84 साल के बी.वी. हेगड़े ने अपने पत्नी के सहयोग से 150 स्थानीय आमों की प्रजातियों का संरक्षण किया

बढती उम्र और हम

आम तौर हम पचास की उम्र नज़दीक लगते लगते मानसिक और वैचारिक रूप से ठस्स होने लगते हैं और जीने की इच्छा भी कुंद पड़ने लगती है क्यूंकि उत्सुकता का सोर्स हम मेंटेन नही करके रखते और ऊर्जा और उत्साह की कमी से आगे चलकर हमें जीवन में कुछ नज़र नही आता है |

कौन हैं बी वी हेगड़े

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आज हम आपको कर्नाटक राज्य के शिवमोगा जिले के तालुका सागार के एक गाँव में रहने वाले 84 वर्षीय श्री बी.वी. हेगड़े जी की कहानी लेकर आये हैं जिन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर पश्चिमी घाट अक्षेत्र में पाई जाने वाली एप्पे मिडी आम की 150 किस्मों का संरक्षण किया है और उनके संवर्धन के लिए अपने संसाधनों से प्रयास कर रहे हैं |

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श्रीमान हेगड़े जी बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें आम के आचार खाने का बेहद शौक था और आम की स्थानीय किस्मों का अचार हमारे घर में खूब बनता था | जब मैं 60 साल का हुआ तो मैंने महसूस किया कि अब कच्चे आम आसानी से नही मिलते हैं क्यूंकि लोगों का ध्यान इस्तारफ बिलकुल भी नही है |

मैंने पिछले 12 वर्षों में पश्चिमी घाटों के प्रत्येक नुक्कड़ और कोने की यात्रा की है और 100 से अधिक गाँवों का दौरा किया है, जहाँ आम की किस्में बनाई जाती हैं और आम की किस्मों का संवर्धन किया जाता है |

मैं अपनी पत्नी के साथ लगभग रोजाना नये नये गाँवों का दौरा करता हूँ, और उन लोगोंसे मिलता हूँ जीके यहाँ पर एप्पे मिडी किस्म के आम लगे होते हैं और मैं उनसे आम की प्रजाति के गुणों और अन्य विशेषताओं पर बातचीत करता हूँ और फिर मैं आम की कुछ कलम बनाने के लिए अच्छी टहनियों की मांग करता हूँ |

अब चूंकि मैं पेड़ों पर नहीं चढ़ सकता, इसलिए मैं वहां मौजूद स्थानीय युवाओं की मदद ले लेता हूँ, और फिर अपने घर पहुँच कर उस टहनी की कलम बना कर उसे ग्राफ्ट कर देता हूँ | मुझे हरेक बात का रिकॉर्ड भी रखना होता है इसके लिए मैं काफी सारा लिखने पढने का काम भी करता हूँ |

श्री बी वी हेगड़े ने ऐसा बताया
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एप्पे मिडी का व्यस्क पेड़ फोटो साभार ANI

काम कैसे बड़ा हुआ

धीरे धीर जैसे जैसे समय बीतता गया बहुत सारे आमों की प्रजातियाँ इक्कठी होती गयी और जमीन की समस्या पैदा हो गयी क्यूंकि हेगड़े जी के पास इन किस्मों को उगाने के लिए एक बड़ी जगह नहीं थी |

हेगड़े जी ने देखा कि उनके घर के पास एक पार्क है जिसमें काफी जगह है और मैंने वहां सार्वजनिक जगह पर आमों के पौधे लगाने शुरू कर दिए हमने जगह को बचाने के लिए एक एक पौधे पर चार से पांच किस्मों को ग्राफ्ट किया | इस पूरे काम में मेरी पत्नी का सहयोग सबसे ज्यादा रहा |

श्री हेगड़े के पास किस्मों के संग्रह में कुछ 10 दुर्लभ और प्रीमियम किस्में शामिल हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं :

  • डोंबेसरा जीरगे Dobensra jirge
  • गेनासिनकुडी जेएरेगे Genasinkudi jirage
  • चेने थोटा जेइरेगे Chenthota jirage
  • बैगी जेएरगे Baigi Jirage
  • बारिज जीरगे Barij jirage

इन आमों में विशिष्ट स्वाद और सुगंध है और इसके अलावा, इन्हें तीन से पांच सालों तक संरक्षित करके शेल्फ पर रखा जा सकता है |

मैं यह काम व्यावसायिक उद्देश्य के लिए नहीं करता है हूँ लेकिन मैं उनलोगों को भी सहयोग करता हूँ जो इन्हें आगे विकसित करने में रुचि दिखाते हैं और मैं चाहता हूं कि अन्य लोग इस अभ्यास को जारी रखें और उद्यमी गुणवत्तायुक्त एप्पे मिडी का विकास करें और पूरी दुनिया को इसके स्वाद से परिचित करवाने के लिये इसका निर्यात करें।

राजकीय सम्मान से मिली पहचान

भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान ने श्री हेगड़े को बेंगलुरु के हेसरघट्टा में चल रहे राष्ट्रीय बागवानी मेले में उनके संरक्षण प्रयासों के लिए सम्मानित किया है ।

श्री बी वी हेगड़े के काम पर एक विडियो भी मिला है यू ट्यूब में जिसे आप देख सकते हैं

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