नई फसल आने के बाद भी मसालों में जबरदस्त तेजी नजर आ रही है। फसल कमजोर होने से अकेले जीरा की कीमतों में जनवरी से अब तक 60 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल आ चुका है। इस समय थोक बाजार में जीरा 525 रुपये किलो बिक रहा है,जबकि फुटकर में यह 550 रुपये पहुंच गया है।
असमय बारिश से कीमतों में वृद्धि
होली के करीब ज्यादातर मसालों की आवक शुरू हो जाती है। नई फसल आती है तो मसालों की कीमते भी नीचे आती है लेकिन बीच में हुई बारिश ने मसालों की कीमतों को गड़बड़ा दिया। आढ़तियों के मुताबिक जीरे की फसल जैसी सोची गई थी उस तरह की नहीं हुई और आवक कम हो गई। इसकी कीमत नीचे आने की जगह उपर बढ़ रही है जनवरी की शुरुआत में थोक बाजार में जीरा 325 रुपये किलो था और फुटकर बाजार में 350 से 360 रुपये किलो तक बिक रहा था। पिछले एक सप्ताह में थोक बाजार में इसकी कीमत 500 से 525 रुपये पहुंच चुकी है। इसके अलावा अजवाइन, हल्दी की कीमतें भी बढ़ी हैं।
जीरे की फसल के बारे में जानकारी
जीरा एक मसाला फसल है। इसकी खेती मसाले के तौर पर ही की जाती है। जीरे का इस्तेमाल कई रूपों में होता है। जीरे को खाने में कई तरह से उपयोग करते हैं। इसे भूनकर छाछ, दही,लस्सी आदि में मिलाकर उपयोग में लाते हैं। इससे इनका स्वाद बढ़ जाता है। जीरे के सेवन से पेट संबंधित कई प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है। किसान इसकी खेती से लाखों की कमाई कर सकते हैं।
जीरा है गुणों की खान
जीरे का उपयोग मसालों के रूप में किया जाता है। जीरा न सिर्फ स्वाद बढ़ाने का काम करते हैं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं। जीरे में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं। जीरे में कुछ ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते है जिनके कारण दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा कम होता है। जीरे में पर्याप्त मात्रा में मौजूद पोषक तत्व और खनिज इसकी गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक हैं।
जीरे की खेती के प्रमुख प्रदेश
भारत में जीरे की खेती सबसे अधिक राजस्थान और गुजरात में की जाती है। यहाँ पर पूरे देश का कुल 80 प्रतिशत जीरा उत्पादित किया जाता है। इसमें 28 प्रतिशत जीरे का उत्पादन अकेले राजस्थान राज्य में होता है। इसके पश्चिमी क्षेत्र में राज्य का 80 प्रतिशत जीरा उत्पादन होता है। वही पड़ोसी राज्य गुजरात में राजस्थान की अपेक्षा अधिक पैदावार होती है। वर्तमान समय में जीरे की उन्नत किस्में उगाकर उत्पादन क्षमता को 25 से 50 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
जीरे की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
जीरे की खेती के लिए शुष्क एवं साधारण ठंडी जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। बीज पकने की अवस्था में गर्म एवं शुष्क मौसम पैदावार के लिए आवश्यक होता है। जीरे की अच्छी पैदावार के लिए दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती में भूमि उचित जल निकासी वाली होनी चाहिए। जीरे की फसल रबी की फसल के साथ की जाती है, इसलिए इसके पौधे सर्द जलवायु में अच्छे से वृद्धि करते हैं। जीरे की फसल के लिए वातावरण का तापमान 25 से 30 डिग्री उपयुक्त माना गया है। वहीं पौधों की वृद्धि के समय 20 डिग्री तापमान उचित होता है।