किसान भाइयों नमस्कार आपकी सेवा में प्रस्तुत है दैनिक खेती किसानी बुलेटिन
पर्यावरण संतुलन में मिटटी की है अहम् भूमिका
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के मृदा विज्ञान विभाग ने विश्व मृदा दिवस 5 दिसम्बर 2024को सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान में मिट्टी के महत्व पर बात करते हुए हुए कुलपति प्रो. बी.आर.काम्बोज ने कहा है कि, यदि मिट्टी का स्वास्थ अच्छा रहेगा तो पैदावार भी बढ़ेगी।
इसीलिए किसान समय-समय पर मिट्टी कि जाँच करवाते रहे और फसल चक्र के अनुरूप फसलें ही फसलों का चुनाव करें। उन्होनें कहा है मृदा कि उपजाऊ क्षमता बनायें रखने के लिए खाद्य सुरक्षा बहुत ही जरुरी है तथा उन्होनें कहा है कि किसान भाई अपने खेतों कि मृदा को जाँच करने के उपरांत ही इसमें सीमित मात्रा में रासायनिक उर्वरको का प्रयोग करें। उर्वरकों की अनुशंसा का सटीकता से पालन करें।
जिससे वो अधिक पैदावार ले पाएंगे। मिट्टी कि जाँच के लिए विश्वविद्यलय ने समुचित प्रबंध किये है । किसान भाई फसल के अवशेषो को ना जलाये इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने वाले जीवाणु समाप्त हो जाते हैं।
ध्यान रहे की मृदा में कार्बनिक पदार्थो और मित्र जीवाणुओं की कमी पहले से ही देखी जा रही है।
फसल बीमा से फसलों को करें कवर और अपनी आर्थिकता को रखें सुरक्षित
हरियाणा हिसार,
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों की फसलों को विभिन्न आपदाओं से सुरक्षा देकर किसानों को आर्थिक आजादी दी जा रही है। फसलों को जोखिम मुक्त बनने के लिए फसलों का बीमा करवाना जरूरी है।
ए.डी.सी.जयाश्रद्धा ने बताया कि सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है। अधिक से अधिक किसान इस योजना से जुड़कर अपनी फसलों को बीमा रूपी सुरक्षा कवच पहनाए।
रबी सीजन में गेहूं, सरसों, जौ, सूरजमुखी वा चना की फसलें अधिसूचित की है। उन्होंने बताया कि ऋणी किसान बैंको में अपनी फसलों का सही ब्योरा देकर अपनी फसलों का बीमा करवा सकते हैं व गैर ऋणी किसान कॉमन सर्विस सेन्टर के माध्यम से 31 दिसम्बर तक अपनी फसलों का बीमा करवा सकते है।
ए.डी.सी. जयाश्रद्धा ने बताया कि जो ऋणी किसान इस योजना का लाभ नही लेना चाहते हैं वो किसान भी बैंक को सूचना दे सकते हैं।
निजी फायनेंस कम्पनी ने किसान को दिया धोखा
राजस्थान के करणपुर में निजी फाइनेंस कम्पनी के कारिन्दों ने एक किसान के दस्तावेज प्राप्त करके उसके नाम से ऋण स्वीकृत करवा कर राशि हड़प कर ली। फाइनेंस कम्पनी से किस्तें चुकता नहीं होने के बारे में कॉल आई,तो उसे पता चला की मेरे नाम से पौने तीन लाख रूपये का ऋण लिया जा जुका है।
ध्यान देने की बात ये है की अपने व्यक्तिगत दस्तावेज किसी भी अनजान व्यक्ति को न दें। निजी फाइनेंस कंपनी से ऋण लेने के पहले और बाद में दस्तावेज सम्बन्धी जानकारी को गोपनीय रखे। कोशिश करे की ग्रामीण विकास बैंक या राष्ट्रीय बैंक से ही लोन ले।
पुलिस के अनुसार भुट्टीवाला निवासी जज सिंह ने रिपोर्ट दी की अमित आनन्द व सन्दीप ट्रेक्टर की क़िस्त लेने आते थे ढाई साल पूर्व तीनो आरोपी मेरे घर आये थे।
आरोपियों ने मेरे ट्रेक्टर की आरसी ले ली और खाली चेक व कागजों पर हस्तक्षार करवा लिए। तीनो ने बताया की आप का तीन तीन लाख रुपए का ऋण स्वीकृत हो जायेगा। आरोपियों ने बताया कि पहले वाले लोन की राशि एक लाख रूपए नगद देनी होगी।
दस दिन बाद मैने आरोपियों को एक लाख रुपए नगद दे दिये। लोन स्वीकृत नही होने पर मैने कई बार आरोपियों से बात चीत की, तो वो लोग टाल मटोल करते रहे। पिछले दिनों आरोपियों से बात चीत की, तो उन्होंने बताया कि लोन नहीं हो सकता फाइल कैंशिल हो गई हैं।
करीब दो माह पहले उज्जीवन फाइनेंस कम्पनी से मुझे फोन आया और बताया कि मै लोन की किस्तें जमा नहीं करवा रहा हूं। किस्तें जमा नहीं करवाई तो टैक्टर उठा कर ले जायेंगे। मैने तो कोई लोन लिया ही नहीं था।
फाइनेंस कम्पनी में जाकर पता किया तो जानकारी मिली कि आरोपियों ने मेरे दस्तावेजों से फर्जी खाता खुलवा कर 284000 रूपए का ऋण उठा लिया था। आरोपियों ने इस लोन की 10 या 11 किस्तें भी जमा करवाई। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।
ठगों और जालसाजों की निगाह पशु व्यापारियों पर
आजकल हर क्षेत्र में ठगी और जालसाजी का शिकार कई लोग मिल जाएंगे जिनमें बहुत सारे मामले ऑनलाइन ठगी के होते हैं जिसमें ग्राहक को लालच या ब्लैकमेल करके अच्छे खासे पैसे लूट लिए जाते है लेकिन ठग अपना शिकार हर जगह ढूंढ लेते है।
ताजा मामला राजस्थान के हनुमानगढ़ जंक्शन के सुरेशिया का है जिसमें ठगों ने एक व्यक्ति को शिकार बनाकर नकली सोने की मोहरें देकर लगभग सवा दो लाख कीमत के बकरी और बकरे हथिया लिए। पुलिस के अनुसार वार्ड नंबर 56 सुरेशिया निवासी अंग्रेज ढोली ने रिपोर्ट दी कि विगत 14 अक्टूबर को मदन लाल नायक दो महिलाओं को लेकर मेरे घर आया।
मदन लाल एक माह से वार्ड में तंबू लगाकर रहता था । मदन लाल ने मेरे से छोटी बकरी और मेरे मामा की तीन बड़ी बकरी और तीन बड़े बकरे दो लाख बीस हजार रुपए में खरीदने का सौदा किया था 16 अक्टूबर को मदन लाल चार मोहरे सोने की बताकर दे गया और बदले में बकरिया ले गया
मैं सोने की मुहर लेकर सुनार के पास गया तो सुनार ने बताया कि मुहर नकली है बाद में जब मैने मदन लाल की तलाश की तो वो अपनी महिला साथियों के साथ फरार हो चुका था पुलिस ने मामला दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दी है।
ध्यान रहे कि कई बार जाली नोटों को चलाने वाले जालसाज पशु बाजार के व्यापारियों को अपना निशाना बनाते है। जानकारों का मानना है कि प्रायः पशु व्यापारी अधिक पढ़े लिखे नहीं होते साथ ही पशु बाजारों में सारा लेन देन नकद ही होता है जिससे नकली नोट आसानी से व्यापारियों को दे दिए जाते हैं।
कृषि क्षेत्र में क्रान्ति : ड्रोन तकनीक बनी से बढ़ी उत्पादकता और दक्षता
जैसा की हम सब लोग जानते है, कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है। अब हमारे किसान भाई भारतीय ड्रोनों का उपयोग कृषि क्षेत्र में बढ़ा रहे है जैसे-किसान अब खेतों में निगरानी,फसलों पर दवाई का छिड़काव और कई तरीकों से कर रहे है । लेकिन ड्रोन के मूल्य तकनीक को और सत्ता और किफायती बनाने की आवश्यकता है
ड्रोन का उपयोग कैसे हो रहा है –
सटीक कृषि डेटा : ड्रोन फसलों की स्थिति का वास्तविक समय डेटा प्रदान करते है। इससे किसान बेहतर निर्णय ले पा रहे हैं।
कीटनाशक और उर्वरक छिड़काव : पारम्परिक तरीकों से छिड़काव में समय और संसाधनों की बर्बादी होती थी। अब ड्रोन की मदद से यह काम सस्ता और तेजी से हो रहा है।
कृषि क्षेत्र में ड्रोन का बढ़ावा देने के लिए सरकार ने विशेष योजनाए शुरू की हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री ने कृषि ड्रोन योजना का उद्घाटन किया है जिसमे छोटे व मध्यम किसानो को काम लागत पर ड्रोन उपलब्ध हो सके।
पराली के प्रबंध हेतु तिगुनी हो सकती है प्रोत्साहन राशि
फसल उत्पादन के पश्चात किसानों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि जो पहले 1000 रुपए प्रति एकड़ थी हरियाणा कृषि विभाग ने उसे 3000 रुपए प्रति एकड़ करने का प्रस्ताव तैयार किया है।
राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद किसान भाइयों को एक बड़ी राहत मिल सकती है।
2023 में परली प्रबंध के लिए सरकार ने किसानों के खाते में लगभग 167 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि भेजी थी। जो राशि हमे अबकी बार और बढ़ती दिख सकती है।
इच्छुक किसान प्रोत्साहन राशि का लाभ उठाने हेतु “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते है। प्रोत्साहन राशि बढ़ाने के आवेदन को यदि मंजूरी मिल जाती है तो इसे अगले साल लागू कर दिया जाएगा।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बीरेंद्र सिंह लाठर ने कहा कि कृषि विभाग की सराहनीय पहल और किसानों की आर्थिक समस्या को समझते हुए सरकार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देनी चाहिए।
किसान भाइयों से अनुरोध किया जाता है कि धान की कटाई के बाद अपने खेतों में आग न लगाएं जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है और मृदा तत्व भी नष्ट हो जाते है इसकी जगह आप धान अवशेषों को मिट्टी में मिला सकते है जिससे मृदा उर्वरता बढ़ेगी
जैव विविधता की गंभीर समस्या को लेकर सजगता है जरूरी
जैव विविधता के प्रबंधन की शुरुआत 1999 में हुई थी और वर्ष 2008 और 2014 में इसके कानूनी प्रावधानों में संशोधन किया गया था। पर इस समय की आवश्यकताओं को देखते हुए इसमें पुनः संशोधन की आवश्यकता महसूस हो रही है।
भारत 17 मान्यता प्राप्त बड़ी विविधताओं वाले देशों में से एक है। ये 17 देश मिलकर विश्व की 70 प्रतिशत जैव विविधता का निर्माण करते है। भारत के पास विश्व भूमि का 2.4% हिस्सा है लेकिन यह दुनिया के 8 प्रतिशत जैव विविधता का निर्माण करता है।
जैव विविधता का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बना प्रेरणा
भारत ने हाल में ही कोलंबिया में जैव विविधत के अंतराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के 16वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज में भाग लिया है। भारत के लिए ये सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ है क्योंकि इससे भारत को जैव विविधता रणनीति और योजना को फिर से संशोधित करने के लिए प्रेरित किया है।
आंकड़ों की माने तो ग्लोबल नेचर कंजर्वेशन इंडेक्स में भारत 180 देशों में 176वें नंबर पर है जो एक दुख की बात है।
इस लिए भारत सरकार को बिना देर किए तुरंत जैव विविधता संरक्षण संबंधित ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
खेत में परली जलाना पड़ा महंगा,आरोपी गिरफ्तार
हरियाणा के जुलना क्षेत्र के गांवों में पुलिस ने खेत परली जलने के आरोप में 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया जिसके बाद उन्हें जमानत मिली। पुलिस ने बताया कि लोकेशन मिलने पर कृषि विभाग के अधिकारियों ने प्रदूषण फैलाने और सरकार के आदेशों की अवहेलना करने के आरोप में पुलिस को सूचना दी थी।
शिकायत होने के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। इसी मामले की जांच करते हुए पुलिस ने तीनों किसानों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस ने जानकारी दी कि बखेड़ा गांव से जयभगवान, बुराडेहर गांव से राजबीर और अकालगढ़ से सतबीर को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया है जहां से तीनों को जमानत मिल गई|
जहाँ सभी किसान भाइयों से यह निवेदन किया जाता है की वे खेत में परली न जलाएं और सरकार के आदेशों का करें। परली जलना खेत को शीघ्र खली करने का तरीका अवश्य है लेकिन यह फायदेमंद बिलकुल भी नहीं है
खेत में परली जलने से पर्यावरण प्रदूषित होता है और साथ ही साथ आपके खेतों की उत्पादक शक्ति में भी कमी आती है। खेत में लगी आग से खेत के पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते है जिससे हम किसानो की ही हानि होती है।
मूंगफली के गिरे दाम, 500 प्रति कुंटल तक गिरा भाव
जाड़ों में मूंगफली सबसे लोकप्रिय नाश्तों में से एक है, लेकिन हाल के ही दिनों मूंगफली की कीमतों में गिरावट देखी गयी है। कीमत गिरने से किसानों की चिंता बढ़ी है।
बीकानेर की बाजारों में मूंगफली के दामों में दो सौ से लेकर पांच सौ रुपये तक की गिरावट आ गयी है।
मूंगफली की उचित कीमत न मिलने के करण किसानो ने मूंगफली बेचना काम कर दिया है जिससे बाजार में मूंगफली को लेकर अव्यवस्था नज़र आ रही है।
मूंगफली के साथ साथ दानों और तेल की कीमतों में में भी गिरावट दर्ज की गयी है। दीपावली से पहले दानो की कीमत 78 रुपये प्रति किलो तथा तेल 142 रुपये प्रति किलो थी जहाँ अब तेल लगभग 125 रुपये प्रति किलो तथा दाना 70 रुपये प्रति किलो पर आ गया है। जिससे किसानो ने इनकी बिक्री को रोक लिया है।
न बिकने के करण कई ढेरियां मंडी में बिना बिके ही जा रही है।
मुख्य अनाज मंडी की बात करें तो वहां रोज लगभग 2000 ढेरियों की बोली लगती थी। परन्तु मूल्य में गिरावट के करण लगभग 200 ढेरियां रोजाना अनसोल्ड अनसोल्ड रह जाती है। मुख्य अनाज मंडी में सोमवार को सवा लाख बोरी मूंगफली का बाजार में आयात हुआ जिसमे कई ढेरियां बिकने से रह गयी। कुछ किसान अब भी मूल्य बढ़ने के इंतज़ार में है।
जानकारों का मानना है की उपलब्धता और मांग के बीच में भरी अंतर होने के कारन मूल्य में ये कमी आयी है।
डिग्गी खुदाई का नियम बढ़ा रहा है चिंता
डिग्गी खुदान या डिग्गी का निर्माण किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पद्धतियों में से एक है । लेकिन डिग्गी की खुदाई करना एक महंगा कार्य है जिसे सीमांत और छोटे किसान नहीं करवा सकते है इसीलिए ऐसे किसान डिग्गी खुदाई के लिए सरकार से अनुदान की उम्मीद करते है।
लॉटरी सिस्टम के बाद किसानों को अनुदान मिलना महज एक किस्मत का खेल बन कर रहा गया था। 90% किसानों ने पहले जियो टैग की हुई जगह पर कच्ची डिग्गी का निर्माण किया था।
जिसमें वे कागज का ईस्तेमाल करते थे जो 5 से 6 महीनों में खराब हो जाता था। किसानों को 30–40 हजार रुपए लगाकर पुनः कागज डालना पड़ता था जिससे किसानों का बहुत नुकसान होता था।
कृषि पर्यवेक्षक नहीं कर रहे जियोटैग
अब जब सालों बाद लॉटरी सिस्टम बंद हुआ है तब किसानों में अनुदान को लेकर एक नई उम्मीद जागी है परन्तु अब कृषि पर्यवेक्षक उस जगह जियो टेक करने से मना कर रहे है जिस जगह किसानों ने अस्थाई डिग्गी का निर्माण कर रखा है।
यदि किसान पुनः खुदाई करते है तो उन्हें एक से डेढ़ लाख रुपए फिर से खर्च करने होंगे जो किसानों के लिए अत्यधिक नुकसानदायक साबित होगा।
ऐसा न हो इसलिए किसानों ने सिंचाई विभाग से जियो टैग करने की मांग की है जिससे उन्हें दोबारा डिग्गी खुदाई न करनी पड़े।