खेती किसानी बुलेटिन 20 दिसंबर 2024

किसान भाइयों आपकी सेवा में प्रस्तुत है खेती किसानी बुलेटिन

गोशाला संचालकों के लिए बनाए गए हैं नए नियम

मथुरा के जंगल में 40 गोवंशों के अवशेष मिलने से मथुरा प्रशासन में हाहाकार मच गया है। संबंधित विभाग के अधिकारी व कार्यकर्ता परेशान दिख रहे है। विभिन्न गोशालाओं की जांच की जा रही है। पशु चिकित्सा विभाग ने गोशालाओं के लिए एसओपी जारी की है।

इसमें गोशाल में उपस्थित गोवंश के मरने पर उसकी अंतिम क्रिया एक मानक के रूप में ही करनी होगी तथा गोशाला को मृत गोवंश का रिकार्ड भी रखना होगा। विभाग ने सभी गोशालाओं को हिदायत दी कि किसी भी मृत गाय के शव को खुले में न डाला जाए।

यदि किसी कारण से किसी गोवंश की मृत्यु हो जाती है तो 2 मीटर गड्ढा खोदकर तथा उसमें चूना डालकर गाय का अंतिम संस्कार किया जाए।

सौंफ के दामों में अब हो सकती है बढौतरी

देश में सौंफ की कीमतों में काफी समय से मंदी दिख रही थी। लेकिन अब ये मंदी समाप्त हो गई है। सौंफ की मांग अब धीरे धीरे बढ़ने लगी है। मांग बढ़ने तथा विदेशों में इसकी बढ़ती खपत से इसकी कीमतों में अब तेजी से बढ़त हो सकती है।

व्यापारियों ने जानकारी दी है कि देश में इसकी मांग के साथ ही निर्यात में इसकी स्थिति सुधर रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि नए साल में फरवरी तक इसकी कीमतों में लगभग 20 से 25 रुपए प्रति किलो की बढ़ोत्तरी संभव है। सौंफ की नई फसल की कटाई अप्रैल में शुरू होती है अतः उसके बाद ही कीमतों में गिरावट की उम्मीद की जा सकती है।

इसका उत्पादन मुख्यतः राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में होता है। बाजार के विशेषज्ञों की माने तो देश में सौंफ के भाव घटने का कारण इसकी कम हो रही मांग थी। कुछ आयातक देशों जैसे बांग्लादेश, चीन और रूस में अशांति के माहौल के कारण सौंफ का निर्यात भी बाधित हो गया था जिसका प्रभाव हमें बाजार में साफ दिख रहा था। लेकिन अब अच्छी फसल और बढ़ती मांग को देखते हुए सौंफ की स्थिति सुधरती हुई दिख रही है ।

नई दिल्ली: खत्म हो रही है गिलोय की उपलब्धता

पिछले कुछ समय में स्थानीय मंडियों में गिलोय की कमी बताई जा रही है और स्टॉक भी नगण्य बताया जा रहा है। सर्दियों के मौसम में गिलोय जैसी जड़ी बूटियों की मांग बढ़ जाती है। औद्योगिक कंपनियां जड़ी बूटियों का प्रयोग हर्बल उत्पाद बनाने के लिए करती हैं तथा घरेलू प्रयोग में भी ये जड़ी बूटियां काम आती है।

यही कारण है कि जाड़ों में इन उत्पादों की मांग बढ़ जाती है। समस्या की बात यह है कि इस साल मांग बढ़ने के साथ उत्पादन नहीं बढ़ पाया है और स्टॉक भी नगण्य बताया जा रहा है। कम्पनियों द्वारा सर्दी में होने वाली आम बीमारियों जैसे बुखार, सर्दी, खांसी, जुकाम एवं त्वचा रोग के लिए विशेष औषधियां बनाई जाती है जिनमें गिलोय का प्रयोग अधिक मात्रा में किया जाता है। वर्तमान में माल न होने के कारण गिलोय के भाव 55–65 रुपए प्रति किलो पर रुके हुए हैं।

महंगाई में बड़ी राहत: 3 महीने बाद थोक महंगाई दर अपने निचले स्तर पर

नवंबर 2024 में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर घटकर 1.89% पर आ गई जो पिछले तीन महीनों का सबसे निचला स्तर है। अक्टूबर 2024 में यह दर 2.36% थी। महंगाई में यह कमी मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं विशेषकर सब्जियों और प्याज की कीमतों में गिरावट के कारण आई है। 

खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर नवंबर में घटकर 8.63% रह गई जो अक्टूबर में 13.54% थी। सब्जियों की महंगाई दर में भी काफी गिरावट आयी है। प्याज की कीमतों में आई गिरावट ने भी इस कमी में अहम भूमिका निभाई है। वहीं ईंधन और बिजली की श्रेणी में महंगाई दर नवंबर में मामूली बढ़त के साथ 5.83% रही। 

यह राहत आम जनता के लिए बड़ी राहत है क्योंकि थोक महंगाई दर में गिरावट का असर खुदरा बाजार पर भी दिखने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह रुझान जारी रहता है तो आगामी महीनों में महंगाई दर और घट सकती है। 

हालांकि सरकार को महंगाई को स्थिर बनाए रखने के लिए आपूर्ति श्रृंखला में सुधार और उत्पादन बढ़ाने के प्रयास जारी रखने होंगे ताकि उपभोक्ताओं को दीर्घकालिक लाभ मिल सके।

कृषि मंत्री ने ससौली में सीवेज पंपिंग स्टेशन का किया उद्घाटन

हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने ससौली गांव में सीवेज पंपिंग स्टेशन का शिलान्यास किया। इस परियोजना की कुल लागत 256.45 लाख रुपये है। उद्घाटन समारोह के दौरान मंत्री ने कहा कि यह पंपिंग स्टेशन क्षेत्र की जल निकासी और सीवेज की समस्या को स्थायी रूप से ख़तम करेगा। 

परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में साफ-सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना है। मंत्री ने बताया कि सरकार का ध्यान ग्रामीण विकास और बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने पर है। इस सीवेज पंपिंग स्टेशन से ससौली और आस-पास के गांवों को लाभ मिलेगा। 

मंत्री ने जनता को आश्वासन दिया कि विकास कार्यों में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने स्थानीय निवासियों से अपील की कि वे इस सुविधा का सही उपयोग करें और स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग करें। इस अवसर पर स्थानीय प्रशासन और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे।

पशुधन विभाग ने गोशालाओं का किया निरीक्षण, व्यवस्थाओं का लिया गया जायजा

पशुधन विभाग के नोडल अधिकारियों ने लखनऊ क्षेत्र की गोशालाओं का निरीक्षण किया और उनकी व्यवस्थाओं का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान गोशालाओं में पशुओं के स्वास्थ्य, चारे और पानी की व्यवस्था की गहन जांच की गई। अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि सभी गोशालाओं में सफाई और स्वच्छता मानकों का पालन हो रहा है। 

निरीक्षण के दौरान पशुओं के उपचार और देखभाल के लिए उपलब्ध सुविधाओं का भी आकलन किया गया। अधिकारियों ने गोशाला प्रबंधकों को निर्देश दिया कि बीमार और वृद्ध पशुओं की विशेष देखभाल की जाए। साथ ही पशुओं के पोषण के लिए गुणवत्तापूर्ण चारे की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया। 

पशुधन विभाग ने गोशाला संचालकों से अपील की कि वे सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही योजनाओं का लाभ उठाएं। विभाग ने कहा कि गोशालाओं की बेहतरी के लिए हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। निरीक्षण के दौरान स्थानीय प्रशासन और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

निरंतर बढ़ रहे हैं जलवायु सम्बंधित खतरे

जलवायु संकट आज मानवता के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन गया है। ग्लोबल वार्मिंग, कार्बन उत्सर्जन और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाला है। विशेषज्ञों का मानना है कि औद्योगिक क्रांति के बाद से मानव गतिविधियां इस संकट की प्रमुख जिम्मेदार हैं। 

बढ़ते प्रदूषण, वनों की कटाई, जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग और प्लास्टिक कचरे का बढ़ता स्तर जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारण हैं। उद्योग प्रधान देशों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का अत्यधिक उत्सर्जन वैश्विक तापमान में वृद्धि कर रहा है। यह बदलाव प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़, सूखा और तूफानों की तीव्रता और आवृत्ति को बढ़ा रहा है। 

इसके अलावा जलवायु संकट में उपभोक्ता संस्कृति और विकासशील देशों की पर्यावरणीय नीतियों की कमी भी योगदान दे रही है। स्थायी विकास और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना, वनों की रक्षा करना और वैश्विक स्तर पर ठोस पर्यावरणीय नीतियां अपनाना ही इस संकट का समाधान हो सकता है। 

अब समय आ गया है कि सरकारें, उद्योगपति और आम नागरिक मिलकर जलवायु संकट से निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाएं ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी को सुरक्षित रखा जा सके।

नई दिल्ली: जलजीवन मिशन के तहत 4500 करोड़ रुपए का प्रावधान

जलजीवन मिशन के तहत केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाकों में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए 4500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। यह मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य 2024 तक हर ग्रामीण घर तक नल से जल पहुंचाना है। 

जल शक्ति मंत्री ने कहा कि इस राशि का उपयोग पाइपलाइन बिछाने, पानी के स्रोतों के विकास और जल शोधन संयंत्र स्थापित करने के लिए किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं और बच्चों को पानी लाने की कठिनाई से राहत दिलाने में मददगार साबित होगी। 

मंत्री ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता पर्यावरणीय स्थिरता और जल संसाधनों का सही प्रबंधन है। उन्होंने स्थानीय समुदायों से आग्रह किया कि वे जल संरक्षण और योजना की सफलता के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं। 

इस मिशन के तहत अब तक लाखों घरों में नल से जल उपलब्ध कराया जा चुका है। जल शक्ति मंत्री ने कहा कि जलजीवन मिशन ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत और रूस के बीच घटा तेल का आयात

भारत एक विकासशील देश है जिसके कारण यहां तेल की अत्यधिक खपत होती है। भारत सबसे अधिक तेल का आयात करने वाले देशों में से एक है। इस संदर्भ में भारत और रूस के संबंध काफी अच्छे रहे है। रूस भारत के लिए काफी समय से कच्चे तेल का मुख्य स्रोत रहा है।

परन्तु कुछ समय में भारत का रूस से तेल का आयात घटता हुआ दिखा है। रूस से तेल का आयात नवंबर में गिरा है जो जून 2022 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।

अन्य देशों के द्वारा कई प्रतिबंध लगाए जाने के बाद रूस ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दाम काफी कम कर दिए थे।

इसी के साथ भारत के लिए कच्चे तेल का प्रमुख स्रोत रूस ही था। भारत एक समय पर रूसी जीवाश्म ईंधन का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया था। परन्तु अब रिपोर्ट के अनुसार भारत में रूसी ईंधन का आयात 55 प्रतिशत तक गिर गया है।

काली गाजर के सेवन से रहेगा जीवन स्वस्थ

मौसमी फल और सब्जी खाना हमारे शरीर के लिए सदैव लाभदायक होता है लेकिन उनमें काली गाजर को शामिल करके आप और भी कई लाभ प्राप्त कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं काली गाजर से होने वाले प्रमुख लाभ। 

प्रतिरोधक क्षमता वर्धक: आजकल बदलते हुए खान पान और खराब रहन सहन के चलते हमारा शरीर बीमारियों से ग्रस्त रहता है। जिसका मुख्य कारण इम्युनिटी का कमजोर होना है। अपने आहार में काली गाजर को शामिल कर आप अपने प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बना सकते हैं।

पाचन तंत्र: युवाओं, बुजुर्गों और यहां तक कि बच्चों में पाचन संबंधित समस्याएं अब आम हो गई हैं अतः हमारे लिए अपने भोजन को सुधारना अति आवश्यक है। हमें अपने भोजन में काले गाजर को भी शामिल करना चाहिए जो हमारे पाचन को सुधारने में सहायक है।

आंखों के लिए भी है लाभदायक: काली और लाल दोनों प्रकार के गाजर आंखों के लिए लाभदायक ही होते हैं गाजर में विटामिन ए और कैरोटिन जैसे तत्व पाए जाते हैं जिनसे आंखों की रोशनी अच्छी रहती है।

वजन होगा कम: अनियंत्रित खान पान के कारण मोटापे की समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों में ही देखने को मिलती है। इसके लिए आप अच्छा खाना खाएं और खाने में काली गाजर को भी शामिल करें जिससे आपको वजन कम करने में सहायता मिलेगी।

दिल के लिए है फायदेमंद: काली गाजर आपके हृदय के स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकता है। काली गाजर को भोजन में शामिल करके आप अपने हृदय को स्वस्थ रख सकते हैं।

नहर परियोजना के उद्घाटन से दूर होगा जल संकट

प्रधानमंत्री मोदी जी ने राजस्थान के जयपुर पहुंच कर “एक वर्ष परिणाम उत्कर्ष” कार्यक्रम को संबोधित किया और उसी के साथ बिजली, पानी, सड़क और रेलवे से संबंधित लगभग 45 हजार करोड़ की 24 परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं की सहायता से 21 जिलों के पानी के संकट को दूर किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि एक वर्ष के अंदर वो राजस्थान के विकास और वृद्धि को एक अलग स्तर पर ले जाएंगे। जहां राजस्थान को वैश्विक स्तर पर कनेक्टेड बनाने के दावे भी किए गए जिससे निवेशक भी राजस्थान की ओर आकर्षित होंगे।

राजस्थान नहर परियोजना की सहायता से कई जिलों में जल की समस्या का स्थाई समाधान होने की उम्मीद है। जिससे झालावाड़, कोटा, बूंदी, सवाई, गंगापुर सिटी, करौली और अलवर जैसे कई अन्य जिलों की जल समस्या खत्म हो सकेगी।

इस परियोजना की सफलता से राजस्थान के 21 जिलों की पेय जल तथा सिंचाई की परेशानियों को खत्म किया जाएगा। प्रोजेक्ट के तहत 158 तालाब और बांध जैसे जल स्रोतों को भरा जायेगा जिससे पानी की समस्या को कम किया जा सकेगा।

नैनीताल पर भूस्खलन का बड़ा खतरा, चौतरफा दरक रहीं हैं पहाड़ियां

खूबसूरत झीलों और पहाड़ियों के लिए प्रसिद्ध नैनीताल पर अब भूस्खलन का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में शहर के चारों ओर की पहाड़ियों में दरारें बढ़ने की खबरें आई हैं जिससे स्थानीय निवासियों और प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। नैनीताल के मल्लीताल और तल्लीताल क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हैं जहां जमीन खिसकने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। 

भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि यह समस्या अंधाधुंध निर्माण कार्य, वनों की कटाई और पानी के रिसाव के कारण हो रही हैं। नैनीताल झील के आसपास की ढलानों पर दबाव बढ़ने से भूस्खलन का खतरा और बढ़ गया है। इन स्थितियों को देखते हुए प्रशासन ने जल्द ही वैज्ञानिक सर्वे कराने का निर्णय लिया है। 

यह सर्वे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और अन्य विशेषज्ञ संस्थानों की मदद से किया जाएगा। इसके तहत कमजोर क्षेत्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें स्थिर बनाने के उपाय सुझाए जाएंगे।

स्थानीय निवासियों ने सरकार से अपील की है कि वे इस संकट को गंभीरता से लें और स्थायी समाधान के लिए ठोस कदम उठाएं। प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने और प्रभावित क्षेत्रों में अनावश्यक गतिविधियों से बचने की सलाह दी है।

एमएसपी को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाए

संसदीय समिति की बैठक में सरकार ने सभी 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देने की सिफारिश की है और साथ में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत दी जाने वाली राशि को 6 हजार से 12 हजार रुपये करने का भी सुझाव दिया है। समिति ने किसानों की कर्ज माफी के लिए भी योजना बनाने की बात कही है।

समिति की बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का नाम बदलकर कृषि और किसान एवं खेत मजदूर कल्याण विभाग करने की भी मांग रखी गई। मंत्रालय का नाम बदलने से खेतिहर मजदूरों को भी लाभ मिलेगा। समिति की रिपोर्ट मंगलवार को पेश की गई।

यह रिपोर्ट कृषि संबंधित योजनाओं के लिए कारगर साबित होगी इस रिपोर्ट को सर्वसम्मति से पेश किया गया। कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, डेयरी आदि के विभागों में बजट बढ़ोत्तरी की सिफारिश की गई। एमएसपी को कानूनी गारंटी मिलने से किसानों को आर्थिक मजबूती भी प्राप्त होगी।

समिति ने सरकार से मांग की है कि सरकार को कर्जमाफ़ी योजना लानी चाहिए जिससे क़र्ज़ के भार तले दबे किसान और खेतिहर मजदूरों को राहत मिल सके। समिति ने गौपालकों को आर्थिक मदद देने की बात कही जिससे दूध न देने वाली गायों को छोड़ने वाले लोगों में कमी आएगी।

फसल कटने के बाद मखाने में तेजी आने की है उम्मीद

उत्तर भारत के क्षेत्र में शादियों का सीजन एक महीने के लिए बंद चल रहा है जिसकी वजह से मखाने के व्यापार में भी कमी आई है।

बाजार में 60 से 70 रूपए प्रति किलो मखाने में कमी आई है। कुछ दिन बाद मखानों के दामों में और भी कमी आ सकती है। मखानें की फसल का पिछले 6 महीनों से बिहार के कई इलाकों में उत्पादन किया जा रहा है।

इस बार तेज़ी को देखते हुए बड़े कारोबारियों के साथ में छोटे कारोबारियों ने भी ज्यादा भाव के मखाने का स्टॉक कर लिया है। 15 जनवरी तक शादियां नहीं होने के कारण भी मखानें के दामों में गिरावट हुई है।

मांग में कमी होने से एवरेज क्वालिटी का मखाना 1000 से 1200 रुपए और अच्छी क्वालिटी का मखाना 1400 से 1500 रुपए में चल रहा है।

मंडी कारोबारियों के अनुसार एक सप्ताह पहले जिस बोरी का भाव 26 से 27 हज़ार था वही अब 22 से 23 हज़ार तक सीमित हो गयी है।

गुड़ और शक्कर के दामों में आई तेजी

गुड और शक्कर की आवक में कमी होने के कारण इनके भाव में बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है।

उत्तर प्रदेश की मंडियों में आवक कमजोर होने से शक्कर और गुड के दामों में 100 रुपए प्रति कुंतल तक की बढ़ोतरी बताई जा रही है।

गुड़ के भाव 100 रुपए प्रति कुंतल से बढ़कर 3900 से 4000 रुपए प्रति कुंतल तक हो गए हैं। आवक कमजोर होने से शक्कर के भाव 100 रुपए बढ़कर 4500 रुपए प्रति कुंतल तक पहुंच गए हैं।

पनडुब्बी मत्स्य 6000 का पहला टेस्ट करने जा रहा है भारत

समुद्रयान मिशन भारत का एक महत्वपूर्ण समुद्री मिशन है इसके जरिये भारत गहरे समुद्र में मिलने वाले खनिज पदार्थो और जलीय जीवों के बारें में अध्ययन करेगा ‘समुद्रयान मिशन’ के तहत मत्स्य 6000  नामक पनडुब्बी को 2024 के लास्ट सप्ताह में चेन्नई के तट पर परीक्षण के लिए भेजा जायेगा।

इस परीक्षण के बाद समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक डीप-सबमर्सिबल के वाहन का परीक्षण किया जाएगा।

डीप ओशन मिशन से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि मौसम की अनुकूलता के अनुसार परीक्षण का समय तय किया जाएगा। इस परीक्षण में व्यक्तियों को समुद्र के अंदर 6000 मीटर तक की गहराई में भेजा जाएगा जो वहां के स्रोतों और जैव-विविधता की स्टडी करेगा। इस प्रोजेक्ट की वजह से समुद्री इकोसिस्टम पर कोई नुकसान नहीं होगा। यह एक डीप ओशन मिशन है जिसे ब्लू इकोनॉमी को डेवलप करने के लिए किया जा रहा है।

पश्चिम बंगाल, कोलकाता: जूट की मांग में कमी से परेशान जूट उद्योग

जूट बोरियों की डिमांड में लगातार गिरावट से जूट उद्योग के सामने दिक्कतें बढ़ रही हैं। परिचालन लागत और आयात में बढ़ोतरी के कारण भी जूट उद्योग परेशान नज़र आ रहा है। 

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार 2021-22 के साल में 38 से 40 लाख गांठ के आसपास हुई मांग में काफ़ी हद तक गिरावट देखी गई है। एक गांठ में 500 जूट की बोरियां होती हैं।

2024-25 के वित्तीय वर्ष में यह मांग घटकर करीब 30 लाख के आसपास रह गई है। आयत में बढ़ोत्तरी  और बढ़ती परिचालन लागत से जूट उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

भारतीय जूट मिल संघ ने जूट की घटती डिमांड को लेकर केंद्र सरकार से श्रमिकों और किसानों पर इसके विपरीत प्रभाव व अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए मांग की है। जूट उद्योग में गिरावट की वजह से कई नौकरियां चली गई हैं।

इसका असर जूट के किसानों पर भी देखा गया है जो अपनी उपज को कम से कम मूल्य पर भी बेचने को संघर्ष कर रहे हैं। जूट उद्योग की मांग में कमी के कारण 50000 से अधिक श्रमिकों पर भी असर पड़ा है।

देश के कुल जूट उत्पादन में अकेले पश्चिम बंगाल में 70% जूट का उत्पादन होता है, 30% अन्य राज्यों में जूट उत्पादन किया जता है।

94 जूट मिलों में 70 जूट मिल पश्चिम बंगाल में हैं जिनसे 40 लाख से अधिक जूट के किसान और 4 लाख के आसपास मजदूर इन मिलों पर निर्भर हैं।

सोने की कीमतों में दिख रही है बढ़त

आईसीआरए की एक रिपोर्ट के अनुसार इसी वित्तीय वर्ष में भारत में सोने के आभूषणों की बिक्री में 14 से 18 प्रतिशत बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। इधर सोने की बिक्री में लगातार उतार चढ़ाव बना रहा फिर भी उपभोक्ताओं में आभूषण खरीदने का रुझान बना रहा है।

अभी कुछ दिनों बाद शुभ समय और शादियों का भी सीजन शुरू होने वाला है जिससे आभूषणों की बिक्री बढ़ने का अनुमान है। इस साल शादियों के ज्यादा मुहूर्त मिल रहे हैं इसका असर भी आभूषण बिक्री पर सकारात्मक रहेगा जानकारों का मानना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होने की वजह से भी स्वर्ण आभूषणों की बिक्री में तेजी आने का अनुमान है।

इसके साथ ये भी अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2025 की पहली तिमाही में भी सोने के आभूषणों की बिक्री में उछाल आएगा। आज भी हमारे देश में एक बड़ा तबका ऐसा है जो सोने के आभूषणों में निवेश को एक सुरक्षित निवेश मानता है। वित्त वर्ष 2024 में सोने के भाव में 25 प्रतिशत तक तेजी देखी गई है जिसकी प्रमुख वजह वैश्विक राजनैतिक परिदृश्य और सोने को सुरक्षित निवेश माना जाना है। सोने की कीमतें भविष्य में भी बढ़ती ही दिख रही हैं। 

मछली पालन में सर्दियों से सम्बंधित सावधानियां

खेती से जुड़े कई कृषि सहायक कार्य ऐसे हैं जिनसे किसान भाइयों का मुनाफा बढ़ाया जा सकता है। इसी तरह का एक कार्य है मछली पालन जिसको किसान भाई करके अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते है।

लेकिन इस ठंडक के मौसम में अगर अपनी मछलियों को स्वस्थ और सुरक्षित रखना है तो हमें कुछ बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है। कोशिश करें कि पानी का तापमान 20 से 25 डिग्री बना रहे। तालाब के किनारे शीट लगाकर ठंडी हवाओं को रोककर पानी के तापमान को नीचे गिरने से बचाया जा सकता है।

साथ ही तालाब के पानी की सफाई के लिए पोटैशियम परमैगनेट का इस्तेमाल करें। तालाब से कीटों और बैक्टीरिया को समाप्त करने के लिए सुरक्षित प्रयास करते रहें। पानी के ऊपर से काई और पत्ते साफ करते रहें। पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बनाए रखने के लिए पानी को पलटने वाले यंत्रों का प्रयोग करते रहें। मछलियों को हल्का और कम आहार दें साथ ही दिन ढलने से पहले ही उनकी खुराक उन्हें दे दें।

तालाब में ज्यादा रसायन न डालें, कोशिश करें कि पानी का पीएच मान 7 से 8 के बीच बना रहे अगर तालाब के आस पास छायादार पेड़ लगे हैं तो उनकी शाखाओं की कटाई छटाई करवा दें जिससे तालाब तक पर्याप्त धूप पहुंचती रहे और धूप खिलने पर मछलियां धूप का सेवन कर सकें।

गुड़ के उद्योग में भी हैं अच्छी संभावनाएं

हमारे देश में में कई प्रदेशों में गन्ने का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। अधिकांश गन्ने का उपयोग चीनी बनाने में होता है लेकिन इथेनॉल से लेकर कई और उत्पाद जैसे गुड़ और सिरका तथा इसके खोई से कई वस्तुएं बनती हैं। लेकिन चीनी के बाद गन्ने से बनने वाला उत्पाद गुड़ है। गुड़ का उत्पादन करीब 25 देशों में होता है और दुनिया भर में इसका सालाना उत्पादन करीब 13 मिलियन टन होता है। भारत में गुड़ का उत्पादन असंगठित कृषि-प्रसंस्करण क्षेत्र में होता है और दुनिया भर के गुड़ उत्पादन का 55% हिस्सा भारत में ही होता है। भारत में गुड़ के उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु पहले दो नंबर पर हैं।

गुड़ की एशिया की सबसे बड़ी मंडी उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में है। गुड़ की दूसरी बड़ी मंडी आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम ज़िले के अनकापल्ले में है।

गुड़ कई तरह का होता है जैसे कि गन्ने का गुड़, नारियल का गुड़ और खजूर का गुड़। आज कल जन जागरूकता की वजह से कई लोग चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग कर रहे हैं जिससे इसकी मांग बाजार में लगातार बनी रहती है।

बाजार के इस रुझान को देखते हुए कई उद्यमी इस क्षेत्र में गुड़ को उपभोक्ताओं तक पहुंचाकर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। कई लोग जैविक गन्ने से गुड़ का उत्पादन कर रहे है तथा कई लोग मेवा, सोंठ और अन्य चीजों को मिला कर उनकी सुंदर पैकिंग और पैकेजिंग कर देश के साथ विदेशों में भी अपने उत्पाद बेचकर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे है।