सरसों में अधिक तेजी मंदी नहीं
तेल मिलों की मांग बनी रहने से घरेलू बाजार में शनिवार को सरसों की कीमतों में सुधार आया। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 25 रुपये बढ़कर 5,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए और सरसों की दैनिक आवक घटकर 4.25 लाख बोरियों की हुई।
व्यापारियों के अनुसार इस सप्ताह के अंत में खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी आई है जिससे घरेलू बाजार में भी सरसों एवं तेल की कीमतों में तेजी आई। उत्पादक राज्यों में सरसों की दैनिक आवकों में सुधार आया। स्टॉक बकाया किसानों एवं व्यापारियों के पास ज्यादा है इसलिए इसकी दैनिक आवक अभी बनी रहेगी। उत्पादक राज्यों में मौसम खराब बना हुआ है जिस कारण मंडियों में सरसों की दैनिक आवकों में कमी आई है।
ब्राजील में सोयाबीन का उत्पादन अनुमान ज्यादा है। मलेशियाई पाम तेल वायदा की कीमतों में सप्ताह के अंत में तेजी आई लेकिन पाम तेल का सबसे सक्रिय वायदा सप्ताह के आधार पर 3 फीसदी से अधिक कमजोर हो गया ।
जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें शनिवार को लगातार तीसरे दिन 13-13 रुपये तेज होकर भाव क्रमश – 998 रुपये और 988 रुपये प्रति 10 किलो हो गए। इस दौरान सरसों खल के दाम 10 रुपये तेज होकर 2575 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
गेंहूं बाजरा मक्का में तेजी
गेहूं में गिरावट होने के कारण मंडियों में आवक बहुत कम रह गई है। सरकार हर तरह प्रयास कर रही है कि गेहूं आटा आदि में महंगाई को काबू किया जाए लेकिन एफसीआई ने खुले बाजार में बिक्री करना शरू कर दिया है। पहली ई नीलामी 28 जून को होने वाली है।
गेंहू पर स्टाक लिमिट लागू होने के बाद व्यापारी मुनाफा वसूली भी कर रहे हैं। दिल्ली लारेंस रोड़ पर भाव बीते सप्ताह 2450-2455 रह गया। पाइप लाइन पूरी तरह खाली है और मांग लगातार बनी हुई है। कुछ दिन बाद 2500 का भाव पार कर सकता है। लेकिन 2600-2650 के भाव तक आयात नहीं खुलेगा।
मक्का का उत्पादन 68 लाख टन से अधिक है। लेकिन उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। कंपनियों के अतिरिक्त कोई अन्य मांग नहीं है। स्टाकिस्ट सक्रियता जरुर है। इसलिए वर्तमान भाव में खरीददारी में नुक्सान नहीं लगता।
बाजरा का कहीं बड़ा भंडार नहीं है लेकिन मक्का में गिरावट के कारण बाजरा की डिस्टलरी मांग के इलावा अन्य मांग नहीं है। सस्ते मक्का ने पशुपालन उद्योग की मांग को कमजोर किया है। नई फसल आने वाली नहीं है इसलिए अधिक समय तक मंदा रहने वाला नहीं है।
खाद्य तेलों में तेजी मंदी
सोया पाम तेल में पिछले सप्ताह कुछ गिरावट आई लेकिन सरसों व इसका तेल लगभग स्थिर रहा है। मूंगफली तेल राजकोट भाव 50 रुपये प्रति दस किलो टूटा बिनौला तेल गिरावट को कवर करने के बाद फिर पिछले सोमवार के स्तर 880-890 के भाव पर बंद हुआ।
सोमवार को महाराष्ट्र कीर्ति प्लांट में सोया तेल 975 और पाम तेल 930 रुपये प्रति दस किलो पर था सप्ताह के अंत में सोया तेल 950 और पाम तेल 890 रुपये प्रति दस किलो रह गया। विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों में तेजी मंदी जारी रही लेकिन घरेलू बाजार में सोया पाम तेल का आयातित स्टाक भारी होने से गिरावट आई। इस सप्ताह भारत में मानसून हो सकता है लेकिन पाम तेल उत्पादक देशों में अभी स्पष्ट नहीं है कि अल नीनो क्या करेगा। ब्राजील सोयाबीन उत्पादन बढ़ने और तेल निर्यात वृद्धि होने से सोया तेल में तेजी रुक सकती है। ज्यादा बड़ी गिरावट नहीं लगती लेकिन तेजी नहीं है। कुछ दिन बाद बाजार फिर तेजी दिखा सकता है।
जयपुर सरसों पिछले सोमवार को 5350 थी और इस शनिवार को भी 5350 रही। तेल 980 था जो शनिवार को 988 रुपये दर्ज हुआ। मतलब कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ। इस सप्ताह भी पूरे सात दिन मिला कर 50-75 रुपये से अधिक सुधार नहीं लगता।
मूंगफली तेल में ठहराव आ सकता है लेकिन जल्द ही फिर से राजकोट भाव 25-50 तेज हो सकता है। बिनौला तेल में गुजरात के कड़ी में 890 से बढ़कर 900-920 तक पहुंच सकता है।
चना में तेजी के आसार कम
दाल मिलों की खरीद कमजोर से चना की कीमतों में दूसरे दिन भी नरमी आई है। व्यापारी ज्यादा मंदे में नहीं हैं क्योंकि दाम पहले से काफी नीचे के बन चुके हैं। व्यापारियों के अनुसार चना दाल एवं बेसन में ग्राहकी पहले की तुलना में कमजोर है जिस कारण इसकी कीमतों में तेजी टिक नहीं रही है।
नेफेड के पास चना का बकाया स्टॉक ज्यादा है इसलिए स्टॉकिस्ट चना में जोखिम नहीं ले रहे हैं। दिल्ली में राजस्थान के चना के भाव 25 रुपये कमजोर होकर दाम 5,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव 25 रुपये घटकर 5,050 रुपये प्रति क्विंटल हुए।