मकानमालिक और किरायेदारों के लिए आ रहा है नया कानून

मॉडल टेनेंसी एक्ट का मसौदा केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पास किया और राज्यों को भेजा

आवासीय परिसर के लिए ले सकेंगे दो महीने का अडवांस सिक्योरिटी डीपोजिट और किरायेदारी एग्रीमेंट की अवधि पूरी होने पर किराया भी बढेगा |

मकानमालिक और किरायेदार के सम्बन्ध

साल 2010 की फ़रवरी में मैं पंचकुला में नया नया शिफ्ट हुआ था और मैंने एक मकान में दो कमरे किराए पर ले लिए और वहां रहने लगा | कुछ समय बीत गया एक दिन मालिक मकान के घर में कुछ गेस्ट आये और उन्होंने मेरा परिचय किरायेदार कह कर कराया |

मुझे अपना यह परिचय बिलकुल भी पसंद नही आया और मेरे हाव भाव से वहां मौजूद सभी लोग समझ गये के गलत तार छेड़ लिया है लेकिन क्या करें दुनियादारी में यही व्यवहार ही चलता है | मैंने भी यह बात मन से निकाल दी लेकिन एक हल्की सी कडवाहट मुझे किराएदार शब्द में महसूस हुई हमेशा मैंने यह पाया कि मकान मालिक किरायेदारों के व्यवहार उनके आने जाने उठने बैठे चिट्ठी पत्री आदि पर पूरी निगाह बना कर रखते हैं और किराया बढाने की भूमिका हमेशा बनाने की जुगत में रहते हैं |

पुराना रेंट कण्ट्रोल एक्ट 1947 के आसपास अस्तित्व में आने लगे थे हरेक राज्य ने रेंट कण्ट्रोल या टेनेंसी एक्ट बनाये तो लेकिन आज के दौर में उनसे काम चलता नहीं है क्यूंकि जरूरतें बदल गयी हैं हरेक बन्दा प्रोफेशनल है वो किसी तरह की भी भडक या टेंशन नही लेना चाहता है | पैसे खर्चने में किसी को ज्यादा दिक्कत नही है लेकिन सबकुछ साफसुथरा और क्लीयर होना चाहिए |

जनता की इसी आवश्यकता को महसूस करते हुए बुधवार 2 जून 2021 को भारतसरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मॉडल टेनेंसी एक्ट को मंजूरी दी और यह एक्ट अब राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को मॉडल के रूप में भेजा जाएगा ताकि वे अपनी अपनी विधान सभाओं में इसको रेफरेंस मानते हुए एक नया एक्ट पारित कर दें जिससे मकान मालिकों और किरायेदारों को आसानी हो और वो किसी विवाद में न पड़े और अपना समय धन व् ऊर्जा नष्ट न करें |

Dr.Rakesh_Poria

एक हिसाब से देखें तो सरकार अब टेनेंसी यानि किरायेदारी के काम को एक मार्किट या इंडस्ट्री के हिसाब से देख रही है | इसमें होने वाले लेनदेन को यदि देखा जाए तो आज भी हज़ारों करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन इस क्षेत्र में हो रहे हैं |

सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञ‌प्ति में कहा गया है, “इससे सभी आय समूहों के लिए किराये के मकानों का पार्याप्त निर्माण हो सकेगा, जिससे बेघरों की समस्या को हल किया जा सकेगा। मॉडल टेनेंसी एक्ट किराय के मकानों का संस्थागतकरण सक्षम करके धीरे-धीरे इसे औपचारिक बाजार की ओर स्थानांतरित करेगा।

मॉडल एक्ट के उद्देश्य

  • किराए को रेगुलेट करने के लिए एक प्राधिकरण यानि ट्राइब्यूनल की स्थापना करना
  • मकानमालिकों और किरायेदारों के हितों की रक्षा करना
  • विवादों के समाधान के लिए फ़ास्ट ट्रैक व्यवस्था को स्थापित करना

मॉडल टेनेंसी एक्ट के अनुसार

किरायेदार यदि किराये की अवधि समाप्त होने के बाद मकान खाली करने से इनकार करता है तो उसे बढ़ा हुआ किराया देना होगा

रहने के लिए लिए गये घर की किरायेदारी के मामले में सिक्योरिटी डिपॉजिट दो महीने तक ही सीमित होगा, मकान मालिक इससे ज्यादा का अडवांस नही ले सकेंगे |

किसी भी विवाद होने की स्थिति में रेंट अथॉरिटी को दी जाने वाली किरायेनामे यानि टेनेंसी एग्रीमेंट की जानकारी में मौजूद तथ्यों का निर्णायक सबूत माना जायेगा और अदालतों/न्यायाधिकरण को साठ दिनों की अवधि के भीतर मामलों/अपीलों का निस्तारण करने का सुझाव है |

महत्वपूर्ण परिभाषाएं

मकान मालिक का अर्थ

उस व्यक्ति से है, जो किसी भी घर दूकान या गोदाम का किराया अपने बैंक खाते में प्राप्त करता है या प्राप्त करने का हकदार है | यदि परिसर एक किरायेदार को दिया गया है। इसमें निम्नलिखित व्यक्ति शामिल है :

  • उसका हित-उत्तराधिकारी
  • एक ट्रस्टी
  • या अभिभावक
  • या किसी नाबालिग या विकृत दिमाग के व्यक्ति, जो कॉन्ट्रैक्ट यानि अनुबंध करने में सक्षम नही है, की ओर से नियुक्त रिसीवर, जो किसी भी उपर बताये गये परिसर के लिए किराया प्राप्त कर रहा है।

किरायेदार का अर्थ

उस व्यक्ति से है, जिसके द्वारा या जिसके बैंक खाते से या जिसकी ओर से, किसी माकन दूकान या गोदाम के परिसर का किराया एक किरायेनामे के तहत मकान मालिक को देय है।

इसमें उप-किरायेदार के रूप में परिसर में रहने वाला कोई भी व्यक्ति शामिल है और साथ ही, कोई भी व्यक्ति जो अपनी किरायेदारी की समाप्ति के बाद भी कब्जा नही छोड़ता है।

यह बात बिलकुल स्पष्ट कर दी गयी है कि लिखित अनुबंध के अलावा कोई भी व्यक्ति किसी परिसर को किराए पर नहीं देगा या किराए पर नहीं लेगा कोई भी व्यक्ति, इस अधिनियम के प्रारंभ होने के बाद, लिखित समझौते के बिना किसी भी परिसर को किराए पर नहीं देगा या किराए पर नहीं लेगा, जिसकी सूचना मकान मालिक और किरायेदार द्वारा संयुक्त रूप से पहली अनुसूची में निर्दिष्ट फॉर्म में किरायेदारी समझौते की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर देंगे।

यह किरायेदारी समझौते (अधिनियम की अनुसूची एक में दिया गया फॉर्म) की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर मकान मालिक और किरायेदार द्वारा संयुक्त रूप से किराया प्राधिकरण को सूचित किया जाएगा।

किराए नामे में मौजूद नियम व शर्तें किरायेदारी से संबंधित तथ्यों और उससे सम्बंधित विवाद की स्थिति में एक निर्णायक सबूत होगी। जानकारी के किसी भी विवरण के अभाव में, मकान मालिक और किरायेदार को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार किसी भी तरह की राहत नही दी जायेगी |

किराएदार को बढ़ा हुआ किराया देना होगा यदि वह किरायेनामे की अवधि के अंत के बाद परिसर खाली नहीं करता है तो इस अधिनियम के लागू होने के बाद दर्ज की गई प्रत्येक किरायेदारी एक अवधि के लिए वैध होगी जैसा कि मकान मालिक और किरायेदार के बीच सहमति हुई है और जैसा कि किरायेनामे में भी समझौते में भी लिखा हुआ है|

किरायेदार किरायेनामें में सहमत अवधि के भीतर, किरायेनामे के नवीनीकरण या विस्तार के लिए मकान मालिक से अनुरोध कर सकता है, और मकान मालिक यदि सहमत है, तो आपसी सहमत नियमों और शर्तों पर मकान मालिक के साथ एक नया किरायानाम किया जा सकता है |

यदि किसी स्थिति में किरायेनामे की अवधि समाप्त हो जाने पर नया किरायानामा नही बनाया जा सकता है क्यूंकि मकानमालिक उस किरायेदार को अपना परिसर आगे किराए आर नही देना चाहता है और किरायेदार परिसर को खाली नही करता है तो ऐसी स्थिति में किरायेदार मकान मालिक को धारा 23 में बनाये गये प्रावधानों के मुताबिक पुराने किराए पर बढ़ा हुआ किराया देने के लिए उत्तरदायी होगा।

धारा 23 प्रावधान करता है कि, ऐसा किरायेदार मकान मालिक को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा

  • पहले दो महीनों के लिए मासिक किराए का दोगुना; और
  • उसके बाद मासिक किराए का चार गुना जब तक कि किरायेदार उक्त परिसर पर कब्जा करना जारी रखता है

जो अडवांस सिक्योरिटी डेपोजिट लिया जा सकता है उसके लिए नियम कहता है

  • आवासीय परिसर के मामले में दो महीने के किराये से अधिक नहीं होगी
  • गैर-आवासीय परिसर के मामले में छह महीने के किराये से अधिक नहीं।

किरायेदार की बेदखली के लिए मकान मालिक किरायेदार को बेदखल करने के लिए रेंट कोर्ट के समक्ष निम्नलिखित आधारों पर आवेदन कर सकता है:

नियमित किराए का भुगतान न करना

किरायेदार धारा 8 के तहत देय किराए का भुगतान करने के लिए सहमत नहीं है

किराए के बकाया का भुगतान न करना

किरायेदार ने लगातार दो महीनों के लिए धारा 13 की उप-धारा (1) में निर्दिष्ट किराये और अन्य शुल्कों के बकाया का भुगतान नहीं किया है, जिसमें विलंबित भुगतान के लिए ब्याज भी शामिल है |

किराये पर दिये परिसर का दुरुपयोग

किरायेदार ने मकान मालिक से नोटिस प्राप्त होने के बाद भी परिसर का दुरुपयोग लगातार कर रहा हो |

मरम्मत, पुनर्निर्माण आदि

जहां मकान मालिक के लिए परिसर या उसके किसी हिस्से के संबंध में कोई मरम्मत या निर्माण या पुनर्निर्माण या जोड़ या परिवर्तन या विध्वंस करना आवश्यक है, जो बिना परिसर को खाली किया, होना संभव नहीं है।

संरचनात्मक परिवर्तन

किरायेदार ने कोई संरचनात्मक परिवर्तन किया है या मकान मालिक की लिखित सहमति के बिना किराए पर दिए गए परिसर में कोई स्थायी ढांचा खड़ा किया है।

किराया अधिकारियों के कर्तव्य एवं कार्य

जैसे ही राज्य सरकार के द्वारा रेंट अथॉरिटी की नियुक्ति हो जाएगी तो उसे अपनी नियुक्ति की तारीख से तीन महीने के अंदर अंदर स्थानीय भाषा या राज्य / केंद्र शासित प्रदेश की भाषा में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म स्थापित करना होगा ताकि मकान मालिक और किरायेदार आने डाक्यूमेंट्स को ऑनलाइन जमा कर सकें |

इसके बाद रेंट अथॉरिटी को निम्नलिखित कार्य करने होंगे :

  • पार्टियों को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करनी होगी
  • सात कार्य दिवसों के भीतर स्थानीय भाषा या राज्य / केंद्र शासित प्रदेश की भाषा में अपनी वेबसाइट पर किरायेनामे का विवरण अपलोड करना होगा।
  • किराए के संशोधन के संबंध में मकान मालिक और किरायेदार के बीच किसी भी विवाद के मामले में, किराया प्राधिकरण, मकान मालिक या किरायेदार द्वारा किए गए आवेदन पर, किरायेदार द्वारा देय संशोधित किराये और अन्य शुल्कों का निर्धारण कर सकता है और उस तारीख को भी तय कर सकता है, जिससे ऐसा संशोधित किराया देय हो जाता है।
  • जहां किरायेदार यह तय करने में असमर्थ है कि किरायेनामे की अवधि के दौरान किराया किसको देय है, किरायेदार ऐसे मामले में, किराया प्राधिकरण के पास निर्धारित तरीके से किराया जमा कर सकता है।
  • किराया न्यायालय और न्यायाधिकरण अन्य प्रावधान रेंट अथॉरिटी, रेंट कोर्ट और ट्रिब्यूनल के गठन और उनके द्वारा पालन की जाने वाली प्रक्रिया से संबंधित हैं।
  • रेंट कोर्ट या, जैसा भी मामला हो, रेंट ट्रिब्यूनल, मॉडल कानून के प्रावधानों के अनुसार, मामले को जल्द से जल्द निपटाने का प्रयास करेगा, और यह आवेदन या अपील की प्राप्ति की तारीख से साठ दिनों की अवधि से अधिक नहीं होगा।

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