सात समंदर पार बिकने वाली कांगड़ा चाय को यूरोपीय संघ की ओर से एक अलग ही पहचान मिली है हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय अब दुनिया भर में मशहूर हो गई है। इस चाय की भीनी-भीनी खुशबू ने कांगड़ा को एक नई पहचान दी है। यह खबर उत्पादकों के लिए भी अच्छी है क्योंकि इससे सात समंदर पार के देशों में इसकी बिक्री का मार्गप्रशस्त हुआ है। रजिस्ट्री चैन्नई ने 2005 में कांगड़ा चाय को ‘जीआइ टैग का दर्जा दिया गया है। कांगड़ा टी वाली पत्तियों को लोग इसे ग्रीन टी और ब्लैक टी जैसी तमाम प्रकारों की चाय में इस्तेमाल करते हैं।
कैटेचिन की मात्रा
यूरोपीय संघ की ओर से मान्यता यह है की पंजीकरण कांगड़ा जिले के पालमपुर, धर्मशाला मंडी और चंबा जिले के क्षेत्रो में कांगड़ा चाय उत्पादकों के लिए एक वरदान की तरह साबित होगा। दरअसल अनोखे स्वाद के लिए मशहूर दुनिया में कांगड़ा चाय डंका बज रहा है क्योंकि इसमें प्रचुर मात्रा में मौजूद पाइराजन इसे अलग सुगंध प्रदान करता है। जबकि इसमें कई औषधीय गुण भी पाये जाते है जो कैराथीन से मिलते हैं। इस पहाड़ी प्रदेश को पे पदार्थ यूरोपीय संघ के तहत पंजीकरण के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा
कांगड़ा चाय में विटामिन और मिनरल्स का होना
कांगड़ा चाय में कई विटामिन और खनिज होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। जैसे, कैल्शियम, फोलिक एसिड, विटामिन बी 1, विटामिन बी 2,विटामिन बी 6 और जिंक कांगड़ा चाय पीने के फायदे और भी हैं। जैसे कि ये सर्दी-जुकाम को कम करने के साथ वेट लॉस में भी मददगार है। इसके अलावा इसके एंटी ऑक्सीडेंट दिल की सेहत के लिए फायदेमंद है। साथ ही ये स्ट्रेस कम करता है, नींद को बेहतर बनाता है और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मददगार है।