मार्च महीने में थोक महंगाई में आई थोड़ी नरमी

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च, 2023 में घटकर 29 महीने के सबसे निचले स्तर 1.34 प्रतिशत पर आ गई। इससे पहले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति भी मार्च में घटकर 15 महीने के सबसे निचले स्तर 5.66 प्रतिशत पर आ गई थी जो फरवरी में 6.44 प्रतिशत थी। सरकारी आंकड़ों से मिली जानकारी के मुताबिक, मार्च में थोक मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति का आंकड़ा 2020 के बाद से सबसे कम है। तब मुद्रास्फीति की दर 1.31 प्रतिशत थी यानी लगातार दसवां महीना है, जब थोक मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई है।

निम्न वस्तुओं के दामों में हुई नरमी

मार्च, 2023 में मुद्रास्फीति की दर में कमी की मुख्य वजह बुनियादी धातुओं, कुछ खाद्य उत्पादों, कपड़ा, गैर-खाद्य वस्तुओं, खनिज, रबड़ एवं प्लास्टिक उत्पादों, कच्चा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, कागज और कागज उत्पाद के दामों में कमी आना है यानी डल्यूपीआई में गिरावट मुख्य रूप से विनिर्मित वस्तुओं और ईधन के दामों में कमी के चलते हुई है।

दामों में नरमी के कारण

थोक महंगाई दर का रिकॉर्ड निचले स्तर पर आना साबित करता है कि केंद्रीय बैंक की सख्त मौद्रिक नीति असरकारी साबित हुई है। तर्क यह भी दिया जा रहा है कि मांग में नरमी के चलते महंगाई में नरमी का रुझान बना, लेकिन वैश्विक हालात और कच्चे तेल के दामों के मद्देनजर अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना ठीक नहीं। थोक महंगाई में गिरावट का असर उपभोक्ताओं तक पहुंचने में कुछ समय लगेगा। अभी तो स्थिति यह है कि खाद्य स्फीति में तेजी बनी हुई है।

दाल, दूध के दामों में तेजी

दाल, दूध आदि के दामों में तेजी का रुझान है। गर्मी का सीजन दूध की कमी का होने से आने वाले दिनों में इसके दाम नरम पड़ने की गुंजाईश नहीं है। हालांकि दालों के स्टॉक पर नजर रखी जा रही है, लेकिन इनके दाम चिंता का सबब बने रह सकते हैं।

सफल रही सरकार की नीति

सरकार की कोशिश है कि दालों की जमाखोरी न होने पाए। खासकर अरहर और उड़द की दाल के स्टॉक की विशेष निगरानी की जा रही है। सभी दालों के उत्पादन, भंडारण और वितरण व्यवस्था की भी समीक्षा की जा रही है। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय देश भर में 482 मूल्य रिपोर्टिंग केंद्रों के जरिए खाद्य उत्पादों के थोक और खुदरा दामों की निगरानी करता है। बेशक, स्थिति की लगातार समीक्षा और निगरानी बेहद जरूरी है।