अमेरिका में बिल गेट्स द्वारा प्रायोजित बायोटेक कंपनी ऑक्सीटेक ने लाखों-करोड़ों जीन संवर्धित मच्छरों को फ्लोरिडा राज्य में प्रायोगिक तौर पर छोड़ा है यह विवादास्पद प्रोजेक्ट फ्लोरिडा कीस मॉस्किटो कंट्रोल डिस्ट्रिक्ट और ऑक्सीटेक कंपनी ने संयुक्त रूप से शुरू किया है इसके तहत छह अलग-अलग स्थानों पर अगले कुछ महीनों तक जीन संवर्धित मच्छर छोड़े जाएंगे|
ऑक्सीटेक कंपनी ने बिल एवं मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ अपनी पार्टनरशिप की घोषणा साल 2018 में की थी ऑक्सीटेक कंपनी ने अपने प्रेस नोट के माध्यम से यह जानकारी देते हुए बताया है कि नए प्रयोगों से डेंगू और मलेरिया फैलाने वाले खतरनाक मच्छरों की निरंतर बढ़ती हुई संख्या पर रोक लगाने में मदद मिलेगी|
कंपनी के द्वारा जो जीन संवर्धित मच्छर छोड़े गए हैं वह सभी मच्छर नर हैं और यह मनुष्य को नहीं काटते हैं यह मच्छर जब इलाके में मौजूद मादा मच्छरों के साथ अपनी संतति को बढ़ाते हैं तो नई पीढ़ी में पैदा होने वाले मच्छरों में सेल्फी लिमिटिंग जीन की मौजूदगी के कारण व्यस्क होने से पूर्व ही मच्छर के जीवन का अंत हो जाता है| कंपनी का कहना है उन्हें इस प्रोजेक्ट पर स्थानीय जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है|
विवाद से नाता
प्राकृतिक इकोसिस्टम में इस तरीके से स्पीशीज को काबू करने को हमेशा विवादस्पद माना गया है क्योंकि इस बात का पहले से अंदाजा लगाना असंभव है कि इन तौर तरीकों से लंबे समय अंतराल पर पूरे इकोसिस्टम पर क्या असर पड़ेगा|
ऐसे प्रयोगों पर कटाक्ष करने वाले बुद्धिजीवियों का कहना है कि जीन संवर्धन करके स्पीशीज पर कंट्रोल करने की नियत से ऐसे प्रोजेक्ट की बाढ़ आ जाएगी|
साल 2020 में जब ऑक्सीटेक कंपनी ने फ्लोरिडा कीज प्लान को रिलीज किया था तो फ्रेंड्स ऑफ अर्थ संस्था के फूड टेक्नोलॉजी प्रोग्राम मैनेजर डाना पर्ल्स ने कहा था कि जीन संवर्धित मच्छरों का बिना आवश्यकता के छोड़े जाना फ्लोरिडा निवासियों को और अपने अंत का खतरा झेल रही स्पीशीज को खतरे में झोंक देगा|
ऑक्सीटेक कंपनी का मच्छरों को कंट्रोल करने का यह तरीका पहले ब्राजील के साओपालो में टेस्ट किया जा चुका है जहां 13 हफ्तों में मच्छरों की 95% संख्या पर काबू पा लिया गया था|
मच्छरों में जीन संवर्धन करके उनकी संख्या को नियंत्रित करने वाली ऑक्सीटेक कंपनी अकेली नहीं है पिछले महीने लंदन स्थित इंपीरियल कॉलेज ने घोषणा करते हुए बताया है कि उनके शोधार्थियों ने मच्छरों के पाचन तंत्र के जींस में समर्थन करके उन्हें एंटीमलेरियल बना दिया जिससे यह जीन अगली पीढ़ी में पहुंचकर मच्छरों को मलेरिया फैलाने के लायक ही नहीं छोड़ते|
वर्ल्ड मलेरिया कार्यक्रम का कहना है कि अकेले मलेरिया रोग से लगभग 10 लाख मनोहर अपनी जान गवा देते हैं