चंबा (Chamba) तब बनाता था बिजली-जब देश में नहीं था एक भी खंभा (khambha)

चंबा (Chamba) में आई थी देश और एशिया में सबसे पहले बिजली

Which is the oldest hydro electric project in Himachal Pradesh । who is founder of chamba । which is the first hydroelectric plant in india । which is the largest power generation project in himachal Pradesh

चंबा (chamba) में भूरि सिंह पॉवर हाउस भारत और एशिया का सबसे पुराना पॉवर हाउस बताया जाता है। अपने स्थापना से लेकर वर्तमान समय तक यह पॉवर हाउस ऐसे ही चल रहा है और जमकर बिजली का उत्पादन 6 हजार यूनिट कर रहा है। हालांकि अब यह निजी हाथों को सौंप दिया गया है।

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जानकार बताते हैं कि इसके निर्माण में उस समय करीब पोने तीन लाख का खर्च आया था। 1938 तक इस स्टेशन की क्षमता 35किलोवाट (डीसी) यानी 47 ब्रेक हॉर्सपॉवर थी। जब यह पॉवर हाउस बना था, जब चंबा (chamba) शहर से यह 125 किलोमीटर दूर बनाया गया था। जिसे 1938 में उस समय के शासक राजा शाम सिंह ने चंबा (chamba) में शिफ्ट करवाया था। 1938 में इसकी क्षमता 100 किलोवाट और बढ़ा दी गई थी। 1958 में 100 किलोवाट का एक और सेट लगाकर इसकी कुल क्षमता 250 किलोवाट कर दी गई थी।

1938 में चंबा (chamba) के स्टेट चीफ इंजीनियर गुरूदिता लाल महाजन थे, जो इसकी देखभाल करते थे। HPSEBके चेयरमैन कैलाश चंद महाजन इसकी क्षमता 250 से 450 किलोवाट करवाई थी। जिस नदी के किनारे बना है, यह नदी रावी नदी में जाकर मिलती है।

1905 के दौरान दिल्ली में जॉन फ्लेमिंग ने डीजल पॉवर स्टेशन बनाया था। उन्हें इंडियन इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 1903 के तहत पॉवर स्टेशन बनाने की अनुमति दी गई परंतु इससे केवल राजधानी ही रोशन हो पाई।

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चंबा (chamba) में है देश का दूसरा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट

यह है उत्तर भारत का पहला और देश का दूसरा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट। नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NHPC) जल्द ही चंबा (chamba) जिले में हरित हाइड्रोजन ईंधन उत्पादन संयंत्र स्थापित करेगा। यह राज्य का पहला हाइड्रोजन ईंधन संयंत्र होगा। यह निर्णय हाल ही में आयोजित एनएचपीसी लिमिटेड के साथ चंबा जिला प्रशासन की एक बैठक में लिया गया था, जिसकी अध्यक्षता चंबा के उपायुक्त डीसी राणा ने की थी और इसमें एनएचपीसी के महाप्रबंधक (परियोजना), चमेरा- II और चमेरा- III एसके संधू ने भाग लिया था।
नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी) लिमिटेड ने अपने 180 मेगावाट बैरा सिउल पावर स्टेशन का स्वदेशी रूप से नवीनीकरण और आधुनिकीकरण किया है और वाणिज्यिक संचालन शुरू किया है। यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के चंबा (chamba) में है।

बैरा सिउल पावर स्टेशन एनएचपीसी का पहला पावर स्टेशन है जो 1 अप्रैल 1982 से वाणिज्यिक संचालन के अधीन था और इसने 35 वर्षों का उपयोगी जीवन पूरा कर लिया था। तीनों इकाइयों का नवीनीकरण और आधुनिकीकरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।

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एनएचपीसी ने 00:00 बजे यूनिट 2 और यूनिट 1 का वाणिज्यिक संचालन शुरू कर दिया है। 29.12.2019 और 00:00 बजे तक। क्रमशः 07.11.2020 का। तीसरी इकाई (यूनिट 3) को 00:00 बजे वाणिज्यिक संचालन के तहत घोषित किया गया है। 31.08.2021 का। इस प्रकार, आर एंड एम कार्यों के बाद, एनएचपीसी ने बैरा सिउल पावर स्टेशन की सभी तीन इकाइयों (3 x 60 मेगावाट) का वाणिज्यिक संचालन शुरू कर दिया है। बैरा सिउल पावर स्टेशन का जीवन अब और 25 साल बढ़ा दिया गया है।

चंबा के उपायुक्त डीसी राणा ने कहा कि यह जिले की पहली हाइड्रोजन मोबिलिटी आधारित परियोजना होगी। संयंत्र 250 किलोवाट फोटोवोल्टिक सौर संयंत्र के माध्यम से हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा।
एनएचपीसी हाइड्रोजन फ्यूल प्लांट लगाने के अलावा जिला प्रशासन को पायलट बेस पर 33 सीटर हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस भी उपलब्ध कराएगी। हिमाचल प्रदेश सड़क परिवहन निगम द्वारा जिले के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में बस का संचालन किया जाएगा। हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली बस की रेंज 200 किमी होगी।

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एक दावा यह भी है

1902 में कर्नाटक के शिवानासमुद्रा में देश का पहला हाइड्रो पावर प्लांट बनाया गया था। वर्ष 1908 में हिमाचल प्रदेश के चंबा (chamba) जिले के तत्कालीन शासक भूरी सिंह ने हाइड्रो पावर हाउस (35 किलोवाट-डीसी) का निर्माण करवाकर चंबा को बिजली की सौगात दी थी। यह प्रोजेक्ट हेरिटेज प्रोजेक्ट है।

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