और किसान हित को सर्वोपरि रखते हुए हरियाणा के सभी जिलों को तीन समूहों में विभक्त किया गया है | इन्ही समूहों को ही प्रशासनिक शब्दावली में क्लस्टर कहा जाता है | प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में हरियाणा में तीन क्लस्टर्स बनाये गये हैं जिन्हें क्लस्टर-I, क्लस्टर-II और क्लस्टर-III कहा गया है |

क्लस्टर -I के अंतर्गत आने वाले जिले इस प्रकार हैं :

पंचकुला, कुरुक्षेत्र, फरीदाबाद, कैथल, सिरसा , भिवानी और रेवाड़ी

क्लस्टर -II के अंतर्गत आने वाले जिले इस प्रकार हैं :

अम्बाला , करनाल, सोनीपत , हिसार , जींद , महेंद्रगढ़ , गुरुग्राम

क्लस्टर -III के अंतर्गत आने वाले जिले इस प्रकार हैं :

यमुनानगर, पानीपत, पलवल , रोहतक, फतेहाबाद , झज्झर , मेवात और चरखी दादरी

सवाल-D प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों का पंजीकरण (Enrollment) कैसे किया जाता है ?

जवाब

हरियाणा राज्य में प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना एक स्वैछिक योजना है इसे किसी प्रकार से धक्के से सभी पर लागू नही किया गया है | जिन किसान भाइयों ने किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा ली हुई है उन सभी का पंजीकरण इस योजना में अपने आप बैंकों के द्वारा ही कर दिया जाता है और बैंक के द्वारा प्रीमियम की राशि किसान के खाते में अपने आप ही काट ली जाती है जो किसान भाई किसान क्रेडिट कार्ड होने के बावजूद प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना का लाभ नही लेना चाहते हैं उन्हें फसल सीजन शुरू होने के बाद कट ऑफ डेट से सात दिवस पहले अपने बैंक की ब्रांच जहाँ से किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा ली हुई है वहां एक लिखित प्रार्थना पत्र देना पड़ता है कि मैं प्रधानमन्त्री फसलबीमा योजना में शामिल नही होना चाहता हूँ और मेरे खाते से प्रीमियम की राशि ना काटी जाए |

सवाल-E जिन किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा नही ले रखी है वो अपना पंजीकरण कैसे करवा सकते हैं ?

जवाब

ऐसे किसान भाई जिन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बैंकों से किसी प्रकार का कोई लोन नही ले रखा है लेकिन वो स्वेछा से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल होना चाहते हैं वे अपने गाँव के निकटतम CSC कॉमन सर्विस सेंटर पर जा कर संचालक को भुगतान करके प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अपना पंजीकरण करवा सकते हैं | संचालक ऑनलाइन भुगतान करके रसीद बनाकर देगा | किसान को अपना पंजीकरण करवाने के लिए जमीन का रिकार्ड, फसल , मालिकाना हक़ का रिकार्ड स्थिति जैसे जमीन खुदकाश्त है , सांझेदारी में है या जमीन ठेके पर लेकर खेती की जा रही है आदि डाक्यूमेंट्स की आवश्यकता पडती है | इसके अलावा बैंक खाते की डिटेल जैसे अकाउंट नम्बर , बैंक का नाम और आई.एफ.सी कोड की भी आवश्यकता होती है | किसान को एक फोन नम्बर जिसे वो हरदम अपने साथ रखता है वो भी दर्ज करवाना होता है क्यूंकि सभी सूचनाएं SMS के माध्यम से समय समय पर आती रहती हैं |

सवाल-F प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसान के कौन कौन से रिस्क कवर किये गये हैं ?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान के रिस्क को निम्नलिखित तीन मुख्य वर्गों में बांटा गया है :

  1. खडी फसल के रिस्क
  2. फसल की कटाई के बाद के रिस्क
  3. स्थानीय आपदाएं

खडी फसल के रिस्क

इस योजना के तहत उगने से कटाई से पहले की सभी महत्वपूर्ण सथियों और प्रक्रियाओं को रिस्क कवर प्रदान करने का प्रयास किया गया है जैसे सूखा , वर्षा रहित सूखे दिन या समयांतराल , बाढ़ , किन्ही वजहों से बुवाई ना कर सकना , कीटकों का बड़े स्तर पर असर , बीमारियों से फसल का प्रभावित होना , बिजली गिरना , तूफ़ान और ओलों से फसल में नुक्सान होना आदि शामिल है |

फसल की कटाई के बाद के रिस्क

यह रिस्क कवर उन फसलों के लिए उपलध है जिन्हें कटाई के बाद बण्डल बना कर धुप में सूखने के लिए रखने की आवश्यकता पड़ती है | यह रिस्क कवर कटाई के 15 दिनों तक ही लागू रहता है | इसमें ओले , चक्र्वार्तीय तूफान और गैरमौसमी बारिश से होने वाले नुकसानों को कवर किया गया है |

स्थानीय आपदाएं

बीमित फसलों में यदि बादलफटने , सैलाब आने, बिजली गिरने और ओलों से खराबा हो जाता है तो स्थानीय आपदाओं के तहत रिस्क कवर का प्रावधान किया गया है | एक बात गौर करने की यह है कि स्थानीय आपदाओं वाला रिस्क कवर कटाई के 15 दिनों के बीच में ही लागू रहता है | पानी को पसंद करने वाली फसलें जैसे धान और गन्ने की फसल पर यह लागू नही होता है|

सवाल-G फसल में खराबा होने पर किसान को क्या करना होता है?

जवाब

फसल में खराबा होने पर 72 घंटों के अंदर अंदर किसान को 18001802117 टोल फ्री नम्बर पर अपना नाम और गाँव का नाम दर्ज करवाना पड़ता है और साथ में यह भी बताना पड़ता है कि फसल में क्या खराबा हुआ है |

एक बात गौर करने वाली यह है कि ऐसे नुक्सान जिन्हें बचाया जा सकता था जो किसी की लापरवाही की वजह से हो गये हैं जैसे खडी फसल में आग लगना, न्यूक्लीयर युद्द आदि इसमें कवर नही किये जाते हैं |

सवाल -H Risk Inception Date किसे कहते हैं ?

जवाब

Risk Inception Date का अर्थ होता है कि बीमित फसल में जोखिम कवर शुरू होना माने जाने की तारीख | इसे हम फसल में योजना लागू होने की तारीख भी कह सकते हैं और सरल भाषा में कहें तो जिस तारीख के बाद फसल में हुए खराबे को बीमा योजना के तहत कवर किया जाता है|

सवाल –I प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना के तहत कोई Add On फीचर का भी प्रावधान किया गया है ?

जवाब

जी हाँ फसलों में जंगली जानवरों के द्वारा किये गये नुक्सान को Add On फीचर के तहत शामिल किया गया है | यह एक स्वैछिक रिस्क कवर फीचर है | इसके प्रीमियम का भुगतान अलग से करना पड़ता है | इसके प्रबंधन के लिए भारत सरकार ने SOP स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाया हुआ है | (इस विशेष प्रोसीजर पर हम जल्द ही अलग से एक लेख बनायेंगे )

सवाल -J प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमित फसलों में कवर किये जाने वाले कौन कौन से ऐसे खराबे हैं जिनकी सूचना होने के 72 घंटों के अंदर अंदर टोल फ्री नम्बर 18001802117 पर देनी आवश्यक है ?

स्थानीय आपदा वर्ग में आने वाले कारक जैसे सैलाब , बादल फटना , चक्र्वातीय तूफ़ान, ओला वृष्टि, गैर मौसमी बारिश आदि

और

कटाई के बाद वर्ग में आने वाले कारक जैसे उन फसलों जिन्हें कटाई के बाद सूखने के खेत में रखना पड़ता है उनमें फसल कटाई के 15 दिनों के अंदर अंदर यदि ओलावृष्टि , तूफ़ान, बिजली गिरना आदि से बीमित फसल में नुक्सान या खराबा हो जाए तो 72 घंटों के अंदर अंदर टोल फ्री नम्बर 18001802117 पर फोन करके सूचना देनी आवश्यक है क्योंकि आपके सूचना देने के बाद ही बीमा कम्पनी का सर्वेयर आपके खेत में आकर नुक्सान का जायजा लेकर जाएगा और उसी से आपका बीमा क्लेम आयेगा |

सवाल -K हरियाणा राज्य में प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना के तहत बनाये गये तीनों क्लस्टर्स में किस किस इंश्योरेंस कम्पनी को अधिकृत किया गया है ?

क्लस्टर -I जिसमें पंचकुला, कुरुक्षेत्र, फरीदाबाद, कैथल, सिरसा , भिवानी और रेवाड़ी जिले आते हैं में एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड को अधिकृत किया गया है |

क्लस्टर -II जिसमें अम्बाला , करनाल, सोनीपत , हिसार , जींद , महेंद्रगढ़ , गुरुग्राम जिले आते हैं में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड को अधिकृत किया गया है |

क्लस्टर -III जिसमें यमुनानगर, पानीपत, पलवल , रोहतक, फतेहाबाद , झज्झर , मेवात और चरखी दादरी जिले आते हैं में बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड को अधिकृत किया गया है

सवाल -L प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में जोखिम का स्तर Indemnity Level कब से कब और कितना रखा गया है ?

जवाब

हरियाणा राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ 2020 से लेकर रबी 2022-23 तक जोखिम से होने वाली क्षति से बचाव का कवर देने का प्रावधान रखा गया है और 90% तक Indemnity Level यानि कि फसल की कीमत के 90% तक नुक्सान की भरपाई बीमा राशि (अधिकतम) की जा सकती है |

सवाल –M Threshold Yield क्या होती है? इसे कैसे नापा जाता है ? हरियाणा में लागू प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में इसका क्या महत्व है ?

जवाब

किसी भी इंश्योरेंस यूनिट (गाँव या रेवेन्यु एस्टेट ) में पिछले तीन साल (धान की फसल के लिए ) पांच साल ( अन्य फसलों के लिए )उत्पादन के औसत (एवरेज) आंकड़े लेकर इसे क्षति पूर्ती के स्तर (indemnity level) से गुणा किया जता है | नोट : हरियाणा में सभी फसलों में Indemnity Level 90% रखा गया है

उदहारण

धान के केस में एक इंश्योरेंस यूनिट (गाँव/रेवेन्यु एस्तेस्ट) में पिछले तीन सालों का औसत उत्पादन मान लें 1900, 2000,2100 किलोग्राम /हेक्टेयर

धान की फसल में Indemnity Level यानि क्षति पूर्ती का स्तर है 90%

तो Threshold Yield निकालने के लिए हम नीचे बताये जा रहे फार्मूले का इस्तेमाल करेंगे :

(1900+2000+2100)/3X90%=1800 किलोग्राम /हेक्टेयर

हरियाणा में खरीफ 2020 से रबी 2022-23 के दौरान सभी फसलों की Threshold Yield बराबर रखी जायेंगी उनमें इस अवधि के दौरान कोई बदलाव नही किया जाएगा |

सवाल -N वास्तविक उपज यानि Actual Yield किसे कहते हैं और इसका आकलन कैसे किया जाता है ?

हरियाणा राज्य कृषि विभाग प्रत्येक इंश्योरेंस यूनिट (गाँव/रेवेन्यु एस्टेट ) में क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट्स लगवाता है जिसमें एक वैज्ञानिक विधि के साथ फोटो और विडियो बनाते हुए वास्तविक उपज को नापा जाता है और इसी को पूरी इंश्योरेंस यूनिट का बीमा क्लेम बनाने में प्रयुक्त किया जाता है |

सवाल -O धान और कपास फसलों में Threshold Yield और Actual Yield के बाबत क्या नियम बनाये गये हैं ?

कपास की फसल में जब भी उपज नापने का काम किया जाएगा तो कम से कम दो बार चुगाई के आधार पर आंकड़े दर्ज करना अनिवार्य है |

धान के केस में Threshold Yield और Actual Yield को चावल में दर्ज किया जाएगा

कपास के केस में Threshold Yield और Actual Yield को Lint में दर्ज किया जाएगा

नोट : यदि किन्हीं हालातों में कपास की फसल में क्रॉप कटाई एक्सपेरिमेंट करने वाली टीम को खेत में कपास के पौधों में कोई भी टिंडा (Cotton Boll) नही दिखाई देता है तो Yield वाले कालम को खाली छोड़ने की बजाए उसमें ZERO लिखा जाएगा |

सवाल -P बीमित राशि या Sum Insured किसे कहते हैं ?

जवाब

सम एश्योर्ड या बीमित राशि फसल बीमा कवर की वह वैल्यू है, जिसे फसल बीमा कंपनी किसान के लिए तय करती है कि फसल में नुक्सान होने की स्थिति में अधिकतम भुगतान जो किसान किया जा सकता है | यह एक तरह से गारंटीशुदा राशि होती है जो किसान को मिलती है. इसे कवर या कवरेज राशि के तौर पर भी जाना जाता है | यही वह कुल राशि है जिसके लिए किसान अपनी फसल का बीमा करवाता है |

सवाल -Q हरियाणा में खरीफ और रबी की भिन्न भिन्न फसलों में कितना कितना Sum Insured का प्रावधान रखा गया है ?

खरीफ सीजन की फसलें (रुपये /हेक्टेयर में )

फसल 202020212022
धान 840158281692626
कपास 815458562289903
मक्का 420084410846314
बाजरा 395364151243588

रबी सीजन की फसलें (रुपये /हेक्टेयर में )

फसल 2020-212021-222022-23
गेहूं 642486746070834
जौ420084410846314
सूरजमुखी 420084410846314
सरसों 432444540647676
चना 321243373035416

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