आज सुबह दफ्तर में काम शुरू करने से पहले व्हाट्स एप्प ग्रुप्स को स्क्रॉल कर रहा था तो मेरी निगाह हरियाणा फार्मर ऍफ़.पी.ओ. ग्रुप में एक न्यूज़ कटाई पर पड़ी जिसमें बताया गया था कि मध्यप्रदेश के इंदौर क्षेत्र में नूरजहाँ के नाम से आम की कोई किस्म है जिसका एक पीस 1000 रुपये में बिक रहा है |
मैंने पहले कभी इस आम की किस्म और एक आम के लिए इतने दम के बारे में कभी नही सुना था इसी लिए मुझे इच्छा हुई क्यूँ ना आज इसी पर शोध किया जाए और जानकारी जुटा कर आपसे सांझी की जाए |
गूगल बाबा में सर्च किया तो कुछ कुछ वेब साइट्स पर छितरी छितरी सी जानकारियाँ मिली जिन्हें इस लेख में पिरोने का प्रयास किया जा रहा है |
नूरजहाँ आम
मध्यप्रदेश में इंदौर इलाके में गुजरात सीमा के नज़दीक अलीराज पुर जिले में एक गाँव है कट्ठीवाड़ा जहाँ नूरजहाँ आम के पेड़ पाए जाते हैं | आमों की इस किस्म को अपनी गुणवत्ता के कारण आमों की मल्लिका का खिताब प्राप्त है और लोग प्यार से इसे नूरजहाँ कहने लगे हैं | स्थानीय लोग इसे अफगानी मूल की आम की किस्म कहते हैं लेकिन यह अफगानिस्तान से चलकर कट्ठीवाड़ा कैसे पहुंची इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नही है |
नूरजहाँ आम के गुण
नूरजहां के फलों का वजन औसतन 2.75 किलोग्राम के आस-पास होता है और अच्छे नूरजहाँ आम के एक फल की कीमत 1,200 रुपये तक भी चली जाती है| बागवानी के जानकार ब्त्ताते हैं कि नूरजहां के पेड़ों पर आमतौर पर जनवरी-फरवरी से बौर आने शुरू होते हैं और इसके फल जून की शुरुआत में पककर बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं। नूरजहां के भारी-भरकम फल तकरीबन एक फुट तक लम्बे हो सकते हैं और इनकी गुठली का वजन 150 से 200 ग्राम के बीच होता है।
शिवराज सिंह यादव जो कट्ठीवाड़ा में रहते है और नूरजहाँ आम की बागवानी करते हैं उनका कहना है कि आम पकने से बहुत पहले ही इसके दीवाने एक एक आम की बुकिंग कर लेते हैं और आम की तुड़ाई के साथ ही हम उन्हें भेज देते हैं |हमारे सभी ऑर्डर्स इंदौर, अहमदाबाद, बडौदा और मुंबई से आते हैं |हमारे पास अभी कुल तीन पेड़ हैं जो लगभग 40 साल पुराने हैं और एक पेड़ पर 200 से 250 आम लग जाते हैं |
शिवराज सिंह बताते हैं कि उनके पिताजी ठाकुर पंवेंद्र सिंह जी को आमों की भिन्न भिन्न किस्मों की बागवानी करने का शौक था और उन्होंने ही सबसे पहले इस इलाके में अलग अलग स्थानों से आमों की कलमें ला कर उन्हें ग्राफ्टिंग विधि से तैयार करना शुरू हुआ और इन्ही आमों में से आगे चलकर नूरजहाँ किस्म तैयार हुई |
जलवायु परिवर्तन का पड़ रहा है असर
साल 2020 हमारे लिए बहुत ही बुरा साल था क्यूंकि इस साल आमों पर बोर ही नही आये थे और विशेषज्ञों का कहना था कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसा हुआ है |जानकार कहते हैं कि पिछले एक दशक के दौरान मॉनसूनी बारिश में देरी, अल्पवर्षा, अतिवर्षा और आबो-हवा के अन्य उतार-चढ़ावों के कारण नूरजहां के फलों का वजन लगातार घटता जा रहा है |
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण आम की इस दुर्लभ किस्म के वजूद पर संकट भी मंडरा रहा है | आम की यह प्रजाति मौसमी उतार-चढ़ावों के प्रति बेहद संवेदनशील है | इसकी देख-रेख उसी तरह करनी होती है, जिस तरह हम किसी छोटे बच्चे को पाल-पोस कर बड़ा करते हैं.
दूरदर्शन भी बना चुका है फिल्म
इसके पौधों की कीमत और उपलब्धतता
जैसे जैसे नूरजहाँ आम का जलवा बिखरने लगा है कई बागवानों ने इसमें रूचि दिखानी शुरू की है और अब इसके पौधे भी मिलने लगे हैं | प्रसिद्द वेबसाईट इंडिया मार्ट पर इसके एक पौधे की कीमत एक हज़ार रुपये दिखा दे रही है |
अमेजन वेबपोर्टल पर भी इसके चिन्ह मिले हैं लेकिन वहां आउट ऑफ़ स्टॉक होने की वजह से उपलब्धतता और कीमत का पता नही चल सका है |
फेसबुक में एक पेज बना हुआ है नूरजहाँ मैंगो प्लांट नर्सरी के नाम से जहाँ 095118 74682 नम्बर से मालूमात करने की जानकारी दी गयी है|
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