हमेशा याद आयेंगे डॉ. के.के.अग्रवाल

जब से कोविड की लहर देश में चली है लगभग एक हज़ार डॉक्टर मरीजों को बचाते बचाते अपनी शहादत दे चुके हैं | जब यह बिमारी शुरू हुई थी तो इसकी भयावहता की ख़बरें तो देश में पहले ही पहुँच चुकी थी लेकिन इससे लड़ने का कोई प्रोटोकोल और प्रोटेक्टिव गियर देश में मौजूद नही था | ऐसे में हमारे देश के डाक्टरों ने भागने की बजाए करोना को टक्कर देने के लिए कमर कस ली | सभी नियम कायदे कानून तौर तरीके ऑन द गो बनते रहे |

देश में उपजी इन खतरनाक परिस्थितियों में डॉ के के अग्रवाल एक ऐसे महापुरुष की तरह उभर कर सामने आये जिन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से करोड़ों लोगों को न सिर्फ ढाढस बंधाया और उन्हें करोना से लड़ने और घर पर ही ठीक होने के टिप्स बताते रहे |

डॉ के के अग्रवाल ही पहले शख्स थे जिन्होंने अपनी समझबूझ से शरीर में कोविड फैलने को घर में आग लगाने का उदाहरण देकर समझाया जो सरल तरीका था। यदि मरीज की स्वाद व सूंघने की शक्ति चली जाए तो बल्ले-बल्ले यानी कोरोना फेफड़ों में नहीं पहुंचा बल्ले-बल्ले।

इसी बीच 17 मई 2021 को खबर आई कि सबके चहेते डॉ के.के.अग्र्वाल जी ने करोना रोग से लड़ते हुए अंतिम सांस ली तो पूरा देश निराशा में डूब गया क्यूंकि वो एक बहुत बड़ी उम्मीद थे और उन्होंने सोशल मीडिया के माध्याम से सक्रीय रहते हुए देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की राह दिखाई थी अपने अंतिमकाल में उन्होंने जो कहा वह ध्यान देने वाला है “यदि आप ठीक है तो मैं भी ठीक हूं या ठीक हो जाऊंगा”।

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करोना रोग के बारे में भारतवासियों में जागरूकता फैलाने वाले डॉ. केके. अग्रवाल आज पूरे देश में चर्चित हैं और लोग उन्हें पूरे आदर व श्रद्धा से याद करते हैं। उनके चाहने वालों को बड़ा अफसोस है कि रोग के बारे में उनका मार्गदर्शन करने बाले डॉ. केके. अग्रवाल को देश के श्रेष्ठ हस्पतालों के काबिल डॉक्टर भी. बचाने में नाकामयाब रहे। जानकार लोगों का कहना है कि स्वयं बीमार होने व वेंटिलेटर पर होते हुए भी डॉ. अग्रवाल बीमार लोगों की चिंता करते और कोविड के विभिन्‍न आवामों पर जानकारी देने से नहीं चूके।

डॉ के के अग्रवाल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक व्हाट्सएप्प यू ट्यूब के माध्यम से लगभग दस करोड़ लोगों तक अपनी पहुँच बना चुके थे और देश के करोड़ों नागरिक उन्हें अपना फैली डॉक्टर और निजी कंसलटेंट के तौर पर देखने समझने और मानने लगे थे | उनका समझाने का अंदाज इतना सरल और निराला था कि दर्शक को ऐसा प्रतीत होता था कि उसी से बात हो रही है आमने सामने| सोशल मीडिया पर वो अपना नम्बर शेयर करने में कतई नही घबराते थे उन्हें पता था कि हज़ारों लाखों सन्देश आएंगे और हज़ारों लोग उन्हें मैसेज के माध्यम से दुआएं देते , कंसल्ट करते और आपने आपको हल्का महसूस करते थे |

उनके जाने के बाद अब लोग बता रहे हैं कि डॉ साहब न सिर्फ कन्सेल्टेशन देते थे वो गरीब और जरूरतमंद लोगों को दवाइयां भी अपने पास से भेज देते थे | ऐसे साफ़ सुच्चे दिल दिल वाले डॉ को अपने बीच में ना पा कर समाज का हर वर्ग दुखी है शोक में खिन्न है |

डॉ के के अग्रवाल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष थे और उनकी आयु अभी मात्र 62 वर्ष की ही थी

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इसके बावजूद संक्रमित हो जान गंवा देना चौकाने वाली घटना है। उनकी हिम्मत देखिए संक्रमण के बाद भी वे दिनभर मरीजों को ऑनलाइन या फोन पर कंसलटेंसी देते रहे। एक वीडिओ में वे ऑक्सीजन सपोर्ट पर दिख रहे हैं। वे राज कपूर द्वारा मेरा नाम जोकर का डायलोग बोलकर कहते थे शो मस्ट गो ऑन। पिक्चर अभी बाकी है।

डॉ अग्रवाल का जन्म 5 सितम्बर 1958 को हुआ था और उन्होंने अपनी MBBS की डिग्री नागपुर यूनिवर्सिटी से 1979 में पूरी की और MD की डिग्री Mahatma Gandhi Institute of Medical Sciences से 1983 में पूरी की | वे नई दिल्ली स्थित मूलचंद मेडिसिटी में सीनियर कंसलटेंट के तौर पर सेवारत रहे | इन्होने सबसे पहले कहा कि भगवान् श्रीकृष्ण पूरे भारत के पहले काउंसलर हैं | इन्हें साल 2005 में बी सी रॉय अवार्ड से नवाजा गया और नेशनल साइंस कम्युनिकेशन अवार्ड , विश्व हिंदी सम्मान और हेल्थ केयर पर्सनालिटी ऑफ़ द ईयर अवार्ड से भी सम्मनित किया गया | साल 2010 में इन्हें पद्मश्री अवार्ड भी मिला |

सोशल मीडिया में प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी को उनके थालियाँ और घन्टे बजवाने और मोमबतियां जलवाने वाले निर्णय पर डांट लगाने की वजह से इनका विडियो वायरल हो गया था | जनवरी 2021 में जब इनकी पत्नी ने वैक्सीनेशन कराने से आनाकानी की तो इन्होने अपनी पत्नी को डांट लगई तो वह विडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो गया था |

डॉ के के अग्रवाल आज हमारे बीच में नही हैं लेकिन उनकी याद से देशवासियों के दिल आज भी पूरे रौशन हैं जितने भी लोग फेसबुक और व्हाट्सएप्प से उनके सम्पर्क में थे वो आज भी उन्हें अपने पारिवारिक सदस्य की तरह मिस करते हैं |

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