परिचय
रंजन कुमार महतों की उम्र 25 वर्ष है और इन्होने झारखंड स्थित रांची विश्विधालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करके किसानी को अपना व्यवसाय बनाने का निश्चय किया। पिछले डेढ़ वर्षों से देश में करोना का चल रहा है और काम धंधे सब जगह ठप्प पड़े हैं ऐसे में रंजन को लगा कि खेती करके उसके उत्पाद बेच कर अपने लिए और खेत में काम करने वाले मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था की जा सकती है।
किसानी की शुरुआत
रंजन ने झारखंड के रामगढ़ नामक स्थान के नज़दीक 25 एकड़ भूमि देख ली और उसे 5000 रुपये प्रति एकड़ सालाना की दर से किराए पर ले लिया। झारखंड राज्य में तरबूज ,टमाटर ,मटर , बीन्स ,गोभी और भिन्डी का बम्पर उत्पादन होता है। रंजन ने 25 एकड़ भूमि में तरबूज, शिमलामिर्च , बैंगन और अन्य सब्जियों की खेती शुरू कर दी। रंजन के खेत पर धीरे धीर काम की आवश्यकता के अनुसार 40 महिलायें भी सहयोगी और खेत मजदूर की भूमिका में आ गयी। कुल 25 एकड़ भूमि में से तरबूज 6 एकड़ पर लगाये और जल्दी ही फसल भी तैयार हो गयी।
बेचें कहाँ ? सबसे बड़ी समस्या
फसल अभी तैयार होनी शुरू हुई ही थी कि YAAS साइक्लोंन आ गया और उसमें काफी तबाही हुई और जो जहाँ था वहीँ रुक गया मैं स्थानीय मंडी में तरबूज की बिक्री के लिए गया तो मुझे पता चला कि यहाँ तरबूज का कोई ग्राहक नहीं है। मैं एक बार तो निराश हुआ लेकिन मेरा मन कहता था कि हार नही मानना है | मैंने इन्टरनेट से भी ग्राहक खोजने का जतन किया लेकिन मुझे सफलता नही मिली। तरबूज की शानदार फसल को देख उसे नष्ट करने का मन भी नही करता था ऊपर से मेरे 15 लाख रुपये भी इस फसल को तैयार करने में लग चुके थे |
एक बड़ा विचार
जब मैं सब जगह हरतरफ से निराश हो गया और मुझे मेरे तरबूजों का कोई ग्राहक या खरीदार नही मिला , यहाँ तक कि 2 रुपये प्रति किलो भी कोई लेने को तैयार नही था तो मेरे मन में एक बड़ा विचार आया ” कि तरबूजों की इतनी शानदार फसल जिसे कोई ले नही रहा क्यों ना यह मेरे देश के सेना के जवानों के काम आ जाये ” । मेरे खेत से कोई 15 किलोमीटर दूर रामगढ़ में भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट का सेंटर है मैंने वहां जाकर अपने विचार को सेना के अधिकारियों के साथ चर्चा करने का मन बना लिया |
सेना से संवाद
मैं सिख रेजिमेंट के रामगढ़ स्थित सेंटर पर पहुंचा और मैंने अधिकारी को अपने बारे में और सेना को मुफ्त में तरबूज देने के विचार के बारे में बताया तो उन्होंने मेरा बहुत हौंसला बढ़ाया और मुझे खा कि हमारे बड़े अधिकारी आपका खेत देखने आयेंगे। कुछ दिनों के बाद सिख रेजिमेंट सेंटर रामगढ़ के कमांडेंट ब्रिगेडियर एम श्रीकुमार जी अपने अन्य अधिकारियों के साथ हमारे खेत पर आये और वे अपने साथ बहुत सारे गिफ्ट्स भी लेकर आये और उन्होंने वहां पर सभी महिला मजदूरों के साथ मुलाकात की और हम सभी का हौंसला बढ़ाया |
सिख रेजिमेंट की रवायत
ब्रिगेडियर एम श्री कुमार ने रंजन महतों से कहा कि हमारा सेंटर आपके सभी तरबूज बाज़ार भाव पर आपसे खरीदेगा और हम आपकी भावनाओं और जस्बे की कद्र करते हैं। हम आपकी इस बात से बहुत अभिभूत हैं कि आपने ग्रेजुएट होने के बावजूद किसानी व्यवसाय को चुना और चालीस महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराया । सिख रेजिमेंट भारतीय सेना की बड़ी प्रतिष्ठित रेजिमेंट है जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल के मूल वाक्य से आंदोलित होती है। आपने अपना फर्ज निभाया और अब सिख रेजिमेंट अपनी रवायत का पालन करेगी।
सीख
किसान भाइयों देश में घटी यह घटना अपने आप में अनूठी है क्यूंकि फसलों का मंडीकरण किसान समाज के लिए सदा से एक समस्या रहा है क्यूंकि किसान हमेशा अपनी फसलों के लिए ग्राहक ढूँढने के लिए अक्सर प्रयास ही नही करता है। ऐसा हमने कई बार देखा है कि किसान अपनी फसल पर ट्रेक्टर चला कर उसे नष्ट कर देता है क्यूंकि स्थानीय मण्डी में मांग नही होती है और फसल को हार्वेस्ट करके मंडी तक ले जाने का खर्च भी पूरा नही निकलता है। झारखंड के रामगढ़ में घटा यह वाकया पूरे देश के किसानों के लिए यही सीख दे रहा है कि अपने घरों से खेतों से बाहर निकलो और अपने लिए ग्राहक ढूँढने का प्रयास करो। ग्राहक मिल जाए तो सबसे बेहतर है नही तो उस पर ट्रेक्टर फेरने की बजाए सेना जैसे सम्मानीय व्यावसाय में सेवा कर रहे या आपकी अपनी मर्जी और समझ से उन्हें देने का प्रयास करो। परमात्मा बहुत दयावान है देर बस हमारे काम पर निकलने में है रास्ते अपने आप खुलते चले जायेंगे।
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