Video of Ideation Centre by Rajpal Makhni at Nabha
आपकी स्क्रीन पर दिखाई दे रही ताजा तस्वीरें पटियाला की नाभा तहसील में स्थित आईडीएशन सेंटर से हैं जहां मिट्टी में।इंजीनियरिंग करके सरदार Rajpal Makhni जी ने बिना किसी रसायन के प्रयोग के पौधों के फुल जेनेटिक एक्सप्रेशन को आने देने का रास्ता साफ़ किया है।
आईडीऐशन सेंटर
करोडो अरबों खर्च करके कृषि अनुसंधान की प्रयोगशालाओं में आज केवल सड़े गले रसायनों की सिराफ़रिशें ही पनप पाई हैं लेकिन सरदार राजपाल माखनी जी ने नानक खेती के सिध्दांतों पर काम करते करते ऐसी राह खोज निकली है जिसमें किसान छोटी से छोटी काश्त के सहारे भी टिकाऊ और अच्छा जहर रहित उत्पादन ले सकता है।
सरदार जी जब अपनी लहर में होते हैं तो वो फरमाते हैं कि हरेक बीज में अपने आप को पूरा खिलाने का जेनेटिक कोड मौजूद होता है लेकिन मिट्टी कमजोर होने की वजह से जेनेटिक कोड आधा अधूरा ही एक्सप्रेस हो पाता है।जिसे खिलाने के लिए हम रासायनिक इनपुट्स का सहारा लेते हैं जिससे मिट्टी और अधिक ख़राब हो जाती है।सरदार राजपाल माखनी जी ने उदासी से भरे इस किसानी सेक्टर में उत्साह का एक नया फव्वारा छोड़ दिया है।
जो जो साथी खेती किसानी से जुड़े हैं उनके लिए इस फव्वारे के घूंट पीना और इसमें आकर नहाना एक जीवन पर्यंत का अनुभव हो सकता है। क्योंकि जो पुरुषार्थ और सच्चाई की रौशनी सरदार राजपाल जी ने पैदा की है वो आजकल के इस माहौल में सर्वथा दुर्लभ है।
आईडीएशन सेंटर में कम्पोस्टिंग, अमृत मिट्टी बनाने की प्रक्रिया, अलग अलग तरह के सुब्स्ट्रेट्स जो कि फसल अवशेषों से बनाये जाते हैं को प्रैक्टिकली डेमोंस्ट्रेट किया गया है।
यहां फसलें लगातार पैदा हो रही हैं और मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा 3.7 बनी हुई है जो कि बहुत बहुत अच्छी है और काबिले तारीफ़ है।
सरदार राजपाल माखनी जी ने ऐसा काम करके दिखाया है जो कृषि विश्वविद्यालयों से पिछले पचास सालों से अपेक्षित था,खैर किसी ने तो करना ही था। कुदरत ने किसान के ऊपर प्राकृतिक संसाधन बेशुमार लुटाये हैं लेकिन किसान ने हर एक संसाधन को तकलीफ़ समझ कर नष्ट करना शुरू किया हुआ है।
सरदार राजपाल माखनी जी अपने अनुभव से बताते हैं कि एक छोटा किसान सुबह 9 बजे से पांच बजे तक अपने छोटे से खेत मे।दफ्तर समझ कर काम कर ले तो तनख्वाह से कहीं ज्यादा पैसे पूरी आजादी और इज्ज़त के साथ कमा सकता है।
सरदार राजपाल माखनी जी का यह इंडस्ट्रियल प्लाट में से इंडस्ट्री को उखाड़ कर बनाया हुआ सेंटर खेती किसानी की दिशा को मोड़ने और चढदी कला में लाने में अवश्य सफल होने वाला है और एक नया ज्ञान तीर्थ बन कर उभर रहा है |
सरदार जी का हाइपोथिसिस है कि दो एकड़ जमीन रखने वाले किसान को तीस से पचास हज़ार रुपये प्रतिमाह कमाने लायक कैसे बनाया जा सकता है |
सरदार जी कहते हैं कि सृष्टि में एक जीव का मलमूत्र दूसरे जीव का भोजन होता है | हमें सिर्फ इस चेन की सही जानकारी होनी चहिये और इसका प्रक्टिकल उपयोग करना आना चाहिए | सरदार राजपाल माखनी जी बाबा गुरुनानक जी के कथनों और समझ को विज्ञान के सिद्दांतों के साथ मिलाकर बड़ी रोचक व्याख्या करना जानते हैं | सरदार राजपाल माखनी जी को सोशल मीडिया में भी फॉलो किया जा सकता है और उन्हें ईमेल पर भी सम्पर्क किया जा सकता है उनका ईमेल : Rajpal Singh rajpalmakhni@yahoo[dot]co[dot]in है |
वैचारिक कुल की वंशबेल
सरदार राजपाल माखनी जी की वैचारिक सम्पति में बाबा नानक से लेकर कृषि संत स्वर्गीय दीपक सचदे जी के विचारों और जीवन के अनुभवों का संगम है | इनसे मिलकर बाबा नानक के नजरिये और दर्शन का आभास मिल जाता है | विज्ञान के आधुनिक सिद्दांतों को संतों फकीरों की गूढ़ बातों के साथ रला मिला कर इतनी अदा से प्रस्तुत करते हैं कि कठिन से कठिन बात एक मिनट में समझ आ जाती है |
कृषि संत दीपक सचदे से कितने हज़ारों लोग मिले होंगे लेकिन उनके अनुभवों को व्यवाहरिक रूप देकर जमीन पर एक मॉडल खड़ा करके जहाँ लघु सीमान्त किसानों के सभी सवालों का हल और उनकी समस्याओं का एक छत के नीचे समाधान बना कर दिखाने वाले शिष्य बहुत थोड़ी गिनती में ही हैं |