खेती किसानी बुलेटिन 19 दिसंबर 2024

किसान भाइयों आपकी सेवा में प्रस्तुत है खेती किसानी बुलेटिन

फायदों से भरपूर है शिमला मिर्च 

शिमला मिर्च न केवल स्वादिष्ट और रंग-बिरंगी होती है बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है। यह सब्जी विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स का बेहतरीन स्रोत है जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद करती है। 

शिमला मिर्च में मौजूद विटामिन सी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और त्वचा को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें पाया जाने वाला विटामिन ए आंखों की रोशनी के लिए लाभकारी है। शिमला मिर्च में कैलोरी कम और फाइबर अधिक होता है जिससे यह वजन कम करने वालों के लिए एक आदर्श सब्जी बन जाती है। 

इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं जो उम्र बढ़ने और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। साथ ही इसमें पाया जाने वाला पोटैशियम दिल को स्वस्थ रखने और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है। 

शिमला मिर्च को सलाद, सब्जी या ग्रिल्ड फॉर्म में आसानी से डाइट में शामिल किया जा सकता है। स्वाद और सेहत का अद्भुत संगम होने के कारण इसे नियमित रूप से खाने की सलाह दी जाती है।

टमाटर से चॉकलेट तक ये फूड्स बढ़ा सकते हैं किडनी स्टोन का खतरा 

किडनी स्टोन की समस्या आजकल तेजी से बढ़ रही है जिसका मुख्य कारण हमारी गलत खानपान की आदतें हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कुछ विशेष फूड्स में मौजूद तत्व किडनी स्टोन बनने के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इनमें प्रमुख टमाटर, चॉकलेट, पालक, चाय और नट्स हैं

टमाटर में ऑक्सालेट की मात्रा अधिक नहीं होती है लेकिन अधिक उपयोग से ये कैल्शियम के साथ मिलकर स्टोन का निर्माण कर सकती है। इसी तरह चॉकलेट, चाय और पालक भी ऑक्सालेट से भरपूर होते हैं जिससे किडनी पर दबाव बढ़ता है। नट्स, खासतौर पर बादाम भी ऑक्सालेट का स्रोत हैं जो अधिक मात्रा में सेवन करने से किडनी स्टोन का कारण बन सकते हैं। 

प्रोसेस्ड फूड्स और नमक की अधिकता भी इस समस्या को बढ़ाती है क्योंकि ये शरीर में पानी की कमी कर देते हैं और किडनी स्टोन सम्बंधित विषाक्त पदार्थों को निकलना मुश्किल बना देते हैं। 

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि किडनी स्टोन से बचने के लिए पर्याप्त पानी पीना, संतुलित आहार लेना और ऑक्सालेट युक्त खाद्य पदार्थों का सीमित सेवन करना जरूरी है। साथ ही किसी भी समस्या की स्थिति में डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।

मुख्यमंत्री धामी ने प्रथम सोलर मेला का किया शुभारंभ 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में आयोजित प्रथम सोलर मेला का उद्घाटन किया। इस मेले का आयोजन नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति जागरूकता फैलाने और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने सौर ऊर्जा को भविष्य की ऊर्जा बताया और इसे पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया। 

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाओं वाला राज्य है। सरकार नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने और इसे हर घर तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा न केवल पर्यावरण के लिए सुरक्षित है बल्कि यह बिजली की लागत को भी कम करती है। 

मेले में सोलर पैनल, सोलर हीटर और अन्य सौर ऊर्जा आधारित उपकरणों की प्रदर्शनी लगाई गई। इसके साथ ही विशेषज्ञों ने सौर ऊर्जा के उपयोग और इससे होने वाले लाभों की जानकारी दी। 

मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की कि वे सौर ऊर्जा अपनाकर पर्यावरण बचाने में योगदान दें। इस अवसर पर कई सरकारी अधिकारी विशेषज्ञ और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे।

उन्होंने सौर ऊर्जा से कृषि को होने वाले लाभों के बारे में भी वहां उपस्थित लोगो को जानकारी दी। 

पन्ना टाइगर रिजर्व की हथिनी अनंती ने मादा बच्चे को दिया जन्म 

पन्ना टाइगर रिजर्व में 16 दिसंबर को दोपहर 2 बजे हथिनी अनंती ने एक स्वस्थ मादा बच्चे को जन्म दिया। यह खबर पूरे रिजर्व में खुशी की लहर लेकर आई है। रिजर्व प्रबंधन के अनुसार मां और बच्ची दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं। यह पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए एक महत्वपूर्ण और खुशी का अवसर है क्योंकि यह क्षेत्र जैव विविधता के संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। 

हथिनी अनंती का यह बच्चा रिजर्व के प्रजनन कार्यक्रम के लिए भी एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि नवजात की देखभाल के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।

मटर की फसल में सामयिक कार्य

किसानों को मटर की फसल की पहली सिंचाई फूल आने के समय और दूसरी पॉड बनाने के समय और बाकी की सिंचाई 15 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। यूरिया का प्रयोग 15 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से करना चाहिए।

मटर की फसल में उकठा रोग का प्रकोप ज्यादा होता है फसल को इससे बचाने के लिए ट्राइकोडर्मा का प्रयोग किया जाता है। अगर फिर भी फसल में उकठा रोग के लक्षण दिखाई दें तो प्रभावित पौधों को तुरंत उखाड़ कर खेत से बाहर मिट्टी में दबा दें या आग में जलाकर नष्ट कर दें। उकठा रोग मिट्टी में मौजूद फ़ंगस से होता है इस रोग में पौधों की जड़ें सड़ जाती हैं और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं।

सरसों, गेहूं, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाव के लिए गंधक के तेजाब का छिड़काव किया जाता है। इससे फसलों का पाले से बचाव तो होता ही है साथ ही पौधों में लोह तत्व की जैविक और रासायनिक सक्रियता भी बढ़ जाती है जिससे पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है इसके अलावा फसल को जल्दी पकाने में भी मदद मिलती है।  

फसल मे यदि फली छेदक का हमला दिख रहा है तो इमामेक्टिन बेंजाएट 5 एसजी की 0.5 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें विशेषज्ञों के अनुसार एक बार फली छेदक या चूर्णी फफूंद जैसे कीट तेजी से हमला करते हैं तो फसल उत्पादकता में 60 से 70 प्रतिशत तक कमी आ जाती है।

किसानों ने किया ऋण वृद्धि का स्वागत

केंद्रीय कृषि एवं कल्याण विभाग ने किसानों के लिए बिना गारंटर के ऋण की सीमा बढ़ाकर 1 लाख 60 हजार से 2 लाख तक कर दी है।

इस बदलाव को आर बीआई द्वारा जनवरी 2025 से लागू किया जाएगा। सरकार के इस फैसले का किसानों ने जोरों से स्वागत किया है। किसानों का कहना है कि वर्तमान सरकार किसानों के हित का काम कर रही है ऋण बढ़ाने का फैसला किसानों को खेती करने में सहायता प्रदान करेगा।

ऋण लेने वाले किसानों को अब बैंकों के बार-बार चक्कर लगाने नहीं पड़ेंगे और अब आसानी से जरूरत पड़ने पर ऋण मिल जाएगा। इस बदलाव से किसान क्रेडिट कार्डों में वृद्धि होने की संभावना है।

2024 में अभी तक यूपीआई से लेनदेन का नया रिकॉर्ड

यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस द्वारा होने वाले लेनदेन के नए आंकड़े सामने आए हैं। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किए गए घोषणापत्र में बताया गया है कि जनवरी 2024 से नवंबर 2024 तक 15547 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए हैं।

इन ट्रांजेक्शनों के माध्यम से करोड़ों रुपयों को सुरक्षित और आसान तरीके से एक से दूसरे खातों में पहुँचाया गया है।

नवंबर 2024 में 51 करोड़ 60 लाख के आसपास ट्रांजैक्शन यूपीआई के माध्यम से हुए हैं। यूपीआई का उपयोग भारत के साथ-साथ 7 अन्य देशों में भी किया जा रहा है। यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस ने यूपीआई के महत्व को समझा है। अक्टूबर 2024 में एनपीसीआई ने सबसे अधिक 1658 करोड़ ट्रांजैक्शन किए थे। यूपीआई का महत्व आगे भी बढ़ने की संभावना है।

बढ़ने के बाद फिर से गिरा कोयले का आयात

इस वित्त वर्ष में पिछले 7 महीनों में कोयले का आयात 4.2 फ़ीसदी बढ़कर 16.2 करोड़ टन तक पहुंच गया था। कोयले का आयात पिछले वित्त वर्ष में 15.58 करोड़ टन के आसपास रहा था। बी2बी ई-कॉमर्स मंच एमजंक्शन सर्विसेज के आंकड़ों से पता चला है कि अक्टूबर में कोयले के आयात में 14.4 फ़ीसदी कमी दर्ज की गई थी।

अब कमी के बाद कोयले का आयात 2.20 करोड़ टन के आसपास रह गया है। जो पिछले अक्टूबर में 2.55 करोड़ टन था। सितंबर माह में गैर कुकिंग कोयले का आयात 1.32 करोड़ टन रहा था और 34 लाख टन के आसपास कुकिंग कोयले का आयात दर्ज किया गया था।

पिछले साल के अक्टूबर माह में कुकिंग कोयले का आयात 4.5 लाख टन और गैर कुकिंग कोयले का आयात 1.88 करोड़ टन रहा था। एमजंक्शन के प्रबंधक निदेशक ने बताया कि कुकिंग कोयले में बढ़ोत्तरी हुई है आगे चलकर मांग में कमी आने के आसार हैं।

ठंड के मौसम में और त्योहार के महीने में खरीदारों द्वारा नए सौदे किए गए थे इसलिए कोयले में कमी दर्ज़ की गई थी।

सर्दी के तीखे तेवर बरकरार, सर्द हवाओं से नहीं मिली राहत 

उत्तर भारत में सर्दी का प्रकोप जारी है। ठंडी हवाओं और गिरते तापमान ने जनजीवन को प्रभावित कर दिया है। सुबह और शाम के समय कोहरा छाया रहता है जिससे यातायात पर भी असर पड़ा है। मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ दिनों तक सर्द हवाएं चलती रहेंगी और न्यूनतम तापमान में और गिरावट की संभावना है। 

लोग ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़ों का सहारा ले रहे हैं। इसके अलाव ब्लोवर और हीटर का इस्तेमाल बढ़ गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सर्दी में बुजुर्गों और बच्चों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।

499 नए पशु चिकित्सा उपकेंद्रों को मिली मंजूरी 

राजस्थान सरकार ने राज्य में पशुपालकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से 499 नए पशु चिकित्सा उपकेंद्रों की स्थापना को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में पशुधन के स्वास्थ्य और देखभाल को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। 

राज्य सरकार के अनुसार इन उपकेंद्रों की स्थापना से पशुपालकों को स्थानीय स्तर पर चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी और उन्हें पशुओं के इलाज के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही इससे राज्य में डेयरी और पशुपालन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा। 

पशुपालन विभाग ने बताया कि इन केंद्रों में आवश्यक उपकरण और प्रशिक्षित कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी। इससे पशुओं में बीमारियों को रोकने और उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने इस पहल को ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। 

यह योजना पशुपालकों के लिए राहत लेकर आएगी और पशुधन विकास में  “मील का पत्थर” साबित होगी।

आंवला है कई बीमारियों को दूर रखने का प्राकृतिक उपाय 

सर्दी के मौसम में स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है और इस काम में आंवला आपका सबसे बड़ा साथी हो सकता है। विटामिन सी से भरपूर आंवला न केवल आपकी इम्यूनिटी को मजबूत करता है बल्कि यह सर्दी-खांसी जैसी मौसमी बीमारियों से भी बचाने में मदद करता है। 

आंवले में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर में संक्रमण को रोकते हैं। सर्दियों में इसका नियमित सेवन आपको फ्लू और गले की खराश से बचा सकता है।

साथ ही यह त्वचा को नमी प्रदान कर उसे स्वस्थ बनाए रखता है। आंवला पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है और शरीर को गर्मी प्रदान करता है जिससे ठंड के असर को कम किया जा सकता है। 

इसे कच्चा भी खाया जा सकता है। आंवले का मुरब्बा, जूस या चूर्ण भी इसका सेवन करने के अच्छे विकल्प हैं। आयुर्वेद में इसे एक संपूर्ण औषधि माना गया है जो बालों को मजबूत करने और आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक है। 

सर्दियों में आंवले को अपने आहार में शामिल कर न केवल बीमारियों से बचें बल्कि स्वस्थ और ऊर्जा से भरपूर रहें।

आवारा पशुओं को पकड़वाने के लिए भारतीय किसान यूनियन ने एसडीएम को सौंपा ज्ञापन 

अमरोहा: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा पशुओं की बढ़ती समस्या को लेकर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। संगठन ने कहा कि आवारा पशु सड़कों और खेतों में घूमते हुए फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे किसान परेशान हैं और उनकी मेहनत बेकार हो रही है। 

भाकियू के सदस्यों ने शिकायत की कि आवारा पशुओं के कारण सड़कों पर दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं और लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। संगठन ने मांग की कि इन पशुओं को पकड़कर गोशालाओं में भेजा जाए और उनका उचित प्रबंधन किया जाए। 

एसडीएम ने ज्ञापन स्वीकार करते हुए आश्वासन दिया कि इस समस्या को गंभीरता से लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए जाएंगे और जल्द कार्रवाई की जाएगी।

राजस्थान: कल से शुरू होगी मूंगफली की सरकारी खरीद 

राजस्थान में किसानों को राहत देते हुए राज्य सरकार ने कल से मूंगफली की सरकारी खरीद शुरू करने की घोषणा की है। इस कदम से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा और बाजार में मूल्य अस्थिरता से बचाव होगा।

सरकार ने खरीद केंद्रों पर आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं ताकि किसानों को कोई असुविधा न हो। किसान सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक अपनी मूंगफली की बिक्री के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। इस पहल से किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिलेगा और वे आर्थिक रूप से सशक्त होंगे।

मक्के की कीमतों में बनी हुई है तेजी

मक्के के कई उपयोग होने से इसके भाव में लगातार तेजी बनी हुई है, मक्के की नई फसल अभी 4 से 5 महीने पहले नहीं आने वाली है। मक्का जहां औद्योगिक उपयोग में आता है वहीं इसकी पोल्ट्री उद्योग में भी भारी मांग रहती है। जानकारों की माने तो अब मक्का से कई खाद्य पदार्थ तैयार होने के साथ इसके आटे की रोटी बनाने का भी चलन बढ़ा है।

जो इसके भाव में तेजी का एक बड़ा कारण है। हालांकि शुरुआती दौर में मक्के का भाव थोड़ा नीचे दिखा था जिसका एक बड़ा कारण यह था कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में इसकी उपज अच्छी हुई थी लेकिन इस बार पोल्ट्री उद्योग में इसकी खपत लगभग 30 प्रतिशत तक बढ़ गई।

मध्यप्रदेश  में मक्के का भाव ₹2360 से ₹2430 के बीच चल रहा है। महाराष्ट्र और राजस्थान की मंडियों में मक्का ₹2450 से ₹2470 प्रति कुंतल के बीच चल रहा है। अगर हम मक्के की खपत के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले डेढ़ वर्ष में इसकी खपत 40 प्रतिशत तक बढ़ी है।

बाजार के जानकारों का कहना है कि अभी मक्का की नई फसल आने में देर है साथ ही इसकी औद्योगिक क्षेत्र और पोल्ट्री उद्योग में लगातार मांग बनी रहेगी इसलिए फिलहाल इसके भाव में कमी होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है।

मोटे अनाज को मिली “श्री अन्न” की उपलब्धि

एक समय था जब श्री अन्न को मोटा अनाज कहकर उसकी उपेक्षा की जाती थी। इसका उपयोग करना भी लोग सामाजिक प्रतिष्ठा के विरुद्ध समझते थे। लेकिन अब बदलते हुए माहौल में जहां लोगों के खान पान बिगड़ने से उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर दिखा है वहीं आहार विशेषज्ञों ने माना है कि कई खतरनाक बीमारियां जैसे मधुमेह, कोलस्ट्रॉल और मोटापा आदि श्री अन्न के सेवन से नियंत्रित हो सकती हैं।

आजकल कई उद्यमी मोटे अनाज से स्नैक्स और खाने की वस्तुएं तैयार कर रहे हैं। तथा लोगों के बीच श्री अन्न के लाभ के बारे में जागरूकता भी बढ़ी है। श्री अन्न के लाभ को देखते हुए केंद्र तथा राज्य सरकारें इसके उत्पादन के लिए प्रोत्साहन योजनाएं भी चला रही हैं।

इनकी बाजार में मांग बढ़ने से श्री अन्न का अच्छा भाव भी मिल रहा है जिसकी वजह से किसानों में इसकी खेती के प्रति रुझान बढ़ा है। श्री अन्न उत्पादक किसानों का कहना है कि इसकी प्रोसेसिंग आज भी पुराने तरीकों से करनी पड़ती है। जिसमें मानव श्रम की अत्यधिक आवश्यकता होती है जो आज कल मिलने में दिक्कत हो रही हैं।

अगर श्री अन्न की प्रोसेसिंग के लिए छोटी छोटी मशीनों का विकास कर उसे आम जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जाए तो इसका उत्पादन और बढ़ेगा। लेकिन ये बात निश्चित है कि आने वाले दिनों में श्री अन्न की मांग बढ़ेगी और जो किसान भाई इसकी खेती में आगे आएंगे उनकी खेती मुनाफे की रहेगी क्योंकि इसमें लागत भी कम लगती है।

आखिर सोने की कीमतों में क्यों हो रही है गिरावट ?

हाल ही के दिनों में सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है जो निवेशकों और व्यापारियों के लिए चर्चा का विषय बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती और ब्याज दरों में बढ़ोतरी है। जब ब्याज दरें बढ़ती हैं तो निवेशक सोने जैसे सुरक्षित विकल्प के बजाय बॉन्ड और अन्य वित्तीय साधनों में पैसा लगाना पसंद करते हैं। 

इसके अलावा वैश्विक आर्थिक सुधार के संकेत और कई देशों में स्थिर होती अर्थव्यवस्था ने सोने की मांग को कम कर दिया है। चीन और भारत जैसे बड़े बाजारों में त्योहारी सीजन के बाद मांग में कमी भी इस गिरावट का कारण है। 

डिजिटल करेंसी और स्टॉक मार्केट के प्रति बढ़ते रुझान ने भी सोने के निवेश को प्रभावित किया है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है क्योंकि सोना लंबे समय से सुरक्षित निवेश का माध्यम रहा है।

भेड़ और बकरियों को रखें ठंड से सुरक्षित

ठंड के मौसम में सभी पशुओं को नुकसान हो सकता है लेकिन भेड़ और बकरियों के लिए ठंड का मौसम बहुत ही चुनौती भरा होता है। यह भी देखा जाता है कि सर्दियों के मौसम में इनकी मृत्यु दर बढ़ जाती है खासकर इनके छोटे बच्चों की। इसलिए भेड़ और बकरी पालने वाले किसान भाइयों को ठंड के मौसम में अत्यधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि भेड़ बकरियों को ठंड के मौसम में बीमारियों से बचाने के लिए इनके बाड़े की अच्छी तरह से नियमित सफाई होना बहुत जरूरी है अगर संभव हो तो कभी कभी गर्म पानी से भी बाड़े की सफाई की जा सकती है। साथ ही चूने का छिड़काव भी बीच बीच करते रहना चाहिए।

रात को बाड़े को गरम रखने के लिए बिजली के बल्ब जलाने चाहिए लेकिन उनको भेड़ बकरियों की पहुंच से ऊंचाई पर रखना चाहिए। उनकी खुराक में 100 ग्राम से 250 ग्राम दाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। अगर धूप खुली हो तो उन्हें धूप में अवश्य टहलाएं।

इससे इनकी ठंडक भी दूर होगी और इनका मनोरंजन और व्यायाम भी होगा। रात को बाड़े के खिड़की दरवाजे अच्छी तरह से बंद रखने चाहिए। दिन में उनको खोल देना चाहिए जिससे उसमें अच्छी तरह से हवा का आवागमन हो सके। जाड़ों में अक्सर भेड़ बकरियां ठंड की वजह से पानी पीना कम कर देती हैं जिसकी वजह से उनके शरीर में पानी की कमी होने से उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

इसलिए इस मौसम में इनको गुनगुना पानी देना चाहिए जिससे यह पानी को ठीक तरह से पी सकें। भेड़ बकरियों को ठंड से बचाने के लिए उनको सरसों की खली को उनके चारे में शामिल करना चाहिए। इस मौसम में भेड़ बकरियों के बच्चों का बहुत ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। किसी प्रकार के बीमारी के लक्षण दिखें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क अवश्य करें।

कीमत स्थिरता से घटा धनिया उत्पादन

धनिया एक ऐसा मसाला है जो हम कई प्रकार से प्रयोग करते हैं। लगभग हर घर में धनिया का प्रयोग किया जाता है चाहे वो सलाद में हो या किसी मसाले के रूप में। धनिया की देश में इतनी मांग होने के बाद भी बाजारों में इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। पिछले कुछ समय से धनिये की कीमत बाजारों में स्थिर बनी हुई है। कीमतों में स्थिरता के कारण किसान इसकी बुआई हेतु ज्यादा उत्साहित नहीं हैं।

हालांकि राजस्थान, गुजरात एवं मध्य प्रदेश में धनिया की बिजाई अभी हो रही है परन्तु इसके क्षेत्र में काफी कमी आई है। आंकड़ों की माने तो पिछले वर्ष गुजरात का धनिया उत्पादन क्षेत्र 2.23 लाख हेक्टेयर था जबकि इस वर्ष यह घटकर 62400 हेक्टेयर रह गया है।

इन आंकड़ों से साफ होता है कि गुजरात में धनिया उत्पादन क्षेत्र काफी कम हुआ है। सभी मुख्य धनिया उत्पादक राज्यों में सीमित आपूर्ति हो रही है। उत्पादन क्षेत्र और आपूर्ति कम होने के बाद भी घनिया की कीमतों में तेजी नहीं आ रही है। मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वर्ष की पहली छमाही में धनिया का निर्यात घटकर 29661 टन ही रह गया  जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह निर्यात 71931 टन था। जो कृषि एवं धनिया उत्पादन की दृष्टि से एक अच्छी बात नहीं है।