सोशल मीडिया और हम भारत के लोग

क्या फेसबुक और ट्वीटर हो सकते हैं बंद |

साल 2019 में फेसबुक ने मेरा चयन हरियाणा और पंजाब राज्य से करके मुझे एक विशेष वर्कशॉप में भाग लेने के लिए दिल्ली में आमंत्रित किया जहाँ भारतभर के अन्य राज्यों से मेरे जैसे फेसबुक पर सक्रिय लोग भागलेने के लिए पहुंचे हुए थे| दो दिनों तक हमें फेसबुक के काम करने के तरीके से अवगत कराया गया और फेसबुक के बड़े अधिकारियों से भी हमारी मुलाकात हुई |

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हमें यह समझाया और सिखाया गया कि किस तरह से सोशल मीडिया में जहर उगलने वालों को उनके द्वारा खड़े किये जा रहे नैरेटिव को कामयाब होने से कैसे रोका जा सकता है और फिर भी यदि वो न रुके तो एक विशेष मेल आई.डी. का प्रयोग करके फेसबुक के अधिकारियों के संज्ञान में उस कंटेंट को लाया जाए ताकि फेसबुक का इंटरनल कंटेंट रिव्यु मैकेनिज्म उसे अपने गाइडलाइन्स और प्रोसीजर्स के अनुरूप निबट ले |

जिस समय यह सब बताया और समझाया जा रहा था तो मैंने हाथ खड़े करके एक सवाल पूछा था जिसपर बहुत राडा हो गया था, वो सवाल था कि क्या फेसबुक भारत के कानून से भी उपर है ? मुझ से पूछा गया आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं आपके सवाल का सन्दर्भ क्या है ?

तब मैंने उनसे कहा कि मैं एक अखबार पब्लिश करता हूँ जिसे छापना शुरू करने से पूर्व मेरे से प्रेस एक्ट के तहत एक डिक्लेरेशन ली गयी थी जिसमें मैंने प्रिंटर पब्लिशर और एडिटर का नाम पता और प्रेस एक्ट तहत जिम्मेदार व्यक्ति का नाम पता आदि सबकुछ लिख कर दी और उसके बाद ही मैं अपना अखबार छाप सकता हूँ और यदि मेरे अखबार से समाज में कोई दुर्भावना फ़ैल जाती है तो मेरे अखबार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति जिसका नाम और पता मुझे हरेक एडिशन में निर्धारित बॉटम स्पेस में छापना अनिवार्य है को प्रशासनिक कारवाई का सामना करना ही करना पड़ेगा | लेकिन मेरा यह अनुभव है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का प्रयोग देश में जातीय नस्लीय जहर उगल कर दंगा फैलाने में अनेकों अनेक बार किया जा चुका है |लेकिन दंगाइयों पर दर्ज हुए केसों में फेसबुक को पार्टी नही बनाया जाता है ऐसा महसूस करके ही मेरे मन में सवाल आया है कि क्या फेसबुक भारत के कानून से उपर है ?

मेरे सवाल का मुझे कोई माकूल जवाब तो नही मिला बस बातों की जलेबी बनाई गयी मेरे पास वाह वाह थैंक यूं करने के सिवा कोई आप्शन था नही क्यूंकि कढाई में भात कैसा पका हुआ है उसके लिए पूरी कढाई नही खानी पडती बस किनारे से चार दाने लेकर चेक करके पूरी मालूमात ली जा सकती है |

मुझे अव्यवस्था और अनावाश्यक अनुशासन भंग करने से हमेशा सख्त ऐतराज रहता है | मेरी परवरिश रोहतक शहर में हुई है और मैंने हरियाणा कृषि विश्वविधालय से स्नातकोतर की पढ़ाई पूरी की है पिछले 21 वर्षों से ग्रामीण भारत में विशेषकर तृणमूल आविष्कारकों यानि ग्रास्स्रूट्स इन्नोवेटर्स के साथ मेरा सम्बन्ध रहा है |

मैंने इतना जातिवाद और नफरत कभी महसूस नही की जितनी की साल 2015 के बाद से करनी शुरू की फेसबुक और व्हाट्स एप्प का भयंकर प्रयोग हुआ है भाईचारे को तोड़ने में | हरेक एक वर्ग को यह एहसास कराया गया है कि थारा तो नास हो लिया भाई | जबकि जमीन पर हकीकत सोशाल मीडिया में बनी इमेज से आज भी इतर है और बेहतर है | फेसबुक पर एक दूसरे से भयंकर रूप से चिढने वाले लोग असल जिन्दगी में ज्यादा सहजता से संवाद कर लेते हैं |

क्या सोशल मीडिया पर सरकार द्वारा शिकंजा कसा जा रहा है ?

सीधा और साफ़ जवाब है हाँ |

साफ़ साफ़ शब्दों में कहूं तो फेसबुक ट्विटर , व्हाट्स एप्प और अन्य कोई सोशल मीडिया प्लेटफोर्म जिसपर 50 लाख से ज्यादा भारतीय यूजर सक्रिय हैं को भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय की 25 फ़रवरी 2021 को जारी अंतरिम गाइडलाइन्स जिसकी समय सीमा आज रात 12 बजे 25 मई के बीत जाने बाद समाप्त हो गयी है , के ना मानने की वजह से भारत में अपनी सेवाएँ बंद करने के आदेश भी दिए जा सकते हैं |

भारत में आपनी कामयाबी के नशे में मदमस्त सोशल मीडिया के ये बड़े हाथी बस अपनी कमाईयों में ही जुटे रहे भारत सरकार द्वारा दिए गये आदेशों और उनको लागू करने के लिए निर्धारित तीन महीनों की समयसीमा के बारे में इनके कानों पर जून तक नहीं रेंगी है | आज रात 12 बजे यानि 26 मई 2021 से अंतरिम गाइडलाइन्स लागू हो गयी हैं |

Twitter की तर्ज पर विकसित हुए माइक्रो ब्लॉग्गिंग प्लेटफोर्म Koo ही एकमात्र ऐसा मंच है जिसने भारत सरकार द्वारा प्रदत्त अंतरिम गाइडलाइन को शत प्रतिशत फॉलो करके लागू किया है | भारत सरकार के सम्बंधित अधिकारियों ने ब्यान जारी करके कहा है कि भारत सरकार के दिशा निर्देशों की अह्वेलना करने वाले सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भारत के कानूनों के प्रावधानों के तहत कारवाई की जाएगी |

भारत सरकार के अधिकारियों का वक्तव्य

भारत सरकार का सख्त हुआ रवैया देख कर आज शाम को फेसबुक का आधिकारिक वक्तव्य भी सामने आ गया है जिसमें यह कहा है कि इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी नियमों की अनुपालना करना हमारा लक्ष्य है , हम सरकार के साथ इन अंतरिम गाइडलाइन्स को लागू करने से जुड़े कुछ विशेष मसलों पर चर्चा कर रहे हैं| हम इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी नियमों के अनुरूप अपने कार्यालय में ऑपरेशनल प्रोसिजेर्स को सुधार रहे हैं ताकि तकनीकी दक्षता में सुधार लाया जा सके| फेसबुक पूरी तरह से प्रतिबद्द है कि जनता हमारे प्लेटफॉर्म के माध्यम से सुरक्षित रहते हुए मुक्त तरीके से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सके |

फेसबुक के अधिकारी का वक्तव्य

नये नियम 25 फ़रवरी 2021 को जारी किये गए थे जिसमें मोटे तौर पर एक चीफ कंप्लायंस ऑफिसर , एक नोडल अधिकारी और एक शिकायत प्राप्त करने वाला अधिकारी नियुक्त किये जाने के आदेश थे | आज रात 12 बजे यानि 26 मई 2021 से जब नियम लागू हो गये हैं तो सबसे पहले शिकायत प्राप्त करने का सिस्टम और उसके निबटारे करने की व्यवस्था और शिकायत प्राप्त करने वाले अधिकारी को नियुक्त करके उसकी घोषणा करना अनिवार्य हो जायगा |

जो कर देगा सो ठीक नही तो चल भाई बाँध अपना बोरिया बिस्तरा और फूट ले यहाँ से, ये नया भारत है |

जिस किसी भी आपतिजनक कंटेंट को भारत सरकार द्वारा अधिकृत सक्षम अधिकारियों के द्वारा हाईलाइट करके हटाने के लिए कहा जाएगा उसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के द्वारा 36 घंटों में अनिवार्य रूप से हटाना ही पड़ेगा |इस व्यवस्था को सुचारू और सरल बनाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भारत में अपना एक कार्यालय खोल कर उसमें एक जिम्मेदार अधिकारी को नियुक्त करना अनिवार्य हो जाएगा |

आज से लागू हुई गाइड लाइन्स के मुताबिक़ जिस किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर 50 लाख से अधिक यूजर सक्रिय होंगे उसे Significant Social Media की संज्ञा दी जाएगी और उसे हर महीने एक रिपोर्ट पब्लिश करनी पड़ेगी जिसमें यह बताया जायेगा कि पिछले महीने उन्हें कितनी शिकायतें मिली और उसके निबटारे के लिए उन्होंने क्या किया ? इसके साथ उन्हें यह भी बताना होगा कि उन्होंने कौन कौन सा कंटेंट अपने प्लेटफोर्म से हटा दिया है |

Significant Social Media की परिभाषा में आने वाले भारत में सक्रिय प्रमुख प्लेटफोर्म की डिटेल्स इस प्रकार हैं:

क्रमांक प्लेटफोर्म का नाम अनुमानित यूजर
1.व्हाट्स एप्प 53 करोड़
2.यू ट्यूब 44.8 करोड़
3.फेसबुक41करोड़
4.इंस्टाग्राम 21 करोड़
5.ट्विटर1.75 करोड़
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अनुमानित भारतीय सक्रिय यूजर

विवेचना

मेरे हिसाब से भारत सरकार के द्वारा उठाया गया कदम बेशक देर से है लेकिन दुरुस्त है इस कदम को देरी से उठाये जाने से भी कभी ना पूरा किया जा सकने वाला नुक्सान हो चुका है लेकिन फिर भी असां गलत मुकानी है इसी लिए हम आगे की बात करेंगे |

कोई हो फेसबुक लाइव करके खड़ा हो जाए है हमारे देश में और कुछ भी कहने लग जाता है उसके कितने भयंकर परिणाम देशवासी भुगत रहे हैं | आर्थिक और समाजिक नुक्सान को कुछ देर के लिए नज़र अंदाज भी कर दें लेकिन देश को बहुत बड़ा इमोशनल सेटबैक लग चुका है सभी के व्यव्क्तित्व में एक डेंट इस अनकंट्रोल्ड सोशल मीडिया ने डाल ही दिया है |

गैर जिम्मेदार लोगों के द्वारा बनाया हुआ जहरीला कंटेंट न सिर्फ हटाया जाना चाहिए अपितु बनाने वाले पर और प्रसारित करने वाले पर कानूनी करवाई की जानी चाहिए कि यह जहर फ़ैल कैसे गया |

राजनीतिक पार्टी वो बेशक रूलिंग हो या विपक्ष इनसे जुड़े लोगों पर विशेष रूप से नज़र रखी जानी चाहिए क्यूंकि ये अपने फायदे के लिए देश और समाज का किसी हद तक नुक्सान करने में जरा सा भी नही हिचकते हैं |

जब अखबार या पम्फलेट छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस अपने कृत्य के लिये पूरी तराह से जिम्मेदार है फिर ये सोशल मीडिया प्लेटफोर्म क्या कानून से ऊंचे है | साल 2019 में मेरे पास कोई जवाब नही था लेकिन आज 26 मई 2021 को इन्हें कानून के नीचे लाया गया है इस बात का मुझे पूरा पूरा संतोष है |

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का प्रयोग एजुकेशन , कला , विज्ञान , संस्कृति , भाईचारे , सहिष्णुता के लिए ही किया जाना चाहिए बस | इससे अलग चले तो बस एक बार समझाओ दूसरी बार टोको फेर भी कोन्या मानता तो तीसरी बार बस ठा के सीधे आई.पी.सी. के तहत ठोक दो |

देश में शान्ति , प्यार और भाईचारा बना रहना अत्यंत आवश्यक है बस यही चाहते हैं :

हम भारत के लोग

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