Role and Responsibilities of Banks Insurance Companies and Societies in Pradhan Mantri Fasal Bima Yojna
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा कंपनियों, बैंकों एवं गठित की गई समितियों की भले ही ड्यूटियां निर्धारित की हुई हैं। परंतु इन तीनों के बीच में गठजोड़ होने या तालमेल सही नहीं होने की स्थिति में कीमत किसान को ही चुकानी पड़ रही है। हालांकि समय के साथ और जरूरत अनुसार फसल बीमा योजना में बदलाव भी हुए हैं। जैसे कि राजस्थान सरकार ने फसल बीमा की हार्ड कॉपी किसानों को बांटने की मुहिम शुरू की, जिसका स्वागत पीएम नरेंद्र मोदी ने भी किया और इसे हर जगह लागू करने को कहा।
दूसरी तरफ सबसे बड़ी हैरानी इस बात से होती है कि अगर फसल बीमा योजना इतनी दमदार एवं बढ़िया योजना है तो गुजरात मॉडल में इसे शामिल क्यों नहीं किया गया। वहीं राजस्थान जैसे राज्य जहां (कांग्रेस) विपक्ष की सरकार है, वहां इस योजना को लेकर सरकार काफी गम्भीर है। राजस्थान से मिली जानकारियों के अनुसार राजस्थान के कुछ जागरूक जिलों में, खासकर जहां किसान एकजुट हैं, वहां इस योजना का पूरा फायदा उठाया जा रहा है।
यहाँ पढ़ें : राजस्थान में फसल बीमा योजना की सफलता की कहानी
इस लेख में बीमा कंपनियों, बैंकर्स एवं समितियों की जिम्मेदारियों के बारे में जानेंगे।
प्रधानमंत्री फसल बीमा में बीमा कम्पनियों की जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से सम्बंधित सभी छोटी-बड़ी जानकारियां किसानों तक पहुंचाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बीमा कंपनियों की होती है। क्या बीमा कम्पनी अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाती हैं? इस सेक्शन में हम बीमा कम्पनी की जिम्मेदारियों एवं लूपहोल पर चर्चा करेंगे।
बीमा कम्पनी को कार्यालय एवं कर्मी की देनी होगी पूरी जानकारी
बीमा कम्पनी उनको आवंटित किये गये जिले में योजना की जानकारी किसानों को उपलब्ध कराने एवं उनकी समस्याओं के समाधान हेतु जिला स्तरीय कार्यालय उप निदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद कार्यालय, तहसील स्तरीय कार्यालय सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) व सहायक कृषि अधिकारी कार्यालय में स्थापित करेगी।
बीमा कम्पनी उक्त कार्यालय का पता मय नियुक्त किए गए कार्मिकों का सम्पूर्ण विवरण यथा नाम, ईमेल आईडी, स्थानीय निवास का पता, मोबाईल नम्बर जिस पर वाट्सएप कार्यशील हो, की सूचना से कृषि आयुक्तालय, जिला कलक्टर, उपनिदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद, सहायक निदेशक कृषि (विस्तार), स्थानीय बैंको को तीन दिवस में उपलब्ध करवाएगी तथा इस सम्बन्ध में एक प्रेस नोट भी स्थानीय समाचार पत्र में जारी करना होगा।
साथ ही बीमा कंपनी सम्बन्धित उपनिदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद से 7 दिवस में कार्यालय खोले जाने का सत्यापन करवाकर कृषि आयुक्तालय को प्रस्तुत करेंगी।
किसानों के हित में बीमा कंपनियों को बदलने होंगे नियम
सभी बीमा कम्पनियों को उन्हें आवंटित जिलों हेतु जिला स्तर पर दो एवं प्रत्येक तहसील पर एक बीमा कार्मिक की नियुक्ति करनी होगी। जिला स्तर कार्यालय पर नियुक्त एक अधिकारी की न्यूनतम योग्यता कृषि स्नातक होना अनिवार्य होगा, साथ ही उसे योजना की गहन जानकारी, कंप्यूटर दक्षता एवं इस क्षेत्र में तीन वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य होगा।
तहसील स्तर पर नियुक्त कर्मचारी को कंप्यूटर की जानकारी तथा इस क्षेत्र में 1 वर्ष का अनुभव होना चाहिए। इस हेतु बीमा कंपनियों द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास में डिप्लोमाधारी को प्राथमिकता दी जाएगी।
प्रत्येक बीमा कम्पनी को जिला एवं तहसील स्तर पर नियुक्त किये गए बीमा कार्मिकों की शैक्षणिक योग्यता का प्रमाण-पत्र अधिसूचना जारी होने के तीन दिवस के भीतर कृषि आयुक्तालय को कम्पनी के लैटर हैड पर देना अनिवार्य होगा। साथ ही जिला स्तरीय अधिकारी जो कि कृषि स्नातक या अधिक की योग्यता रखता है के शैक्षणिक दस्तावेजों की प्रति भी उपलब्ध करवानी होगी। जिला एवं तहसील स्तरीय कार्यालयों में बीमा कंपनी द्वारा अपना कार्यालय खोलकर निम्न बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवानी होगी बीमा कम्पनी के कार्मिक एवं आगंतुक कृषकों के लिए टेबिल, कुर्सियां, कंप्यूटर ( डेस्कटॉप अथवा लेपटॉप), प्रिंटर, इन्टरनेट कनेक्शन, टेलीफोन / मोबाइल, स्टेशनरी ।
बीमा कंपनी Dissemination Kit प्रचार-प्रसार किट तैयार कर जिला एवं तहसील स्तरीय कार्मिकों को उपलब्ध करवाएगी जिसे वे कार्यालय में आने वाले किसानों को वितरित करेंगे। इसमें लीफलेट, ब्रोशर, पेम्फलेट, बुकलेट, FAQ इत्यादि सम्मिलित होंगे।
बीमा कंपनी प्रत्येक कार्यालय में LED स्क्रीन स्थापित करेगी, जिसमें योजना से सम्बन्धित विडियो / फिल्म संचालित होगी।
बीमा कंपनी को प्रत्येक कार्यालय में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बैनर, पोस्टर, होर्डिंग इत्यादि स्थापित करने होंगे।
अधिसूचना के परिशिष्ट 6 की न्यूनतम 1000 प्रतियां । प्रचार-प्रसार एवं जागरुकता समस्त अधिसूचित बीमा कम्पनियों को उनके द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की कार्ययोजना एवं प्रचार प्रसार सामग्री का अनुमोदन अधिसूचना जारी होने के दो दिवस के भीतर कृषि आयुक्तालय, जयपुर से करवाना होगा।
बीमा कंपनी को प्रचार प्रसार प्रक्रिया पूरे वर्ष जारी रखनी होगी। राज्य के सभी जिलों के समस्त राजस्व गांवो में योजना का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाएगा। प्रचार प्रसार के सभी सम्भव संसाधनो जैसे इलेक्ट्रोनिक एवं प्रिन्ट मिडिया, कृषक मेले, प्रदर्शनी, नुक्कड़ नाटक, एसएमएस सर्विस, लघु फिल्म, मोबाईल वैन कैम्पेन, लीफलेट, पोस्टर इत्यादि का प्रयोग किया जाएगा।
बीमा कम्पनी आवंटित जिलों की प्रत्येक तहसील में न्यूनतम 5000 कृषकों को मोबाइल में फसल बीमा एप डाउनलोड कर इनस्टॉल करवाएगी। बीमा कम्पनी द्वारा अधिसूचना जारी होते ही आवंटित जिलों में प्रचार प्रसार एवं जागरूकता कार्यक्रम प्रारम्भ कर दिया जाएगा, जिसका विवरण राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर अद्यतन किया जाएगा।
प्रत्येक बीमा कम्पनी को आंवटित जिलों में किसानों को प्रचार प्रसार के माध्यम से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के स्वैच्छिक होने तथा कृषकों द्वारा Opt-out करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्रदान करनी होगी। बीमा कम्पनियां राज्य सरकार के साथ मिलकर योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए बैंकर्स, एजेंट इत्यादि के क्षमता निर्माण की योजना तैयार करेगी। बीमा कम्पनियां इसके लिये प्रशिक्षण/ कार्यशालाएं भी आयोजित करेंगी।
प्रचार प्रसार के लिए बीमा कम्पनी को अपने स्तर से कुल बीमा प्रीमियम का 0.25% आवश्यक रूप से व्यय करना होगा। व्यय की गई राशि का विवरण केंद्र एवं राज्य सरकार को प्रत्येक मौसम सत्र की समाप्ति पर उपलब्ध करवाया जाना आवश्यक होगा। बीमा कम्पनी को व्यय की गई राशि के कुल बीमा प्रीमियम के 0.25% से कम होने की दशा में अन्तर की राशि को भारत सरकार के तकनीकी फंड में जमा कराना होगा।
बीमा कम्पनी द्वारा योजना, राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल संचालन प्रक्रिया तथा सीसीई एप द्वारा फसल कटाई प्रयोग प्रक्रिया की जानकारी हेतु जिले तथा प्रत्येक तहसील स्तर पर न्यूनतम एक कार्यशाला खरीफ के लिये माह जून, जुलाई, अगस्त तथा रबी के लिए नवम्बर दिसम्बर, जनवरी में आयोजित की जाएगी, जिसमें जिला / राजस्व/आर्थिक एवं सांख्यिकी / कृषि विभाग के जिले में कार्यरत समस्त फील्ड स्तर के कार्मिक / अधिकारियों तथा बैंकर्स को शामिल करना अनिवार्य होगा एवं आयोजन की प्रगति से कृषि आयुक्तालय को अवगत कराना सुनिश्चित करेंगे। इस कार्यशाला का समस्त व्यय बीमा कम्पनी द्वारा वहन किया जाएगा।
बीमा कम्पनियों को भारत सरकार के पत्र दिनांक 27 मई 2021 द्वारा जारी SOP की शत प्रतिशत पालना सुनिश्चित करनी होगी।
बीमा कम्पनी को प्रत्येक जिले में स्थानिक आपदाओं तथा फसल कटाई उपरान्त फसल में हुई क्षति का मूल्यांकन करने हेतु क्षति मूल्यांकनकर्ता की नियुक्ति कर सम्बन्धित जिले के उपनिदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद् को अवगत कराना होगा। साथ ही जिलों से प्राप्त आपदा की सूचना पर त्वरित कार्यवाही करनी होगी।
बीमा कम्पनी द्वारा गैर ऋणी किसानों की फसलों का बीमा किसान के चाहने पर करना अनिवार्य होगा। गैर ऋणी किसान द्वारा प्रस्तुत एवं बैंक शाखा में पंजीकृत प्रस्तावों को बीमा कम्पनी द्वारा अनुमोदन करना तथा अपलोड किए गए दस्तावेजों को जाँचना होगा।
बीमा कम्पनी को अपने अधिकृत एजेन्ट / मध्यस्थी का पूर्ण विवरण जैसे एजेन्ट का नाम, पता, मोबाईल नम्बर, E-Mail address, Whatsapp Number इत्यादि स्थानीय कृषि विभाग को उपलब्ध कराना होगा।
योजना की परिचालन मार्गदर्शिका (खरीफ 2020 से लागू) में वर्णित अवधि के उपरान्त बीमा कम्पनी देय क्लेम राशि पर 12% वार्षिक ब्याज का भुगतान बीमित फसल के किसान को करेगी।
बीमा कम्पनी जिले में आयोजित समस्त राजस्व फसल कटाई प्रयोग प्रशिक्षण शिविरों में आवश्यक रूप से उपस्थित रहकर आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग से जिले में आयोजित फसल कटाई प्रयोगों का प्रोग्राम / schedule प्राप्त करेगी एवं समस्त प्राथमिक कार्यकर्ताओं से संपर्क स्थापित करेगी। साथ ही समस्त फसल कटाई प्रयोगों को कॉ विटनेस करेगी। जिले में आयोजित डीएलएमसी / डीजीआरसी की बैठक में अनिवार्य रूप से भाग लेकर फसल बीमा प्रकरणों को निस्तारित करना।
बीमा कंपनी को फसल बीमा पॉलिसी का अनुमोदन खरीफ हेतु 31 अगस्त 2022 तक तथा रबी हेतु 31 जनवरी 2023 तक करना अनिवार्य होगा। अधिसूचित बीमा कम्पनी अपने क्षेत्र में बीमित फसल के किसानों को खरीफ हेतु 15 सितम्बर 2022 तक तथा रबी हेतु 15 फरवरी 2023 तक पॉलिसी उपलब्ध कराएगी। इस हेतु सम्बंधित बीमा कंपनी द्वारा बीमा पॉलिसी वितरण का ग्रामवार कैम्प का detailed schedule खरीफ के लिए 20 अगस्त तक तथा रबी के लिए 20 जनवरी तक कृषि आयुक्तालय राजस्थान एवं सम्बंधित जिलों को उपलब्ध कराया जाएगा तथा तदानुसार कैम्पों में उपरोक्त तिथियों के अनुसार बीमा पॉलिसी का वितरण करेगी। साथ ही एसएमएस के जरिए किसानों को राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर पॉलिसी बनाने की अंतिम तिथि से 10 दिन में सूचित करना होगा। जो कंपनी इसको करने में विफल रहेगी उसके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
बीमा कम्पनी द्वारा परिचालन मार्गदर्शिका (खरीफ 2020 से लागू) के अनुरूप कार्य नहीं करने पर परिचालन मार्गदर्शिका के संलग्नक-iv में वर्णित अनुसार कार्यवाही अमल में लाई जावेगी। बीमा कम्पनी के टोल फ्री नम्बर 24×7 कार्यरत होने चाहिये, इस हेतु बीमा कम्पनी को पर्याप्त मात्रा में हंटिग लाईन कनेक्शन प्रयोग में लेने होंगे, जिससे कि फोन व्यस्त नहीं मिले। इस हेतु बीमा कंपनी को 15 डेडिकेटेड लीज लाइन राज्य के लिए आरक्षित करनी होगी, जो कि पूरे वर्ष भर कार्यरत रहेंगी। उक्त टोल फ्री नम्बर के लगातार व्यस्त अथवा बन्द पाये जाने के कारण यदि किसानों की फसल खराबे की सूचना दर्ज नहीं हो पाती है, तो उस पर देय बीमा क्लेम की समस्त जिम्मेदारी सम्बन्धित बीमा कम्पनी की होगी।
बीमा कम्पनी जिले के उप निदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद व सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) को बीमित फसल के लाभार्थी किसानों की सूची मय बीमा क्लेम अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित करेगी। किसानों को बीमा क्लेम भुगतान उपरान्त लाभान्वित किसानों की सूची क्लेम वितरण के 15 दिन के भीतर प्रत्येक गांव पंचायत पर चस्पा कर संरपंच / ग्राम विकास अधिकारी से प्रमाणित कराई जाकर फोटो सुरक्षित रखी जावे, जिसका सत्यापन कृषि विभाग अधिकारियों द्वारा किया जावेगा।
सभी बीमा कम्पनियों को जिलेवार किसानों की शिकायतों को स्वयं के स्तर से ऑनलाईन दर्ज करने एवं निस्तारण करने की व्यवस्था करनी होगी, जिसकी रिपोर्ट विभाग द्वारा चाहे जाने पर उपलब्ध करवानी होगी। बीमा कम्पनियों को लाभान्वित किसानों की सूची मय प्रति हैक्टेयर फसलवार दिये गए बीमा क्लेम का विवरण सॉफ्ट कॉपी में ब्रांचवार बैंकों को उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य होगा।
प्रत्येक अधिसूचित बीमा कम्पनी को मौसमवार राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर सृजित पॉलिसियों का पूर्ण डेटा (MIS) कृषि आयुक्तालय द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध करवाना होगा। सृजित की गई पॉलिसियों को रिजेक्ट करने पर अधिसूचित बीमा कम्पनी 3 दिवस की अवधि में जिलेवार पॉलिसी रिजेक्ट करने के कारण सहित सूचना कृषि आयुक्तालय को व्यक्तिशः प्रस्तुत करेगी।
बीमा कंपनी को राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर चाही गई सूचनाएं सॉफ्ट तथा हार्ड कॉपी में निर्धारित संख्या में उपलब्ध करानी होगी।
बैंकर्स की ड्यूटी
सभी बैंक फसल बीमा हेतु किसानों का विवरण राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल https://pmfby.gov.in पर खरीफ का डेटा 15 अगस्त तक एवं रबी हेतु 15 जनवरी तक आवश्यक रूप से अपलोड करेंगे।
सभी बैंकों की नोडल बैंक शाखाओं / हैड ऑफिस द्वारा राज्य सरकार को इस आशय का प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जायेगा कि उसकी सभी बैंक शाखाओं द्वारा अधिसूचित फसलों हेतु किसान प्रीमियम की कटौती फसल बीमा की अधिसूचना में निर्गत निर्देशों के अनुसार की है एवं सभी बैंक शाखाओं द्वारा योजनान्तर्गत सभी पात्र ऋणी किसानों को फसल बीमा योजना का कवरेज प्रदान कर दिया गया है।
Opt-in और Opt-out क्या है?
आरम्भ में ऋणी किसानों के फसल बीमा किसानों की जानकारी के बिना ही बैंक अपने आप कर देते थे और न तो किसानों को इसकी सूचना देते थे और न ही उन्हें बीमा पत्र दिया जाता था। जिसके कारण किसानों की जेब से पैसा भी निकल जाता था और उन्हें बीमा पॉलिसी का फायदा भी नहीं होता था। किसानों द्वारा आंदोलन या विरोध करने के बाद खरीफ 2020 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल बीमा करवाया जाना पूर्णतया स्वैच्छिक किया गया है।
योजना से अलग होने वाले ऋणी किसानों का रिकॉर्ड अलग से संधारित करना होगा। साथ ही प्रत्येक बैंक शाखा में ऋणी किसानों द्वारा बीमा कवर से बाहर होने हेतु भरा जाने वाला Opt-Out घोषणा पत्र तथा Opt Out कर चुके किसानों को पुनः Opt-in करने हेतु भरा जाने वाला घोषणा पत्र अनिवार्य रूप से उपलब्ध होना चाहिए। यह घोषणा पत्र हिन्दी भाषा में होगा तथा बैंकर्स को इसे भरे जाने हेतु किसान की पूर्ण सहायता करनी होगी।
फसल बीमा योजना में बैंक की ड्यूटी
भारत सरकार के पत्रांक 13011/01/2018 क्रेडिट | दिनांक 24.06.2020 के द्वारा निर्देशित किया गया है कि 30 जून 2020 के बाद से किसान प्रीमियम का भुगतान बैंक ब्रांचों से राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर दिये गये INTERFACE PAY-GOV के माध्यम से ही किया जायेगा। बैंकों द्वारा किसान प्रीमियम की राशि आरटीजीएस / नेफ्ट द्वारा भेजी जायेगी, डिमाण्ड ड्राफ्ट द्वारा देय नहीं होगी।
सम्बन्धित बैंक का यह दायित्व भी होगा कि राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर किसानों के नामांकन की एन्ट्री करने के बाद जितनी किसान प्रीमियम राशि बनती है, उतनी ही सम्बन्धित बीमा कम्पनी को भिजवाई जाए।
सम्बन्धित बैंक यह सुनिश्चित करेगें कि प्रत्येक किसान जिसकी फसल का बीमा किया जाना है, उसका आधार क्रमांक / आधार पंजीयन अनिवार्य रूप से प्राप्त किया जावे तथा वर्तमान में बैंक के पास उपलब्ध किसानों की आधार सम्बन्धी जानकारी में यदि कोई त्रुटि हैं, तो उसमें सम्बन्धित कृषक से संपर्क कर सुधार किया जाये, ताकि सम्बन्धित कृषक अपनी फसल के बीमा से वंचित ना रहे।
सम्बन्धित बैंक बीमा कम्पनी से प्राप्त लाभान्वित किसानों की सूची मय प्रति हैक्टेयर फसलवार दिये गये बीमा क्लेम का विवरण नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करे तथा किसान द्वारा जानकारी चाहे जाने पर उनको उपलब्ध करावे।
राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल खुलने के 3 दिवस में बैंक शाखाओं द्वारा यह सुनिश्चित किया जायेगा कि उनके क्षेत्राधिकार में स्थित सभी गांव व अधिसूचित फसल पोर्टल पर प्रदर्शित हो रहे हैं। यदि कोई गांव व अधिसूचित फसल प्रदर्शित नहीं हो रही है तो उसकी सूचना से तीन दिवस में एसएलबीसी एवं कृषि आयुक्तालय को अनिवार्य रूप से सूचित करेगें।
एक किसान की एक ही फसल का समान भूमि पर एक से अधिक बार बीमा किया जाना पाये जाने पर सम्बन्धित बैंक की जिम्मेदारी मानते हुए नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही अमल में लाई जावेगी ।
भारत सरकार द्वारा योजना क्रियान्वयन के जारी दिशा-निर्देश, इनमें विभिन्न कार्यों हेतु अंकित समय सीमा, कार्य की प्रकृति, ऑनलाईन अपलोड की जाने वाली जानकारियों को अपलोड किये जाने तथा भारत सरकार द्वारा जारी विभिन्न दिशा निर्देशों के निर्वहन का दायित्व संबंधित वित्तीय संस्था का होगा और इस संदर्भ में अलग से आदेश नहीं जारी किए जाएंगे। सम्बंधित वित्तीय संस्था को समय-समय पर भारत/राज्य सरकार को सॉफ्ट एवं हार्ड कॉपी में सूचनाएं उपलब्ध करनी होंगी।
बैंकर्स की कार्य-प्रणाली पर फीडबैक
ऋणी किसानों के साथ हुई बातचीत के आधार पर यह कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बैंकर्स को यह पूरा काम खुद पर अतिरिक्त बोझ की तरह लगता है, जिसके कारण वो नीरस ढंग से इस काम को करते हैं। दूसरा बैंकर्स का रवैया किसानों के प्रति सकारात्मक होने के बजाए नकारात्मक ज्यादा होता है। बैंकर्स अपनी ड्यूटी के कार्य सही ढंग से नहीं करते बल्कि बीमा कम्पनी को दोषी साबित करते रहते हैं। दरअसल सरकारी समितियों, बैंकर्स एवं बीमा कम्पनी के एजेंट सभी किसानों की अज्ञानता का फायदा उठाते रहते हैं। पूरा सिस्टम एकजुट होकर नेक्सेस बन जाता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में जिला स्तर पर गठित समितियों की जिम्मेदारियां
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को किस तरह किसानों के लिए आसान एवं सुविधाजनक बनाया जा सके, ताकि किसान इस योजना का पूरा फायदा उठा सकें। इसके लिए अलग-अलग संस्थाओं एवं समितियों को अलग-अलग कार्य एवं जिम्मेदारियां दी गई हैं।
जिला स्तर पर गठित समिति में कौन-कौन शामिल हैं?
जिला स्तरीय निगरानी समिति (DLMC/DLC) में संबंधित जिले के अग्रणी जिला प्रबंधक, उप / सहायक निदेशक, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग, नाबार्ड, केन्द्रीय सहकारी बैंक, सहकारिता विभाग, उद्यान विभाग के अधिकारी व सम्बन्धित बीमा कम्पनी के अधिकारी सदस्य तथा जिला कलक्टर अध्यक्ष एवं उपनिदेशक कृषि (वि०) जिला परिषद् सदस्य सचिव हैं। इस समिति की बैठक आवश्यकता होने पर कराई जाये।
समिति के कार्य एवं भूमिका
मूलतः यह समिति का काम यह है कि जिले में फसल बीमा योजना को सही ढंग से लागू किया जाए और इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी भी इसी समिति की होगी। योजना को विस्तार एवं प्रभावी बनाने के लिए उचित प्रचार-प्रसार तथा जागरूकता कार्यक्रम करेगी।
समिति ऐसे किसान जो किसान क्रेडिट कार्डधारी हो एवं फसल बीमा लेने के लिये इच्छुक हों, का फसल बीमा कराया जाना सुनिश्चित करेगी तथा गैर ऋणी किसानों की फसल बीमा में भागीदारी सुनिश्चित करायेगी।
फसल मौसम के दौरान यह समिति जिले में कृषि स्थिति की सूक्ष्मता से निगरानी करेगी। फसल कटाई के बाद उपज परिणामों का विश्लेषण करेगी तथा उपज परिणाम कट ऑफ डेट के अनुरूप कृषि आयुक्तालय को उपलब्ध करवायेगी। यह समिति स्थानिक आपदाओं/ फसल कटाई उपरान्त हानि के आकलन के लिए जिला स्तरीय संयुक्त समिति को आवश्यक सहायता देगी।
समितियों द्वारा निगरानी
सहायक / उप / संयुक्त निदेशक कृषि 5% फसल कटाई प्रयोगों का आवश्यक रूप से निरीक्षण करेंगे, जिसकी निगरानी उक्त समिति द्वारा की जावेगी। उक्त समिति स्वचालित मौसम केन्द्र, फसल कटाई प्रयोग, सेटेलाइट छवि / ड्रोन के माध्यम से आंकड़े संधारण हेतु सभी संबंधितों को सुविधा प्रदान करते हुए निगरानी करेगी। उक्त समिति बीमा कम्पनी द्वारा प्रेषित लाभान्वितों की सूची में से कम से कम 5 प्रतिशत लाभान्वितों का सत्यापन कराएगी तथा राज्य सरकार को प्रतिक्रिया प्रेषित करेगी। यह समिति जिले से संबंधित किसानों के फसल बीमा से संबंधित प्रकरणों (पूर्व फसल मौसम सत्रों सहित) का अपने स्तर से निस्तारित कराया जाना सुनिश्चित करायेगी।
जिला स्तरीय शिकायत निराकरण समिति (DGRC) का दायित्व
इसका मुख्य काम यही है कि फसल बीमा योजना में किसी भी स्तर पर कोई समस्या या शिकायत है, उसका निवारण करना इसकी जिम्मेदारी है। फसल बीमा योजना अन्तर्गत किसान / बैंक/ सम्बन्धित विभागों/बीमा कम्पनियों की शिकायतों के समयबद्ध निराकरण हेतु जिला स्तरीय शिकायत निराकरण समिति का गठन राज्य सरकार के आदेश क्रमांक P7 (1) कृषि – 1 / एम. सी / 2019 जयपुर दिनांक 01.10.2019 द्वारा किया गया है। इस समिति की मासिक बैठक जिला कलक्टर की अध्यक्षता में आयोजित की जायेगी, जिसमें जिला विकास प्रबंधक नाबार्ड, अग्रणी जिला प्रबन्धक बैंक, बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि, किसान प्रतिनिधि, सहायक निदेशक उद्यान विभाग, उप/सहायक निदेशक आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग सदस्य तथा उपनिदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद् सदस्य सचिव होंगे। समिति के सदस्य सचिव, उक्त समिति की बैठक की सूचना से प्रतिमाह कृषि आयुक्तालय को अवगत कराया जाना सुनिश्चित करेंगे।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनार्न्तगत राजस्व/जिला प्रशासन /आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के दायित्व
खरीफ के लिये 15 जनवरी 2023 तक तथा रबी के लिए 15 जून 2023 तक जिले की अधिसूचित फसलों के उपज के आंकडे पूर्ण रूप से जाँच करने के उपरान्त राजस्व मण्डल, अजमेर को भिजवायेंगे। राजस्व मण्डल, अजमेर उपज के आंकडे खरीफ हेतु 31 जनवरी 2023 तक तथा रबी हेतु 30 जून 2023 तक कृषि विभाग को निर्धारित प्रपत्र में हार्ड एवं सॉफ्ट कॉपी में आवश्यक रुप से उपलब्ध करायेगा।
जिला स्तर पर DLMC (जिला स्तरीय निगरानी कमेटी) की समय-समय पर बैठक का आयोजन कर फसल बीमा की प्रगति की समीक्षा करना।
तहसील स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटी की समय-समय पर बैठकों का आयोजन करना। जिला प्रशासन द्वारा फसल बीमा का लाभ प्राप्त करने के लिये आधार नामांकित करवाये जाने हेतु वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी समितियों एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की सभी शाखाओं, कृषि अथवा उद्यान अथवा सहकारी विभाग के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से मीडिया और वैयक्तिक सूचनाओं के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। किसानों को ब्लॉक अथवा तहसील में उपलब्ध नजदीकी नामांकन केन्द्रों पर अपने आप को आधार नामांकित करवाने के लिये सलाह दी जाए एवं आधार नामांकन हेतु पर्याप्त आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जावे।
राजस्व मण्डल फसल उपज का अनुमान लगाने के लिए अधिसूचित इकाई क्षेत्र पटवार मण्डल एवं तहसील में सभी अधिसूचित फसलों के लिए फसल कटाई प्रयोगों की अपेक्षित संख्या नियोजित करेगा एवं आयोजित कराएगा। पटवार मण्डल पर 4 फसल कटाई प्रयोग एवं तहसील स्तर पर न्यूनतम 16 फसल कटाई प्रयोग सम्पन्न कराए जायेंगे।
अधिसूचित फसलों के फसल कटाई प्रयोगों का जिला कलक्टर एवं उनके अधीनस्थ राजस्व अधिकारी द्वारा कम से कम 5% निरीक्षण किया जाना आवश्यक है। जिले में आयोजित करवाये जाने वाले फसल कटाई प्रयोगों का कार्यक्रम तथा Schedule आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग संबंधित बीमा कम्पनी को फसल कटाई प्रयोग सम्पादित कराये जाने से पूर्व उपलब्ध करवायेगा। भारत सरकार द्वारा विकसित सीसीई एप पर राजस्व विभाग के कर्मिकों द्वारा कराये गये समस्त फसल कटाई प्रयोगों का अनुमोदन आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा तथा कृषि विभाग के कार्मिकों द्वारा कराये गये समस्त फसल कटाई प्रयोगों का अनुमोदन कृषि विभाग द्वारा किया जायेगा।
तात्कालिक सहायता
क्षेत्रीय दृष्टिकोण के आधार पर अधिसूचित फसल की मध्यावस्था में प्रतिकूल मौसमी स्थितियों यथा बाढ, सूखा, दीर्घकालिक शुष्क अवधि आदि के कारण से अधिसूचित इकाई में अधिसूचित फसल की संभावित उपज के सामान्य उपज से 50% से कम होने की संभावना में बीमित फसल के किसान को फसल की सम्भावित क्षतिपूर्ति के 25% तक अधिकतम क्षतिपूर्ति का तात्कालिक भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा क्षति के आकलन हेतु गठित समिति के द्वारा सम्भावित उपज आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत करने तथा राज्य सरकार द्वारा क्षति अधिसूचना जारी किए जाने के अधिकतम 1 माह में फसल बीमा पॉलिसी धारक पात्र किसानों को भुगतान किया जावेगा, बशर्ते बीमा कम्पनी को प्रथम किश्त का प्रीमियम अनुदान प्राप्त हो गया हो, जिसे मौसम के अन्त में देय क्षतिपूर्ति की धनराशि में समायोजित किया जायेगा ।
इसके लिये जिला प्रशासन, किसानों, स्थानीय कर्मचारियों, समाचार पत्रों, राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित मौसम केन्द्रों के आंकडों एवं कृत्रिम उपग्रह के चित्र आंकड़ों के आधार पर जिले में मिडसीजन एडवर्सिटी जारी करने के लिए सम्भावित उपज का आकलन करने हेतु संयुक्त समिति का गठन कर क्षति का आकलन कराएगा तथा बीमा इकाईवार प्रस्तावों को DLMC से अनुमोदन उपरान्त राज्य सरकार को अधिसूचना जारी करने हेतु भिजवाएगा।
बुवाई नहीं होने पर अथवा बाधित / निष्फल बुवाई
क्षेत्रीय दृष्टिकोण के आधार पर कम वर्षा या अन्य प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियों के कारण यदि अधिसूचित क्षेत्र के 75% या अधिक क्षेत्र में किसान फसल की प्रारम्भिक अवस्था में अधिसूचित फसल की बुवाई नहीं कर पाते है या बाधित / निष्फल बुवाई का सामना करते हैं, तो ऐसी स्थिति में बीमा कम्पनी द्वारा बीमित राशि की 25% की धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में दी जायेगी। [ परिचालन मार्गदर्शिका ( खरीफ 2020 से लागू) के बिंदु संख्या 21.3 की पालना होने पर) (केवल खरीफ की प्रमुख फसलों के लिए)
फसल कटने के 14 दिनों तक खेत में सुखाने हेतु रखी गई फसल को चक्रवात, चक्रवाती वर्षा, ओलावृष्टि एवं बेमौसम वर्षा से क्षति होने पर राज्य सरकार द्वारा गठित समिति द्वारा आंकलन करवाकर बीमा क्लेम का भुगतान सम्बंधित बीमा कम्पनी द्वारा करवाना।
स्थानिक आपदाएं
जैसे ओलावृष्टि, भूस्खलन, बादल फटना, बिजली गिरने से प्राकृतिक आग एव जलभराव के कारण कृषकों की फसलों को हुये नुकसान का व्यक्तिगत आधार पर निर्धारित कमेटी द्वारा आकलन कराकर बीमा क्लेम का भुगतान सम्बंधित बीमा कम्पनी से करवाना।
संबंधित जिला कलक्टर द्वारा बुवाई के आंकडे पटवार मण्डल क्षेत्र वार उपलब्ध
करवाये जायेंगे।
गैर ऋणी किसानों की फसलों का बीमा करवाए जाने हेतु जिला कलक्टर द्वारा संबंधित बीमा कम्पनी, राजस्व विभाग, कृषि विभाग व सीएससी से सामन्जस्य स्थापित कर खरीफ के लिये 31 जुलाई तथा रबी के लिए 31 दिसंबर तक कैम्पों का आयोजन करवाया जावे।
जिलाधिकारियों द्वारा जिले में स्थापित स्वचालित मौसम केन्द्रों का त्रैमासिक आधार पर निरीक्षण कर कृषि आयुक्तालय को अवगत कराना होगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा कंपनियों, बैंकों एवं गठित की गई समितियों की भले ही ड्यूटियां निर्धारित की हुई हैं। परंतु इन तीनों के बीच में गठजोड़ होने या तालमेल सही नहीं होने की स्थिति में कीमत किसान को ही चुकानी पड़ रही है। हालांकि समय के साथ और जरूरत अनुसार फसल बीमा योजना में बदलाव भी हुए हैं। जैसे कि राजस्थान सरकार ने फसल बीमा की हार्ड कॉपी किसानों को बांटने की मुहिम शुरू की, जिसका स्वागत पीएम नरेंद्र मोदी ने भी किया और इसे हर जगह लागू करने को कहा।
दूसरी तरफ सबसे बड़ी हैरानी इस बात से होती है कि अगर फसल बीमा योजना इतनी दमदार एवं बढ़िया योजना है तो गुजरात मॉडल में इसे शामिल क्यों नहीं किया गया। वहीं राजस्थान जैसे राज्य जहां (कांग्रेस) विपक्ष की सरकार है, वहां इस योजना को लेकर सरकार काफी गम्भीर है। राजस्थान से मिली जानकारियों के अनुसार राजस्थान के कुछ जागरूक जिलों में, खासकर जहां किसान एकजुट हैं, वहां इस योजना का पूरा फायदा उठाया जा रहा है।
यहाँ पढ़ें : राजस्थान में फसल बीमा योजना की सफलता की कहानी
इस लेख में बीमा कंपनियों, बैंकर्स एवं समितियों की जिम्मेदारियों के बारे में जानेंगे।
प्रधानमंत्री फसल बीमा में बीमा कम्पनियों की जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से सम्बंधित सभी छोटी-बड़ी जानकारियां किसानों तक पहुंचाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बीमा कंपनियों की होती है। क्या बीमा कम्पनी अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाती हैं? इस सेक्शन में हम बीमा कम्पनी की जिम्मेदारियों एवं लूपहोल पर चर्चा करेंगे।
बीमा कम्पनी को कार्यालय एवं कर्मी की देनी होगी पूरी जानकारी
बीमा कम्पनी उनको आवंटित किये गये जिले में योजना की जानकारी किसानों को उपलब्ध कराने एवं उनकी समस्याओं के समाधान हेतु जिला स्तरीय कार्यालय उप निदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद कार्यालय, तहसील स्तरीय कार्यालय सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) व सहायक कृषि अधिकारी कार्यालय में स्थापित करेगी।
बीमा कम्पनी उक्त कार्यालय का पता मय नियुक्त किए गए कार्मिकों का सम्पूर्ण विवरण यथा नाम, ईमेल आईडी, स्थानीय निवास का पता, मोबाईल नम्बर जिस पर वाट्सएप कार्यशील हो, की सूचना से कृषि आयुक्तालय, जिला कलक्टर, उपनिदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद, सहायक निदेशक कृषि (विस्तार), स्थानीय बैंको को तीन दिवस में उपलब्ध करवाएगी तथा इस सम्बन्ध में एक प्रेस नोट भी स्थानीय समाचार पत्र में जारी करना होगा।
साथ ही बीमा कंपनी सम्बन्धित उपनिदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद से 7 दिवस में कार्यालय खोले जाने का सत्यापन करवाकर कृषि आयुक्तालय को प्रस्तुत करेंगी।
किसानों के हित में बीमा कंपनियों को बदलने होंगे नियम
सभी बीमा कम्पनियों को उन्हें आवंटित जिलों हेतु जिला स्तर पर दो एवं प्रत्येक तहसील पर एक बीमा कार्मिक की नियुक्ति करनी होगी। जिला स्तर कार्यालय पर नियुक्त एक अधिकारी की न्यूनतम योग्यता कृषि स्नातक होना अनिवार्य होगा, साथ ही उसे योजना की गहन जानकारी, कंप्यूटर दक्षता एवं इस क्षेत्र में तीन वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य होगा।
तहसील स्तर पर नियुक्त कर्मचारी को कंप्यूटर की जानकारी तथा इस क्षेत्र में 1 वर्ष का अनुभव होना चाहिए। इस हेतु बीमा कंपनियों द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास में डिप्लोमाधारी को प्राथमिकता दी जाएगी।
प्रत्येक बीमा कम्पनी को जिला एवं तहसील स्तर पर नियुक्त किये गए बीमा कार्मिकों की शैक्षणिक योग्यता का प्रमाण-पत्र अधिसूचना जारी होने के तीन दिवस के भीतर कृषि आयुक्तालय को कम्पनी के लैटर हैड पर देना अनिवार्य होगा। साथ ही जिला स्तरीय अधिकारी जो कि कृषि स्नातक या अधिक की योग्यता रखता है के शैक्षणिक दस्तावेजों की प्रति भी उपलब्ध करवानी होगी। जिला एवं तहसील स्तरीय कार्यालयों में बीमा कंपनी द्वारा अपना कार्यालय खोलकर निम्न बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवानी होगी बीमा कम्पनी के कार्मिक एवं आगंतुक कृषकों के लिए टेबिल, कुर्सियां, कंप्यूटर ( डेस्कटॉप अथवा लेपटॉप), प्रिंटर, इन्टरनेट कनेक्शन, टेलीफोन / मोबाइल, स्टेशनरी ।
बीमा कंपनी Dissemination Kit प्रचार-प्रसार किट तैयार कर जिला एवं तहसील स्तरीय कार्मिकों को उपलब्ध करवाएगी जिसे वे कार्यालय में आने वाले किसानों को वितरित करेंगे। इसमें लीफलेट, ब्रोशर, पेम्फलेट, बुकलेट, FAQ इत्यादि सम्मिलित होंगे।
बीमा कंपनी प्रत्येक कार्यालय में LED स्क्रीन स्थापित करेगी, जिसमें योजना से सम्बन्धित विडियो / फिल्म संचालित होगी।
बीमा कंपनी को प्रत्येक कार्यालय में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बैनर, पोस्टर, होर्डिंग इत्यादि स्थापित करने होंगे।
अधिसूचना के परिशिष्ट 6 की न्यूनतम 1000 प्रतियां । प्रचार-प्रसार एवं जागरुकता समस्त अधिसूचित बीमा कम्पनियों को उनके द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की कार्ययोजना एवं प्रचार प्रसार सामग्री का अनुमोदन अधिसूचना जारी होने के दो दिवस के भीतर कृषि आयुक्तालय, जयपुर से करवाना होगा।
बीमा कंपनी को प्रचार प्रसार प्रक्रिया पूरे वर्ष जारी रखनी होगी। राज्य के सभी जिलों के समस्त राजस्व गांवो में योजना का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाएगा। प्रचार प्रसार के सभी सम्भव संसाधनो जैसे इलेक्ट्रोनिक एवं प्रिन्ट मिडिया, कृषक मेले, प्रदर्शनी, नुक्कड़ नाटक, एसएमएस सर्विस, लघु फिल्म, मोबाईल वैन कैम्पेन, लीफलेट, पोस्टर इत्यादि का प्रयोग किया जाएगा।
बीमा कम्पनी आवंटित जिलों की प्रत्येक तहसील में न्यूनतम 5000 कृषकों को मोबाइल में फसल बीमा एप डाउनलोड कर इनस्टॉल करवाएगी। बीमा कम्पनी द्वारा अधिसूचना जारी होते ही आवंटित जिलों में प्रचार प्रसार एवं जागरूकता कार्यक्रम प्रारम्भ कर दिया जाएगा, जिसका विवरण राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर अद्यतन किया जाएगा।
प्रत्येक बीमा कम्पनी को आंवटित जिलों में किसानों को प्रचार प्रसार के माध्यम से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के स्वैच्छिक होने तथा कृषकों द्वारा Opt-out करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्रदान करनी होगी। बीमा कम्पनियां राज्य सरकार के साथ मिलकर योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए बैंकर्स, एजेंट इत्यादि के क्षमता निर्माण की योजना तैयार करेगी। बीमा कम्पनियां इसके लिये प्रशिक्षण/ कार्यशालाएं भी आयोजित करेंगी।
प्रचार प्रसार के लिए बीमा कम्पनी को अपने स्तर से कुल बीमा प्रीमियम का 0.25% आवश्यक रूप से व्यय करना होगा। व्यय की गई राशि का विवरण केंद्र एवं राज्य सरकार को प्रत्येक मौसम सत्र की समाप्ति पर उपलब्ध करवाया जाना आवश्यक होगा। बीमा कम्पनी को व्यय की गई राशि के कुल बीमा प्रीमियम के 0.25% से कम होने की दशा में अन्तर की राशि को भारत सरकार के तकनीकी फंड में जमा कराना होगा।
बीमा कम्पनी द्वारा योजना, राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल संचालन प्रक्रिया तथा सीसीई एप द्वारा फसल कटाई प्रयोग प्रक्रिया की जानकारी हेतु जिले तथा प्रत्येक तहसील स्तर पर न्यूनतम एक कार्यशाला खरीफ के लिये माह जून, जुलाई, अगस्त तथा रबी के लिए नवम्बर दिसम्बर, जनवरी में आयोजित की जाएगी, जिसमें जिला / राजस्व/आर्थिक एवं सांख्यिकी / कृषि विभाग के जिले में कार्यरत समस्त फील्ड स्तर के कार्मिक / अधिकारियों तथा बैंकर्स को शामिल करना अनिवार्य होगा एवं आयोजन की प्रगति से कृषि आयुक्तालय को अवगत कराना सुनिश्चित करेंगे। इस कार्यशाला का समस्त व्यय बीमा कम्पनी द्वारा वहन किया जाएगा।
बीमा कम्पनियों को भारत सरकार के पत्र दिनांक 27 मई 2021 द्वारा जारी SOP की शत प्रतिशत पालना सुनिश्चित करनी होगी।
बीमा कम्पनी को प्रत्येक जिले में स्थानिक आपदाओं तथा फसल कटाई उपरान्त फसल में हुई क्षति का मूल्यांकन करने हेतु क्षति मूल्यांकनकर्ता की नियुक्ति कर सम्बन्धित जिले के उपनिदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद् को अवगत कराना होगा। साथ ही जिलों से प्राप्त आपदा की सूचना पर त्वरित कार्यवाही करनी होगी।
बीमा कम्पनी द्वारा गैर ऋणी किसानों की फसलों का बीमा किसान के चाहने पर करना अनिवार्य होगा। गैर ऋणी किसान द्वारा प्रस्तुत एवं बैंक शाखा में पंजीकृत प्रस्तावों को बीमा कम्पनी द्वारा अनुमोदन करना तथा अपलोड किए गए दस्तावेजों को जाँचना होगा।
बीमा कम्पनी को अपने अधिकृत एजेन्ट / मध्यस्थी का पूर्ण विवरण जैसे एजेन्ट का नाम, पता, मोबाईल नम्बर, E-Mail address, Whatsapp Number इत्यादि स्थानीय कृषि विभाग को उपलब्ध कराना होगा।
योजना की परिचालन मार्गदर्शिका (खरीफ 2020 से लागू) में वर्णित अवधि के उपरान्त बीमा कम्पनी देय क्लेम राशि पर 12% वार्षिक ब्याज का भुगतान बीमित फसल के किसान को करेगी।
बीमा कम्पनी जिले में आयोजित समस्त राजस्व फसल कटाई प्रयोग प्रशिक्षण शिविरों में आवश्यक रूप से उपस्थित रहकर आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग से जिले में आयोजित फसल कटाई प्रयोगों का प्रोग्राम / schedule प्राप्त करेगी एवं समस्त प्राथमिक कार्यकर्ताओं से संपर्क स्थापित करेगी। साथ ही समस्त फसल कटाई प्रयोगों को कॉ विटनेस करेगी। जिले में आयोजित डीएलएमसी / डीजीआरसी की बैठक में अनिवार्य रूप से भाग लेकर फसल बीमा प्रकरणों को निस्तारित करना।
बीमा कंपनी को फसल बीमा पॉलिसी का अनुमोदन खरीफ हेतु 31 अगस्त 2022 तक तथा रबी हेतु 31 जनवरी 2023 तक करना अनिवार्य होगा। अधिसूचित बीमा कम्पनी अपने क्षेत्र में बीमित फसल के किसानों को खरीफ हेतु 15 सितम्बर 2022 तक तथा रबी हेतु 15 फरवरी 2023 तक पॉलिसी उपलब्ध कराएगी। इस हेतु सम्बंधित बीमा कंपनी द्वारा बीमा पॉलिसी वितरण का ग्रामवार कैम्प का detailed schedule खरीफ के लिए 20 अगस्त तक तथा रबी के लिए 20 जनवरी तक कृषि आयुक्तालय राजस्थान एवं सम्बंधित जिलों को उपलब्ध कराया जाएगा तथा तदानुसार कैम्पों में उपरोक्त तिथियों के अनुसार बीमा पॉलिसी का वितरण करेगी। साथ ही एसएमएस के जरिए किसानों को राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर पॉलिसी बनाने की अंतिम तिथि से 10 दिन में सूचित करना होगा। जो कंपनी इसको करने में विफल रहेगी उसके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
बीमा कम्पनी द्वारा परिचालन मार्गदर्शिका (खरीफ 2020 से लागू) के अनुरूप कार्य नहीं करने पर परिचालन मार्गदर्शिका के संलग्नक-iv में वर्णित अनुसार कार्यवाही अमल में लाई जावेगी। बीमा कम्पनी के टोल फ्री नम्बर 24×7 कार्यरत होने चाहिये, इस हेतु बीमा कम्पनी को पर्याप्त मात्रा में हंटिग लाईन कनेक्शन प्रयोग में लेने होंगे, जिससे कि फोन व्यस्त नहीं मिले। इस हेतु बीमा कंपनी को 15 डेडिकेटेड लीज लाइन राज्य के लिए आरक्षित करनी होगी, जो कि पूरे वर्ष भर कार्यरत रहेंगी। उक्त टोल फ्री नम्बर के लगातार व्यस्त अथवा बन्द पाये जाने के कारण यदि किसानों की फसल खराबे की सूचना दर्ज नहीं हो पाती है, तो उस पर देय बीमा क्लेम की समस्त जिम्मेदारी सम्बन्धित बीमा कम्पनी की होगी।
बीमा कम्पनी जिले के उप निदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद व सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) को बीमित फसल के लाभार्थी किसानों की सूची मय बीमा क्लेम अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित करेगी। किसानों को बीमा क्लेम भुगतान उपरान्त लाभान्वित किसानों की सूची क्लेम वितरण के 15 दिन के भीतर प्रत्येक गांव पंचायत पर चस्पा कर संरपंच / ग्राम विकास अधिकारी से प्रमाणित कराई जाकर फोटो सुरक्षित रखी जावे, जिसका सत्यापन कृषि विभाग अधिकारियों द्वारा किया जावेगा।
सभी बीमा कम्पनियों को जिलेवार किसानों की शिकायतों को स्वयं के स्तर से ऑनलाईन दर्ज करने एवं निस्तारण करने की व्यवस्था करनी होगी, जिसकी रिपोर्ट विभाग द्वारा चाहे जाने पर उपलब्ध करवानी होगी। बीमा कम्पनियों को लाभान्वित किसानों की सूची मय प्रति हैक्टेयर फसलवार दिये गए बीमा क्लेम का विवरण सॉफ्ट कॉपी में ब्रांचवार बैंकों को उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य होगा।
प्रत्येक अधिसूचित बीमा कम्पनी को मौसमवार राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर सृजित पॉलिसियों का पूर्ण डेटा (MIS) कृषि आयुक्तालय द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध करवाना होगा। सृजित की गई पॉलिसियों को रिजेक्ट करने पर अधिसूचित बीमा कम्पनी 3 दिवस की अवधि में जिलेवार पॉलिसी रिजेक्ट करने के कारण सहित सूचना कृषि आयुक्तालय को व्यक्तिशः प्रस्तुत करेगी।
बीमा कंपनी को राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर चाही गई सूचनाएं सॉफ्ट तथा हार्ड कॉपी में निर्धारित संख्या में उपलब्ध करानी होगी।
बैंकर्स की ड्यूटी
सभी बैंक फसल बीमा हेतु किसानों का विवरण राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल https://pmfby.gov.in पर खरीफ का डेटा 15 अगस्त तक एवं रबी हेतु 15 जनवरी तक आवश्यक रूप से अपलोड करेंगे।
सभी बैंकों की नोडल बैंक शाखाओं / हैड ऑफिस द्वारा राज्य सरकार को इस आशय का प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जायेगा कि उसकी सभी बैंक शाखाओं द्वारा अधिसूचित फसलों हेतु किसान प्रीमियम की कटौती फसल बीमा की अधिसूचना में निर्गत निर्देशों के अनुसार की है एवं सभी बैंक शाखाओं द्वारा योजनान्तर्गत सभी पात्र ऋणी किसानों को फसल बीमा योजना का कवरेज प्रदान कर दिया गया है।
Opt-in और Opt-out क्या है?
आरम्भ में ऋणी किसानों के फसल बीमा किसानों की जानकारी के बिना ही बैंक अपने आप कर देते थे और न तो किसानों को इसकी सूचना देते थे और न ही उन्हें बीमा पत्र दिया जाता था। जिसके कारण किसानों की जेब से पैसा भी निकल जाता था और उन्हें बीमा पॉलिसी का फायदा भी नहीं होता था। किसानों द्वारा आंदोलन या विरोध करने के बाद खरीफ 2020 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल बीमा करवाया जाना पूर्णतया स्वैच्छिक किया गया है।
योजना से अलग होने वाले ऋणी किसानों का रिकॉर्ड अलग से संधारित करना होगा। साथ ही प्रत्येक बैंक शाखा में ऋणी किसानों द्वारा बीमा कवर से बाहर होने हेतु भरा जाने वाला Opt-Out घोषणा पत्र तथा Opt Out कर चुके किसानों को पुनः Opt-in करने हेतु भरा जाने वाला घोषणा पत्र अनिवार्य रूप से उपलब्ध होना चाहिए। यह घोषणा पत्र हिन्दी भाषा में होगा तथा बैंकर्स को इसे भरे जाने हेतु किसान की पूर्ण सहायता करनी होगी।
फसल बीमा योजना में बैंक की ड्यूटी
भारत सरकार के पत्रांक 13011/01/2018 क्रेडिट | दिनांक 24.06.2020 के द्वारा निर्देशित किया गया है कि 30 जून 2020 के बाद से किसान प्रीमियम का भुगतान बैंक ब्रांचों से राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर दिये गये INTERFACE PAY-GOV के माध्यम से ही किया जायेगा। बैंकों द्वारा किसान प्रीमियम की राशि आरटीजीएस / नेफ्ट द्वारा भेजी जायेगी, डिमाण्ड ड्राफ्ट द्वारा देय नहीं होगी।
सम्बन्धित बैंक का यह दायित्व भी होगा कि राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर किसानों के नामांकन की एन्ट्री करने के बाद जितनी किसान प्रीमियम राशि बनती है, उतनी ही सम्बन्धित बीमा कम्पनी को भिजवाई जाए।
सम्बन्धित बैंक यह सुनिश्चित करेगें कि प्रत्येक किसान जिसकी फसल का बीमा किया जाना है, उसका आधार क्रमांक / आधार पंजीयन अनिवार्य रूप से प्राप्त किया जावे तथा वर्तमान में बैंक के पास उपलब्ध किसानों की आधार सम्बन्धी जानकारी में यदि कोई त्रुटि हैं, तो उसमें सम्बन्धित कृषक से संपर्क कर सुधार किया जाये, ताकि सम्बन्धित कृषक अपनी फसल के बीमा से वंचित ना रहे।
सम्बन्धित बैंक बीमा कम्पनी से प्राप्त लाभान्वित किसानों की सूची मय प्रति हैक्टेयर फसलवार दिये गये बीमा क्लेम का विवरण नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करे तथा किसान द्वारा जानकारी चाहे जाने पर उनको उपलब्ध करावे।
राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल खुलने के 3 दिवस में बैंक शाखाओं द्वारा यह सुनिश्चित किया जायेगा कि उनके क्षेत्राधिकार में स्थित सभी गांव व अधिसूचित फसल पोर्टल पर प्रदर्शित हो रहे हैं। यदि कोई गांव व अधिसूचित फसल प्रदर्शित नहीं हो रही है तो उसकी सूचना से तीन दिवस में एसएलबीसी एवं कृषि आयुक्तालय को अनिवार्य रूप से सूचित करेगें।
एक किसान की एक ही फसल का समान भूमि पर एक से अधिक बार बीमा किया जाना पाये जाने पर सम्बन्धित बैंक की जिम्मेदारी मानते हुए नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही अमल में लाई जावेगी ।
भारत सरकार द्वारा योजना क्रियान्वयन के जारी दिशा-निर्देश, इनमें विभिन्न कार्यों हेतु अंकित समय सीमा, कार्य की प्रकृति, ऑनलाईन अपलोड की जाने वाली जानकारियों को अपलोड किये जाने तथा भारत सरकार द्वारा जारी विभिन्न दिशा निर्देशों के निर्वहन का दायित्व संबंधित वित्तीय संस्था का होगा और इस संदर्भ में अलग से आदेश नहीं जारी किए जाएंगे। सम्बंधित वित्तीय संस्था को समय-समय पर भारत/राज्य सरकार को सॉफ्ट एवं हार्ड कॉपी में सूचनाएं उपलब्ध करनी होंगी।
बैंकर्स की कार्य-प्रणाली पर फीडबैक
ऋणी किसानों के साथ हुई बातचीत के आधार पर यह कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बैंकर्स को यह पूरा काम खुद पर अतिरिक्त बोझ की तरह लगता है, जिसके कारण वो नीरस ढंग से इस काम को करते हैं। दूसरा बैंकर्स का रवैया किसानों के प्रति सकारात्मक होने के बजाए नकारात्मक ज्यादा होता है। बैंकर्स अपनी ड्यूटी के कार्य सही ढंग से नहीं करते बल्कि बीमा कम्पनी को दोषी साबित करते रहते हैं। दरअसल सरकारी समितियों, बैंकर्स एवं बीमा कम्पनी के एजेंट सभी किसानों की अज्ञानता का फायदा उठाते रहते हैं। पूरा सिस्टम एकजुट होकर नेक्सेस बन जाता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में जिला स्तर पर गठित समितियों की जिम्मेदारियां
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को किस तरह किसानों के लिए आसान एवं सुविधाजनक बनाया जा सके, ताकि किसान इस योजना का पूरा फायदा उठा सकें। इसके लिए अलग-अलग संस्थाओं एवं समितियों को अलग-अलग कार्य एवं जिम्मेदारियां दी गई हैं।
जिला स्तर पर गठित समिति में कौन-कौन शामिल हैं?
जिला स्तरीय निगरानी समिति (DLMC/DLC) में संबंधित जिले के अग्रणी जिला प्रबंधक, उप / सहायक निदेशक, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग, नाबार्ड, केन्द्रीय सहकारी बैंक, सहकारिता विभाग, उद्यान विभाग के अधिकारी व सम्बन्धित बीमा कम्पनी के अधिकारी सदस्य तथा जिला कलक्टर अध्यक्ष एवं उपनिदेशक कृषि (वि०) जिला परिषद् सदस्य सचिव हैं। इस समिति की बैठक आवश्यकता होने पर कराई जाये।
समिति के कार्य एवं भूमिका
मूलतः यह समिति का काम यह है कि जिले में फसल बीमा योजना को सही ढंग से लागू किया जाए और इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी भी इसी समिति की होगी। योजना को विस्तार एवं प्रभावी बनाने के लिए उचित प्रचार-प्रसार तथा जागरूकता कार्यक्रम करेगी।
समिति ऐसे किसान जो किसान क्रेडिट कार्डधारी हो एवं फसल बीमा लेने के लिये इच्छुक हों, का फसल बीमा कराया जाना सुनिश्चित करेगी तथा गैर ऋणी किसानों की फसल बीमा में भागीदारी सुनिश्चित करायेगी।
फसल मौसम के दौरान यह समिति जिले में कृषि स्थिति की सूक्ष्मता से निगरानी करेगी। फसल कटाई के बाद उपज परिणामों का विश्लेषण करेगी तथा उपज परिणाम कट ऑफ डेट के अनुरूप कृषि आयुक्तालय को उपलब्ध करवायेगी। यह समिति स्थानिक आपदाओं/ फसल कटाई उपरान्त हानि के आकलन के लिए जिला स्तरीय संयुक्त समिति को आवश्यक सहायता देगी।
समितियों द्वारा निगरानी
सहायक / उप / संयुक्त निदेशक कृषि 5% फसल कटाई प्रयोगों का आवश्यक रूप से निरीक्षण करेंगे, जिसकी निगरानी उक्त समिति द्वारा की जावेगी। उक्त समिति स्वचालित मौसम केन्द्र, फसल कटाई प्रयोग, सेटेलाइट छवि / ड्रोन के माध्यम से आंकड़े संधारण हेतु सभी संबंधितों को सुविधा प्रदान करते हुए निगरानी करेगी। उक्त समिति बीमा कम्पनी द्वारा प्रेषित लाभान्वितों की सूची में से कम से कम 5 प्रतिशत लाभान्वितों का सत्यापन कराएगी तथा राज्य सरकार को प्रतिक्रिया प्रेषित करेगी। यह समिति जिले से संबंधित किसानों के फसल बीमा से संबंधित प्रकरणों (पूर्व फसल मौसम सत्रों सहित) का अपने स्तर से निस्तारित कराया जाना सुनिश्चित करायेगी।
जिला स्तरीय शिकायत निराकरण समिति (DGRC) का दायित्व
इसका मुख्य काम यही है कि फसल बीमा योजना में किसी भी स्तर पर कोई समस्या या शिकायत है, उसका निवारण करना इसकी जिम्मेदारी है। फसल बीमा योजना अन्तर्गत किसान / बैंक/ सम्बन्धित विभागों/बीमा कम्पनियों की शिकायतों के समयबद्ध निराकरण हेतु जिला स्तरीय शिकायत निराकरण समिति का गठन राज्य सरकार के आदेश क्रमांक P7 (1) कृषि – 1 / एम. सी / 2019 जयपुर दिनांक 01.10.2019 द्वारा किया गया है। इस समिति की मासिक बैठक जिला कलक्टर की अध्यक्षता में आयोजित की जायेगी, जिसमें जिला विकास प्रबंधक नाबार्ड, अग्रणी जिला प्रबन्धक बैंक, बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि, किसान प्रतिनिधि, सहायक निदेशक उद्यान विभाग, उप/सहायक निदेशक आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग सदस्य तथा उपनिदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद् सदस्य सचिव होंगे। समिति के सदस्य सचिव, उक्त समिति की बैठक की सूचना से प्रतिमाह कृषि आयुक्तालय को अवगत कराया जाना सुनिश्चित करेंगे।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनार्न्तगत राजस्व/जिला प्रशासन /आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के दायित्व
खरीफ के लिये 15 जनवरी 2023 तक तथा रबी के लिए 15 जून 2023 तक जिले की अधिसूचित फसलों के उपज के आंकडे पूर्ण रूप से जाँच करने के उपरान्त राजस्व मण्डल, अजमेर को भिजवायेंगे। राजस्व मण्डल, अजमेर उपज के आंकडे खरीफ हेतु 31 जनवरी 2023 तक तथा रबी हेतु 30 जून 2023 तक कृषि विभाग को निर्धारित प्रपत्र में हार्ड एवं सॉफ्ट कॉपी में आवश्यक रुप से उपलब्ध करायेगा।
जिला स्तर पर DLMC (जिला स्तरीय निगरानी कमेटी) की समय-समय पर बैठक का आयोजन कर फसल बीमा की प्रगति की समीक्षा करना।
तहसील स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटी की समय-समय पर बैठकों का आयोजन करना। जिला प्रशासन द्वारा फसल बीमा का लाभ प्राप्त करने के लिये आधार नामांकित करवाये जाने हेतु वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी समितियों एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की सभी शाखाओं, कृषि अथवा उद्यान अथवा सहकारी विभाग के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से मीडिया और वैयक्तिक सूचनाओं के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। किसानों को ब्लॉक अथवा तहसील में उपलब्ध नजदीकी नामांकन केन्द्रों पर अपने आप को आधार नामांकित करवाने के लिये सलाह दी जाए एवं आधार नामांकन हेतु पर्याप्त आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जावे।
राजस्व मण्डल फसल उपज का अनुमान लगाने के लिए अधिसूचित इकाई क्षेत्र पटवार मण्डल एवं तहसील में सभी अधिसूचित फसलों के लिए फसल कटाई प्रयोगों की अपेक्षित संख्या नियोजित करेगा एवं आयोजित कराएगा। पटवार मण्डल पर 4 फसल कटाई प्रयोग एवं तहसील स्तर पर न्यूनतम 16 फसल कटाई प्रयोग सम्पन्न कराए जायेंगे।
अधिसूचित फसलों के फसल कटाई प्रयोगों का जिला कलक्टर एवं उनके अधीनस्थ राजस्व अधिकारी द्वारा कम से कम 5% निरीक्षण किया जाना आवश्यक है। जिले में आयोजित करवाये जाने वाले फसल कटाई प्रयोगों का कार्यक्रम तथा Schedule आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग संबंधित बीमा कम्पनी को फसल कटाई प्रयोग सम्पादित कराये जाने से पूर्व उपलब्ध करवायेगा। भारत सरकार द्वारा विकसित सीसीई एप पर राजस्व विभाग के कर्मिकों द्वारा कराये गये समस्त फसल कटाई प्रयोगों का अनुमोदन आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा तथा कृषि विभाग के कार्मिकों द्वारा कराये गये समस्त फसल कटाई प्रयोगों का अनुमोदन कृषि विभाग द्वारा किया जायेगा।
तात्कालिक सहायता
क्षेत्रीय दृष्टिकोण के आधार पर अधिसूचित फसल की मध्यावस्था में प्रतिकूल मौसमी स्थितियों यथा बाढ, सूखा, दीर्घकालिक शुष्क अवधि आदि के कारण से अधिसूचित इकाई में अधिसूचित फसल की संभावित उपज के सामान्य उपज से 50% से कम होने की संभावना में बीमित फसल के किसान को फसल की सम्भावित क्षतिपूर्ति के 25% तक अधिकतम क्षतिपूर्ति का तात्कालिक भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा क्षति के आकलन हेतु गठित समिति के द्वारा सम्भावित उपज आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत करने तथा राज्य सरकार द्वारा क्षति अधिसूचना जारी किए जाने के अधिकतम 1 माह में फसल बीमा पॉलिसी धारक पात्र किसानों को भुगतान किया जावेगा, बशर्ते बीमा कम्पनी को प्रथम किश्त का प्रीमियम अनुदान प्राप्त हो गया हो, जिसे मौसम के अन्त में देय क्षतिपूर्ति की धनराशि में समायोजित किया जायेगा ।
इसके लिये जिला प्रशासन, किसानों, स्थानीय कर्मचारियों, समाचार पत्रों, राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित मौसम केन्द्रों के आंकडों एवं कृत्रिम उपग्रह के चित्र आंकड़ों के आधार पर जिले में मिडसीजन एडवर्सिटी जारी करने के लिए सम्भावित उपज का आकलन करने हेतु संयुक्त समिति का गठन कर क्षति का आकलन कराएगा तथा बीमा इकाईवार प्रस्तावों को DLMC से अनुमोदन उपरान्त राज्य सरकार को अधिसूचना जारी करने हेतु भिजवाएगा।
बुवाई नहीं होने पर अथवा बाधित / निष्फल बुवाई
क्षेत्रीय दृष्टिकोण के आधार पर कम वर्षा या अन्य प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियों के कारण यदि अधिसूचित क्षेत्र के 75% या अधिक क्षेत्र में किसान फसल की प्रारम्भिक अवस्था में अधिसूचित फसल की बुवाई नहीं कर पाते है या बाधित / निष्फल बुवाई का सामना करते हैं, तो ऐसी स्थिति में बीमा कम्पनी द्वारा बीमित राशि की 25% की धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में दी जायेगी। [ परिचालन मार्गदर्शिका ( खरीफ 2020 से लागू) के बिंदु संख्या 21.3 की पालना होने पर) (केवल खरीफ की प्रमुख फसलों के लिए)
फसल कटने के 14 दिनों तक खेत में सुखाने हेतु रखी गई फसल को चक्रवात, चक्रवाती वर्षा, ओलावृष्टि एवं बेमौसम वर्षा से क्षति होने पर राज्य सरकार द्वारा गठित समिति द्वारा आंकलन करवाकर बीमा क्लेम का भुगतान सम्बंधित बीमा कम्पनी द्वारा करवाना।
स्थानिक आपदाएं
जैसे ओलावृष्टि, भूस्खलन, बादल फटना, बिजली गिरने से प्राकृतिक आग एव जलभराव के कारण कृषकों की फसलों को हुये नुकसान का व्यक्तिगत आधार पर निर्धारित कमेटी द्वारा आकलन कराकर बीमा क्लेम का भुगतान सम्बंधित बीमा कम्पनी से करवाना।
संबंधित जिला कलक्टर द्वारा बुवाई के आंकडे पटवार मण्डल क्षेत्र वार उपलब्ध
करवाये जायेंगे।
गैर ऋणी किसानों की फसलों का बीमा करवाए जाने हेतु जिला कलक्टर द्वारा संबंधित बीमा कम्पनी, राजस्व विभाग, कृषि विभाग व सीएससी से सामन्जस्य स्थापित कर खरीफ के लिये 31 जुलाई तथा रबी के लिए 31 दिसंबर तक कैम्पों का आयोजन करवाया जावे।
जिलाधिकारियों द्वारा जिले में स्थापित स्वचालित मौसम केन्द्रों का त्रैमासिक आधार पर निरीक्षण कर कृषि आयुक्तालय को अवगत कराना होगा।