झारखण्ड
आलू के भावों में चल रही है तेजी
नए आलू के भाव में लगातार तेजी बनी हुई है। आलू के थोक कारोबारियों का कहना है कि मांग के मुकाबले नए आलू की आपूर्ति नहीं हो पा रही है इस वजह से आलू के भाव में लगातार तेजी बनी हुई है। पंद्रह बीस दिन पहले नए आलू के बाजार में आपूर्ति कुछ ठीक हुई थी जिसके कारण 50 किलो के आलू के कट्टे का भाव 250 से 300 रुपए तक नीचे आया था। लेकिन लगातार चल रहे शादियों के सीजन की वजह से बाजार में आलू की मांग बढ़ने से भाव फिर चढ़ गए हैं , जानकारों की माने तो नए आलू के भाव में कमी की उम्मीद 20 दिसंबर के बाद की जा सकती है।
पश्चिम बंगाल ने आलू रोकने के झारखंड सीमा को किया सील
पश्चिम बंगाल के आलू के कारोबारियों के एक संगठन के अनुसार बंगाल कि सरकार ने आलू का भण्डारण बनाये रखने पर जोर दे रही हैं ताकि प्रदेश के आलू की कीमतों में इज़ाफ़ा ना होने पाए।
पश्चिम बंगाल की सरकार ने प्रदेश में आलू की कीमतों में कमी बनाये रखने हेतु बृहस्पतिवार से आलू की अंतर्राष्ट्रीय आपूर्ति पर रोक लगाने का फैसला लिया हैं।
झारखंड राज्य में आलू की कमी होने की वजह से भावों में तेजी देखी जा रही है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी ने मुख्य सचिव अलका तिवारी को जल्द से जल्द आलू की कमी से निपटने और आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिया दिए हैं।
बिहार में कृषि यांत्रिकी करण में जुड़ रहे हैं नए आयाम और मिल रही हैं उपलब्धियां
पटना में आतोजित हुआ राज्य स्तरीय कृषि यांत्रिकरण मेला 29 नवम्बर से 2 दिसम्बर 2024 का पिछले सोमवार को समापन हुआ चार दिन तक चले इस मेले के आयोजन क दौरान लगभग 7 करोड़ मूल्य के 21 प्रकार के कृषि यंत्र 495 किसानों को दिए गए।
जिसमें कुल लागत पर 3.69 करोड़ रूपये का अनुदान किसानों को दिया गया है। इस अवसर पर अच्छा काम करने वाले किसानों को प्रमाणपत्र भी दिए गए हैं। अभी फिलहाल विभाग द्वारा 110 प्रकार के यंत्रो पर अनुदान दिया जा रहा हैं परन्तु आने वाले समय मे इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी किये जाने की संभावना है।
इस अवसर पर प्रतिभाग कर रहे किसानों को पशु एवं मत्स्य विभाग संसाधन विभाग की प्रधान सचिव डा. एन. विजया लक्ष्मी एवं कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल जी ने लोगों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया है।
1.73 लाख आवेदनों में 74 हजार को दी गयी है स्वीकृति
कृषि निदेशक ने बताया कि कृषि यांत्रिकरण योजना के तहत इस वित्तीय वर्ष अभी तक 1.73 लाख से अधिक आवेदन ऑनलाइन प्राप्त हो चुके हैं और इन प्राप्त आवदनों में लगभग 74 हज़ार से अधिक आवेदनों को स्वीकृति दी जा चुकी हैं।
51 हज़ार कृषको को अनुदानित दर पर यंत्रो एवं 150 से ज्यादा कृषि यंत्रो का बैंक में विवरण दिया जा चूका हैं इन दिए गए विवरणों में कुल 87.60 करोड़ रुपये अनुदान दिया जा चुका हैं।
13वां मेला था इस बार
2011 से अभी तक लगातार आयोजित किये जा रहा हैं मेले का यह13 वां संस्करण था।
इस मेले में किसानों और आम जनता ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया कृषि विभाग एवं भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा संयुक्त रूप से इस मेले का आयोजन हुआ।
यंत्रों की बिक्री पर मिला 3.69 करोड़ रुपये का अनुदान
इस मेले में 2275 किसानों ने इसमें भाग लिया और सहरसा ,पटना ,सुपौल ,दरभंगा ,समस्तीपुर ,मधुबनी आदि जगह से किसान सम्मिलित हुए।
किसान भाई बिहार राज्य में कृषि यंत्रों को सब्सिडी पर प्राप्त करने के लिए इस वेबसाइट https://farmech.bih.nic.in/FMNEW/INDSCHC_ReprintAck.aspx# पर जाकर लेटेस्ट जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
हरियाणा
करनाल की इंद्री मंडी में आढ़तियों को उपलब्ध कारवाई जाएगी जरुरी सुविधाएँ
पिछले सोमवार को करनाल के इंद्री में स्थित्त लहसुन मंडी में विधायक राम कुमार कश्यप जी ने दौरा करके मंडी की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। मंडी में पहुंचने पर आढ़तियों ने विधायक महोदय का स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने आढ़तियों से बातचीत की और उनकी समस्याओं को सुना। विधायक रामकुमार कश्यप ने कहा की सरकार सबका साथ सबका विकास के विजन को लेकर आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने आढ़तियों द्वारा रखी सफाई कर्मचारियों की मांग पर संज्ञान लेते हुए कहा की मंडी के लिए जल्द सफाई कर्मचारी की नियुक्ति की जाएगी। साथ ही बंद पेट्रोल पम्प की जगह पर मंडी की दुकाने बनाने की मांग पर भी संज्ञान लिया जायेगा। उन्होंने कहा की इन दुकानों के बनने से मंडी का सुधार होगा साथ ही आढ़तियों को सुविधा भी होगी।
गन्ने के बकाया को लेकर हुई किसानों की बैठक
गन्ना संघर्ष समिति और भारतीय किसान यूनियन चढूनी संघ के सदस्यों की बैठक शुगर मिल के अधिकारियों के साथ संपन्न हुई ,इसमें पिछले वर्ष का गन्ने का बकाया पेमेंट व् इस वर्ष का बकाया पेमेंट को लेकर चर्चा हुई। पिछले वर्ष का बकाया पेमेंट लगभग 22 करोड़ हैं और इस वर्ष भी 15 नवम्बर को पिराई सत्र शुरू हो गया हैं। अभी तक इस वर्ष भी किसानों ने 20 करोड़ का गन्ना मिल में डाल दिया हैं और पेमेंट सिर्फ 1 करोड़ के आसपास का ही हुआ हैं। इस लिए बैठक में फैसला लिया गया किअगर 18 दिसम्बर तक पिछले वर्ष का गन्ना बकाया नहीं हुआ तो 18 दिसम्बर को मिल में महापंचायत बुलाई जाएगी।
पानीपत शुगर मिल में हो चुकी है 2.18 लाख किवंटल गन्ने की पेराई
पानीपत का 50 हजार क्विंटल पेराई की क्षमता वाला सरकारी शुभर चीनी मिल अब पेराई में रफ्तार पकड़ चूका हैं । इस सीजन मिल में मंगलवार सुबह तक 2.13 लाख क्विंटल गन्ने को पर जा चूका हैं। शुगर मिल में बिजली बनाने वाली लगी 23 मेगवाट क्षमता वाली टरबाइन जिससे समस्त मिल की मशीनरी को चलाया जा रहा हैं। मंगलवार की सुबह तक टरबाइन से बनी तकरीबन 1 लाख 11 हजार यूनिट बिजली उत्तर हरियाणा से विद्युत्त प्रसारण निगम के स्टेशन को भेजी जा चुकी हैं। मिल ने इस सीजन चीनी की रिकवरी का लक्ष्य 10% रखा हैं
मृदा अम्लीयता से घटी उत्पादकता और चिंतित हुए किसान
देश के कई हिस्सों में मृदा अम्लीयता के स्तर में बढ़त देखी गयी है जो कि इन दिनों किसानो कि चिंता का मुख्य कारण बानी हुई है। अम्लीयता के कारण किसानो को खेतों की तैयारी करने में अधिक पूंजी का निवेश करना पड़ रहा है। जिसके विपरीत उत्पादन बहुत कम हो रहा है। हालाँकि जिला कृषि विभाग किसानो की पूरी सहायता करने का प्रयत्न कर रहा है परन्तु इसके लिए किसानो का भी जागरूक होना अति आवश्यक है।
मृदा जांच के लगेंगे कैंप
कृषि विभाग की मृदा जाँच प्रयोगशाला के द्वारा 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के अवसर पर जिले के प्रत्येक प्रखंड मुख्यालय में मृदा जाँच के कैंप लगाए गए हैं।
कैंप में किसानो को मिटटी में मौजूद पोषक तत्वों से लेकर मृदा जाँच के लिए सैंपल एकत्रित करने तथा मृदा जाँच के मानकों के बारे में जानकारी दी गयी है तथा दोषपूर्ण मिटटी को सुधारने के विभिन्न उपायों के बारे में भी बताया जायेगा।
मृदा जांच के ये हैं मानक
पीएच मान: मृदा की अम्लता या क्षारीयता को दर्शाता है।
फॉस्फोरस: पौधों की जड़ों के विकास के लिए आवश्यक है।
पोटैशियम: पौधों के वृद्धि व विकास के लिए आवश्यक है।
नाइट्रोजन: पौधों के विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक है।
कैल्शियम: पौधों की जड़ों के विकास और कोशिका निर्माण में आवश्यक है।
मैग्नीशियम: कोशिका निर्माण और पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक है।
सल्फर: पौधों के विकास में आवश्यक है।
बोरोन: कोशिका के विकास और पौधों की वृद्धि में सहायक है।
कॉपर: पौधों की वृद्धि और विकास में सहायक है |
आयरन: पौधों की वृद्धि और विकास में सहायक है।
मैगनीज : पौधों की वृद्धि और विकास में सहायक है।
ज़िंक: पौधों की वृद्धि और विकास में सहायक है।
जैविक खाद का उपयोग किया जा सकता है
मृदा में अम्लता का कारण अत्यधिक रासायनिक उर्वरको का प्रयोग भी हो सकता है तथा जैविक खादों के प्रयोग से इसे कम करने में सहायता मिल सकती है। साथ ही साथ रासायनिक खादों से होने वाले नुकसान के पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है। इसीलिए किसानो को अधिक से अधिक जैविक तथा प्राकृतिक खादों के प्रयोग की सलाह दी जाती है।
गेहूं की पछेती बुआई करने वाले किसान भाई ध्यान दें
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्व विद्यालय, हिसार की तरफ से किसान भाइयों को पछेती गेहूं की कुछ प्रजातियों की बुवाई करने की सलाह दी गई है जैसे डब्ल्यू. एच. 1021 , डब्ल्यू.एच. 1124 , डी.बी.डब्ल्यू. 173 , पी.बी.डब्ल्यू 771 प्रजातियों की बुवाई करके अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।
ध्यान देने योग्य बात ये है कि इन सभी प्रजातियों में प्रोटीन की मात्रा 12 प्रतिशत से भी ज्यादा है। साथ ही उपज क्षमता 45 से 55 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। जिन किसान भाइयों के खेत देर से खाली हो रहे है वो इन प्रजातियों को ही चयन कर बुवाई करें जिससे उनको अच्छा उत्पादन मिल सके।
सरसों में मरगोझा खरपतवार को बढने से रोकें
आया समय और ऐसे करे छिड़काव
पहला छिड़काव फसल 25 दिन की होने की अवस्था पर 25 मिलीलीटर ग्लाइफोसेट जहर 150 लीटर पानी प्रति एकड़।
दूसरा छिड़काव फसल 50 दिन की होने पर 50 मिलीलीटर ग्लाइफोसेट 41% एस.एल. पानी 150 लीटर प्रति एकड़। इससे ज्यादा जहर ना डाले और ध्यान रखें कि छिडकाव के समय खेत में नमी होनी चाहिए।
लुवास यूनिवर्सिटी का मिनरल मिक्सचर अब होगा पशु विज्ञान केन्द्रों पर उपलब्ध
Lala Lajpat Rai University of Veterinary and Animal Sciences-Hisar
खेती के बदलते परिवेश के कारण पशुओं में मिनरल्स और विटामिन्स की कमी अब अक्सर देखी जाने लगी है।
जिस पर ध्यान देते हुए लुवास विश्वविद्यालय ने पशु पोषण विभाग की रिसर्च द्वारा निर्मित मिनरल मिक्सचर, विश्वविद्यालय के विभिन्न जिलों में स्थापित पशु विज्ञान केंद्रों पर किसानो और पशुवालकों के लिए उपलब्ध कर दिया है।
विश्वविधालय के वैज्ञानिकों के अनुसार, इस मिनरल मिक्सचर में पशुओं के पोषण और प्रजनन के लिए आवश्यक विभिन्न खनिज और मिनरल्स अदि संयोजित हैं।
खनिजों की कमिं से पशुओं में होती है विभिन्न समस्याएं
खनिजों की कमी से पशुओं में प्रजनन, दुग्ध उत्पादन और स्वस्थ्य जैसी विभिन्न समस्याएं हो सकती हैं खेती के बदलते तरीको और परिवेशों के कारण अब पशुओं में इनकी कमी बहुत आम हो गयी है।
पोषक तत्वों की कमी के कारण उत्पादन में कमी के साथ साथ लंगड़ापन, बाँझपन, कमजोरी, पशु का गर्मी के लक्षण न दिखाना, पशु में समय पर गर्भधारण न होना जैसी और भी कई समस्याएं हो सकती है।
कैसे प्राप्त करें मिश्रण
वैज्ञानिक डा. देवेंद्र यादव ने बताया कि पशुपालक अपने नजदीकी पशु विज्ञान केंद्र से खनिज मिश्रण ले सकते है जोकि लगत मूल्य (70 रुपये किलो ) कि दर से 5 व 25 किलो के पैकेट में उपलब्ध है
लुवास विश्वविद्यालय के पशु विज्ञान केंद्र करनाल, कैथल, सोनीपत, भिवानी, जींद, गुड़गांव, फ़्लावल सिरसा, इज्जतनगर, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ में स्थापित हैं।
दुधारू पशुओं को खुला छोड़ने पर लगेगा जुर्माना
भिवानी के डीसी महावीर कौशिक ने कहा की गोवंश व दुधारू पशुओं को खुला घूमते पाए जाने पर पशुपालक को लगेगा जुर्माना।
डीसी जिले के बेसहारा पशुओ से मुक्त करने को लेकर गुरुवार को स्थानीय लघु सचिवालय में स्थित ओ आर डीए हाल में अधिकारियो को दिशा निर्देश दे रहे थे।
डीसी ने अधिकारियो की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि गोवंश व पशु मालिक अपने पशुओ को खुला नहीं घूमने दे वरना उन पर पांच हजार रूपये तक का जुर्माना लगाया जायेगा।
फसल अवशेष प्रबंधन करने वाले किसानों के पंजीकरण हेतु मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल फिर से खोला
आज है लास्ट डेट जल्दी करें
रबी सीजन 2024-25 में खेतों की बुवाई का काम पूरा हो चुका है सोनीपत जिले में लगभग 1.45 लाख हेक्टेयर भूमि में गेहूं की बिजाई की गई है। जिन किसानों ने अपने खेतों में फसल अवशेष प्कृरबंधन को किया है उनके लिए विभाग ने मेरी फसल- मेरा ब्योरा का पोर्टल को पंजीकरण के लिए खोल दिया है। इसके लिए आधार कार्ड अनिवार्य रहेगा और किसानों को जागरूक करने के लिएअलग-अलग टीमें बनाई गयी है
बता दें कि कृषि विभाग से जुड़ी सभी प्रकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किसानों को मेरी फसल- मेरा ब्योरा पोर्टल पर फसल पंजीकरण करवाना जरुरी होता है। फसल पंजीकरण के आधार पर ही किसानों की फसल मंडी में न्यूनतम समर्थन मूल्य के पर खरीदी जाती हैं। रबी सीजन की फसलों में गेंहू सरसों चना आदि प्रमुख रूप से किसानों द्वारा पैदा की जाती है। सोनीपत जिले में करीब 4.30 लाख एकड़ जमीन में कृषि की गतिविधि को दर्ज़ किया जाता हैं |
कृषि विभाग ने 100 प्रतिशत फसल पंजीकरण का लक्ष्य रखा गया है।और ऐसे किसान जो खुद की जमीन की बजाय पट्टे या ठेके पर जमीन लेकर खेती करते हैं, ऐसे किसानों को जमीन के असली मालिक का आधार कॉर्ड जरुरी है। फसल के अवशेष प्रबंधन के पंजीकरण की समय सीमा को भी बढ़ा कर कृषि विभाग ने फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत पंजीकरण कराने की समय सीमा को 8 दिसंबर तक कर दिया है। अभी तक किसानों ने 73 हजार एकड़ भूमि के लिए पंजीकरण करवाया है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपये की अनुदान राशि सरकार की तरफ से दी जाती है।
उन्हीं किसानों को इस योजना का लाभ प्राप्त होता है, जिन किसानों ने पराली का प्रबंधन खेत के अंदर या खेत से बाहर किया है। मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल खोल दिया गया है। किसानों को जागरूकता करने हेतु कैंप भी शीघ्र ही कैंप भी लगाए जाएंगे। किसानों से निवेदन है कि जल्द से जल्द अपनी फसलों का पंजीकरण करवा लें।
राजस्थान में किसानों के लिए तैयार की जाएगी यूनिक लैंड आई डी
सभी पात्र किसानों को लाभ देने के लिए राजस्जथान सरकार ने अब किसानों को अपनी खेती लायक जमीन और मकान को अपने आधार कार्ड से लिंक करवाना होगा जिससे हर व्यक्ति की पूरी अचल संपत्ति का ब्योरा सरकार के पास उपलब्ध रहेगा।
राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर इसके लिए राजस्व विभाग को अधिकृत किया है। इसके तहत किसानों से अनुमति लेकर उनके आधार का वैरिफिकेशन करके ही उसकी आई.डी. तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य सरकार वर्तमान में प्रदेश के नागरिकों का इसी तरह का हेल्थ डेटा भी बना रही है। जमीन और मकान को वोटर लिस्ट से भी लिंक का प्रावधान इस नई व्यवस्था में है संपत्ति को आधार से लिंक करवाना वैकल्पिक रखा गया है।
यदि कोई व्यक्ति या खातेदार आधार से अपनी यूनिक आई.डी. लिंक नहीं करवाना चाहता है तो वोटर लिस्ट के जरिए भी उसे लिंक करवा सकता है। इसके लिए अलग विकल्प भी दिया जाएगा , केंद्र और राज्य सरकार कई तरह की किसान कल्याण के लिए योजनाएं चलाती हैं इन योजनाओं का लाभ सीधे पात्र व्यक्ति तक पहुंचे इसके लिए सरकार यूनिक आई डी बनाना चाहती है।
इसके बनने से फर्जी बैनामा या नामांतरण खुलने वाली घटनाओं से बचा जा सकेगा, जब पूरा डाटा बेस तैयार हो जाएगा तो पात्र व्यक्ति को ही उसका लाभ मिल सकेगा , किसी प्रकार का फर्जी वाडा संभव नहीं होगा, क्योंकि सरकार के पास इससे संबंधित पूरा डाटा बेस तैयार होगा। हालांकि यह योजना स्वैच्छिक है ,और इसको अनिवार्य करने की सरकार की कोई योजना नहीं है।
जंगली सूअरों से बचने लिए खेतों में मचान बनाएं
जैसे जैसे ठंडक की शुरुवात हो रही है वैसे वैसे जंगली जानवर किसानों की फसलों को अधिक नुकसान पहुंचा रहे है। जैसे जैसे जाड़ा बढ़ता है दिन छोटा होने लगता है जिससे किसानों को कम समय में अपना काम पूरा करना होता है।
जिससे खेत की निगरानी में बाधा पहुंचती है , साथ ही रात को कोहरा और ठंडक के कारण खेतों की निगरानी करना और भी मुश्किल हो जाता है। दिन में जहां बंदरों का आतंक रहता है वहीं पर रात को नीलगाय , जंगली सुअर और सेही भी फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं। दलहनी फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान नीलगाय करती है वहीं आलू की फसल को जंगली सुअर और सेही सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते है।
जंगली सुअर जिस खेत पर हमला करते हैं उसको तहस नहस कर डालते हैं , विशेषज्ञों की सलाह है कि किसान अपने खेतों पर मचान बनाए और रात को अपने खेतों के आस पास अलाव जलाएं , जिससे जंगली जानवर खेतों से दूरी बनाए रखते हैं।
अटल भूजल योजना का लाभ उठायें राजस्थान के किसान
राजस्थान सरकार की महत्वपूर्ण योजना “अटल भूजल योजना” में ऑनलाइन आवेदन कर किसान भाई लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
इस योजना के तहत किसानों को सूक्ष्म सिंचाई यंत्र जैसे फव्वारा , ड्रिप , एवं मिनी स्प्रिंकलर पर किसानों को अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा , इस योजना का लाभ लेने हेतु किसान भाई साथी पोर्टल या नजदीकी ई मित्र पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
इस योजना के तहत सामान्य कृषकों को लागत का 70 प्रतिशत ,लघु एवं सीमांत किसानों , एस.सी., एस.टी. और महिला कृषकों को लागत का 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा ,
इस योजना से सिंचाई जल की बचत होगी साथ ही बागवानी फसलों और सब्जियों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी भी होगी, इस योजना का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड , बैंक पासबुक, जल उपलब्धता प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों की आवश्यकता होगी।
लहसुन के भाव
लहसुन एक ऐसा मसाला है जो लगभग ज्यादातर रसोइयों का हिस्सा बनता है , साथ ही इसके औषधीय गुण , गठिया , उच्च रक्त चाप , कोलस्ट्रॉल के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं।
लेकिन इधर साल भर से अधिक समय से इसके भाव में निरंतर तेजी बनी हुई है।
हाल में भी लहसुन का भाव 500 रूपये किलो के आसपास चल रहा है जिससे यह उपभोक्ताओं की पहुंच से दूर होता जा रहा है। यद्यपि दाल और सब्जियों में इसका प्रयोग बहुत थोड़ी मात्रा में मसाले के रूप में होता है ,लेकिन इतना महंगा भाव हो जाने से लोग इसका स्वाद नहीं ले पा रहे हैं। कई गृहणियों ने ये स्वीकार किया है कि लहसुन का भाव इतना ज्यादा है कि हम बिन लहसुन के ही दाल और सब्जी तैयार करते हैं।
लहसुन के थोक व्यापारियों की माने तो लहसुन के उत्पादन में कमी होने की वजह से आपूर्ति कम हुई है जिसकी वजह भावों में लगातार तेजी बनी हुई है।
सिर्फ लहसुन ही नहीं आलू ,शिमला मिर्च , गोभी , टमाटर , प्याज , और अन्य मौसमी सब्जियां अपने औसत भाव से दूने भाव पर चल रही है। बाजार के जानकारों का मानना है कि दिसंबर के अंत तक सब्जियों के भाव में नरमी आ सकती है।
बीमा सखी योजना एक नए युग का शुभारम्भ
प्रधानमंत्री करेंगे नए महिला युग की शुरुआत 9 को होगा बीमा सखी योजना का शुभारम्भ।
9 दिसंबर 2024 को देश की इतिहास में एक नए युग का शुभारम्भ होने जा रहा है जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने महिलाओं के लिए एल.आई.सी. बीमा की सखी योजना का शुभारम्भ करेंगे। यह योजना भारत की महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला है जो उनके सशक्तिकरण में एक बड़ी के लिए बड़ी भूमिका निभाएगा।
फिर दोहराया जाएगा इतिहास
यह वही पानीपत की ऐतिहासिक भूमि है जब प्रधानमंत्री ने 2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया था | इसी के बाद से ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ देश भर में जन आंदोलन बना और देश के प्रत्येक राज्य में लिंगानुपात सम्बंधित अभूतपूर्व सुधार हुआ।
करीब 9 साल पहले जब प्रधानमंत्री ने इस आंदोलन का शंखनाद किया उस समय हरियाणा में लिंगानुपात 876 था जो अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है। बेटियों और महिलाओं के सशक्तीकरण में भारत सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही इसके लिए 2015 से 2024 के मध्य अनेको योजनाओं की शुरुआत की गयी है।
ताईवानी खीरे की खेती में हैं संभावनाएं
गन्नौर के कैलाना गाँव में किसानो ने कर ताइवानी खीरे की खेती की शुरुआत की जिसमें उनेहं उत्साहजनक सफलता मिल रही है 3 साल पहले सुनील नाम के किसान ने एक एकड़ में ताइवानी खीरे की खेती की थी जिससे उसे पहली बार में उत्साहजनक बचत हुई थी। अबकी बार लगभग 25 एकड़ खेत में खीरे के साथ साथ ताइवानी रंगीन तरबूज और खरबूजे की भी बुआई की योजना बना रहे है।
एक एकड़ में 15 टन टक उत्पादन हो जाता है
ताईवानी खीरे की खेती करने वाले किसानों से बात करने पर पता चला है की ताइवानी खीरे का औसत उत्पादन एक एकड़ में 15 टन होती है तथा तथा बाजार में इसका मूल्य भी अच्छा (₹30 प्रति किलो) मिल जाता है। हालाँकि मूल्य की कोई गारंटी नहीं होती है इसीलिए किसान भाई एक दम से कोई बड़ा फैंसला ना लें धीरे धीरे रिसर्च करके आगे बढ़ें और मार्किट में अपनी पकड बना कर रखें। इस खीरे की खास बात यह है की इसको बिना छिलका उतारे भी खाया जा सकता है।
स्ट्रॉबरी की खेती में भी हैं संभावनाएं
रोहतक जिले के सुनारिया गाँव में रहने वाले जिले सिंह जी पहले पेशे से वकील हैं पिछले 25 साल से स्ट्रॉबरी की खेती कर रहे है और धन इज्जत और पहचान तीनों अर्जित कर रहे हैं।
मित्र की एक सलाह ने बदला जीवन
जिले सिंह जी बताते हैं कि लगभग 26 साल पहले इन्हे स्ट्रॉबरी की खेती के बारे में कुछ नहीं पता था। जिसके बाद इनके दोस्त ने इन्हे स्ट्रॉबेरी की खेती करने की सलाह दी। इनका ये मित्र जो पुणे में रहता था जब ये उसके पास घूमने गए तब उसने इन्हे स्ट्रॉबेरी की खेती करने की सलाह दी जिसके बाद से ही इन्होने इस खेती का प्रारम्भ किया तथा खुद को इस खेती को समर्पित कर दिया।
सब्जी उत्कृष्टता केंद्र घंरौन्डा का जापान से हुआ करार
जापान के साथ समझौते से होगा लाभ बागवानी विभाग को मिलेंगे 2700 करोड़।
जापान के डेलीगेशन ने इंडो- इजराइल प्रोजेक्ट के तहत भारत के सब्जी उत्कृष्टता केंद्र (सी.आई.वी.) पर दौरा किया जिसके साथ भारत और जापान के बीच जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेन्सी (जीका) प्रोजेक्ट पर समझौता हुआ।
इस प्रोजेक्ट के दौरान हरियाणा के किसानो की मुख्यरूप से सहायता की जाएगी जिसमे कई छोटे किसानो का चुनाव होगा |इस प्रोजेक्ट के माध्यम से किसान के लिए विभिन्न संसाधनों को मजबूत करना, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास सप्लाई चैन, ट्रांसपोर्ट तथा फसल उत्पादन में नुकसान काम करने पर खर्च किये जायेंगे।
इस योजना को दो चरणों में लागू किया जायेगा पहला चरण 4 साल तथा दूसरा चरण 5 साल का होगा।
अधिकारीयों ने बताया की इजराइल के साथ मिलकर कैसे वे कृषि में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करके कृषि उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है तथा किसानो को बाजार में अच्छा लाभ दिलाने में मदद मिल सकती है
किसान प्रोजेक्ट से जुड़े 70 छोटे किसान
इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य छोटे किसानो को सहारा देना है ऐसे किसान जो अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति या किन्ही अन्य करने के कारण उन्नत बीजों का या आधुनिक तकनीकों का प्रयोग नहीं कर पा रहे है ऐसे किसानो को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहायता देने की योजना बनाई जा रही है।
इसी के साथ परिवहन की समस्या को दूर किया जायेगा जिससे बाजार को ले जाते समय किसानो के होने वाले नुकसान को 30% तक काम किया जा सकेगा
पंजाब
खेती बाड़ी विभाग ने संभाला ने खोला गुलाबी सुंडी क खिलाफ मोर्चा
पंजाब में गेहूं की फसल में गुलाबी सुंडी दिखाई देने लगी है तो कृषि विभाग किसानों के लिए पूर्णतः समर्पित है जहां विभाग ने इसके लिए फील्ड सर्वे की टीमों का गठन कर दिया है।
सुंडी से संबंधित किसी भी समस्या को लेकर किसानों से ये अपील की जा रही है कि वे घबराएं न और अपने ब्लॉक के खेतीबाड़ी के अधिकारियों से संपर्क बनाए रखें किसानों से यह भी कहा गया कि वे प्रत्येक सिंचाई के साथ खेत का निरीक्षण भी करते रहें तथा हमला होने पर 50 मिलीलीटर कोरजन 80-100 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करे।
कीट साक्षरता मिशन के मनबीर रेढू के गुलाबी सुंडी के बारे में विचार
खेतों में कीटों की आपसी लीला को जानकार उनके काम को समझ कर बिना जहर के खेती करने में स्वर्गीय डॉ सुरेंदर दलाल जी ने हरियाणा में कीट साक्षरता मिशन की शुरुआत की थी। साल 2013 में उनके असमय देहांत के बाद कीट साक्षरता मिशन की सेवा संभाल का कार्य जिला जींद के पिंड इग्राह के निवासी मनबीर रेढू जी निभा रहे हैं।
आज सुबह हमारे खेती किसानी बुलेटिन के संवादाता ने गुलाबी सुंडी बाबत मनबीर रेढू जी से बातचीत की और उन्होंने बताया कीड़ो का प्रकृति के साथ अपना तालमेल है कीड़े अपना कर्तव्य निभाते है दुश्मनी या मित्रता निभाना उनका स्वभाव नही है।
जब से हमने पराली को समस्या मानकर इस निपटाने पर लगे हैं तब से नई तरह की समस्या आनी शुरू हो गई है। इन समस्याओं के आने का मुख्य कारण आधी अधूरी जानकारी के साथ काम करना है।
इस समय एक समस्या है गेंहुं मे गुलाबी सुंडी ।
गुलाबी सुंडी सुपरसीडर नामक मशीन द्वारा धान की पराली को ज़मीन मे मिलाते हुए गेहुं बिजाई की जाती है। इस से दो प्रकार की समस्या आ रही हैं एक सूखी पराली ज़मीन मे अच्छे से नहीं मिलती उसमें पडा बीज जमाव मे नही आता है।
दूसरा नमी युक्त पराली जमीन मे मिलती है तो गर्मी पैदा करती है। जिससे गुलाबी सुंडी अनुकुल मौसम मान कर प्युपे से बहार आ जाती है। नयी सुंडी़ पैदा कर देती है नवजात सुंडियां गेहुं को खाकर निर्वाह करने की कोशिश करती है।
इसी के साथ पर पराली को गलने के लिए जितनी नाईट्रोजन की जरूरत होती है उतनी नाईट्रोजन खेत से उसको मिल नही पाती इसलिए सडने की क्रिया शुरू होती है वहां पराली को खाकर मिट्टी बनाने वाले कीडे़ आ जाते है। ये कीड़े भी देखने में सुंडी जैसे ही लगते हैं। किसान दोनों प्रकार के कीडों को गेंहुं खाने वाले कीडे़ समझ कर घबरा जाता है जिसकी घबराहट का लाभ लेने के लिए बाजार लपक लेता है। सही समाधान है सरफेस सीडिंग, यदि सुपर सीडर से ही बिजाई करनी है तो पहले नाईट्रोजन पूर्ती फिर बिजाई।
प्राकृतिक खेती पर लांच हुआ राष्ट्रीय मिशन
कैबिनेट ने कृषि एव किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एन.एम्.एन.एफ.)को मंजूरी दी है। (National Misson on Natural Farming)
किसानो को उपयोग के लिए तैयार प्राकृतिक कृषि इनपुट की आसान उपलब्धता और पहुंच प्रदान करने के लिए आवश्यकता आधारित 10,000 जैव इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित किये जायेगे। (Bio Inputs Processing Centers)
कृषि विज्ञान केन्द्रो कृषि विश्वविद्यालयों और किसानो के खेतो पर लगभग 2000 एन.एफ.मॉडल प्रदर्शन फार्म (Natural Farming Demonstration Mode) स्थापित किये जायेंगें। किसानों को उनके प्रकृतिक कृषि उत्पादों के बाजार तक पहुंच प्रदान करने के लिए आसान सरल प्रमाणन प्रणाली (Organic Certification) की स्थापना की जाएगी।