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मध्य प्रदेश : दमोह में प्राकृतिक खेती के उत्पादों के हाट बाजार का शुभारम्भ
मध्य प्रदेश के दमोह में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हाट बाजार का शुभारंभ किया गया। इस विशेष बाजार में प्राकृतिक तरीके से उगाए गए कृषि उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। हाट बाजार का उद्घाटन प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विभाग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल पूर्व वित्त मंत्री एवं दमोह विधायक जयंत मलैया, स्थानीय अधिकारियों और किसानों की उपस्थिति में हुआ।
यह पहल किसानों को उनके जैविक और प्राकृतिक उत्पादों के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इसमें सब्जियों, फलों, अनाज, और अन्य उत्पादों को बिना किसी बिचौलिए के उचित मूल्य पर बेचा जा रहा है।
हाट बाजार से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी बल्कि उपभोक्ताओं को रसायन मुक्त और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद भी उपलब्ध होंगे। इस बाजार के माध्यम से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है, जो पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। किसानों और ग्राहकों ने इस पहल की सराहना की है।
चम्बल : महिला किसान प्रोड्यूसर कम्पनी ने समूह की महिला किसानों से खरीदा 712 टन बाजरा
मुरैना कलेक्टर के निर्देशन में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के मार्गदर्शन में तथा राज्य परियोजना प्रबंधक की सतत् मॉनिटरिंग से मुरैना जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत चंबल महिला किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड का गठन किया गया है। चंबल महिला किसान प्रोड्यूसर कंपनी ने महिला सशक्तिकरण और कृषि विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए समूह की महिला किसानों से 712 टन बाजरा खरीदा है। यह पहल न केवल महिला किसानों की आय में वृद्धि करने में सहायक है, बल्कि उन्हें अपनी उपज के लिए एक स्थायी और विश्वसनीय बाजार भी प्रदान करती है।
प्रोड्यूसर कंपनी का उद्देश्य महिला किसानों को संगठित कर उन्हें बेहतर अवसर उपलब्ध कराना और उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना है। इस खरीद प्रक्रिया से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिला, जिससे वे आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हैं।
चंबल क्षेत्र में यह प्रयास महिला किसानों के लिए प्रेरणादायक है और उन्हें जैविक व प्राकृतिक खेती के प्रति प्रोत्साहित कर रहा है। इस पहल की हर ओर प्रशंसा हो रही है, जो महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत करती है।
मांग की कमी से खाद्य तेलों के दाम घटे
खाद्य तेलों की मांग में कमी के कारण उनके दामों में गिरावट दर्ज की गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग कम होने और आपूर्ति बढ़ने से यह स्थिति बनी है। सोयाबीन, पाम, और सरसों तेल जैसे प्रमुख खाद्य तेलों की कीमतों में पिछले कुछ हफ्तों में गिरावट देखी गई है।
व्यापारियों का कहना है कि त्योहारी सीजन के बाद खपत में गिरावट आई है, जिससे बाजार में तेल का स्टॉक बढ़ गया है। इसके अलावा, वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भी खाद्य तेलों के दाम को प्रभावित किया है।
उपभोक्ताओं के लिए यह राहत की खबर है, क्योंकि कम कीमतों पर खाद्य तेल खरीदने का मौका मिल रहा है। हालांकि, किसान और तेल उत्पादक कंपनियां इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि कीमतों में गिरावट से उनके मुनाफे पर असर पड़ सकता है।
उत्तरप्रदेश में गन्ना ढुलाई वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगाना अनिवार्य
उत्तर प्रदेश प्रशासन ने गन्ना ढुलाई करने वाले वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगाना अनिवार्य कर दिया है। यह निर्देश सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है। प्रशासन का कहना है कि गन्ना ढोने वाले वाहन अक्सर रात के समय सड़कों पर चलते हैं और घने कोहरे की वजह से दूसरे वाहन चालक उनको देख नहीं पाते है , जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। रिफ्लेक्टर लगने से ये वाहन दूर से ही दिखाई देंगे और हादसों में कमी आएगी।
गन्ना विभाग ने इस आदेश को सख्ती से लागू करने के लिए सभी चीनी मिलों और किसानों को निर्देश दिया है। रिफ्लेक्टर लगाने का काम शीघ्र शुरू होगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बिना रिफ्लेक्टर वाले वाहनों को सड़क पर चलने की अनुमति न दी जाए।
प्रशासन ने किसानों और वाहन चालकों से अपील की है कि वे इस नियम का पालन करें और सड़क सुरक्षा में सहयोग करें। यह कदम गन्ना ढुलाई के दौरान दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक प्रभावी उपाय माना जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट: पिछले तीन दशकों में पृथ्वी की तीन चौथाई भूमि हुई शुष्क
संयुक्त राष्ट्र संघ की हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पिछले तीन दशकों में पृथ्वी की लगभग तीन चौथाई भूमि शुष्क हो गई है। यह चिंता जनक स्थिति जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक कृषि उत्पादन और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण उत्पन्न हुई है। इस समस्या का सीधा असर दुनिया के करोड़ों लोगों पर पड़ा है, जो अपनी आजीविका और भोजन के लिए इस भूमि पर निर्भर हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ता तापमान, कम वर्षा, और मिट्टी के कटाव ने भूमि की उपजाऊ क्षमता को प्रभावित किया है। शुष्कता के कारण न केवल कृषि उत्पादन में गिरावट आ रही है, बल्कि जैव विविधता को भी भारी नुकसान हो रहा है। कई क्षेत्रों में पानी की कमी और खाद्य संकट जैसी समस्याएँ गंभीर रूप ले रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने इस स्थिति को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया है। रिपोर्ट में अधिक टिकाऊ कृषि पद्धतियों, वनों की रक्षा, और भूमि पुनर्जीवन परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही, वैश्विक समुदाय से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ ठोस कदम उठाने की अपील की गई है।
यदि इस संकट पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले वर्षों में इसके परिणाम और भी भयावह हो सकते हैं।
अक्टूबर महीने में कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज
अक्टूबर महीने में कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई है। कृषि श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) सितंबर के 6.44% से घटकर अक्टूबर में 6.22% हो गया, जबकि ग्रामीण श्रमिकों के लिए यह 6.16% से घटकर 5.96% पर आ गया।
इस गिरावट का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई स्थिरता है। खासतौर पर अनाज, दालों और सब्जियों की कीमतों में कमी ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में योगदान दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।
उत्तरप्रदेश की पशु सम्पदा की गुणवत्ता में सुधार की तैयारी
एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश खासकर पूर्वांचल में अधिकांश पशु कुपोषण का शिकार हुए हैं। इससे न केवल संबंधित पशु की सेहत बल्कि उत्पादकता भी प्रभावित हुई है उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की पशु संपदा की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक नई योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य राज्य में पशुपालन को और अधिक उन्नत बनाना है, ताकि पशुधन की उत्पादकता बढ़े और किसान की आय में वृद्धि हो सके। इसके तहत विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें पशुपालकों को आधुनिक तकनीकों के बारे में बताया जाएगा। इसके अलावा, पशुओं की नस्ल सुधारने के लिए बेहतर तकनीकी उपायों को लागू किया जाएगा।
राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए पशु चिकित्सा सेवाओं को भी बेहतर बनाने का प्रस्ताव है। इसके लिए अस्पतालों में आधुनिक चिकित्सा उपकरण लगाए जाएंगे। पशु बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बनाई जाएगी।
इस योजना के माध्यम से राज्य के पशुपालकों को न केवल बेहतर देखभाल मिलेगी, बल्कि उनकी उत्पादन क्षमता में भी सुधार होगा। यह योजना उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्र में समृद्धि लाने और किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। इस पहल से राज्य की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती मिलेगी।
रबी 2024-25 में बुवाई का रकबा बढ़ा
इस साल दलहन अनाज के रकबे में पिछले साल की तुलना में बढ़ोत्तरी देखी गई है। रबी की सबसे प्रमुख फसल गेंहू में 2.28 प्रतिशत के आसपास की वृद्धि दर्ज़ की गई है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 6 दिसम्बर 2024 तक 493.62 लाख हेक्टेयर में रबी फसल की बुवाई की जा चुकी है। पिछले साल रबी की बुवाई का आंकड़ा 486.30 लाख के आस पास दर्ज़ किया गया था । पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष रबी की फसलों में 1.5 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी देखी गई है।
दलहन का रकबा भी बढ़ा है लेकिन तिलहन की बुवाई में कमी देखी गई 86.52 लाख हेक्टेयर के करीब में तिलहन की बुवाई दर्ज़ की गई है। गेंहू का रकबा इस वर्ष 239.49 लाख हेक्टेयर दर्ज़ किया गया जो कि इस वर्ष की फसलों में सबसे अधिक बताया गया है। आंकड़ों के अनुसार 120.65 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलें बोई जा चुकी हैं ,जो पिछले वर्ष बोई गई 115.70 लाख हेक्टेयर से 4.27 फीसदी ज्यादा हैं।
इस वर्ष दलहन फसल में चना का रकबा 7 प्रतिशत बढ़कर 86 लाख हेक्टेयर के आस पास दर्ज़ किया गया। अब तक मसूर का रकबा 14.75 लाख के आस पास दर्ज़ किया गया। जो कि पिछले साल से 0.17 फीसदी ज्यादा बताया जा रहा है। मटर के रकबे में थोड़ी गिरावट के साथ 8.09 लाख हेक्टेयर बुवाई दर्ज़ की गई है। इस साल सरसों की प्रमुख फसल का रकबा 81.07 लाख हेक्टेयर आँका गया जो पिछले वर्ष के मुकाबले 4.28 प्रतिशत तक कम बताया जा रहा हैं। मूंगफली के रकबे में भी 8 फीसदी तक की कमी दर्ज़ की गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 35.08 लाख हेक्टेयर की गई बुवाई से ज्यादा इस साल 35.77 लाख हेक्टेयर में इन अनाजों की बुवाई दर्ज़ की गई है।
मक्के के रकबे में मामूली बढ़ोत्तरी दर्ज़ की गई है वहीं जौ के रकबे में थोड़ी सी गिरावट हुई है।
मध्यप्रदेश : दुग्ध उत्पादक किसानों को अनुदान
मध्यप्रदेश की सरकार अगले वित्तीय वर्ष में हर घर गोकुल हर घर किसान नाम की गौपालन योजना का शुभारंभ कर रही है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने कुरुक्षेत्र में आयोजित किए जा रहे गीता महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कोई गाय बेसहारा न घूमे जिससे प्रकृति के संरक्षण में भी लाभ होगा और दुग्ध उत्पादन में भी वृद्धि होगी। इसके तहत जो किसान 10 या इससे अधिक गाय पालेगा सरकार की तरफ से उसे सरकारी अनुदान दिया जाएगा।
महोत्सव में मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश के हर घर को गोकुल बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश का अभी 9 फीसदी तक का योगदान रहा है। जिसे बढ़ाकर 20 फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य सरकार द्वारा रखा गया है। राज्य सरकार ने नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के साथ अनुबंध किया है।
सरकार जल्द ही दूध का उत्पादन करने वाले किसानों को बोनस देने जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सर्वाधिक फोकस पशुपालन के जरिए दूध का उत्पादन करने पर करेगी।
छत्तीसगढ़ : महतारी वंदन योजना
ग्राम भंडारखोल विकासखंड पाली की रहने वाली संतोषी बाई जो कि कुछ माह पहले अपनी जरूरत पड़ने पर किसी दूसरे से पैसे मांगा करती थी। कभी छोटी छोटी जरूरतों के लिए उन्हें लंबा इंतजार भी करना पड़ता था। महतारी योजना के अंतर्गत संतोषी बाई के खाते में हर महीने एक हजार रुपए समय पर आ जाने से उन्हें अब किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती।
उन्होंने कहा कि बीते माह महतारी वंदन योजना के अंतर्गत मिले पैसों को उन्होंने घर के आवश्यक खर्चों में लगाया है।
साथ ही उन्होंने बताया कि बढ़ती उम्र की वजह से अब काम करने में परेशानियां होती हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई महतारी वंदन योजना लागू होने से मेरी जैसी वृद्ध महिलाओं के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। उन्होंने इस योजना को लागू करने हेतु सरकार का आभार भी व्यक्त किया।
सब्जियों की आवक बढ़ने से महंगाई में नरमी के आसार
पिछले कुछ समय से सब्जियों का खुदरा मूल्य आसमान छू रहा था। लेकिन अब आंकड़ों के अनुसार आवक में बढ़ोत्तरी से सब्जियों के दामों में नरमी देखने को मिल सकती है। जानकारों के अनुसार देश में खुदरा महंगाई दर नवंबर माह में में घटकर 5.53% पर आ गई है, जो अक्टूबर में बढ़कर 6.21% तक पहुंच गई थी। इन आंकड़ों ने पिछले 14 महीने के उच्चतम स्तर को छू लिया था। अर्थशास्त्रियों के एक सर्वेक्षण में बताया गया कि बाजार में आवक बढ़ने से दिसंबर में सब्जियों के दामों में कमी आ सकती है। यह सर्वेक्षण 4 से 9 दिसंबर के बीच किया गया जिसमें, 56 अर्थशास्त्रियों ने हिस्सा लिया। सर्वेक्षण में पाया गया कि दिसम्बर में सब्जियों के खुदरा मूल्य में भारी गिरावट आ सकती है। जिससे खुदरा महंगाई के 5 से 6.10 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान जताया जा रहा है।
सर्वेक्षण में कहा गया कि मौसम के अलावा खाद्य महंगाई के अन्य कारक जैसे कृषि इनपुट लगत में वृद्धि, प्रति व्यक्ति आय वृद्धि और खाद्य मांग में कमी आ रही है। जिसके कारण सब्जी के भावों में कमी आने की पूरी संभावना है
भीषण गर्मी और असामान्य बारिश तथा कई राज्यों में फसल का ख़राब होना , आलू समेत कई सब्जियों के उत्पादन में कमी और आवक की कमी की वजह से महंगाई बढ़ी थी
पंजाब : बनूड इलाके में किसानों का खेत पर पहुंचना हुआ दुश्वार
बनूड़ के किसानों को अपने खेतों में जाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर गंदे पानी से होकर जाना पड़ता है। इस समस्या के कारण किसानों के मन में मंडीकरण बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ भारी रोष देखा जा रहा है। स्थानीय किसानों ने बताया कि बनूड़ से कलौली लिंक रोड पर स्थित चोई के पार उनकी जमीन है। उन्होंने कहा कि करीब 3 माह पहले इस लिंक पर बना पुल नए निर्माण के लिए तोड़ दिया गया था और दो महीने में नया पुल बनाने को कहा गया था। अब तीन माह बीत जाने के बाद भी पुल का निर्माण नहीं हो पाया है और न ही कोई वैकल्पिक रास्ता बनाया गया है। जिसके कारण उन्हें गंदे पानी में होकर अपने खेतों तक जाना पड़ता है। किसानों ने अपने खेतों में सब्जी और चारे की बुआई की है जिसकी देखरेख के लिए उन्हें निरंतर पानी में होकर खेत को जाना पड़ रहा है। विभाग के द्वारा वहां जल्द ही पुल निर्माण की आशा की जा रही है।
श्रीअन्न वर्ग के अनाजों की मांग बढ़ने से नये खाद्य उत्पादों की बढ़ी मांग
11 दिसंबर को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में श्री अन्न वर्ग के अनाजों का उपयोग बढ़ने के कारण लोग कम कैलोरी और कम वसा वाले पदार्थों की ओर आकर्षित होते दिख रहे हैं। लोग ऐसे स्नैक्स को खूब पसंद कर रहे है जो मोटे अनाज की जगह ले सकते है। एनआईक्यू की रिपोर्ट से पता चलता है कि कम कैलोरी, कम वसा और पेट के स्वास्थ्य पर केंद्रित उत्पादों में वृद्धि देखने को मिल रही है। अब हर पांच में से एक उत्पाद को स्वास्थ्य से जोड़कर बताया जा रहा है। लोगों में अपने स्वास्थ्य और हेल्दी खाने को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। जिसके कारण नए नए खाद्य उत्पाद हमे देखने को मिल रहे हैं। एनआईक्यू उपभोक्ता सर्वेक्षण से पता चलता है कि 34% शहरी उपभोक्ता नए उत्पादों को प्राथमिकता देते हैं। नीलसनआईक्यू ने हाल ही में ब्रेकथ्रू इनोवेशन अवॉर्ड नाम के कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें ऐसे ब्रांड्स को आमंत्रित किया गया जिन्होंने असाधारण नए उत्पाद बनाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया था। इन नए उत्पादों के साथ नए स्टार्टअप के लिए भी सुनहरा मौका है जब लोग यूनिक प्रोडक्ट बनाकर लोगों का ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और अपना व्यवसाय आगे बढ़ा सकते है।
जलवायु अनुकूल गेहूं की किस्में हुई विकसित
किसानों के द्वारा उगाई जाने वाली फसलें अक्सर जलवायु के कारण प्रभावित हो जाती है। जो किसानों के लिए हमेशा से ही एक चिंता का विषय बना रहा है। इस समस्या को हल करने हेतु एनडीआरआई और भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के द्वारा जलवायु के अनुकूल गेहूं की किस्में ईजाद की गई हैं। किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज मिल रहे हैं जिससे उत्पादन बढ़ा है। इसका किसानों को भी फायदा मिला है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि आय बढ़ाने के लिए अच्छी खेती के साथ ही साथ अच्छा पशुपालन और अन्य कृषि संबंधी क्रियाएं करना आवश्यक है। वे ‘एनडीआरआई’ और भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान पहुंचे जहां उन्होंने बीज भंडारण इकाई और प्राकृतिक कृषि प्रयोगशाला का शिलान्यास किया। उन्होंने ने बताया कि उन्होंने खुद जलवायु अनुकूल गेहूं देखा है और जिस भांति ये अक्टूबर के बाद भी बढ़ रहा है, वह ये सिद्ध करता है कि ये हर जलवायु में उग सकता है।
छिनमौरी चावल की खुशबू से महकी तिहाड़ जेल
छिनमौरी चावल की खुशबू तिहाड़ जेल तक पहुंची है। यह खबर तिहाड़ जेल में पकाए गए खास छिनमौरी चावल को लेकर चर्चा में आई है। दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद कैदियों को उच्च गुणवत्ता वाले छिनमौरी चावल की एक नई खेप भेजी गई है। यह चावल पश्चिम बंगाल के कुछ विशेष इलाकों में उगाया जाता है और इसकी खुशबू और स्वाद बहुत ही प्रसिद्ध है। इस चावल की खासियत के कारण, कैदियों ने इसका स्वाद लेने के बाद इसे बेहद पसंद किया। जेल प्रशासन ने चावल की आपूर्ति को नियमित करने का फैसला लिया है। तिहाड़ जेल में यह चावल खास ध्यान आकर्षित कर रहा है, क्योंकि इसका स्वाद और महक सामान्य चावल से कहीं बेहतर होता है। जेल अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव कैदियों के मनोबल को बढ़ाएगा और उन्हें बेहतर खानपान का अनुभव मिलेगा।
गर्भावस्था बीमा नव दंपति के लिए जरूरी सुरक्षा कवच
आज के समय में नव दंपतियों के लिए गर्भावस्था बीमा एक जरूरी सुरक्षा कवच बन गया है। यह बीमा न केवल गर्भावस्था के दौरान होने वाले खर्चों को कवर करता है, बल्कि अप्रत्याशित चिकित्सा समस्याओं में भी आर्थिक मदद प्रदान करता है। गर्भावस्था बीमा के तहत प्री और पोस्ट नेटल केयर, अस्पताल में भर्ती होने के खर्च, डिलीवरी के दौरान चिकित्सा खर्च और नवजात शिशु की देखभाल के लिए कवरेज शामिल होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि माता और शिशु दोनों की सुरक्षा के लिए यह बीमा अत्यंत महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था के दौरान अचानक बढ़ने वाले चिकित्सा खर्च परिवार के बजट को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में यह बीमा न केवल आर्थिक बोझ को कम करता है, बल्कि मानसिक शांति भी देता है।
विभिन्न बीमा कंपनियां अब किफायती प्रीमियम के साथ गर्भावस्था बीमा योजनाएं पेश कर रही हैं, जो नव दंपतियों के लिए आसानी से उपलब्ध हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि शादी के तुरंत बाद इस बीमा को लेना फायदेमंद रहता है, ताकि भविष्य में किसी भी अप्रत्याशित परिस्थिति का सामना आसानी से किया जा सके।
इसलिए, नव दंपतियों के लिए गर्भावस्था बीमा को प्राथमिकता देना न केवल स्वास्थ्य बल्कि आर्थिक स्थिरता के लिए भी एक विवेकपूर्ण कदम है।
किसानों को साफ-सुथरा गन्ना लाने के निर्देश
लखीमपुर: ऐरा स्थित गोविंद शुगर मिल ने किसानों को गन्ना साफ-सुथरा लाने के निर्देश दिए हैं। मिल प्रबंधन ने कहा है कि गन्ने में मिट्टी, पत्तियां और अन्य अशुद्धियां नहीं होनी चाहिए, ताकि पेराई प्रक्रिया सुचारु और गुणवत्तापूर्ण हो सके। अधिकारियों ने बताया कि अशुद्ध गन्ना मिलने से चीनी उत्पादन पर असर पड़ता है और किसानों को भुगतान में देरी हो सकती है। किसानों से अपील की गई है कि वे गन्ना कटाई के बाद सफाई पर विशेष ध्यान दें। मिल प्रशासन ने बेहतर उत्पादन और समय पर भुगतान का भरोसा दिलाया है।
निष्क्रिय हुए जनधन योजना के 11 करोड़ से अधिक खाते
प्रधानमंत्री जनधन योजना के अब तक कुल 50 करोड़ से अधिक खाते खुल चुकें हैं, जिनमे से 11.30 करोड़ खातों पर कोई लेनदेन नहीं हुआ हैं। इन खातों पर 20 नवंबर 2024 तक 14.750 करोड़ रुपये जमा हैं।
राज्यसभा में मंगलवार को वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि, बैंकों को निष्क्रिय खातों की संख्या को कम करने के लिए जल्द से जल्द एक ठोस कदम उठाने की जरुरत हैं। यदि ग्राहक द्वारा 2 साल से अधिक लेनदेन ना हो तो आरबीआई के निर्देश के अनुसार बचत व चालू खाते को बंद मान लिया जाता हैं।
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 9.63 करोड़ खाते खोले जा चुकें हैं,लेकिन इनमे करीब 2.34 करोड़ खाते निष्क्रिय हैं।
अब गूगल की “विलो” देगी क्षणों में सटीक नतीजे
गूगल ने अपनी सर्च तकनीक में सुधार करते हुए ऐसे फीचर्स जोड़े हैं, जो कुछ ही सेकंड में सटीक और व्यवस्थित परिणाम प्रदान करते हैं। अब एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का उपयोग करके सर्च परिणामों को बेहतर तरीके से वर्गीकृत किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, सर्च पेज पर लेख, वीडियो जैसे विभिन्न स्रोतों को समूहबद्ध करके दिखाया जाता है, जिससे उपयोगकर्ताओं को ज़रूरी जानकारी तेजी से और स्पष्ट तरीके से मिल सके।
इसके अलावा गूगल ने अपना नया क्वांटम चिप “विलो” पेश किया है, जो ऐसी समस्याओं को कुछ ही मिनटों में हल कर सकता है जिनमें सबसे तेज सुपर कंप्यूटर को ब्रह्मांड की उम्र जितना समय लग सकता है। यह नई तकनीक क्रिप्टोग्राफी, एआई, और नई सामग्री के विकास में क्रांति ला सकती है। इस सफलता के बाद गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के शेयरों में 5% की वृद्धि हुई है।
ठंड में मसाला चाय का उठाएं लुत्फ
ठंड के मौसम में मसाला चाय पीने से कई फ़ायदे होते हैं।
चाय में मौजूद मसाले शरीर को अंदर से गर्म रखते हैं, जिससे सर्दी-जुकाम जैसी मौसमी बीमारियों से बचाव होता है। मसाला चाय में मौजूद कैटेचिन तत्व भी सर्दी से शरीर को बचाता है।
मसाला चाय में मौजूद इलायची, काली मिर्च, सौंफ़ और दालचीनी जैसे मसाले पाचन क्रिया को तेज करते हैं और पाचन से जुड़ी समस्याओं से राहत दिलाते हैं। मसाला चाय में मौजूद सौंफ़ शरीर से टॉक्सिन निकालकर डिटॉक्स करने में मदद करती है।
मसाला चाय में मौजूद टैनिन शरीर को राहत देने के साथ-साथ उसे फिर से सामान्य करने में मदद करता है. मसाला चाय में मौजूद अदरक और लौंग जैसे मसाले शरीर में होने वाली सूजन को कम करते हैं। मसाला चाय पीने से थकान दूर होती है और शरीर में एनर्जी आती है।