देख रहा है बिनोद कैसे लोग फर्जी बिल बना रहे हैं और कैसे लोग फर्जी जीएसटी के फर्जी बिलों को पकड़ना सिख रहे हैं।
भारत सरकार ने 1 जुलाई को समस्त देश में GST लागू किया था। जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर। हालांकि इसके बाद जीएसटी के नियमों में कईं बार बदलाव किए जा चुके हैं। GSTIN का मतलब गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर है। यह एक अद्वितीय 15-अंकीय अल्फा-न्यूमेरिक संख्या है। व्यवसायों को प्रवेश द्वार पर पहचान संख्या GSTIN प्रदर्शित करना चाहिए।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए टर्नओवर सीमा
- स्पेशल कटैगरी में वस्तुओं के कारोबार पर 20 लाख रुपये
- स्पेशल कटैगरी में सेवाओं के कारोबार पर 10 लाख रुपये
- नार्मल कटैगरी में वस्तुओं के कारोबार पर 40 लाख रुपये
- नार्मल कटैगरी में सेवाओं के कारोबार पर 20 लाख रुपये
फर्जी जीएसटी बिल बनाने वालों का बढ़ रहा है आंकड़ा
फर्जी जीएसटी बिल बनाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देशभर में करीब 5000 फर्जी बिलों के मामले पकड़े गए हैं। जिनमें से कुछ मामलों में अपराधी पकड़े भी गए हैं, कुछ की जांच चल रही है। दरअसल नकली या फर्जी बिलों के माध्यम से उत्पाद और सेवा कर चोरी करते हैं।
GSTIN और UNI
जीएसटी और यूएनआई बनाने के लिए पहले दो नंबर राज्य के कोड होते हैं, उसके बाद व्यवसाय के मालिक या दुकान का पैन नंबर होता है। इस तरह आपको जीएसटी नंबर के साथ 15 अंकों का कंप्यूटर बिल या हाथ से बना बिल देता है तो ऐसे बिल ज्यादातर नकली होते हैं।13वां अंक जीएसटी के तहत पंजीकरण की संख्या है। ध्यान दें कि विभिन्न राज्यों में जीएसटीआईएन पंजीकरण के लिए एक ही पैन नंबर है। Z अक्षर (डिफ़ॉल्ट मान) के साथ व्यवसाय की प्रकृति 14वां अंक है। अल्फ़ान्यूमेरिक चेक कोड 15वां अंक है।
सभी राज्यों के GST कोड
जम्मू और कश्मीर-1, हिमाचल प्रदेश-2, पंजाब-3,चंडीगढ़-4, उत्तराखंड-5, हरियाणा-6, दिल्ली-7, राजस्थान-8, यूपी-9, बिहार-10, सिक्किम-11, अरुणाचल प्रदेश-12, नागालैंड-13, मणिपुर-14, मिजोरम-15, त्रिपुरा-16, मेघालय-17, असम-18, पश्चिम बंगाल-19, झारखंड-20, ओडिसा-21, छत्तीसगढ़-22, मध्य प्रदेश-23, गुजरात-24, महाराष्ट्र-27,आंध्र प्रदेश (विभाजन से पहले) 28, कर्नाटक-29, गोवा-30, लक्षद्वीप-31, केरल-32, तमिलनाडु-33, पुडुचेरी-34, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह-35, तेलंगाना-36,आंध्र प्रदेश (नया जोड़ा गया)-37, लद्दाख (नया जोड़ा गया)-38
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किस तरह करते हैं फर्जीवाड़ा
9 अगस्त 2022 को अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार- “सहायक उप निरीक्षक सतीश कुमार ने बताया कि सिटी थाना हिसार में आबकारी एवं काराधान अधिकारी डॉ. संजीता कोचर ने राधिका ट्रेडर्स पर 41,52,08300 रुपये की विभिन्न फर्मों के ट्रेडिंग कर 5,68,39837 रुपये की जीएसटी चोरी के बारे में शिकायत दी थी। पुलिस को दी शिकायत में बताया गया कि अनिल बंसल के नाम से आदमपुर व्यापार मंडल में एक फर्म बनाई गई। जिसे हाउसिंग बोर्ड निवासी नंदू नामक व्यक्ति ने अनिल बंसल के दस्तावेज पर बनाया था। वह राधिका ट्रेडर्स के साथ ट्रेडिंग करता था। अनिल बंसल नामक फर्म पर 16 लाख रुपये का टैक्स बकाया है। फर्म अनिल बंसल के नाम से है, परंतु उसका संचालन नंदू करता था। इसके एवज में वह अनिल बंसल को हर महीने 10 हजार रुपये का भुगतान करता था। नंदू ने अनिल बंसल के दस्तावेज लेकर फर्म का निर्माण किया। आरोपी अनिल बंसल को पूछताछ के बाद अदालत में पेश किया गया, इसके बाद उसको जेल भेज दिया गया।”
क्या होटल वाले जीएसटी लगा सकते हैं
हां, वो होटल जीएसटी लगा सकते हैं, जिन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ है। हालांकि होटल वाले को आपको बिल में जीएसटी नंबर लगाकर बिल देना होगा। कुछ होटल वाले बिना रजिस्टर किए ही फर्जी जीएसटी नंबर लगाकर ग्राहकों से पैसे भी वसूल लेते हैं।
फर्जी बिल का कैसे पता लगाएं
जो होटल वाले इस तरह फर्जी जीएसटी नंबर बिलों पर छाप लेते हैं, उन्हें पकड़ने के लिए सरकारी वेब साइट पर जाकर आप चेक कर सकते हैं- https://services.gst.gov.in/services/searchtp
-इसमें आप सर्च करदाता विकल्प पर जाएं
-सर्च By GSTIN/UNI पर क्लिक करें
-GST नंबर गलत है को आपको सूचना संदेश दिखाई देंगे
-आपसे सही संख्या दर्ज करने की कहा जाएगा
-आप राशि भी चेक कर सकते हैं
-इसमें आप व्यवसाय का नाम चेक कर सकते हैं
-इसमें आप राज्य, पंजीकरण की तिथि, व्यवसाय का प्रकार चेक कर सकते हैं
-इसमें पर निजी या सार्वजनिक लिमिटेड है ये भी चेक कर सकते हैं
जीएसटी से संबंधित धोखाधड़ी के मामले में, आप शिकायत कैसे दर्ज कर सकते हैं?
ईमेल: [email protected]
फोन: 0120-4888999, 011-23370115
ट्विटर: @askGST_Goi, @FinMinIndia