किसान भाइयों नमस्कार प्रस्तुत है शनिवार दिन 14 दिसम्बर का खेती किसानी बुलेटिन।
हरियाणा : ठण्ड से करें फसलों की सुरक्षा
किसानों द्वारा की जाने वाली रबी सब्जी की फसलें सदैव दिसंबर जनवरी की ठंड के कारण प्रभावित हो जाती हैं। जाड़ों में कोहरे और धुंध का पौधों पर विपरीत असर पड़ता है।
किसानों के लिए कई ऐसी विधियां उपलब्ध हैं जो किसान भाई विशेषज्ञों की सलाह लेकर उपयोग में ला सकते हैं तथा अपनी सब्जियों को ठंड से बचा सकते हैं। महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक ने ऐसी आठ विधियों के बारे में बताया जिनसे किसान अपनी फसलों की सुरक्षा ठंड से कर सकते हैं।
जिप्सम का प्रयोग : जिप्सम के 8 से 10 बैग प्रति एकड़ खेत की जुताई करते समय डाल देने चाहिए इसमें लगभग 10% गंधक पाया जाता है जो पौधों की ठंड से सुरक्षा करता है।
मुर्गी की खाद का उपयोग: खेत की तैयारी के समय लगभग 6 कुंतल प्रति एकड़ मुर्गी की खाद का प्रयोग करना चाहिए।
नमी बनाना है आवश्यक: बीज उगने या पौधा रोपण के बाद खेत की नालियों में नमी बनाना आवश्यक है जो पौधों को ठंड से बचाती है।
दवाइयों का सही प्रयोग: साइकोसिल दवा का लिहोसिन 50% रसायन का 4 एम.एल. 20 लीटर पानी में मिलकर छिड़काव कर सकते हैं
पौधों को कोशिकाओं में पानी की मात्रा बनी रहे: ठंड में पौधों पर 3 से 4 बार मिरेकल का छिड़काव करें जिससे कोशिकाओं में पानी की मात्रा बनी रहती है।
पौधों में बढ़ाएं इम्युनिटी: माईसिन का प्रयोग पौधों की इम्युनिटी बढ़ाकर ठंड से सुरक्षा करता है।
ठंड में प्लास्टिक चादर से पौधों को ढक देना चाहिए जिससे वे ठंड से बचे रहते हैं।
ठंड प्रतिरोधी सब्जियों का चयन: मूली, गाजर, शलजम, धनिया जैसी सब्जियां बोएं जो ठंड से कम प्रभावित होती हैं।
किसान भाई ऊपर बताई गई बातों को अगर ध्यान रखते हैं तो विपरीत मौसम के प्रभाव से उनकी सब्जी फसलें सुरक्षित रहेंगी और अच्छा मुनाफा देंगी।
किसानों को मिला 51.44 करोड़ रुपये गन्ने का भुगतान
उ. प्र. मेरठ: मवाना चीनी मिल ने बुधवार पेराई सत्र 2024–25 का गन्ना मूल्य संबंधित सहकारी समितियों को 18 से 29 नवंबर तक (आपूर्ति किए गए गन्ना मूल्य के 51.44 करोड़ रुपए ) का भुगतान कर दिया है। किसानों के बैंक खातों में मिल द्वारा किया गया भुगतान दो दिन में पहुंच जाएगा। मवाना चीनी मिल इस साल 10 दिसंबर 2024 तक कुल 41.92 लाख कुंतल गन्ने की पेराई कर चुकी है। ये जानकारी मिल के महाप्रबंधक ने दी। साथ ही किसानों से आग्रह किया कि गन्ना प्रजाति CO 0238 के बीमारी से ग्रस्त होने के कारण किसानों तथा मिल दोनों को काफी नुकसान हो रहा इसलिए CO 0238 के स्थान पर किसान भाई CO 0118 तथा CO 15023 गन्ना बीज का प्रयोग अपने क्षेत्र में करें। महाप्रबंधक ने किसान भाइयों से चीनी मिल को साफ सुथरे गन्ने की आपूर्ति करने का अनुरोध किया है।
नई दिल्ली : मूल्य नियंत्रण हेतु घटाई गयी गेहूं भण्डारण सीमा
गेहूं के मूल्यों में बढ़ोत्तरी देख सरकार इसे नियंत्रित करने हेतु गंभीर कदम उठा रही है। जिसके संदर्भ में सरकार ने गेहूं के लिए लागू भंडारण सीमा संशोधित कर दी है। जो भंडारण सीमा थोक व्यापारियों के लिए 2000 टन हुआ करती थी अब उसे घटा कर 1000 टन कर दी गई है जो पहले की तुलना में आधी ही रह गई है। फुटकर विक्रेताओं की बात करें तो उनके लिए भी सीमा 10 टन से घटाकर 5 टन प्रति आउटलेट रखी गई है। ये सीमाएं 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेंगी।
गेहूं भंडारण करने वाली सभी संस्थाओं को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा। इन संस्थाओं के लिए प्रत्येक सप्ताह शुक्रवार को अपने स्टॉक को अपडेट करना आवश्यक होगा।
ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की एक रिपोर्ट के अनुसार खरीफ सीजन 24–25 थोड़ा अधिक लाभप्रद होने की संभावना है। जिसकी वजह अधिक उत्पादन और कम लागत बताई जा रही है। यह रिपोर्ट विभिन्न किसान उत्पादन संगठनों और देश भर के किसानों से बातचीत पर आधारित है।
शीतलहर जारी दिल्ली वालों को अभी नहीं मिलेगी राहत
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शीतलहर का प्रकोप जारी है। तापमान में गिरावट ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ दिनों तक ठंड से राहत मिलने की संभावना नहीं है। न्यूनतम तापमान सामान्य से काफी नीचे दर्ज किया जा रहा है, और ठंडी हवाओं के चलते ठिठुरन बढ़ गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ और उत्तरी इलाकों से आने वाली बर्फीली हवाओं के कारण दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में ठंड का असर अधिक हो रहा है। सुबह और रात के समय घने कोहरे के कारण दृश्यता भी प्रभावित हो रही है, जिससे यातायात में बाधा आ रही है।
सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें, और ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करें। रैन बसेरों में भी ठंढ से बचने के इंतजाम किए गए हैं ताकि बेघर लोग शीतलहर के प्रकोप से बच सकें।
21 दिसम्बर को होगा उल्कापात
इस माह की 21 तारीख को हमें उल्कापात का सुंदर नजारा देखने को मिलेगा। 21 तारीख को वह दिन होगा जब लिरिड उल्कापात अपने चरम पर होगा। ये रात वर्ष की सबसे लंबी रात होगी। आर्यभट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान की ओर से खबर मिली है कि ये उल्कापात 1790 में खोजे गए टटल धूमकेतु द्वारा छोड़े गए धूल कणों द्वारा उत्पन्न होगा
जब सूर्य अपने दक्षिण स्थान पर पहुंच जाएगा और सीधे मकर रेखा के ऊपर होगा तब उत्तरी गोलार्ध में सर्दी का पहला दिन तथा दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी का पहला दिन माना जाएगा 21 दिसंबर को रात 2:47 पर संक्रांति होगी। इसी समय भारत में सबसे लंबी रात और सबसे छोटा दिन होगा। रात करीब 16 घंटे की और दिन लगभग 6 घंटे का होगा। यह संक्रांति 21 से 23 दिसंबर किसी भी तारीख में हो सकती है।
लखपति दीदियों ने आयोजित किया फ़ूड फेस्टिवल
लखपति दीदी योजना, महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए चलाई जाने वाली एक पहल है। इस योजना के तहत, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की सदस्य महिलाओं को वित्तीय साक्षरता, कौशल विकास, और आजीविका के लिए सहायता दी जाती है। इस योजना के तहत, महिलाओं को उद्यमशीलता के लिए सशक्त बनाया जाता है। हर साल की तरह इस साल भी दिल्ली के बाबा खड़क सिंह मार्ग पर आयोजित सरस फूड फेस्टिवल में लखपति दीदी योजना से लाभान्वित महिलाओं का उत्साह देखने को मिल रहा है। देश के विभिन्न राज्यों से आई लखपति दीदियां अपने-अपने राज्यों के पारंपरिक व्यंजन बेचने के लिए यहां आई हैं। उनके द्वारा तैयार किए गए व्यंजन यहां पर बेचे जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश : जड़ी बूटी की खेती एवं संवर्धन एक लाभदायक और सतत कृषि विकल्प है
सहारनपुर के गोचर महाविद्यालय में आयोजित आयुर्वेदिक औषधि कंपनी इंडियन हर्ब्स स्पेशल्टीज द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन डॉ अरुण चंदन क्षेत्रीय निदेशक राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड आयुष मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशन में हुआ जिसमें किसानों को औषधीय खेती के प्रति जागरूक किया गया।
जड़ी-बूटी की खेती और संवर्धन आज के समय में किसानों के लिए एक नया और लाभदायक विकल्प बन गया है। पारंपरिक फसलों के मुकाबले इसमें कम लागत और अधिक मुनाफा है। साथ ही, यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। आयुर्वेद और फार्मास्युटिकल उद्योगों में जड़ी-बूटियों की बढ़ती मांग से इसके बाजार में भारी वृद्धि हुई है।
भारत में तुलसी, अश्वगंधा, एलोवेरा, शतावर और सर्पगंधा जैसी जड़ी-बूटियों की खेती प्रमुखता से की जाती है। इन जड़ी-बूटियों का उपयोग औषधीय, सौंदर्य और पोषण संबंधी उत्पादों में किया जाता है। खेती के लिए जैविक और प्राकृतिक विधियों को अपनाने से भूमि की उर्वरता बनी रहती है और उत्पादों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
सरकार भी जड़ी-बूटी की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को तकनीकी सहायता और अनुदान प्रदान कर रही है। राष्ट्रीय औषधीय पौध योजना (NMPB) और जैविक खेती के कार्यक्रम इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे स्थानीय बाजार के साथ-साथ वैश्विक बाजार की संभावनाओं का लाभ उठाएं। जड़ी-बूटी की खेती, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक लाभ का एक प्रभावी संयोजन प्रस्तुत करती है।
डिजिटल नेटवर्क के नाम पर ठगी
डिजिटल नेटवर्क के नाम पर वसूली के आरोप सामने आए हैं, जिसमें कहा गया है कि कुछ ठग लोगों से अवैध रूप से पैसे वसूल रहे हैं। आरोप है कि इन ठगों ने लोगों को फर्जी डिजिटल सेवाओं और नेटवर्किंग पैकेज का झांसा दिया और उनसे पैसे ले लिए। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने इन ठगों के द्वारा दिए गए लिंक पर क्लिक कर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा की, जिसके बाद उनके खातों से पैसे कट गए।
डिजिटल शिकायतों और साइबर अपराधों से संबंधित शिकायत दर्ज करने के लिए भारत सरकार ने एक डिजिटल शिकायत हेल्पलाइन नंबर प्रदान किया है। यह हेल्पलाइन नंबर 1930 है, जिसे आप साइबर अपराध, धोखाधड़ी, ऑनलाइन वसूली और अन्य डिजिटल अपराधों की शिकायत करने के लिए डायल कर सकते हैं।
स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और इस प्रकार की धोखाधड़ी से बचने के लिए नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। डिजिटल नेटवर्क के जरिए इस तरह की धोखाधड़ी की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पुलिस ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की बात कही है, और नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान स्रोत से मिले डिजिटल ऑफर्स और लिंक पर विश्वास न करें।
पसीना नहीं निकलने से बढ़ सकता है दिल का खतरा
हमारे शरीर के सामान्य कार्यों में पसीना आना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो शरीर का तापमान नियंत्रित करने और विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पसीना न निकलना आपके दिल के लिए खतरा बन सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार पसीना न आना (एन्हाइड्रोसिस) शरीर की एक असामान्य स्थिति है, जिसमें पसीने की ग्रंथियां सामान्य रूप से काम नहीं करतीं। यह समस्या शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में बाधा डालती है, जिससे गर्मी का असर बढ़ सकता है। लंबे समय तक यह स्थिति हृदय पर दबाव डालती है, क्योंकि गर्मी से निपटने के लिए दिल को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है।
पसीना न निकलने का कारण कई बार नर्वस सिस्टम की गड़बड़ी, त्वचा संबंधी समस्याएं, दवाइयों का साइड इफेक्ट, या डिहाइड्रेशन हो सकता है। यह स्थिति हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ा सकती है।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि नियमित व्यायाम, हाइड्रेशन यानि उचित मात्रा में जल का पीना और स्वास्थ्यवर्धक आहार से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि पसीना न आने की समस्या लगातार बनी रहे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हृदय को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
जाड़े में रखें पशुओं की सेहत का ध्यान
तेज सर्दी के मौसम में पशुपालकों को किसी भी समस्या के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। इसे लेकर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक गम्भीर हैं। उन्होने पशुपालकों के पशुओं को तेज सर्दी एवं शीतलहर से बचाने के लिए फील्ड में जाकर जिले के सभी पशु चिकित्सालयों के प्रभारियों को बेहतर पशु स्वास्थ्य के निर्देश दिए हैं।
तापमान में आई गिरावट को देखते हुए संयुक्त निदेशक ने जिले के गौशाला संचालकों एवं पशुपालकों को उनके मूल्यवान पशुओं को तीव्र सर्दी से बचाने एवं उनकी उचित देखभाल करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि ठंड से बचाव के लिए पशुओं को सरसों या बादाम की खली दें और चुनी, गेहूं दाना अधिक मात्रा में दें। इस मौसम में पशु को पीने के लिए ठंडा पानी नहीं देना चाहिए। संभव हो तो हल्का गर्म या बोरवेल का पानी पिलाना चाहिए। सप्ताह में 2 दिन संभव हो तो पानी में हल्दी एवं गुड़ भी मिलाकर पशु को पिला सकते हैं। उन्होंने ने बताया कि पशु को ठंड लगने पर नाक से पानी गिरना, आंख से पानी गिरना, बार-बार पेशाब होना, पशु का लगातार हांफना, भूख कम लगना, शरीर में कंपकंपी, रोएं खड़े हो होना आदि लक्षण हो सकते हैं। इस स्थित में पशु पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दें। पशु को गर्म पानी के साथ सूखा और हरा चारा को मिलाकर खिलाएं। यदि तब भी पशु के स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है तो नजदीक के पशु चिकित्सालय में संपर्क कर पशु का उचित इलाज कराएं।
राजस्थान : सहकारी गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना
राजस्थान सरकार ने सहकारी गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 35 हजार गोपालक महिलाओं को ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करने का लक्ष्य रखा है। सहकारिता राज्य मंत्री ने बताया कि योजना के अंतर्गत 5 लाख गोपालकों को लाभ पहुंचाने के लिए 150 करोड़ रुपये का ब्याज अनुदान दिया जाएगा।
योजना में आजीविका महिला समूह की गोपालक महिलाओं को शामिल किया गया है। उन्हें ऋण प्राप्त करने के लिए स्थायी संपत्ति की आवश्यकता नहीं होगी, केवल दो व्यक्तियों की जमानत पर्याप्त होगी। मंत्री ने बताया कि महिला गोपालकों को स्थानीय डेयरी सहकारी समिति की सदस्यता की शर्त से छूट दी गई है, जिससे गैर-सदस्य भी योजना का लाभ उठा सकें। साथ ही, क्रेडिट स्कोर की शर्त भी हटा दी गई है।
राजस्थान राज्य सहकारी बैंक, राजस्थान महिला निधि क्रेडिट कोऑपरेटिव फैडरेशन को 90% तक पुनर्वित्त करेगा। यह पहल महिलाओं को उद्यमशीलता और आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ राज्य के गोपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मददगार होगी।
सर्दियों से सुरक्षित रखेंगी ये खाद्य वस्तुएं
सर्दियों में हमें अपनी सेहत का विशेष ख्याल रखना चाहिए। दरअसल इस मौसम में सर्दी-जुकाम, बुखार-खांसी के कारण सेहत बिगड़ने का डर रहता है। ठंड से बचने के लिए लोग गर्म कपड़े तो पहनते हैं लेकिन खानपान को लेकर प्रायः सावधानी नहीं रखते हैं। जिससे कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आप डाइट में उन चीजों को शामिल कर सकते हैं, जो ठंड के मौसम में शरीर को गर्म रखती हैं। आइए जानते हैं उन फूड्स के बारे में-
सर्दियों में तिल का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। इसमें फाइबर, विटामिन-ई, कैल्शियम, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो कई रोगों से बचाने में मदद करते हैं। इसके नियमित सेवन से पाचन शक्ति मजबूत हो सकती है, साथ ही ये शरीर को अंदर से गर्म रखते हैं।
खजूर में विटामिन-ए, विटामिन-बी, कैल्शियम, पोटैशियम और अन्य विटामिन्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसकी तासीर भी गर्म होती है, इसके नियमित सेवन से शरीर अंदर से गर्म रहता है। डाइट में आप सीमित मात्रा में खजूर शामिल कर सकते हैं।
गुड़ में जिंक, कैल्शियम, फॉस्फोरस और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसे खाने से आप सर्दी-जुकाम की समस्या से बच सकते हैं।
अदरक में एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जो कई रोगों से बचाने में मदद करते हैं। सर्दियों में आप अदरक का सेवन सीमित मात्रा में कर सकते हैं। यह शरीर को गर्म रखता है।
गाजर का हलवा सर्दी के मौसम में एक स्वादिष्ट और पोषक व्यंजन है। गाजर, घी, मेवे और दूध से बने इस हलवे में शरीर को गर्माहट देने के साथ-साथ जरूरी पोषक तत्व भी मिलते हैं।
अगर आपको पहले से कोई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या है तो किसी भी चीज के सेवन से पहले अपने चिकित्सक परामर्श अवश्य करें।
एनर्जी ड्रिंक के खिलाफ कम्बोडिया ने उठाया सख्त कदम
कम्बोडिया सरकार ने युवाओं मे बढ़ते मधुमेह को देखते हुए कम्बोडिया के स्कूलों मे एनर्जी ड्रिंक पर प्रतिबंध लगा दिया है। उपप्रधानमंत्री और शिक्षा युवा खेलमंत्री हैंग चुआन नारेन ने बताया कि यह कदम ख़ासकर युवाओं और सभी नागरिकों मे एनर्जी ड्रिंक का ज्यादा सेवन करने से मधुमेह के रोगों को कम करने हेतु उठाया गया है।
सरकार द्वारा जारी निर्देश के हवाले से कहा गया है कि स्कूलों के अंदर और स्कूलों के आसपास एनर्जी ड्रिंक, ऊर्जा पेय सेवन की सभी सामग्रियों पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रतिबंध देश के सभी निजी और सार्वजानिक स्कूलों और तकनीकी शिक्षा संस्थानों पर भी लागू किया जायेगा। सरकार द्वारा यह भी निर्देश दिया गया है कि अगर कोई स्कूल प्रतिबंध का उलंघन करता है तो उससे ऊर्जा पेय, एनर्जी ड्रिंक जब्त करके विक्रेता पर उचित कार्यवाही की जाए।
नारेन ने सभी स्कूलों को निर्देश देते हुए कहा है कि जब छात्र राष्ट्रीय ध्वज को सलामी के लिए एकत्रित हों तो उन्हें एनर्जी ड्रिंक से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे मे अवगत कराया जाए। प्रधानमंत्री हुन मैनेट के बयान मे कहा गया था कि देश मे मधुमेह का प्रकोप दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री के बयान के कुछ ही घंटों बाद एनर्जी ड्रिंक और अन्य ऊर्जा पेय के सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
उन्होंने कहा कुछ बच्चे तीन कैन तक शुगर और एनर्जी ड्रिंक का सेवन करते हैं। जिससे वह असमय ही मधुमेह जैसी घातक बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं।
मूली के पत्तों में पाए जातें है कई पोषक तत्व
हम सब जिन मूली के पत्तों को बेकार और किसी काम का न समझकर फेंक देते हैं उसमें कई तरह के पोषक तत्व होते हैं और ये सेहत के लिए बहुत फ़ायदेमंद होते हैं। मूली के पत्तों में विटामिन-सी, विटामिन-ए, विटामिन-बी, कैल्शियम, फ़ॉस्फ़ोरस, आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम और फ़ॉलिक एसिड जैसे पोषक तत्व होते हैं।
मूली के पत्तों में फ़ाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जिससे पाचन बेहतर होता है और कब्ज़ की समस्या से राहत मिलती है। मूली के पत्तों में मौजूद विटामिन-सी से इम्यूनिटी बढ़ती है और सर्दी-ज़ुकाम जैसी बीमारियों से बचाव होता है।
मूली के पत्तों में मौजूद आयरन से एनीमिया से बचाव होता है। मूली के पत्तों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ़्लेमेटरी गुण यूरिक एसिड की समस्या में राहत देते हैं। मूली के पत्तों में मौजूद पोटैशियम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। मूली के पत्तों में मौजूद विटामिन-ए और विटामिन-सी आंखों की रोशनी को बढ़ाते हैं।
मूली के पत्ते हमारी सेहत को अच्छा बनाने का एक आसान और सस्ता साधन बन सकते हैं।
मौजूदा वित्त वर्ष में चाय निर्यात में तेजी
चाय बोर्ड के अनुसार चल रहे वित्तीय वर्ष में पहले छः महीने अप्रैल से सितंबर तक के आंकड़ों के हिसाब से चाय निर्यात अपने मूल्य से 13.18% के आस पास बढ़कर 3403.64 करोड़ रुपए तक हो गया है।
पिछले वर्ष इस समय यह आंकड़ा 3007.19 करोड़ रुपए आंका गया है। भारत विश्व में 25 देशों से अधिक देशों में चाय का निर्यात करता है।
दुनिया के शीर्ष 5 देशों में भारत चाय के निर्यातकों में माना जाता है। भारत की नीलगिरी ,असम, दार्जिलिंग की चाय विश्व में बेहतरीन चायों में मानी जाती है। लगभग 96% के आसपास ब्लैकटी भारत से निर्यात की जाती है।
2023-24 के दौरान यूएई ने 131.18 इराक ने 88.54 और अमेरिका के द्वारा 77.62 अमेरिकी डॉलर तक का चाय आयात किया गया।
भारत से आयत की जाने वाली चायों में लेमन टी, ब्लैक टी, ग्रीन टी, हर्बल टी, रेगुलर टी शामिल है। 80% ब्लैक टी ,16% रेगुलर टी, 3.5% ग्रीन टी भारत से निर्यात की जाती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में पंजीकरण की आखिरी तारीख है 31 दिसम्बर 2024
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सरकार द्वारा किसानों को अलग अलग फसलों के नुकसान पर अलग अलग राशि प्रदान की जाती है। किसानों को उस योजना का लाभ लेने के लिए आवश्यक पात्रताओं को पूर्ण करना होता है और साथ ही साथ जरूरी दस्तावेजों को भी तैयार करना पड़ता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसान कम से कम प्रीमियम देकर अपनी फसल का बीमा करवा सकते है। फसल का बीमा होने पर किसी भी स्थिति में फसल का नुकसान होने पर बीमा की राशि किसान को प्रदान की जाती है।
इसका पंजीकरण करने हेतु खाते की पासबुक ,आधारकार्ड ,फसल बोआई का प्रमाणपत्र ,जमाबंदी आदि डॉक्यूमेंट के साथ मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर जाकर कर सकते हैं। सभी खाद्य और बागवानी फसलों को इसमें शामिल किया है।
आमतौर पर बीमे का पैसा नुकसान की जांच और बीमा कंपनी द्वारा प्रक्रिया पूरी करने के 7 से 10 दिन में ही फसल बीमा का पैसा किसान के खाते में आ जाता है। फसल बीमा पंजीकरण की समय सीमा बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 कर दी गई है।
मध्य प्रदेश: गीता पाठ का विश्व रिकॉर्ड
मध्य प्रदेश में गीता जयंती के अवसर पर एक अद्भुत और ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों लोगों ने एक साथ गीता का पाठ कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। यह आयोजन राज्य के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को प्रदर्शित करने के लिए किया गया था। यह भव्य आयोजन भोपाल में हुआ, जहां करीब 7 हजार से अधिक लोग इकट्ठा हुए। कार्यक्रम में बच्चों, बुजुर्गों और युवाओं सहित हर वर्ग के लोग शामिल हुए। इन सभी लोगों ने एक साथ गीता का पाठ किया, इस अवसर पर भगवद्गीता के तीसरेअध्याय का सामूहिक पाठ किया गया, जो अब तक का सबसे बड़ा गीता पाठ का आयोजन था। भाग लेने वाले लोगों ने इस अनुभव को प्रेरणादायक और गर्व का क्षण बताया। सोशल मीडिया पर भी इस आयोजन की वीडियो और तस्वीरे तेजी से वायरल हो रही हैं।
यह आयोजन न केवल मध्य प्रदेश के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय बन गया है।
नई दिल्ली : किसान कर्ज एक गंभीर चुनौती
भारत में कृषि क्षेत्र की स्थिति पर हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि 50% से अधिक किसान कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। यह आंकड़ा न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति पर सवाल खड़े करता है, बल्कि कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए भी चिंता का विषय है। ऐसा माना जाता है कि, भारत के 52% से अधिक ग्रामीण परिवार कर्ज के बोझ तले हैं।
2022-23 में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों को दिए गए कर्ज की कुल राशि ₹18 लाख करोड़ रुपये तक के आस पास पहुंच चुकी थी । इसमें से एक बड़ा हिस्सा छोटे और सीमांत किसानों का है। पंजाब में किसानों पर औसतन ₹2 लाख से अधिक का कर्ज है। छोटे किसानों के कर्ज का 80% हिस्सा साहूकारों और बिचौलियों के कर्ज का है, यह गंभीर चिन्ता का विषय है।
उत्तर प्रदेश बना गाय के दूध उत्पादन में अग्रणी, डेयरी उद्योग को नई ऊंचाई
उत्तर प्रदेश ने देश के दुग्ध उत्पादन में एक बार फिर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका साबित की है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, राज्य ने गाय के दूध के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य बन गया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य ने दुग्ध उत्पादन और डेयरी उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है। उनकी सरकार ने किसानों और पशुपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कई नीतिगत योजनाओं को लागू किया है। योगी सरकार ने दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए “राष्ट्रीय गोकुल मिशन” को राज्य में तेजी से लागू किया है। इस योजना के तहत पशुपालकों को गायों की उन्नत नस्लें उपलब्ध कराई गईं और डेयरी फार्मिंग के लिए सब्सिडी प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री ने पशुओं के टीकाकरण, मुफ्त चिकित्सा शिविर और पशुओं के लिए आधुनिक वेटरनरी सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया। इसका उद्देश्य दूध देने वाली गायों की सेहत में सुधार और उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है। इन कार्यक्रमों के चलते उत्तर प्रदेश ने दुग्ध उत्पादन में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शिता और नेतृत्व ने राज्य के डेयरी उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। उनके प्रयासों से किसानों की आय में वृद्धि हुई है और राज्य को दुग्ध उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बना दिया है।