हरियाणा के सिरसा जिले में कृषि के लिए अभिशाप कही जाने वाली खारी जमीन और खारा पानी आजकल किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। किसान यहां खारे पानी का झींगा पालन(Jhinga Machhali Palan) कर रहे हैं, जिससे उन्हें अच्छी खासी कमाई हो रही है। दरअसल, हरियाणा राज्य में काफी जमीन है, जहां खारा पानी ज्यादा है, जिससे वहां खेती नहीं हो पाती और जमीन बंजर रह गई। लेकिन किसानों ने फसल विविधीकरण के माध्यम से झींगा खेती का व्यवसाय करके अन्य फसलों की तुलना में अधिक पैसा कमाना शुरू कर दिया है।
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झींगा मछली(Jhinga Machhali) पालन की विशेषताएं
किसान भाइयों आप झींगा मछली का पालन(Machhali Palan) आसानी से शुरू कर सकते हैं। झींगा की अधिकतम प्रजातियां तेजी से बढ़ती हैं, इस कारण आप कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इससे संबंधित कोई प्रश्न हो तो आप कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। सफेद झींगा जैसे गांवों में खारे पानी में पाला जाता है।
झींगा मछली (Jhinga Machhali) के खरीदार
सिरसा में पैदा होने वाली सफेद झींगा खरीदने के लिए तेलंगाना और पश्चिम बंगाल से व्यापारी आते हैं। यहां से मछली को चीन समेत विभिन्न देशों में निर्यात किया जाता है। इसके बीज और चारा आंध्र प्रदेश के मत्स्य व्यापारियों द्वारा लाए जाते हैं।
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प्रदेश में 700 एकड़ भूमि में हो रही है मछली पालन(Jhinga Machhali Palan)
राज्य के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है. उन्होंने बताया कि पूरे राज्य में 785 एकड़ भूमि में मछली पालन किया जा रहा है, जिसमें से 400 एकड़ सिरसा में है. हरियाणा के अंतिम छोर पर राजस्थान और पंजाब की सीमा से लगे सिरसा जिले में राज्य में किसानों की संख्या सबसे अधिक है। इस जिले के किसान शुरू से ही मुख्य रूप से नर्मा, कपास, ग्वार, धान, गेहूं की खेती करते रहे हैं।
मछली पालकों को मिल रहा मत्स्य संपदा योजना का लाभ
जिला मत्स्य पालन अधिकारी जगदीश चंद्र ने कहा कि खारे पानी और खारे जमीन में मछली पालन की अपार संभावनाएं हैं। योजना के तहत सामान्य वर्ग के लिए इकाई लागत का अधिकतम 40 % तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला वर्ग के लिए इकाई लागत का 60 % अनुदान देने का प्रावधान है। वर्तमान में मत्स्य पालन विभाग की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना मछली किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है।
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सिरसा में 400 एकड़ क्षेत्र में हो रहा सफेद झींगा का पालन (Jhinga Palan)
सिरसा जिले में लगभग 400 एकड़ क्षेत्र में सफेद झींगा पालन किया जा रहा है। इनमें चोरमार खेड़ा में 35 एकड़, गुडियाखेड़ा में 32 एकड़, मिथडी में 16 एकड़ जिसमें गांव भंगू, झोरडवाली, फूलो, ओधान, दरबा कलां, मानक दीवान, आशा खेड़ा, कर्मशाना, ग्राम चौटाला आदि शामिल हैं।
किसानों को हो रही अच्छी कमाई
चोरमार खेड़ा के किसान देवेंद्र सिंह और संदीप कौर अपनी ढाई एकड़ जमीन पर मछली पालन का व्यवसाय कर रहे हैं, जिसने तालाब में 3.40 लाख रुपये के बीज डाले और 125 दिनों की अवधि के बाद 11.50 टन मछली का उत्पादन किया और 51 लाख रुपये से अधिक की बिक्री होती है। इस व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए उन्हें राज्य सरकार की ओर से 4 लाख रुपये की सब्सिडी भी दी गई।
इसी तरह ग्राम मिठरी के गुरप्रीत सिंह झींगा पालन करते हैं। वे मत्स्य पालन से सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने बंजर पंचायत की जमीन को लीज पर लेकर झींगा पालन का व्यवसाय शुरू किया। इसके लिए उन्हें सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य योजना के तहत प्रशासन से अनुदान मिला, जिससे उन्हें काफी मदद मिली। उन्होंने कहा कि वे 11 लाख रुपये प्रति एकड़ तक कमा रहे हैं।
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मनप्रीत और गुरप्रीत
मिठड़ी (सिरसा) के मनप्रीत और गुरप्रीत ने झींगा पालन से 5 महीने में 50 लाख का मुनाफा लिया है। दोनों भाइयों ने इस साल में मार्च से लेकर अगस्त तक 12 टन चोरमार और 14 टन मिठड़ी की कुल 26 टन झींगा मछली निकाली है। फिर इसे 430 से लेकर 475रु किलो के हिसाब से कोलकत्ता एवं उड़ीसा में कंपनी को बेचा है। जिससे उन्हें करीब 90 लाख की आमदनी हुई। खर्च 40 लाख निकालकर उन्हें शुद्ध मुनाफा 50 लाख का हुआ है। दोनों भाई फिलहाल 25 एकड़ में झींगा मछली की खेती कर रहे हैं। मिठड़ी में 25 एकड़ जमीन में 13 तालाब हैं और चोरमार गांव में 6 तालाब हैं। जिसमें 24 एरीयेटर चोरमार और 52 एरीयेटर मिठड़ी में बनाए हैं।