हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को मान्यता देने के लिए सरकार उत्तराखंड के मॉडल को अपना सकती है। उत्तराखंड के साथ मध्यप्रदेश के ग्वालियर में भी इस तरह की खेती होती है जिसे कानूनन वैधता दी गई है। हिमाचल में यह कितनी कारगर साबित हो सकती है और आर्थिक रूप से इसका कितना फायदा प्रदेश को होगा इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी।
भांग के कई गुण व फायदे
प्रदेश से एक टीम मई को उत्तराखंड जा रही है जो कि वहां पर रुकेगी और सभी पहलुओं पर अध्ययन करेगी। इसमें सत्तापक्ष के साथ विपक्ष के विधायक भी शामिल होंगे। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी कई जिलों में भांग होती है मगर इसे कानूनी वैद्यता नहीं है। यहां पर भांग को काटकर नष्ट कर दिया जाता है मगर इसके औषधीय गुण भी हैं। वहीं इससे कपड़े भी तैयार किए जाते हैं। ऐसे में इसके गुणों को देखते हुए सरकार इसे लीगल कर सकती है।
भांग से जुडी कुछ अहम बाते
केंद्र सरकार ने राज्यों को यह अधिकार दे रखा है जिस पर राज्य सरकारें खुद फैसला ले सकती हैं। हिमाचल में भी सरकार इस पर विचार कर रही है। जगत सिंह नेगी ने कहा कि भांग की पैदावार खुले में की जाएगी या फिर पॉलीहाउस में होगी इसे लेकर भी रिपोर्ट में बताया जाएगा। उन्होंने कहा कि विस्तृत अध्ययन करके जल्द रिपोर्ट देंगे और प्रदेश हित में कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा। हिमाचल के कुछ क्षेत्रों में भांग की खेती मशहूर है।
भांग की खेती को लीगल तरीके से करना
यहां मलाणा क्रीम को हासिल करने के लिए विदेशों से भी लोग आते हैं। अवैध रूप से भांग की खेती कर इसका नशा बेचा जाता है। कई साल से यह मांग उठ रही है कि भांग की खेती को लीगल कर दिया जाए। इसे लेकर विधानसभा में चर्चा हुई है और मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार इसे वैध करने के बारे में सोचेगी। वहीं इसके लिए कमेंटी के गठन का भी एलान किया गया था और अब यह कमेंटी उत्तराखंड में जाकर वहां के मॉडल को स्टडी करेगी। इसके अवैध धंधे को खत्म करने के लिए सरकार इसे किसी तरह से कानूनी जामा पहना देगी। इससे स्वरोजगार भी बड़े पैमाने पर बढ़ सकता है।
भांग से बनती हैं दवाइयां
हर साल बड़े पैमाने पर राज्य में भांग की खेती को नष्ट किया जाता है। सरकार के स्तर पर अलग-अलग विभाग इसे नष्ट करने का काम करते हैं। साल में एक बार पुलिस की मदद से एक बड़ा अभियान चलाया जाता है। अत केवल नशे के लिए ही नहीं इस्तेमाल होती बल्कि इसमें औषधीय गुण होते है। कई नामी कंपनियां इनसे दवाइयों का निर्माण भी करती है।