खेती किसानी बुलेटिन 12 दिसम्बर 2024

किसान भाईयों नमस्कार आपकी सेवा में प्रस्तुत है आज का खेती किसानी बुलेटिन जिसमें आपको मौसम, कृषि, पशुपालन, मंडी भाव, नवाचार और महत्वपूर्ण ख़बरें प्रदान की जाती है। हमारी नि:शुल्क व्हाट्स एप्प सन्देश सेवा में जुड़ने के लिए www.kisansanchar.org पर पंजीकरण करें।

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मौसम खबर : 2024 बनेगा मानव इतिहास में आज तक का सबसे गर्म साल

जैसा की हमारे सभी किसान भाई जानते ही हैं कि,2024 अब तक का सबसे गर्म साल बनने की ओर है, जिसमें वैश्विक तापमान पहली बार औद्योगिक युग से पहले के औसत से 1.5°C अधिक हो जाएगा। यह खतरनाक स्थिति जलवायु परिवर्तन और एल नीनो प्रभाव के कारण हो रही है, जो प्रशांत महासागर से गर्मी को वायुमंडल में छोड़कर तापमान में वृद्धि करता है। कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के वैज्ञानिकों के अनुसार, अक्टूबर 2024 तक रिकॉर्ड गर्मी हुई है, जिससे यह लगभग निश्चित है कि 2024 पिछला रिकॉर्ड 2023 को तोड़ चूका हैं।

इस अत्यधिक गर्मी के परिणामस्वरूप कई पर्यावरणीय और सामाजिक समस्याएं उभर रही हैं। इसमें आर्कटिक और अंटार्कटिक में समुद्री बर्फ का रिकॉर्ड निचला स्तर, भयंकर सूखा, और यूरोप व अमेरिका जैसे क्षेत्रों में विनाशकारी बाढ़ शामिल हैं। 2024 में जलवायु संबंधी आपदाओं से होने वाले आर्थिक नुकसान का अनुमान 320 बिलियन डॉलर  लगाया गया है, जो दिखाता है कि जलवायु परिवर्तन की अनदेखी कितनी महंगी पड़ सकती है।

यह स्थिति स्पष्ट करती है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और भविष्य में ऐसी समस्याओं को रोकने के लिए तुरंत और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

 

उज्ज्वला योजना ने बदली है बिहार उत्तरप्रदेश और बंगाल में महिलाओं की जिन्दगी

जैसा की हम सभी लोग जानते है कि, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का लाभ सभी राज्य ले रहे है। इसके लाभार्थियों में सबसे अधिक लाभ लेने वाले राज्य उत्तर प्रदेश , बिहार व पश्चिम बंगाल हैं। यह योजना 2016 में शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देना था। इस योजना के अंतर्गत 10 करोड़ से अधिक महिलाओ को लाभ मिल चुका हैं। यह योजना ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई हैं, और इससे स्वास्थ्य व पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा हैं।

 

प्राकृतिक खेती है रसायनिक और जैविक खेती का सशक्त विकल्प

प्राकृतिक खेती, रासायनिक और जैविक खेती का एक प्रबल विकल्प मानी जा रही है, जो पर्यावरण, मिट्टी की गुणवत्ता और किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मददगार है। यह खेती प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग करती है जिससे हमारे किसान भाइयों की आर्थिक आय में वृद्धि होती है। 

प्राकृतिक खेती में देशी गाय के गोबर और गोमूत्र से तैयार उत्पाद जैसे जीवामृत, घनामृत और बीजामृत का उपयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी की जैविक संरचना मजबूत होती है और उत्पादकता बढ़ती है।

 यह खेती ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करती है और जल धारण क्षमता बढ़ाने में सहायक है। भूमि और जल स्रोतों के प्रदूषण को भी कम करती है।

इसमें रासायनिक खादों और कीटनाशकों पर निर्भरता खत्म होने से लागत घटती है। जैविक उत्पादों की उच्च मांग से किसानों की आय में वृद्धि होती है।

प्राकृतिक खेती स्थानीय संसाधनों पर आधारित है और इसमें फसल, पेड़, और पशुधन का समन्वय किया जाता है। इसे “जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग” के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें लागत बेहद कम होती है।

बता दूं कि, रासायनिक खेती के कारण मिट्टी और मानव स्वास्थ्य पर पड़े नकारात्मक प्रभावों ने प्राकृतिक खेती की आवश्यकता को बढ़ाया है। यह किसानों को स्थायी आय और बेहतर कृषि पारिस्थितिकी प्रदान करती है।

 

राजस्थान में चल रहे हैं महिला सशक्तिकरण के अनेकों कार्यक्रम

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी समेत देशभर से पहुंची महिलाओं ने हिस्सा लिया। सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सरकार 12 दिसंबर को राजस्थान में 1 लाख 25 हजार बालिकाओं को साईकिल दे रही है और साथ ही साथ में हम 21 हजार रुपये भी दे रहे हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही बालिकाओं को स्कूटी भी दे रहे हैं। मुख्यमंत्री जी ने बताया कि हमारी सरकार का 1 साल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। सरकार ने आने वाले समय में महिलाओं के लिए महिला निधि बैंक केअंतर्गत 100 करोड़ रुपए का लोन महिलाओं को देने का फैसला किया है। 10 हजार स्वयं सहायता समूह आमदनी बढ़ाने के लिए राशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही महिलाओं की सुविधा को देखते हुए 20 लाख महिलाओं को 450 रुपए में गैस का सिलेंडर देने का भी निर्णय लिया हैं। राज्य की एक लाख बच्चियों को लाडो योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री जी के द्वारा पहली किस्त जल्द ही जारी की जाएगी।

 

रादौर हरियाणा : गाय ने दिया जुड़वा बछड़े व बछड़ी को जन्म

बकाना गांव  में एक कुदरत का अदभुत करिश्मा देखने को मिला हैं। पशुपालक की गाय ने जुड़वा बछड़े व बछड़ी को जन्म दिया है। देशी नस्ल की गाय बताई जा रहीं है। हिंदू धर्म के परिवारों में गाय को माता भी माना जाता हैं। गाय के जुड़वां बच्चों के जन्म को लेकर सिर्फ़  बकाना गांव ही नहीं आस पास के गांव में भी गाय के जुड़वां बच्चों को जन्म देने का विषय चर्चा में बना हुआ हैं। गाय को देखने पशुपालक के घर लोग पहुंच रहे हैं।  गाय और बच्चें पूरी तरह से स्वस्थ्य है। पशुपालक सेवासिंह सैनी ने बताया कि उसने अपने घर पर एक देशी गाय भी पाली हुई है। इस हफ्ते उसी गाय ने बछड़ी व एक बछड़े को जन्म दिया। जन्म से पहले उन्हें यह मालूम नहीं था कि गाय जुड़वा बच्चों को जन्म देगी। गाय ने पहले बछड़ी को जन्म फिर उसके कुछ देर बाद ही उसने एक बछड़े को जन्म दिया। पशुपालक ने बताया कि उसने अपने जीवन में कभी भी ऐसा नहीं देखा कि जब किसी गाय ने दो बच्चों को जन्म दिया हो। यह उनके लिए भी गर्व की और आश्चर्यजनक बात है। इसलिए गाय का दोनो समय का आधा दूध दोनो बछड़े व बछड़ी के लिए छोड़ा जाता है। बाकी के दूध को घर में प्रयोग किया जाता है। उनकी गाय को देखने के लिए आसपास भी काफी लोग पहुंच रहे है।

 

राजस्थान : पराली भण्डार में पटाखे से आग लगाने वाले अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज

सूरतगढ़ रोड पर स्थित मक्कासर में बारात आए हुए एक अज्ञात के खिलाफ पराली में आग लगाने के संबंध में जंक्शन पुलिस थाना में मुकदमा दर्ज़ किया गया। बताया जा रहा है कि बारात में आए हुए अज्ञात व्यक्ति ने पटाखें फोड़ने के दौरान पास के खेत में 25 हज़ार कुंतल के आस पास किसान द्वारा एकत्रित की गई पराली में आग लग जाने से पराली पूरी तरह जल कर राख हो गई थी 6 दिसम्बर को दिन में  होटल में सतपाल वर्मा निवासी, मक्कासर की दो लड़कियों की शादी थी।

 दोपहर तकरीबन  12.30 बजे शादी में बाराती पटाखे जला रहे थे। तब बलदेव सिंह ने होटल मालिक एवं बारातियों को पटाखे जलाने से रोका। तभी वहां से मोटरसाइकिल से जा  रहे सुनील पुत्र देवीलाल जो कि  मक्कासर के ही निवासी हैं  एक पटाखा आकर उनकी बाइक में लगा। तब भी सुनील ने बारात में पटाखें फोड़ रहे बारातियों को पटाखे जलाने से मना किया और कहा कि यहां पास में पराली लगी  हुई है। पास ही स्थित ढाणी के लोगों ने भी बारातियों को पटाखे जलाने से रोका लेकिन किसी ने कोई बात नहीं सुनी और लगातार पटाखें फोड़ते रहे और जान-बूझकर पराली के नजदीक आकर पटाखे जलाए जिससे पराली में आग लग गई।

बलदेव सिंह पुत्र संतराम जी ने पुलिस में लिखित रिपोर्ट दर्ज़ कराई है। उन्होंने बताया कि 25 हज़ार कुंतल पराली में 12 हज़ार कुंतल के आस पास पराली गौशाला मक्कासर व गौशाला नई खुजा की थी। 2500 कुंतल पराली पशुपालक प्रभुराम पुत्र रावतराम की बताई जा रहीं हैं। बाकी की बची पराली उनकी स्वयं और केशवराम पुत्र भगीरथ प्रजापति के पशुओं के चारा में तब्दील करने हेतु लगी हुई थी। पराली की कीमत 50 लाख में आस पास आंकी जा रहीं हैं।

 

किसान भाई ऑनलाइन फ्रॉड से रहें सावधान

सभी किसान भाई ध्यान दें कि  QR codes स्कैनिंग के द्वारा किसी भी भुगतान को करते समय सावधानी बरतें। ऑनलाइन आने वाले लोन फ्राड ऐप्स और तुरंत जीतने वाली लॉटरी का झांसा देने वालों से भी सावधान और सतर्क रहें।

आरबीआई के अनुसार  डिजिटल पेमेंट सुरक्षित पेमेंट रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ऐसी पेशकश करने वाली लिंक से सावधान रहें अनधिकृत डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स फर्जी लॉटरी योजनाएं QR codes का उपयोग करके भुगतान करते समय स्क्रीन पर नाम की पुष्टि करें कभी भी अज्ञात स्रोतों से ऋण देने वाले ऐप्स अपने मोबाइल में डाउनलोड न करें अज्ञात किसी भी व्यक्ति या संस्थाओं के साथ खुद की पर्सनल या बैंक की कोई भी  जानकारी साझा न करें।

 

पंजाब के किसान रविकांत नहीं लगाते पराली में आग और करते हैं सब्जियों की खेती लेते हैं पराली को उपयोग में

फाजिल्का जिले में स्थित गांव निहाल खेड़ा के एक सब्जी के उत्पादन करने वाले किसान रवि कांत एक सफल किसान हैं जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत का काम करते हैं। कृषि, उद्यान, कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र के साथ में और अपनी व इन सभी संस्थाओं की सूझ बूझ से काम करने वाले  रविकांत सब्जियों की खेती के साथ गेहूं और धान की भी खेती कर रहे हैं। रविकांत का कहना है कि परंपरागत की गई खेती से फसलों में छह माह बाद आय होती है, जबकि सब्जी की खेती प्रतिदिन आय का स्रोत है। उन्होंने अपने खेत में कई प्रकार  की सब्जियों की बुवाई कर रखी  है जिनसे उन्हें हर रोज अच्छा पैसा मिलता हैं।

वह पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा खोजे गए अच्छी किस्मों के बीज और पौध का भी उत्पादन  करते हैं जिन्हें वह अन्य किसानों को आपूर्ति करते हैं। रविकांत जी ने अपने खेत में नए नए प्रयोग भी शुरू किए हैं।  वह बिना जुताई के सब्जियों की खेती कर रहे हैं। रविकांत जी  बताते हैं कि अगर किसान को अपनी आय में बढ़ोत्तरी करनी है तो उसे एक फसल पर निर्भर रहने के बजाय आय के और भी विकल्प तैयार करने होंगे। रविकांत जी पराली को न जलाकर उसका अन्य काम में प्रयोग कर रहे हैं। रविकांत जी के अनुसार ऐसा करने से उनकी जमीन  की उर्वरा क्षमता बढ़ती है और मिट्टी में भी काफी हद तक सुधार देखा जा सकता हैं।

 उन्होंने कहा कि किसानों को अपने खेत के फसल अवशेषों को जलाकर नष्ट करने के बजाय उन्हें  किसी तरह खेत में ही उपयोग में लाना चाहिए, जैसे सब्जियों और बगीचों में फैलाकर मल्चिंग के उपयोग में और खेत में दबाने से मिट्टी में कार्बन की बढ़ोत्तरी की जा सकती हैं और जमीन की भी ताकत बढ़ती है। उनका कहना है कि किसानों को कृषि और बागवानी विभाग से संपर्क करके नई तकनीक का उपयोग करना चाहिए।

 

कुरुक्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में चल रही है लोक परम्पराओं की धूम

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में भारत के अलग अलग राज्यों से आए हुए कलाकारों के लोक कलाकारी ने एक अलग पहचान दी हैं। शिल्पकारों की शिल्पकला  व कलाकारों की अपनी अपनी नृत्य कला मनमोहक ढंग से पर्यटकों के सामने प्रस्तुत किया। कही पंजाब की फुलकारी, राजस्थान की मिठाई, कही असम का पारंपरिक परिधान तो कोई कश्मीर की वादियों से कश्मीर के पारंपरिक वस्त्रों से सजाया जिसे देख कर मन मंत्रमुग्ध हो गया।

कल जिला भिवानी के डेप्युटी कमिशनर श्रीमान महावीर कौशिक जी ने रागिनी गा कर एक अलग ही समां बाँध दिया। लगभग सभी मंदिरों को अपनी सुगंध से मंत्रमुग्ध करने वाली अगरबत्ती भी अपनी महक महोत्सव में बिखेर रही हैं। अगरबत्ती का लघु कारोबार करने वाले लोगों  ने बताया कि अगरबत्ती के बिना हमारे भारत देश में पूजा अधूरी मानी जाती हैं। इस लिए भक्तों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए हर तरह से साफ सफ़ाई प्राकृतिक सामान का उपयोग करते हुए और  केमिकल का उपयोग किए बिना अति सुगंधित अगरबत्तियों को तैयार किया गया हैं। ठंड के मौसम में ज्यादा सुगंध देने के लिए इन अगरबत्तियों को बनाने में कस्तूरी का भी प्रयोग किया गया हैं।

 

हरियाणा में निर्माण सेक्टर में काम कर रहे श्रमिकों के लिए आई एक सुंदर योजना

हरियाणा सरकार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड श्रम विभाग के अंतर्गत 175116 से अधिक निर्माण श्रमिकों को आर्थिक सहायता का लाभ दिया जाएगा।  क्या आप पंजीकृत निर्माण श्रमिक हैं? यदि हां तो आप प्रभावित पंजीकृत निर्माण श्रमिक बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट www.hrylabour.gov.in पर या नजदीकी सेंटर से जाकर आवेदन कर सकते हैं। एन. सी. आर. क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों के बंद होने से प्रभावित सक्रिय पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को निर्माण कार्य बंद रहने तक हरियाणा भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा प्रति सप्ताह 2539 रुपये की आर्थिक सहायता (निर्वाह भत्ता) प्रदान किया जा रहा है।

अधिक जानकारी के लिए अपने पंजीकृत नंबर से श्रमिक सहायता सेवा केंद्र पर संपर्क करें: हेल्पलाइन नंबर : 1800-180-2129 1 पंजीकरण के लिए अपने नजदीकी हेल्पडेस्क पर जाएं श्रमिकों का भत्ता श्रमिकों के आधार से जुड़े बैंक खाते में डीबीटी के द्वारा भेजा जाएगा।

 

आयुर्वेदिक सुपर फूड्स कैसे करें उपयोग

आयुर्वेदिक दवाओं में कई ऐसी सुपरफूड्स एवं जड़ी-बूटियों के बारे में बताया गया है, जो उम्र को लंबा बनाएं रखने में मदद करता हैं, शरीर को शारीरिक और मानसिक रूप से भी मजबूती प्रदान करता हैं। आंवले में पाए जाने वाले विटामिन सी जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता हैं जो कि शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करता हैं। आंवले का सेवन मनुष्य के पाचन को भी दुरुस्त रखता हैं।

जिन लोगों को बाल झड़ने की समस्या होती हैं उन लोगों को आंवले का सेवन लाभदायक होता हैं। निरंतर आंवले का आहार करने वालें व्यक्ति अपनी उम्र से देखने में कम ही नज़र आते हैं। अश्वगंधा का रोज़ना सेवन करने से व्यक्ति दीर्घायु होता हैं, अश्वगंधा एक एंटी-एंजिग हर्ब मानी जाती हैं। यह मानसिक तनाव में लाभदायक होता हैं, और मानसिक शक्ति और मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता हैं। वहीं हल्दी शरीर में विषाक्त पदार्थों को बाहर करने में सक्षम है, हल्दी में प्राकृतिक इन्फ्लेमेटरी और प्राकृतिक एंटीसेप्टिक पाया जाता हैं। जो बीमारियों से लड़ने की और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में सहायक होती हैं। आयुर्वेद में गौ घी को बहुत उच्च कोटि गुण वाला और बहुत ही पवित्र माना जाता हैं। घी में कई प्रकार के विटामिन पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। यह शरीर को अंदर से पोषण प्रदान करता हैं। गाय के घी से मनुष्य के मस्तिक और हड्डियों को मजबूती मिलती हैं। आयुर्वेद में सहजन भी बहुत  महत्वपूर्ण  होता हैं, सहजन को मोरिंगा भी कहा जाता हैं, इसमें प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम आदि कई जरूरी पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होता हैं।

 

ओडिशा के किसानों को मिल रही है MSP से ऊपर लागत सहायता

ओडिशा में राज्य के किसानों के लिए मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने 2300 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ साथ 800 रूपये की अतिरिक्त लागत शुल्क का भी वितरण प्रारंभ किया।

 प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से 16000 से अधिक किसानों को 66 करोड़ रुपए वितरित किए गए। वितरण के लिए बारगढ़ के सोहेला को चुना गया।

मुख्यमंत्री के अनुसार सोहेला को सब्सिडी के लिए चुना गया है क्योंकि इसे किसानों का केंद्र माना जाता है। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि यह ओडिशा के लिए एक ऐतिहासिक दिन है जब किसानों को एमएसपी के साथ ही लागत राशि भी दी जा रही है।

 

गुलाब के फूलों में दालचीनी की लिक्विड खाद है लाभदायक

गुलाब को फूलों का राजा भी कहा जाता है। अपनी खूबसूरती के कारण यह लगभग हर बगीचे में पाया जाता है। सुंदरता के लिए लोग इससे घरों में भी लगाते है। चाहे बात सजावट की हो या पूजा पाठ की गुलाब को हमेशा उच्चतम स्थान दिया जाता है।

परन्तु गुलाब के पौधे में अधिक और सुंदर फूलों के लिए पौधे का रखरखाव और देखभाल करना अति आवश्यक होता है। मुरझाते हुए गुलाब के पौधे के उपचार में दालचीनी का प्रयोग सर्वश्रेष्ठ है। इसके लिए बस आपको दालचीनी की तरल खाद बनाना और उसका उपयोग करना सीखना होगा।

ऐसे बनेगी तरल खाद

दालचीनी से लिक्विड खाद बनाने के लिए दालचीनी और चायपत्ती का साथ में इस्तेमाल  करना होगा।

इसके लिए सबसे पहले एक कप पानी लेकर उसमें लगभग 1 इंच का दालचीनी का टुकड़ा डाल लीजिए। अब इसमें 1 बड़ा चम्मच चायपत्ती डालकर अच्छे से मिलकर 1 घंटे के लिए छोड़ दीजिए। इसके बाद इसमें उपस्थित पानी निकल लीजिए अब आपकी लिक्विड खाद तैयार है। इसके प्रयोग के लिए मिट्टी की अच्छे से गुड़ाई करे तथा खाद को सीधे जड़ों में डालें। यदि गुलाब का पौधा ज्यादा मुरझा गया है तो आप हफ्ते में 1 या 2 बार इसका प्रयोग कर सकते हैं।

 

बिहार : वनीला प्लांटिंग में हैं बेहतर अवसर

किसानों की आय और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए तथा किसानों को समृद्ध बनाने हेतु उन्हें वनीला के पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। पूर्वी चंपारण के भवानीपुर में फंडामेंटल एग्रो एस सेंटर के तत्वाधान में किसानों के बीच औषधीय वनीला प्लांट का वितरण किया गया।

एग्रो एस के जिला कोडीनेटर ने बताया कि वनीला एक औषधीय तथा सुगंधित पौधा है जिसे छायादार स्थल में लगाकर कोई भी किसान अच्छा लाभ प्राप्त कर सकता है। इससे मिलने वाले फल की बाजार में कीमत प्रति किलो चालीस हजार रुपए है। पौधे से गिरने वाले पत्तों और तनों की भी अच्छी कीमत मिल सकती है।

वनीला की खेती के लिए भुरभुरी मिट्टी और 6.5 से 7.5 के बीच का पीएच मान होना चाहिए।

वनीला की खेती के लिए मध्यम तापमान यानी 25 से 35 डिग्री सेल्सियस बेहतर माना जाता है।

वनीला की खेती छायादार जगहों पर भी की जा सकती है।

वनीला की खेती के लिए टीन शेड का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

वनीला की खेती में कटिंग और बीजीय विधि दोनों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

पराली जलाना पड़ रहा है पंजाब में लोगों के स्वास्थ्य को महंगा

पराली जलाना हमेशा से ही किसानों के द्वारा खुद के लिए महंगा सौदा रहा है। पराली जलने से सभी प्रकार से हानि ही होती है चाहे वो पर्यावरण हो या स्वास्थ्य।

पराली जलने से पंजाब के लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है। पंजाब में बाहर से आने वाले कृषि मजदूरों व अन्य लोगों का स्वास्थ्य स्थानीय लोगों से कही बेहतर था। लेकिन पंजाब के बढ़ते प्रदूषण के कारण वो लोग भी खतरे की चपेट में आ गए हैं।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़ और मिड स्वीडन विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई  रिपोर्ट में सामने आई है जिसमें पंजाब में पराली जलने के कारण होने वाले पर्याणरण और स्वास्थ्य संबंधित विषयों के बारे में जानकारी दी गई है।

 

इस प्रकार कर सकते है पराली प्रबंधन

रिपोर्ट में पराली जलने के वैकल्पिक उपायों के बारे में भी बताया गया है। कच्चे माल के रूप में पराली का बाजार विकास,फसलों की विविधता,पराली की जैविक खाद बनाना और किफायती मशीनरी की उपलब्धता आदि इन उपायों के मुख्य केंद्र हैं।

पराली जलने से निकलने वाली हानिकारक गैसों से स्वास्थ्य के साथ साथ प्रजनन क्षमता में भी गिरावट देखी जा सकती है। इसलिए कृषकों को यह समझना आवश्यक है कि पराली जलाकर वे अपने साथ साथ अपने आस पास के लोगों की भी हानि का कारण बन रहे है।

पराली को बिना जलाए उसका प्रबंधन करने तथा अपने आस पास के वातावरण को स्वच्छ रखने की किसानों से अपील की जाती है।

 

स्किन केयर में रामबाण है तुलसी

प्रायः लोग त्वचा की समस्याओं से परेशान रहते है। जिसकी वजह से हमें बहुत से स्किन प्रोडक्ट्स का प्रयोग करना पड़ता है जिसका निवारण हम अपने आस पास पाए जाने वाले एक पौधे की सहायता से कर सकते है। अधिकतर लोग आंगन में, बालकनी में या गमले में तुलसी का पौधा लगाते हैं। इसकी पत्तियों में इम्युनिटी बूस्ट करने के साथ ही एंटीऑक्सिडेंट, एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं जो त्वचा की रंगत को निखरता है।

ऐसे करें प्रयोग

तुलसी का फेस पैक: इसके लिए 10 – 15 तुलसी के पत्ते दो चम्मच दही आधा चम्मच शहद और एक चम्मच चावल का आटा लें तथा इन सब चीजों को मिलाकर क्रीम पेस्ट तैयार कर लें इसे एयरटाइट बर्तन में रख कर फ्रिज में स्टोर कर लें। इसे चेहरे पर लगाकर इसे 10 मिनट बाद धो लें इससे चेहरे पर ग्लो आता है। तुलसी को और भी कई तरीकों में प्रयोग के सकते हैं।

 

मध्यप्रदेश -धनेला ग्राम में गौशाला का हुआ आकस्मिक निरिक्षण

मुरैना विकासखंड के धनेला ग्राम में शासकीय गौशाला का निरीक्षण किया गया। यह निरीक्षण पशुपालन विभाग के उप संचालक के मार्गदर्शन में सहायक नोडल अधिकारी , सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी ने किया निरीक्षण के दौरान गौशाला संचालित पाई गई।

वर्तमान में गौशाला का संचालन ग्राम पंचायत धनेला द्वारा अनुबंधित ग्रामीण आजीविका मिशन के महिला स्व सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है निरीक्षण के समय इस समूह की अध्यक्ष उपस्थित मिलीं जो गौशाला का संचालन बहुत अच्छे से कर रही हैं। गौशाला में नंदी सहित 95 गौवंश अच्छे से निवास कर रहे हैं।

ग्राम पंचायत सरपंच को मौके पर निर्देश दिए गए कि शीघ्र ही चारा विकास भूमि का सीमांकन किया जाए और मनरेगा योजना के तहत चारा उगाने का कार्य प्रारंभ किया जाए। मौके पर ही उपस्थित सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी ने पशुओं के टीकाकरण तथा अन्य पशु स्वास्थ्य संबंधी निर्देश दिए।

उत्तर प्रदेश : फार्मर रजिस्ट्री के लिए कैंप अभियान शुरू

कृषि विभाग ने गांवों में शिविर लगाकर फार्मर रजिस्ट्री बनाने की योजना बनाई है। इससे किसानों को योजनाओं का लाभ लेने में आसानी होगी। फार्मर रजिस्ट्री के लिए किसान का आधार नंबर खतौनी मोबाईल नंबर जो आधार से लिंक है,की आवश्यकता होगी।

सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद किसान को  यूनिक नंबर जारी होगा

पंजीकरण पूरा होने के बाद किसान का गोल्डन कार्ड बनेगा।

प्रक्रिया पूरी होने पर ही मिलेगी किसान सम्मान निधि की 19 वीं क़िस्त फसली ऋण, फसल, बीमा  आपदा राहत आदि सुविधाएँ पाने में होगी सुगमता , कार्ड बनने के बाद मिलेंगे तमाम लाभ

इस प्रक्रिया के तहत किसानों के भूलेख डाटाबेस को एक साथ करके प्रत्येक समान नाम व पिता के नाम वाले किसानों के बकेट समूह तैयार किये जायेगें।इसके बाद किसानों से जुड़े सभी विवरण ऑनलाइन होगे।अधिकारीयों ने जानकारी देते हुए कहा कि फार्मर रजिस्ट्री अभियान 31 दिसंबर तक चलेगा।

 सभी किसानों से अनुरोध किया गया है कि वे समय रहते अपना पंजीकरण सुनिश्चित कराएं। योजना का लाभ लेने के लिए बनाए गए वेब पोर्टल https://upfr.agristack.gov.in पर पंजीकरण कर सकते हैं।

उत्तरप्रदेश में नीम के पेड़ से निकल रहा है अमृत

चौसाना क्षेत्र के पँथूपुरा गांव में एक नीम का पेड़ लोगो के लिए कौतूहल और चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पेड़ से पिछले दस दिनों से पानी और झाग निकल रहा है, जो न केवल पीने में मीठा है, बल्कि इसे चमत्कारी भी बताया जा रहा है। गांव के लोगों का दावा है कि इस पानी को पीने से ब्लड प्रेशर (बीपी) सामान्य हो रहा है उन्होंने कहा कि यह वाकई चमत्कार जैसा लगता है। इस पेड़ पर बाल्टी बांध दी गई है, जिससे पानी इकठ्ठा किया जा रहा है। जो इस पानी को पी रहा है वह इसे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बता रहा है। जिनका ब्लड प्रेशर 200 के करीब रहता था, लेकिन इस पानी को पीकर उसका ब्लड प्रेशर 130 यानी सामन्या स्तर पर आ गया है।

यह मीठा पानी गठिया रोग, कमर दर्द, श्वांस की बीमारी, टाइफाइड और मलेरिया के अलावा कई चर्म रोगी इस पानी का उपयोग कर रहे हैं जिससे उन्हें काफी फायदा भी मिल रहा है। इस घटना को लेकर कोई वैज्ञानिक प्रमाण या विशेषज्ञों की जांच अभी तक नहीं हुई है। नीम का पेड़ स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन पेड़ से पानी और झाग निकलने की घटना को समझने के लिए वैज्ञानिक जांच की आवश्यकता है।

उत्तरप्रदेश के दी जिलों में खुलेंगे पशु चिकित्सा महाविधालय

पशु पालन विभाग गोरखपुर व भदोही में पशु सम्पदा की गुणवत्ता सुधारने और दूध उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए पशु चिकित्सा महाविद्यालय खोलेगा इससे पूर्वांचल के साथ साथ बिहार और नेपाल के पशु पालकों को भी लाभ होगा। गोरखपुर और भदोही के दोनो महाविद्यालय पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एव गौ अनुसंधान संस्थान, मथुरा से संबद्ध होगा।

गोरखपुर वाराणसी हाइवे पर स्थित ताल नादोर में 80 एकड़ भूमि चिन्हित की गई हैं। पहले चरण के निर्माण पर 228 करोड़ रूपये की लागत आएगी। फरवरी 2024 के बजट में इसके लिए सरकार 100 करोड़ रूपये आवंटित भी कर चुकी हैं।पशु चिकित्सा महाविद्यालय में हॉस्पिटल ब्लाक, एकेडमिक ब्लाक, स्टॉप क्वार्टर,छात्रावास जैसी मूलभूत सुविधाएं शामिल हैं।

 

निवेदन नोट :-

सभी पाठक किसान भाइयों से निवेदन किया जाता है कि इस बुलेटिन में दी गयी ख़बरों पर कोई एक्शन या निर्णय करने से पहले अपनी पड़ताल अवश्य कर लें और बड़ी समझदारी और विवेक से ही कोई कदम उठायें। हमारा उदेश्य आपकी जानकारियों के स्तर को उंचा उठाना है ताकि खेती किसानी में आप समय के मांग और व्यस्था द्वारा दी जा रही सुविधाओं और योजनाओं का लाभ उठा कर अपने इस पवित्र व्यवसाय को हमेशा लाभदायक स्थिति में रख सकें।