डी.सी.मोहम्मद इमरान रजा ने किसानों का आह्वान किया है कि किसान बागवानी में ‘स्टैकिंग विधि’ को प्रयोग कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आधुनिक युग में खेती में नई-नई तकनीकों का आविष्कार किया जा रहा है, सब्जियों की खेती में ‘स्टैंकिंग’ ऐसी विधि है, जिसे अपनाकर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
मिलेगा अनुदान
हरियाणा सरकार द्वारा सब्जियों में बांस स्टैकिंग व लोहे स्टैकिंग को प्रयोग करने के लिए सामान्य श्रेणी के किसानों को 50 प्रतिशत व एससी श्रेणी के किसान को 85 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
लाभ कैसे लें
योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को बागवानी पोर्टल https://hortnet.gov.in/ पर ऑनलाइन आवदेन करना होगा।
क्या है स्टैकिंग तकनीक
डीसी ने बताया कि आधुनिक युग में खेती में नई-नई तकनीकें उभरकर सामने आ रही हैं। इससे किसानों को ढेरों फायदे पहुंच रहे हैं। सब्जियों की खेती में ‘स्टैंकिंग’ ऐसी ही एक विधि का नाम है, जिसे अपनाकर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। उन्होंने बताया कि नई-नई तकनीकों से खेती करने का सबसे बड़ा फायदा होता है कि इससे ढेर सारी जानकारियां मिलती हैं और दूसरी इनसे मुनाफा और फसलों की पैदावार भी अधिक होती है।
बांस व लौह स्टैकिंग पर दिया जाता है अलग-अलग अनुदान
डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा बांस स्टैकिंग की लागत 62 हजार 500 रुपए प्रति एकड़ पर सामान्य श्रेणी के किसान को 31250 रुपये व एससी श्रेणी के किसान को 53125 रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। वहीं लोहा स्टैकिंग लागत एक लाख 41 हजार रुपए प्रति एकड़ पर सामान्य श्रेणी के किसान को 70500 रुपये व एससी श्रेणी के किसान को एक लाख 19 हजार 850 रुपए का अनुदान प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एससी श्रेणी के किसान के लिए बांस स्टैकिंग व लौह स्टैकिंग पर अधिकतम अनुदान क्षेत्र एक एकड़ है। इस बारे में अधिक जानकारी वेबसाईट व दूरभाष नंबर 0172-2582322 पर प्राप्त की जा सकती है।
स्टैेकिंग विधि’ से सब्जियों में नहीं होती सडऩ
डीसी ने बताया कि किसान पहले पुरानी तकनीक से ही सब्जियों और फलों की खेती करते थे। लेकिन अब किसान स्टैकिंग तकनीक का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं क्योंकि यह तकनीक बहुत ही आसान है। इस तकनीक में बहुत ही कम सामान का प्रयोग होता है। स्टैकिंग बांस व लौहे के सहारे तार और रस्सी का जाल बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि ‘स्टैेकिंग विधि’ से खेती करने पर सब्जियों की फसल में सडऩ नहीं होती, क्योंकि वो जमीन पर रहने की बजाए ऊपर लटकी रहती हैं। करेला, टमाटर एवं लौकी जैसी फसलों को सडऩे से बचाने के लिए उनको इस तकनीक से सहारा देना कारगर साबित होता है। पारंपरिक खेती में कई बार टमाटर की फसल जमीन के संपर्क में आने की वजह से सडऩे लगती है, लेकिन स्टैकिंग तकनीक में ऐसी दिक्कत नहीं होती।