खेती किसानी बुलेटिन 11 दिसम्बर 2024

किसान भाईयों नमस्कार आपकी सेवा में प्रस्तुत है आज का खेती किसानी बुलेटिन।

उत्तरप्रदेश राज्य में कृषि यंत्रों हेतु अनुदान योजना

उच्चतम फसल उत्पादन हेतु आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग अब किसानों के लिए आवश्यक बन गया है। लेकिन छोटे और सीमांत किसानों हेतु महंगे उपकरणों को खरीदना संभव नहीं हो पाता है। किसानों की इस समस्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश कृषि अनुदान योजना प्रारंभ की गई है।

 जहां किसानों को कृषि यंत्र खरीदने पर 50% तक सब्सिडी दी जाएगी। इस योजना का उद्देश्य कृषि को यंत्रीकृत करके उत्पादन बढ़ाना है। इस योजना में 75 प्रकार के  कृषि यंत्रों में सब्सिडी दी जाएगी। इस योजना का लाभ लेने के लिए गूगल में सर्च करें।

इसकी पात्रता नियम व् शर्तों के लिए इसकी आधिकारिक वेबसाइट अभी चल नहीं रही है फिर भी आप से इसे सेव कर लें https://agriculture.up.gov.in/img/yantra_notice.pdf हो सकता है कुछ समय के बाद यह साईट चलने लगे।

अधिक जानकारी के लिए आप अपने स्थानीय कृषि विकास अधिकारी से सम्पर्क कर लें और अपना आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र आदि को साथ रख लें ताकि तुरंत आवेदन करना भी पड़े तो किया जा सके।

उत्तर प्रदेश बिजली विभाग की निजी नलकूपों की बिल माफी योजना

कृषि उत्पादन हेतु सिंचाई की अच्छी व्यवस्था होना बहुत आवश्यक होता है। सिंचाई हेतु कई किसान निजी नलकूपों का प्रयोग करते हैं परंतु इसको चलने में बिजली की बहुत खपत होती है जो किसानों को बहुत महंगी पड़ती है।

किसानों की यही आर्थिक समस्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने  निजी नलकूपों के बिजली बिल में 100% तक छूट देने की योजना बनाई है। इस योजना से न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है बल्कि उनकी कृषि लागत में भी कमी आती है जिससे उन्हें और ज्यादा उत्पादन करने की प्रेरणा मिलती है।

इस योजना के लिए 2024–25 में 800 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस योजना में सरकार का लगभग 13 लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य है। इस योजना में लघु किसानों को 4500, सीमांत किसानों को 6000 और एससी/एसटी वर्ग के किसानों को 10000 रुपए मिलते हैं।

नलकूपों की व्यवस्था किसानों को स्वयं करनी पड़ती है। इच्छित किसान योजना का लाभ उठाने के लिए उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण करवा सकते है।

कार्बन फाइनेंस योजना किसानों की आय बढ़ाने में सहायक

उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें समृद्ध बनाने का पूर्ण प्रयास कर रही है। जिसके साथ सरकार ने किसानों को कार्बन फाइनेंस से जोड़ने का फैसला किया है जिससे किसान अपनी आय डॉलर में कर पाएंगे। किसी भी क्षेत्र में उत्पादन के साथ साथ कम से कम हानि हो इस बात का भी ध्यान रखना आवश्यक है।

इसी संदर्भ में मोदी जी ने 2070 तक भारत को नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन वाला देश बनाने का संकल्प लिया है।जिसके साथ मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने भी ठोस कदम उठाए हैं।

प्रदेश में इस वर्ष 36 करोड़ पौधों का रोपण करके कीर्तिमान बनाया है। प्रधानमंत्री के संकल्प के चलते 2017 से अब तक प्रदेश में 200 करोड़ से भी ज्यादा पौधे रोपे जा चुके है। कार्बन फाइनेंस योजना से किसानों को भी जोड़ने का निर्णय लिया है।

जहाँ  छह अमेरिकी डॉलर से प्रति कार्बन क्रेडिट की खरीद की जाएगी जिससे किसानों को लगाए गए प्रत्येक पेड़ के लिए 250 से 350 रुपए प्राप्त हो सकते हैं। इसके लिए किसानों को अधिक संख्या में तेज गति से बढ़ने वाली प्रजाति के पौधे लगाने होंगे।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्ध योजना

उत्तर प्रदेश में लाखों हेक्टेयर जमीन बीहड़ और बंजर पड़ी हुई है। कुछ भूमि जलभराव क्षेत्र के कारण खराब हो गई है इसी को देखते हुए यू.पी. सरकार ने ऐसी जमीनों के उपचार के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्ध योजना का निर्माण किया है।

इस योजना में सरकार के द्वारा बंजर और बेकार जमीन को खेती करने योग्य बनाने का संकल्प लिया गया है जिसके लिए सरकार के द्वारा इस योजना के लिए 2027 तक लगभग 60268 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है।

सुधार की हुई भूमि पर आवश्यकता के अनुसार कृषि वानिकी का भी प्रबंध किया जाएगा। किसानों के उन्नति करने के लिए उन्हें 50% तक फसल अनुदान भी दिया जाएगा। इससे किसानों के जीवन स्तर में अत्यधिक सुधार आएगा। आगे आने वाले 5 सालों में लगभग 2 करोड़ से अधिक किसानों और कृषि मजदूरों के जीवन में सुधार आएगा।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति–2023

इस नीति के तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को कई प्रकार की छूटें दी गई है।

इसमें फूड प्रोसेसिंग इकाइयों को लगाने के लिए सब्सिडी,ब्याज सब्सिडी,ट्रांसपोर्ट सब्सिडी,और प्रोत्साहन सब्सिडी दी जा रही है इसके साथ साथ जो लोग फूड प्रोसेसिंग इकाइयों को सीधे अपने उत्पाद बेचते है उन्हें मंडी शुल्क पर भी छूट दी जा रही है। यूपी सरकार फूड प्रोसेसिंग इकाइयों को 35% या अधिकतम पांच करोड़ का अनुदान दे रही है।

इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन के लिए भी लागत का 35% या अधिकतम 10 करोड़ का अनुदान मिल सकता है। इसके जरिए सरकार नए स्टार्टअप को बढ़ावा दे रही है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए  12 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि खरीदने की अनुमति दी जाएगी।

केले की फसल में लगने लगाने वाले मुख्य रोग तथा उनके उपचार

केले की फसल किसान भाइयों के लिए काफी फायदेमंद होती है। लेकिन अच्छा लाभ प्राप्त करने हेतु किसानों को उसमे लगाने वाले रोगों और उन रोगों के उपचारों के बारे में जानकारी होना अति आवश्यक है। केले के प्रमुख रोगों और उनके निवारण का विवरण हम नीचे देने का प्रयास कर रहे हैं।

पीला सिगाटोका फसल में यह रोग होने पर नए पत्तों के ऊपरी भाग में पीले धब्बे या धारीदार लाइन दिखती हैं बाद में ये धब्बे बड़े तथा भूरे रंग के हो जाते है और इनका केंद्र हल्का कत्थई दिखने लगता है।

काला सिगाटोका केले की फसल में यह रोग होने पर पत्तों के निचले भाग में काले धब्बे दिखने लगते है। इस रोग के कारण केले परिपक्व होने से पहले ही पक जाते हैं।

पनामा विल्ट नीचे के हिस्से की पत्तियां या सम्पूर्ण पौधा ही सूख जाता है तथा तने के अंदर से सड़ी मछली की दुर्गन्ध आती है।

सिगाटोका तथा पनामा विल्ट रोग के प्रबंध

खेत से अधिक पानी का निकास कर लें।

एक  किलो ट्राइकोडर्मा विरिड को 25 किलो गोबर की खाद के साथ मिलाकर खेत की मृदा का उपचार करें।

सिगाटोका रोग के प्रबंध हेतु रासायनिक फफूंदी नाशक का प्रयोग करें

पनामा विल्ट के उपचार हेतु

कार्बेन्डाजिम 50% घुलनशील चूर्ण 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें ।

रोपाई से पहले केले के सकर को 30 मिनट तक कार्बेन्डाजिम 50% डब्लू.पी. 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में डुबाने के बाद रोपनी करें।

केले की पत्तियाँ चिकनी होती है, अतः घोल में स्टीकर यानि के चिपकने वाला पदार्थ मिला देना लाभदायक होगा।

मध्य प्रदेश

कृषि चौपाल का हुआ शुभारभ

7 दिसंबर शनिवार को किसानों से जुड़े कार्यक्रम कृषि चौपाल की शुरुआत हुई है। इस कार्यक्रम की प्रेरणा कृषि विभाग और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान दी है। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात के ही समरूप होगा और डी.डी. किसान चैनल पर शनिवार को इसका पहला भाग प्रसारित किया जाएगा।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों की कृषि संबंधित आ रही समस्याओं का निवारण करना है।

जहां किसान और कृषि वैज्ञानिक साथ में बैठ कर चर्चा करेंगे। किसान अपनी समस्याएं और सवाल वैज्ञानिकों से पूछेंगे और जानकार लोग उनकी बातों का उत्तर देंगे। केवल फसल ही नहीं बल्कि कृषि संबंधित जैसे पशु पालन मधुमक्खी पालन मछली पालन जैसे तमाम क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। किसानों के लिए अपनी समस्याओं को सुलझाने का यह एक स्वर्णिम अवसर बन सकता है।

कर्णाटक

बेंगलुरु में हुआ दो दिवसीय मखाना महोत्सव का आयोजन

भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसलिए यहां मखाने की खेती पर भी जोर दिया जाता है। देश में सबसे ज्यादा मखाना उत्पादन बिहार में होता है। जानकारों की माने तो देश के 85% मखाने का उत्पादन अकेले बिहार में किया जाता है।

इसलिए बिहार के मखाने को वैश्विक पहचान दिलाने हेतु बेंगलुरु में दो दिवसीय मखाना महोत्सव का आयोजन किया गया था। इस आयोजन में केंद्रीय उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी भी पहुंचे जिसके बाद उन्होंने मखाना उद्यमियों के स्टालों का दौरा किया तथा तथा मखाना उत्पादों की सराहना की। उन्होंने मखाने को व्यापक एवं वैश्विक बाजार के समक्ष प्रस्तुत करने के संबंध में भी निर्देश दिए। भारत सरकार के मखाने उत्पादन को वैश्विक पहचान दिलाने के सभी संभव प्रयत्न कर रही है।

स्वास्थ्य का वरदान है मखाना

मखाना स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभदायक होता है। इसमें पाए जाने वाले कई पोषक तवों के कारण इसे सुपर फूड भी कहते हैं मखाने के सेवन से होने वाले कुछ स्वास्थ्य संबंधी लाभ इस प्रकार हैं

1. मखाना पेट की समस्याओं में लाभदायक है।

 2. यह हृदय स्वास्थ्य में भी फायदेमंद है।

3. मखाने का सेवन हड्डियों को मजबूत बनाता है।

4. मखाने में फाइबर होता है जो वजन का करने में सहायक है।

5. यह तनाव और चिंता जैसी मानसिक स्थितियों में भी सहायक है।

हरियाणा

सीवर लाइन में गोबर बहाने वालों पर शिकंजा कसेगा गुरुग्राम नगर निगम

गुरुग्राम के नगर निगम आयुक्त ने सीवर लाइन में गोबर फेंकने वालो पर शिकंजा कसने के निर्देश दिए हैं। नगर निगम के कार्यालय में आयोजित समाधान शिविर में शिकायतें सुनते हुए उन्होंने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि अभियान चलाकर सीवर में गोबर फेंकने वालों की पहचान कर उनका जुर्माना करे और अगर आवश्यकता हो तो एफ.आई.आर भी दर्ज कराएं।

साथ ही उन्होंने निर्देश दिया कि सार्वजनिक स्थानों पर डंप करने वालों के वाहन जप्त कर उन पर भी एफ.आई.आर कराएं। ध्यान रहे कि नालियों और सीवर में गोबर फेंकने से वो चोक हो जाती है जिससे जल निकासी की समस्या पैदा होती हैं और गंदे पानी के भरने से बीमारियां फैलती हैं।

बाजरे की रोटी खाने में कुछ बातें रखे ध्यान

जाड़े के मौसम में बहुत सारी खाद्य वस्तुएं उपलब्ध होती है जिनको खाकर हम अपनी सेहत को दुरुस्त रख सकते है। इनमें से एक अनाज बाजरा भी है जो हमें सर्दियों में अच्छा लाभ देता है। बाजरा की रोटी खाने से हमारी सेहत को बहुत फायदा होता है।  

यह हड्डियों को मजबूत बनाता है पेट साफ रखता है साथ वज़न कम करने में भी सहायक है। लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना है कि इस अनाज का पूरा फायदा तभी मिलेगा जब हम इसका सेवन ठीक ढंग से करेंगे नहीं तो फायदे के बदले नुकसान भी हो सकता है।

अगर आप बाजरे की रोटी खाना चाहते हैं तो इसको सुबह शाम के भोजन में  शामिल करें रात को अगर खाना चाहते हैं तो सोने से पहले 3 से 4 घंटे पहले खाएं क्योंकि ये पचने में भारी होता है और रात को पाचन धीमा होता है जिससे पेट खराब हो सकता है।

 बाजरे के साथ बहुत भारी और गर्म तासीर और तली भुनी चीजों का सेवन बिल्कुल न करें , साथ ही  छोला ,पनीर राजमा आदि के साथ भी नहीं खाना चाहिए। बाजरे के साथ हल्की और सुपाच्य चीजों जैसे मूंग की दाल हरी सब्जियां और साग का सेवन  करना चाहिए।

दैनिक जीवन में सोलर पैनल की उपयोगिता

आधुनिक युग में मनुष्य के जीवन यापन हेतु ऊर्जा सबसे प्राथमिक आवश्यकताओं में से एक है। आम तौर पर हम ऊर्जा हेतु बिजली का स्तेमाल करते है लेकिन बिजली को बनाना एक मुश्किल और महंगी प्रक्रिया है। इस लिए सोलर पैनल को हम एक सस्ते और आसान ऊर्जा स्रोत के रूप में देख सकते है।

सोलर पैनल सौर ऊर्जा की सीधे विद्युत ऊर्जा में बदलते है तथा किसी भी प्रकार का प्रदूषण भी नहीं करते है। ये ऊर्जा के एक स्थित स्त्रोत है।

कृषि के लिए भी महत्वपूर्ण है सोलर

कृषि उत्पादन हेतु सिंचाई सबसे आवश्यक कार्यों में से एक है किसी भी फसल के अच्छे उत्पादन हेतु पानी की आपूर्ति बहुत आवश्यक है इसी आपूर्ति को पूरा करने हेतु सोलर पैनल आपकी सहायता कर सकता है।

सोलर पंप एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से आप सौर ऊर्जा की सहायता से सिंचाई कर सकते है।

इस प्लांट को लगवाने में सरकार भी अनुदान देकर आपकी सहायता करती है।

बिजली की कटौती में कमी

बिजली की आपूर्ति न हो पाने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर बिजली की कटौती की जाती हैं। लेकिन सोलर प्लांट इसके लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है क्योंकि यह एक निरंतर ऊर्जा का स्रोत है।

फाईनेन्स जगत की ख़बरें

जीरो कास्ट टर्म इंश्योरेंस नहीं है इतना सरल

जीरो कास्ट टर्म इंश्योरेंस हाल के वर्षों में लोकप्रिय हुआ है, लेकिन इसे जटिल उत्पाद माना जा रहा है। यह बीमा पॉलिसी खरीदार को पूरी प्रीमियम राशि वापस करने का वादा करती है, अगर पॉलिसी अवधि के दौरान दावा नहीं किया गया हो। हालांकि, इसमें छिपी शर्तें और प्रीमियम की ऊंची दरें इसे समझने और अपनाने में मुश्किल बनाती हैं। 

इस उत्पाद की संरचना जटिल है, क्योंकि इसमें बीमा और बचत दोनों को मिलाकर पेश किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस पॉलिसी में पारदर्शिता की कमी और अतिरिक्त शुल्क की संभावना रहती है, जिससे ग्राहक भ्रमित हो सकते हैं। वित्तीय सलाहकार इसे समझदारी से चुनने की सलाह देते हैं, ताकि ग्राहकों को अपने वित्तीय लक्ष्यों के मुताबिक सही निर्णय लेने में मदद मिले।

पहली नौकरी के साथ शुरू करें ये 4 तरह के निवेश, भविष्य रहेगा सुरक्षित

पहली नौकरी मिलने के साथ ही निवेश की योजना बनाना आपके भविष्य को सुरक्षित और तनावमुक्त बना सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि शुरुआती दौर में सही निवेश की आदत डालने से वित्तीय स्थिरता पाई जा सकती है। 

1. इमरजेंसी फंड: अपनी आय का एक हिस्सा बचाकर इमरजेंसी फंड बनाएं। यह अप्रत्याशित खर्चों के समय सहारा बनेगा। 

2. पीएफ और एनपीएस: नौकरी के साथ ही प्रोविडेंट फंड (PF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में योगदान शुरू करें। यह सेवानिवृत्ति के लिए मददगार साबित होगा। 

3. म्यूचुअल फंड: छोटे निवेश के लिए सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करें। 

4. हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस: स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसी लेना अनिवार्य है, ताकि मुश्किल वक्त में आर्थिक सुरक्षा बनी रहे। 

इन चार निवेश विकल्पों के जरिए आप आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

सुरक्षित निवेश और गारंटीड रिटर्न का भरोसेमंद विकल्प, लेकिन 7 साल का लॉक-इन पीरियड

सुरक्षित निवेश की तलाश करने वालों के लिए गारंटीड रिटर्न वाली  निवेश योजनाएं एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं। यह योजनाएं निश्चित आय और पूंजी सुरक्षा का भरोसा देती हैं, जिससे निवेशक वित्तीय स्थिरता प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, इनमें निवेश करते समय 7 साल का लॉक-इन पीरियड अनिवार्य होता है, जिसके दौरान आपकी राशि को निकाला नहीं जा सकता। 

यह योजना उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जो लंबी अवधि के लिए बचत करना चाहते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के निवेश में योजना को पूरी तरह समझकर ही आगे बढ़ें, ताकि आपकी वित्तीय जरूरतों पर कोई असर न पड़े।

जी.एस.टी. में हुए बदलाव: जानें नए नियम और उनका असर

जी.एस.टी. में बदलाव के तहत केंद्र सरकार ने कुछ नए नियम लागू किए हैं, जिनका असर व्यापारियों और उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। छोटे व्यापारियों के लिए सीमा बढ़ाई गई है, जिससे उन्हें कर राहत मिलेगी। साथ ही, ऑनलाइन सेवाओं और ई-कॉमर्स पर कुछ नई दरें लागू की गई हैं। 

टैक्स रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, जिससे व्यापारियों को समय और लागत की बचत होगी। जीएसटी परिषद ने कहा कि इन बदलावों का उद्देश्य व्यापार को आसान बनाना और कर प्रणाली में पारदर्शिता लाना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन सुधारों से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और उपभोक्ताओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

निवेदन नोट :-

किसान भाईयों इस बुलेटिन में प्रदत्त ख़बरें केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अत: कोई भी फैंसला करने से पहले अपनी पड़ताल अवश्य कर लें और अपनी विवेक और समझदारी के प्रयोग से ही कोई फैंसला करें।