पंजाब सरकार काफी समय से यह प्रयास कर रही है कि प्रदेश को एक बार फिर गन्ना उत्पादन में शीर्ष पर पहुंचाया जाए, क्योंकि अतीत में हरियाणा और पंजाब दोनों में गन्ना उत्पादन काफी मात्रा में होता था, परंतु गलत नीतियों एवं पेमेंट में लेट-लतीफी ने गन्ने के प्रति किसानों का मोहभंग कर दिया था।
पंजाब में गन्ना किसानों के पलायन का कारण
पंजाब में 80-90 के दशक में शूगर मिलों की गिनती लगातार बढ़ी थी और उनकी हालत भी काफी अच्छी थी, जिसके कारण किसानों को समय से पेमेंट मिल जाती थी। समय से पेमेंट मिलने के कारण किसानों का रूझान गन्ने की खेती की तरफ बढ़ रहा था। परंतु समय के साथ गन्ने की पेमेंट में साल दर साल की देरी ने गन्ने की खेती के प्रति किसानों को उदासीन बना दिया। हालांकि पंजाब सरकार दोबारा गन्ने के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पिछले कई साल से प्रयास कर रही है। पंजाब सरकार प्रदेश में गन्ने का उत्पादन बढ़ाने के लिए पेमेंट की व्यवस्था की खामियों को दूर करना होगा और बंद पड़ी शूगर मिलों को पुनर्जीवित करने के लिए जरूरी कदम भी उठाने होंगे।
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पंजाब में गन्ने का उत्पादन
पंजाब में फिलहाल 9 निजी क्षेत्र की और 7 सहकारी चीनी मिलें चल रही हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार- “पंजाब में 2019-20 के सीजन दौरान 91000 हेक्टेयर में गन्ने की खेती हुई थी, जिस दौरान 73.02 लाख टन उत्पादन हुआ। 2020-21 के सीजन दौरान गन्ने की खेती में रकबा बढ़ाकर 95100 हेक्टेयर हो गया जबकि गन्ने का उत्पादन भी बढ़कर 79.52 लाख टन हो गया। 2021-22 में 2.2 लाख मीट्रिक टन हो गया। हालांकि, गन्ने की पैदावार 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में प्रति हेक्टेयर कम हुई है।
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दोआबा व माझे में गन्ने की पैदावार अधिक
पंजाब में गन्ने की पैदावार के बारे में बात करते गन्ना माहिर व कृषि विज्ञानी गुरइकबाल सिंह काहलों ने बताया कि दोआबा व माझे में गन्ने की पैदावार अधिक होती है जबकि पंजाब की सारी जमीन गन्ने की खेती के लिए अच्छी है। इसलिए कृषि विभाग व खेती यूनिवर्सिटी को जमीन की किस्म के हिसाब से ही गन्ने की किस्म लगाने के लिए किसानों को सिफारिश करनी चाहिए।
किसान संघों ने दी थी आंदोलन करने की चेतावनी
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले एकजुट हुए 31 किसान संघों के सदस्यों ने 30 अगस्त तक भगवंत मान सरकार को गन्ने का बकाया भुगतान करने की मांग रखी थी और अगर मांग पंजाब सरकार ने पूरी नहीं की तो 5 सितंबर से आंदोलन करने की चेतावनी भी दी थी। पंजाब के गन्ना किसानों की नाराजगी को देखते हुए पंजाब की AAP सरकार ने किसानों के साथ बैठक करके जल्द से जल्द गन्ने की पेमेंट कर देने का वादा किया था।
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गन्ने की पैदावार बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है पंजाब सरकार
पंजाब के सहकारिता एवं वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि-“ राज्य सरकार ने आने वाले दो सालों में गन्ने की पैदावार को बढ़ाकर 100 क्विंटल प्रति एकड़ करने का लक्ष्य रखा है। राज्य की सहकारी चीनी मिलों द्वारा 2021-22 सीजन के दौरान 1.72 करोड़ क्विंटल गन्ने की पेराई की गई थी, जो पिछले पेराई सत्र से करीब 20 लाख क्विंटल अधिक है। सहकारी चीनी मिलों ने पिछले वर्ष की तुलना में 2021-22 के दौरान 0.26% अधिक चीनी उत्पादित की है, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 44764 क्विंटल अधिशेष चीनी का उत्पादन हुआ है। इससे 16 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है। सहकारी चीनी मिलों ने शीरा औसतन 2,85,000 रुपये क्विंटल की दर से बेचा था।
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पंजाब सरकार ने किया 75 करोड़ रु का भुगतान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने शुक्रवार को जानकारी दी कि राज्य सरकार ने गन्ना किसानों को बकाया राशि के तौर पर 75 करोड़ रुपए शूगरफेड्ड, पंजाब के द्वारा जारी कर दिए हैं। यह राशि संबंधित काश्तकारों के खातों में जमा करवा दी गई है। बताया गया कि यह राशि सीजन 2021-22 का बकाया था। जिसे अब संबंधित खातों में जमा करा दिया गया है। ये बकाया राशि सीजन 2021-22 से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि 75 करोड़ रुपए की इस अदायगी से राज्य की सहकारी चीनी मिलों ने गन्ना किसानों के सभी बकाया भुगतान कर दिए हैं। सीएम ने आगे बताया कि अभी तक गन्ना किसानों को 619.62 करोड़ रुपए की अदायगी की जा चुकी है। मुख्यमंत्री की ओर से यह जाकनारी दी गई कि अब किसानों का कुछ भी बकाया नहीं है।