मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ “जैविक महोत्सव” का आयोजन
इंदौर के ग्रामीण हाट बाजार में शुक्रवार से तीन दिवसीय “जैविक महोत्सव तथा मिलेट्स उत्सव” का आयोजन किया जा रहा है। यह महोत्सव 13 से लेकर 15 दिसंबर तक चलेगा। इस महोत्सव का उद्देश्य भारत के जैविकीकरण में योगदान देना है। यह महोत्सव सुबह 10 बजे से शाम के 8 बजे तक चलेगा।
महोत्सव में आपको जैविक एवं प्राकृतिक खेती पर विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण, जैविक उत्पाद प्रदर्शनी, मिलेट्स का महत्व और कृषि तकनीक संबंधित जानकारी, निःशुल्क आयुर्वेदिक परामर्श तथा स्वादिष्ट जैविक एवं मिलेट्स पकवान खाने और खरीदने का भी अवसर मिलेगा। महोत्सव में आए जैविक किसानों, समाज सेवियों तथा प्रकृति संरक्षकों को सम्मानित किया जाएगा। यहां पार्किंग की भी पर्याप्त व्यवस्था है। यह आयोजन ढक्कन वाला कुआं स्तिथ ग्रामीण हाट बाजार में हो रहा है।
बागवानी से बढ़ेगी किसानों की आय : हरियाणा
किसान अपनी आय बढ़ाने और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए बागवानी का सहारा ले सकते हैं देश में कई जगह किसानों को बागवानी हेतु जागरूक करने के लिए कैंप चलाए जा रहे हैं। ऐसे ही जिला उद्यान विभाग रेवाड़ी की ओर से बृहस्पतिवार को प्रोजेक्ट अधिकारी एसएमएम मणिपुर की अध्यक्षता में गांव पावटी में बागवानी जागरूकता कैंप आयोजित किया गया है।
इस कैंप में किसानों को बागवानी से संबंधित कई परामर्श दिए गए तथा उन्हें कई विभागीय योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी गई। किसानों को आधुनिक पौध उत्पादन तकनीकों तथा विभाग द्वारा दिए जा रहे अनुदानों के बारे में भी बताया गया।
जिला बागवानी अधिकारी ने विभागीय योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सब्जी उत्पादन पर 1500 रुपए प्रति एकड़, टनल पर 20000 से 25000 रुपए प्रति एकड़, बांस स्टेकिंग पर 31250 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान दिया जा रहा है। ऐसे ही कई फसलों और विधियों पर विभाग द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। सरकार की ओर से बागवानी स्कीमों के तहत 85% तक अनुदान राशि दी जाती है।
योजनाओं का लाभ उठाने हेतु “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर पंजीकरण करना अनिवार्य है। जिला बागवानी अधिकारी ने बताया कि बागवानी विभाग रेवाड़ी में 50 प्रतिशत अनुदान पर धनिया, पालक व मेथी की मिनी किट आई हुई है।
जो किसान इसका लाभ लेना चाहते हैं वे सोमवार से शुक्रवार बागवानी विभाग रेवाड़ी में अपना आवेदन पत्र जमा करवा सकते हैं।
सुषमा स्वराज पुरस्कार के लिए अंतिम तिथि 25 दिसंबर
हरियाणा : नूह उपायुक्त ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग में उपलब्धि हासिल करने वाली महिलाओं को श्रीमती सुषमा स्वराज पुरस्कार देने के लिए 25 दिसंबर 2024 तक आवेदन मांगे है। यह पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 8 मार्च 2025 को दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि जिस महिला ने राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो या उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हो, श्रीमती सुषमा स्वराज पुरस्कार में पांच लाख रूपये का नगद पुरस्कार, एक प्रशस्ति पत्र और एक शॉल प्रदान किया जायेगा। उन्होंने बताया कि आवेदक का जन्म हरियाणा में हुआ होऔर महिलाओं के हित के लिए काम करती हो, नामांकन करने के दौरान नामांकित व्यक्ति जीवित होना चाहिये। आवेदन के नियम विभाग की वेबसाइड www.wcdhiy.gov.in पर उपलब्ध है।अधिक जानकारी के लिए निकटतम महिला एवं बाल विकास विभाग के कर्यालय से सम्पर्क किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री द्वारा 25 दिसंबर को रखी जाएगी ‘केन-बेतवा नदी जोड़ो’ परियोजना की आधारशिला
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया है कि 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की जयंती के अवसर पर मध्य प्रदेश में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा रखी जाएगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि देश में नदियों के जल संसाधनों को बढ़ाने के लिए नदियों को जोड़ने का सपना देखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की जयंती पर मोदी जी द्वारा छतरपुर जिले में इस परियोजना की आधारशिला रखी जाएगी।
इस परियोजना से मध्य प्रदेश की 8 लाख हेक्टेयर उत्तर प्रदेश की 2.6 लाख हेक्टेयर में फैले बुंदेलखंड क्षेत्र को लगभग 11 लाख हेक्टेयर सिंचाई के लिए और साथ में 41 लाख उत्तर प्रदेश में 21 लाख मध्य प्रदेश के आसपास लोगों को पीने का पानी मिलेगा। केन और बेतवा नदियों को जोड़ने से प्रदेश के कई जिलों को लाभ मिलेगा जैसे पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ शिवपुरी, दमोह आदि।
मुख्यमंत्री ने बताया कि काली-सिंध चंबल नदी परियोजना के आधारशिला का भी निर्णय लिया गया है। काली-सिंध चंबल परियोजना के अंतर्गत प्रदेश के आगर-मालवा, इंदौर, मुरैना, मंदसौर व अन्य जिलों को लाभ मिलेगा।
राजस्थान बीकानेर: किसान 31 दिसंबर तक करा सकते हैं रबी फसलों का बीमा
राजस्थान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत अब 2024 के लिए बीकानेर जिले में ऋणी किसान भाई 31 दिसंबर तक अपनी फसलों का बैंक के माध्यम से बीमा करवा सकेंगे।
ऋणी किसान जो अपनी फसलों का बीमा नहीं करवाना चाहते वह बैंक मैं आफ्ट आउट (संदेह से मुक्ति) फॉर्म भरकर 23 दिसंबर तक दे सकते हैं साथ ही अपने फसलों में कोई भी परिवर्तन करवाने के इच्छुक किसान भाई 29 दिसंबर तक बैंक मैं लिखित में दे सकते हैं I
फसल को पाला पड़ने से बचाएं
किसान भाई अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए कई उपाय कर सकते है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार शीतलहर चलने पर गेहूं के खेतों में हल्की सिंचाई करना अच्छा होता है इससे फसल पर शीतलहर का प्रभाव कम पड़ता है। इसी तरह आलू के खेतों में भी पानी भरने की सलाह दी जाती है, चार डिग्री या इससे कम तापमान रहने पर फसलों में पाला से नुकसान की संभावना बढ़ जाती है।
शीतलहर से बचने के लिए खेत के चारों ओर पेड़-झाड़ियों की बाड़ लगाना चाहिए इससे शीतलहर से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। पाले की संभावना को देखते हुए किसान भाई अपने खेतो में हल्की सिंचाई करें इससे भी शीतलहर से फसल नुकसान को कम किया जा सकता है। जिन दिनों में पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों में किसानों को मिट्टी की गुड़ाई या जुताई नहीं करनी चाहिए।
गेहूं, अलसी और अरहर जैसी फसलों को भी ठंड से नुकसान पहुंचता है। ऐसे में फसलों को सुरक्षित रखने के लिए हम ग्रीन नेट का भी उपयोग कर सकते है ग्रीन नेट के जरिए फसल को आसानी से बचाया सकता है। आलू की फसल को अधिक शीतलहर से बचाने हेतु राख पाउडर का भी उपयोग किया जा सकता है।
आलू की फसल के पौधों पर राख के पाउडर को छिड़कने से उनके पत्तों पर एक परत बन जाती है जो कि अधिक ठंड से आलू को होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्रदान करती है। फसलों पर खट्टी छाछ का छिड़काव भी पाले से बचाव के लिए लाभकारी होता है। सरसों, गेहूं, आलू जैसी फसलों को ठंड से बचाने के लिए सल्फर का भी उपयोग किया जा सकता है।
स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन ने बनाया बैक्टीरिया बताने वाला पैन
एसआईएच के सातवें संस्करण में हरियाणा में देश के युवा पानी और मिट्टी की सुरक्षा को लेकर कार्य कर रहे हैं। पानी और मिट्टी की शुद्धता तथा मृदा उर्वरता बनाए रखने हेतु निरंतर शोध चल रहे हैं। पानीपत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के विद्यार्थियों ने ऐसा मॉडल बनाया है जिसकी सहायता से कुछ मिनट में ही पानी में बैक्टीरिया का पता चल जाएगा।
हरियाणा नूह : पानी के भराव से रबी फसलों की बुआई हुई प्रवाभित
रबी की फसलों की बुआई का अंतिम समय चल रहा है। रबी की मुख्य फसलों मे गेहूं और जौ को माना जाता है। लेकिन जिले में बारिश के पानी से हुए जलभराव से छुटकारा न मिलने से गांवों के किसानों में रबी की बुआई को लेकर समस्या बनी हुई है।
किसानों के अनुसार लगभग 5 से 7 हजार एकड़ भूमि जलभराव से ग्रसित है। किसानों ने कहा कि हैरत की बात तो यह है कि किसान संगठनों ने प्रशासन को कई बार अवगत कराया गया है। लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। किसानों को इसके नुकसान का मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है।
हरकेश, सोनू, दलबीर, रज्जू, सुनील, तंवर, आदि किसानों ने कहा कि रबी बुआई का सीजन अंतिम पड़ाव पर चल रहा है। लेकिन जल भराव की वजह से बुआई हो पाना संभव नहीं है। जिले के गांव गांगोली, छछेड़ा, किरा छपेड़ा, आकेड़ा, आलदूका, ढ़ेकली, बीबीपुर आदि गांव रबी की बुआई मे बहुत पिछड़े हुए हैं। उप मंडल कृषि अधिकारी ने बताया कि जिले की भूमि पर आई जलभराव समस्या से निजात पाने के लिए प्रयास जारी हैं।
गाय के गोबर से बना एनपीके
ओडिशा के सीवी रमन ग्लोबल यूनिवर्सिटी से आए युवाओं ने गाय के गोबर, मूत्र, टमाटर, केला, नीम से एनपीके का निर्माण किया है। जिसकी सहायता से हम रासायनिक खादों के उपयोग को कम कर सकेंगे और इनसे होने वाली हानियों से बच सकेंगे। जल शुद्धिकरण के लिए भी ऐसा मॉडल तैयार किया गया है जिससे कोई अन्य प्रदूषण न हो। पुणे के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस टेक्नोलॉजी कॉलेज की टीम ने दूषित पानी को साफ करने के लिए प्राकृतिक समाधान दिए हैं।
इसी के साथ कोयंबटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने ऐसे पैन का निर्माण किया है जिससे क्षणों में बैक्टीरिया का पता लगाया जा सकता है।
गोधन की सुरक्षा और देखभाल करना है हमारा उत्तरदायित्व
सनातन धर्म में गाय को माता का स्थान दिया जाता है। कोई पूजा हो या उत्सव गाय को सदैव एक देवता की भांति पूजा जाता है। गौशाला में भ्रमण करते समय भूखी गायों को भोजन करते देख जो संतोष मिलता है वह कहीं और नहीं मिल सकता। मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष ने टिपारा स्थित गौशाला का भ्रमण किया था, जहां उन्होंने गौशाला अध्यक्ष से विभिन्न विषयों पर बात की तथा आने वाली समस्याओं के निवारण पर भी चर्चा की।
जन्मदिन पर करें गायों के लिए भंडारा
हम सब अपने या अपने किसी सम्बंधी के जन्मदिन पर महंगी पार्टियों का आयोजन करते हैं जहां हम बहुत से पैसे और संसाधनों का दुरुपयोग करते हैं, इन्हीं संसाधनों और धन का प्रयोग करके हमे गौमाता के लिए भंडारे का आयोजन करना चाहिए। साल में कम से कम एक बार अपने सामर्थ्य अनुसार गायों को भोजन अवश्य कराना चाहिए।
बनारस और उसके आस पास क्षेत्रों में पेय जल की गुणवत्ता ख़राब
सरकार और सामाजिक संस्थाओं की तरफ से स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ जल की अनिवार्यता के बारे में लगातार जागरूक किया जा रहा है। इसी क्रम में वाराणसी जनपद से एक चौंकाने वाला सर्वे सामने आया है। दरअसल दुनिया का सबसे महंगा माना जाने वाला पदार्थ यूरेनियम की मात्रा वाराणसी-जौनपुर सीमा वाले क्षेत्र के जल में सामान्य से अधिक बताई गई है। यह साल 2021 में कलेक्ट किए गए तकरीबन 1200 सैंपल के GSI सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कहा जा रहा है।
लोगों द्वारा पीने जाने वाले जल में सभी तत्वों की एक उचित मात्रा होनी चाहिए तभी वह जल पीने के योग्य होता है। देश भर में साफ पानी पीने की अनिवार्यता को लेकर लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। इसी बीच GSI सर्वे के आधार पर BHU के भूगर्भ शास्त्र विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि वाराणसी स्थित कुछ क्षेत्रों के भूजल में यूरेनियम की मात्रा सामान्य से अधिक है।
दरअसल 2021 से पूर्व में GSI सर्वे की टीम ने वाराणसी में भू-जल सर्वे का कार्य किया था। इस दौरान तकरीबन 1200 सैंपल इकठ्ठा किए गए थे जिसमें ग्राउंडवाटर, मिट्टी और सेडिमेंट्स के सैंपल शामिल थे। इसमें लिए गए तकरीबन 10 पानी के सैंपल जो वाराणसी जौनपुर की सीमा से जुड़े हुए थे। उसमें यूरेनियम का कंसंट्रेशन सामान्य से थोड़ा ज्यादा था (कंसंट्रेशन 30 PPP से ज्यादा). यह पानी पीने के योग्य नहीं रह जाता।
डॉ. तपेश माथुर का चमत्कार ‘कृष्णा लिम्ब’ ने दिव्यांग पशुओं को दी नई जिंदगी
अक्सर हम सभी लोगों ने देखा होगा कि, हमारे आस पास सड़को पर कई पशु लंगड़ाते घूमते हुए नजर आएंगे। हम में से कई लोग इन पर गौर नहीं करते हैं। लेकिन इस पर राजस्थान के डॉ. तपेश माथुर ने गौर करते हुए यह संकल्प लिया कि वे पशुओं को और लंगड़ाने नहीं देंगे। और ऐसे लाचार पशुओं के लिए कृतिम अंग बनाकर उनके कष्टों को कम करने की कोशिश करेंगे। डॉ.तपेश माथुर ने पशु चिकित्सा में महारथ हासिल कर रखी है। खासकर वह रूमानोटॉमी सर्जरी में माहिर है। डॉ. माथुर ने अब पशुओं की अपंगता को दूर करने का मिशन बना लिया है। आज डॉ.माथुर की इस खोज (कृष्ण लिंब) से कई पशुओं को कृत्रिम अंग मिले हैं। डॉ. माथुर बता रहे हैं कि उनकी इस खोज से 21 राज्यो के 400 से अधिक पशुओं को कृत्रिम अंग मिले है। जिनमें से 90% गायें हैं।
उ.प्र. हमीरपुर : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की मॉनिटरिंग समिति की बैठक हुई संपन्न
हमीरपुर जिलाधिकारी की अध्यक्षता मे फसल बीमा योजना की जिलास्तरीय मॉनिटरिंग समिति की बैठक जिला कैलेट्रेट ऑफिस मे सम्पन्न हुई। बैठक मे जिलाधिकारी ने फसल बीमा योजना के अंतर्गत 2022-23 के किसानों के क्लेम एवं फसल की हानि के बारे मे समीक्षा की।
जो क्लेम रिजेक्ट हुए हैं उनका आधार कार्ड के साथ कारण सहित प्रमाणपत्र दिया जाए। हमीरपुर मे रबी मौसम की फसलें जौ, गेहूं, चना, मटर, मसूर, लाही, सरसों, अलसी आदि फसलों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मे कवर किया गया है।
योजना का लाभ लेने हेतु रबी फसलों की बीमा की रकम से संबंधित किसानों को डेढ़ प्रतिशत देनी होगी। किसान फसल का बीमा नज़दीकी जनसुविधा केंद्र या प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पोर्टल पर जा कर करवा सकते है।
नष्ट हुई फसल की सूचना कृषि विभाग के अधिकारी, बीमा कंपनी के प्रतिनिधि और बैंको के समक्ष 72 घंटे के अंदर दे देनी चाहिए और किसान 72 घंटे के अंदर 14447 पर या जनपद कार्डिनेटर के फोन नंबर 9794762323 पर भी फसल नष्ट की सूचना दे सकते हैं।
संत जगदीश मुनि ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चों के लिए खोजा अनोखा लेप
संत जगदीश मुनि ने एक अनोखी खोज करके मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों के लिए उम्मीद की नई किरण जगाई है। उन्होंने आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बना एक विशेष लेप तैयार किया है जिसे, “जीवनदायिनी लेप” नाम दिया गया है। यह लेप बच्चों की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और उनकी शारीरिक पीड़ा को कम करने में मदद करता है।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक गंभीर अनुवांशिक बीमारी है, जो मांसपेशियों को कमजोर कर देती है और इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। संत जगदीश मुनि ने इस लेप को प्राकृतिक सामग्री और प्राचीन आयुर्वेदिक विधियों का उपयोग करके तैयार किया है। अब तक इसका इस्तेमाल करने वाले कई बच्चों को इस बीमारी से राहत मिली है।
संत जगदीश मुनि का कहना है कि उनकी यह खोज मानवता की सेवा के लिए है। वे इसे और अधिक बच्चों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं। उनके इस प्रयास को समाज के विभिन्न वर्गों से सराहना मिल रही है।
प्राकृतिक खेती में ही निहित है भविष्य की सफलता
दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के बीच जागरूकता अभियान के साथ ही कई अन्य योजनाएं लेकर आई है जिससे किसानों का रुझान इस तरफ बढ़े प्राकृतिक खेती को भविष्य की खेती माना जा रहा है, क्योंकि यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि किसानों के लिए अधिक लाभदायक और टिकाऊ भी है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग से मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण को हो रहे नुकसान के कारण प्राकृतिक खेती का महत्व बढ़ गया है।
इस खेती में गोबर, गोमूत्र, हरी खाद, और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके फसल उत्पादन किया जाता है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और उत्पादन लागत भी कम होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्राकृतिक खेती से फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे किसानों को बाजार में बेहतर मूल्य मिलता है।
सरकार भी किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रम और वित्तीय सहायता योजनाएं चलाई जा रही हैं। किसानों का मानना है कि प्राकृतिक खेती न केवल पर्यावरण संरक्षण में मददगार है, बल्कि यह टिकाऊ कृषि का आधार भी है।
उत्तराखंड में पहली बार हुआ विश्व आयुर्वेद एक्सपो का आयोजन
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय राज्यमंत्री प्रताप राव जाधव की अध्यक्षता में दसवें आयुर्वेद एक्सपो मेले का आयोजन परेड ग्राउंड में किया गया, जिसमें अर्जेंटीना, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका सहित 50 से अधिक देशों ने हिस्सा लिया। उत्तराखंड में पहली बार विश्व आयुर्वेद एक्सपो का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन आयुर्वेदिक चिकित्सा, औषधीय पौधों और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में नई संभावनाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया। इस एक्सपो में देश-विदेश से आयुर्वेद विशेषज्ञ, शोधकर्ता और औषधि उद्योग से जुड़े लोग शामिल हुए।
आयोजन में आयुर्वेद की प्राचीन विधाओं और आधुनिक अनुसंधान के तालमेल पर जोर दिया गया। विभिन्न स्टॉलों के माध्यम से आयुर्वेदिक उत्पादों और औषधियों को प्रदर्शित किया गया। साथ ही, कार्यशालाओं और संगोष्ठियों के माध्यम से आयुर्वेद को वैश्विक मंच पर स्थापित करने के प्रयासों पर चर्चा हुई।
उत्तराखंड सरकार ने इस एक्सपो को राज्य में आयुर्वेद और वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम बताया। प्रतिभागियों ने इस आयोजन को सफल बताते हुए कहा कि इससे आयुर्वेद की लोकप्रियता और संभावनाओं को नई ऊंचाई मिलेगी।
भारत ने खाद्य सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का स्थायी समाधान मांगा
भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) से खाद्य सुरक्षा से संबंधित मुद्दों का स्थायी समाधान मांगा है। भारत का कहना है कि देश में लाखों गरीब और जरूरतमंद लोग हैं, जिन्हें सस्ते और सुलभ खाद्यान्न की आवश्यकता है, और इसके लिए मजबूत खाद्य सुरक्षा प्रणाली की आवश्यकता है।
भारत ने डब्ल्यूटीओ से आग्रह किया है कि वह गरीब देशों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक उपायों को सुनिश्चित करें, ताकि इन देशों को अपनी आंतरिक आपूर्ति के लिए अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने का अधिकार मिले। भारत के मुताबिक, विकासशील देशों को यह अधिकार मिलना चाहिए कि वे अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त समर्थन प्राप्त करें।
इस मुद्दे पर भारत ने कहा कि वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन को अपने नियमों में बदलाव करना चाहिए ताकि खाद्य सुरक्षा की नीतियां देशों की आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार लचीली हो सकें। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि खाद्य सुरक्षा के मामलों में कोई समझौता नहीं हो सकता, क्योंकि यह आम जनता की जिंदगी और भलाई से जुड़ा हुआ है।
पिता की पुण्यतिथि पर गौवंश के लिए लगाई सवामणी
प्रमोद यादव के पुत्र जितेंद्र यादव ने अपने पिता की पांचवी पुण्य तिथि पर श्री कृष्ण बाल गोपाल गोशाला में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गौवंश के लिए सवामणी आयोजित की। यह आयोजन ग्रामीण क्षेत्र में हुआ, जहाँ लोगों ने एकत्रित होकर गौवंश को चारा और अन्य खाद्य सामग्री दी। आयोजन के दौरान विशेष पूजा भी की गई और समाज के लोगों ने गौ माता के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। आयोजन का उद्देश्य गौवंश की सेवा के माध्यम से पुण्य कमाना और समाज में एकता और सद्भाव बढ़ाना था। यह पहल स्थानीय लोगों के बीच एक सकारात्मक संदेश लेकर आई और समाज में परंपराओं के प्रति सम्मान को बढ़ावा दिया।
क्या है सवामणी
सवामणी का मतलब सवा मन होता है यानि लगभग 40 से 50 किलो तक का प्रसाद होता है सवामणी तीन प्रकार की होती है –
1. लड्डू पूरी 2. हलवा पूरी 3. खीर पूरी
लोग अपनी मन्नतों को पूरी होने के लिए सवामणी का प्रसाद मानते है , जो प्रायः हनुमान जी के लिए माना जाता है।
रोजाना इस्तेमाल होने वाले उत्पादों पर बढ़े दाम
एफएमसीजी कंपनियों ने अपने उत्पादों पर दाम बढ़ा दिए है। इस साल शहरी बाजारों में स्थिरता देखी गई है तथा ग्रामीण क्षेत्रों के बाजारों में सुधार आया है, इसलिए कंपनियों ने कीमत बढ़ने का पूरा जिम्मा ग्राहकों पर नहीं डाला है।
पैकेट बंद उत्पादों पर कम्पनियों ने कम मूल्य बढ़ाया है ताकि मांग पर असर न पड़े। बढ़ती महंगाई के दौर में रोजमर्रा की चीजों का बढ़ता मूल्य ग्राहकों के लिए एक झटका साबित हो सकता है।
ब्रिटानिया कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी ने बताया कि अभी उन्होंने कम दाम बढ़ाए हैं लेकिन दिसंबर के अंत में 3 से 5 फीसदी दाम बढ़ने की संभावनाएं हैं। उन्होंने ने कहा कि इस क्षेत्र की मुख्य कंपनी होने के नाते उन्होंने मूल्यों में अधिक इजाफा नहीं किया है।
दामों के बढ़ने का कारण पाम तेल और अन्य तेलों की बढ़ती कीमतों को बताया जा रहा है। गोदरेज कम्पनी के उत्पादों में भी तेजी आई है और इसके पीछे भी तेल के दामों की बढ़ोत्तरी ही जिम्मेदार है। उदाहरण के लिए साबुन के उत्पादन में भी पाम तेल का इस्तेमाल किया जाता है ।
पाम तेल के मूल्यों में 10 फीसदी और चाय के दामों मे 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। अब नया वर्ष आने के कुछ समय बाद ही दाम घटने की उम्मीद की जा सकती है।